उत्तर प्रदेश में स्कॉलरशिप को लेकर राहत, सभी के लिए एक जैसा होगा नियम

सरकार का साफ संदेश है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी योग्य छात्र का भविष्य सिस्टम की देरी या तकनीकी अड़चन की भेंट नहीं चढ़ेगा, और जिनका हक प्रक्रिया में अटक गया था, उन्हें अब नियमों के तहत फिर से छात्रवृत्ति का लाभ दिलाने की तैयारी है।

योगी सरकार का बड़ा फैसला
योगी सरकार का बड़ा फैसला तकनीकी कारणों से छूटे छात्रों को दोबारा मौका
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 03:22 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति को लेकर लंबे समय से इंतज़ार कर रहे हजारों विद्यार्थियों के लिए अब राहत की खबर है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शैक्षिक सत्र 2025–26 की दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में उन सभी पात्र छात्रों को दोबारा अवसर देने का निर्णय लिया है, जो तकनीकी खामियों, डेटा लॉक न हो पाने या पोर्टल संबंधी कारणों से आवेदन प्रक्रिया से बाहर रह गए थे। खास बात यह है कि यह संशोधित व्यवस्था सामान्य, OBC, अल्पसंख्यक और SC/ST—सभी वर्गों पर बराबरी के साथ लागू होगी। सरकार का साफ संदेश है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी योग्य छात्र का भविष्य सिस्टम की देरी या तकनीकी अड़चन की भेंट नहीं चढ़ेगा, और जिनका हक प्रक्रिया में अटक गया था, उन्हें अब नियमों के तहत फिर से छात्रवृत्ति का लाभ दिलाने की तैयारी है।

उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रवृत्ति प्रक्रिया में छूटे विद्यार्थियों के लिए एक बार फिर राहत का रास्ता खोला है। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से उन छात्र-छात्राओं को विशेष राहत दी गई है, जो समय पर मास्टर डेटा लॉक नहीं करा पाए थे और इसी वजह से उनका आवेदन या सत्यापन चरण पीछे रह गया था। विभाग ने अब नई समय-सारिणी जारी कर प्रक्रिया को दोबारा पटरी पर लाने की पहल की है, ताकि तकनीकी देरी या प्रक्रियागत चूक के कारण किसी पात्र विद्यार्थी की छात्रवृत्ति अटक न जाए और उत्तर प्रदेश में “हकदार को हक” की नीति जमीन पर प्रभावी रूप से लागू हो सके।

सभी वर्गों के लिए एक जैसी व्यवस्था

सरकारी सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति प्रक्रिया को दोबारा गति देने के लिए जारी संशोधित टाइमलाइन सभी श्रेणियों सामान्य, OBC, अल्पसंख्यक, SC और ST के विद्यार्थियों पर एक समान लागू होगी। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण का कहना है कि यह कदम प्रदेश की छात्रवृत्ति व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, बेहतर प्रबंधित और समयबद्ध बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है, ताकि तकनीकी अड़चनों या प्रक्रियागत देरी के कारण किसी पात्र छात्र का अधिकार न रुके। सरकार का जोर इस बात पर है कि उत्तर प्रदेश में जरूरतमंद विद्यार्थियों तक आर्थिक सहायता समय पर पहुंचे, और छात्रवृत्ति प्रणाली भरोसे व जवाबदेही के नए मानक पर आगे बढ़े।

उत्तर प्रदेश ने तय की नई डेडलाइन

समाज कल्याण विभाग के उप निदेशक आनंद कुमार सिंह के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति प्रक्रिया को समय पर और व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाने के लिए संशोधित टाइमलाइन स्पष्ट कर दी गई है। इसके तहत 23 दिसंबर 2025 से 2 जनवरी 2026 के बीच प्रदेश के शिक्षण संस्थान मास्टर डेटा तैयार करेंगे। वहीं 23 दिसंबर 2025 से 9 जनवरी 2026 तक विश्वविद्यालय और संबंधित एफिलिएटिंग एजेंसियां फीस संरचना व छात्र संख्या का सत्यापन करेंगी। इसके बाद जिला स्तर पर जिला समाज कल्याण अधिकारी 15 जनवरी 2026 तक मास्टर डेटा और फीस का अंतिम सत्यापन पूरा करेंगे। साफ संकेत है कि इस बार उत्तर प्रदेश में छात्रवृत्ति की पूरी “बेस सेटिंग”यानी मास्टर डेटा को तय समय में लॉक कराकर आगे की प्रक्रिया को बिना रुकावट पटरी पर लाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि पात्र विद्यार्थियों की मदद समय पर उनके खाते तक पहुंच सके।

सामान्य, OBC और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए आवेदन का नया शेड्यूल

उत्तर प्रदेश में सामान्य, OBC और अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति प्रक्रिया की नई समय-सारिणी भी तय कर दी गई है। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार छात्र 14 जनवरी 2026 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे, जबकि जरूरी दस्तावेजों की हार्ड कॉपी 21 जनवरी 2026 तक संबंधित शिक्षण संस्थान में जमा करानी होगी। इसके बाद संस्थान स्तर पर सत्यापन 27 जनवरी 2026 तक पूरा किया जाएगा। वास्तविक छात्र सत्यापन की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय/एफिलिएटिंग एजेंसियों के पास होगी, जो 28 जनवरी से 7 फरवरी 2026 तक चलेगा। फिर NIC द्वारा डेटा की अंतिम स्क्रूटनी 9 फरवरी 2026 तक पूरी की जाएगी। सबसे अहम बात यह है कि छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि 18 मार्च 2026 तक PFMS के जरिए आधार से लिंक बैंक खाते में भेजने का लक्ष्य रखा गया है। भुगतान की यह स्पष्ट डेडलाइन देकर उत्तर प्रदेश सरकार ने संकेत दिया है कि इस बार सिस्टम को समयबद्ध बनाकर “पेमेंट पेंडिंग” जैसी शिकायतों पर लगाम कसने की तैयारी है ताकि पात्र छात्रों को मदद कागज़ों में नहीं, समय पर खाते में दिखाई दे।

SC/ST विद्यार्थियों को उत्तर प्रदेश में अतिरिक्त राहत

उत्तर प्रदेश सरकार ने SC/ST वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति प्रक्रिया में एक कदम और आगे बढ़ते हुए समय-सीमा को अतिरिक्त राहत के साथ बढ़ा दिया है। अब इन वर्गों के छात्र 31 मार्च 2026 तक आवेदन कर सकेंगे, जबकि छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि का अंतिम भुगतान 22 जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार का कहना है कि यह विस्तार सामाजिक न्याय और समावेशी शिक्षा की प्रतिबद्धता का हिस्सा है ताकि दस्तावेज, सत्यापन या तकनीकी कारणों से किसी योग्य विद्यार्थी का हक अटक न जाए और उत्तर प्रदेश में कोई भी पात्र SC/ST छात्र सिर्फ प्रक्रिया की देरी के कारण पीछे न छूटे।

समय-सारिणी का पालन जरूरी

स्पष्ट अपील की है कि नई समय-सारिणी का सख्ती से पालन किया जाए। उनका कहना है कि छात्रवृत्ति व्यवस्था एक “चेन सिस्टम” की तरह है यदि किसी एक चरण पर डेटा लॉक, दस्तावेज जमा या सत्यापन में देरी हुई, तो उसका असर आगे के सत्यापन से लेकर भुगतान तक पड़ता है, और अंत में नुकसान सीधे छात्र को उठाना पड़ता है। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का यह निर्णय उन विद्यार्थियों के लिए एक तरह से “सेकंड चांस” है, जिनकी छात्रवृत्ति महज तकनीकी कारणों से अटक गई थी। अब जिम्मेदारी विद्यार्थियों और संस्थानों की है तारीखें नोट करें, दस्तावेज़ पूरे रखें, समय पर सत्यापन कराएं, ताकि छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि बिना किसी अड़चन के सीधे बैंक खाते तक पहुंच सके। UP News

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CCTV बना ब्लैकमेल का हथियार: हाईवे-ट्रेन फुटेज लीक करने वालों पर लगाम कब?

सार्वजनिक जगहों पर रिकॉर्ड हुए निजी पलों के वीडियो लीक कर पैसे ऐंठने और दबाव बनाने की शिकायतें बढ़ रही हैं और इसी के साथ उत्तर प्रदेश में डिजिटल निगरानी व्यवस्था की जवाबदेही और सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है।

उत्तर प्रदेश में CCTV सर्विलांस बढ़ा
उत्तर प्रदेश में CCTV सर्विलांस बढ़ा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 01:25 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सीसीटीवी कैमरे अब एक नई चिंता का कारण बनते दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे, रेलवे प्लेटफॉर्म और भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक इलाकों में जिन फुटेज से अपराधियों की पहचान होनी चाहिए, वही कुछ मामलों में बदनामी की धमकी और ब्लैकमेलिंग का हथियार बन रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस खेल में कई बार वही लोग शामिल पाए गए हैं, जिन पर निगरानी की जिम्मेदारी होती है यानी सिस्टम के भीतर से ही सिस्टम पर चोट। नतीजा साफ है: आम लोगों की निजता पर सीधा हमला, मानसिक दबाव और भरोसे की दीवार में दरार। हालिया घटनाओं ने यूपी के लिए यह सवाल और भी गंभीर कर दिया है कि “कैमरों की नजर” तो सब पर है, लेकिन कैमरा कंट्रोल करने वालों पर नजर कौन रखेगा? सार्वजनिक जगहों पर रिकॉर्ड हुए निजी पलों के वीडियो लीक कर पैसे ऐंठने और दबाव बनाने की शिकायतें बढ़ रही हैं और इसी के साथ उत्तर प्रदेश में डिजिटल निगरानी व्यवस्था की जवाबदेही और सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है।

नमो भारत ट्रेन मामला

हाल ही में ‘नमो भारत’ ट्रेन से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसे नवंबर का बताया गया और दिसंबर में बड़े पैमाने पर शेयर किया गया। मामला तूल पकड़ते ही ट्रेन संचालन से जुड़ी एजेंसी ने आंतरिक जांच कर जिम्मेदार कर्मचारी को सेवा से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक कृत्य के आरोप में संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया। पुलिस अब इस पूरे प्रकरण की परत-दर-परत पड़ताल कर रही है इस घटना ने केवल व्यवस्था पर सवाल नहीं उठाए, बल्कि पीड़ित परिवारों पर पड़े मानसिक दबाव और सामाजिक शर्मिंदगी ने यह साफ कर दिया कि डिजिटल निगरानी के दुरुपयोग का खतरा कितना गंभीर और दूरगामी हो सकता है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर कपल से वसूली का आरोप

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर सीसीटीवी फुटेज के दुरुपयोग का एक मामला इतना गंभीर निकला कि नवविवाहित जोड़े से कथित तौर पर 32 हजार रुपये की उगाही तक की बात सामने आई। पीड़ित की शिकायत जब सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंची, तब जाकर सिस्टम हरकत में आया और टोल से जुड़े कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। आरोप यह भी हैं कि यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क की तरह काम करता रहा जिसके जरिए अन्य राहगीरों को भी “वीडियो लीक” और “बदनामी” का डर दिखाकर अवैध वसूली की गई। कार्रवाई में कुछ कर्मचारियों को हटाया गया, लेकिन उत्तर प्रदेश की निगरानी व्यवस्था के सामने असली सवाल अब भी खड़ा है अगर कैमरे सुरक्षा के लिए हैं, तो उनकी रिकॉर्डिंग को ब्लैकमेलिंग की मशीन बनने से रोकने वाली मजबूत ‘डिजिटल चौकसी’ अब तक क्यों नहीं बन पाई?

दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे प्रकरण

दिल्ली - मुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ा एक और मामला बताता है कि निगरानी की तकनीक कब “सुरक्षा” से फिसलकर “सौदेबाज़ी” का औजार बन जाती है, पता ही नहीं चलता। यहां सार्वजनिक स्थान पर रिकॉर्ड हुए एक वीडियो को आधार बनाकर ब्लैकमेलिंग की कोशिशों की बात सामने आई, जिसके बाद जांच में टोल स्टाफ की भूमिका पर सवाल उठे और कार्रवाई भी की गई। लेकिन यह प्रकरण सिर्फ एक विभागीय कार्रवाई तक सीमित नहीं है यह उस खतरनाक हकीकत की तरफ इशारा करता है कि कैमरे की एक क्लिक और फुटेज की एक लीक, किसी के निजी जीवन को पल भर में सोशल मीडिया के कटघरे में खड़ा कर सकती है।

समाधान क्या?

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में जहां एक्सप्रेसवे नेटवर्क से लेकर स्मार्ट सर्विलांस तक का दायरा लगातार फैल रहा है अब सिर्फ कैमरे लगाना ही “सुरक्षा” नहीं माना जा सकता। असली कसौटी यह है कि रिकॉर्ड होने वाला डेटा कितना सुरक्षित है और सिस्टम कितना जवाबदेह। विशेषज्ञों की राय में यूपी को अब निगरानी व्यवस्था के साथ डेटा-सुरक्षा का मजबूत कवच भी खड़ा करना होगा। इसके लिए फुटेज तक पहुंच को “सीमित और लॉग-आधारित” बनाना जरूरी है, ताकि हर क्लिक का रिकॉर्ड रहे और यह साफ दिखे कि कौन, कब और किस फुटेज को देख रहा है। साथ ही रियल-टाइम ऑडिटिंग से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। फुटेज लीक या दुरुपयोग के मामलों में “जीरो टॉलरेंस” अपनाते हुए तत्काल निलंबन के साथ आपराधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। नियमित अंतराल पर स्वतंत्र एजेंसी से थर्ड-पार्टी ऑडिट कराया जाए, ताकि अंदरूनी गड़बड़ियों की समय रहते पहचान हो सके। UP News

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उत्तर प्रदेश में SIR का आज आखिरी दिन, फॉर्म नहीं भरा तो करें ये काम

इस प्रक्रिया में जहां दिवंगत मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, वहीं पलायन कर चुके या लंबे समय से क्षेत्र से बाहर रहने वाले मतदाताओं के रिकॉर्ड का सत्यापन किया जा रहा है। दूसरी ओर, नए मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं और नाम, पता, उम्र, फोटो जैसी गलतियों को भी इसी मंच पर दुरुस्त किया जा रहा है।

SIR प्रक्रिया आज अंतिम दिन
उत्तर प्रदेश SIR प्रक्रिया आज अंतिम दिन
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar26 Dec 2025 12:51 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया आज अंतिम दिन है। डेडलाइन के दबाव के चलते उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बूथों और विशेष कैंपों पर सुबह से ही हलचल तेज दिख रही है। चुनावी तैयारियों की इस अहम कड़ी में अगर आपने अब तक गणना फॉर्म जमा नहीं किया है, तो देर न करें आज ही नजदीकी केंद्र/कैंप पर पहुंचकर या उपलब्ध ऑनलाइन माध्यम से फॉर्म भरकर जमा कर दें। क्योंकि आखिरी तारीख निकलते ही नाम जोड़ने, विवरण सुधारने या संशोधन की प्रक्रिया ड्राफ्ट सूची के बाद दावे-आपत्तियों के रास्ते जाएगी, जिसमें समय भी लगेगा और प्रक्रिया भी लंबी हो सकती है।

उत्तर प्रदेश में क्यों जरूरी है SIR?

उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविध आबादी वाले राज्य में मतदाता सूची का सही, साफ और अपडेट रहना चुनावी व्यवस्था की बुनियाद है। यही वजह है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को वोटर लिस्ट की एक तरह की “डीप क्लीनिंग + अपडेशन ड्राइव” माना जा रहा है। इस प्रक्रिया में जहां दिवंगत मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, वहीं पलायन कर चुके या लंबे समय से क्षेत्र से बाहर रहने वाले मतदाताओं के रिकॉर्ड का सत्यापन किया जा रहा है। दूसरी ओर, नए मतदाताओं के नाम जोड़े जा रहे हैं और नाम, पता, उम्र, फोटो जैसी गलतियों को भी इसी मंच पर दुरुस्त किया जा रहा है। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट को ज्यादा सटीक, पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए SIR एक निर्णायक कदम है ताकि हर पात्र मतदाता का नाम सही जगह, सही जानकारी के साथ दर्ज रहे।

जिलों में विशेष कैंप

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अंतिम दिन की डेडलाइन को देखते हुए प्रशासन ने विशेष कैंपों का नेटवर्क सक्रिय कर दिया है। कई मतदान केंद्रों पर बीएलओ (Booth Level Officer) की तैनाती के साथ फॉर्म भरवाने, त्रुटि सुधारने और जमा कराने की ऑन-द-स्पॉट व्यवस्था की गई, ताकि कोई पात्र मतदाता प्रक्रिया से छूट न जाए। कई जगहों पर राजनीतिक दलों के बीएलए (Booth Level Agents) भी बूथों पर मौजूद रहे और लोगों को फॉर्म भरने-जमा करने में सहायता करते दिखे। राज्य स्तर पर भी इसे लेकर हाई अलर्ट मोड नजर आया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व तक ने जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं से घर-घर जागरूकता बढ़ाने की अपील की थी। इसका असर अब जमीन पर दिख रहा है, जहां बूथों पर बढ़ती भीड़ और तेज होती गतिविधियां बताती हैं कि उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने की यह कवायद अपने निर्णायक मुकाम पर पहुंच चुकी है।

कैसे अपडेट हो रहा डाटा?

चुनाव आयोग की ओर से घर-घर बीएलओ भेजकर मतदाताओं तक गणना फॉर्म पहुंचाए गए, ताकि प्रक्रिया ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच में रहे। मतदाता द्वारा भरे गए फॉर्म के आधार पर ऑनलाइन डेटा एंट्री की जा रही है और इसी अपडेटेड रिकॉर्ड से नई मतदाता सूची तैयार होगी। जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में SIR के तुरंत बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने की संभावना है, जबकि फरवरी में फाइनल सूची प्रकाशित होने का अनुमान जताया जा रहा है। सबसे अहम बात यह है कि जो मतदाता आज फॉर्म जमा नहीं कर पाए, उनके लिए रास्ता पूरी तरह बंद नहीं होता ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद वे उचित दस्तावेजों के साथ दावा/आपत्ति दाखिल कर सकते हैं। आयोग इन दावों-आपत्तियों की जांच कर फाइनल अपडेट से पहले अंतिम एडिटिंग करेगा, ताकि उत्तर प्रदेश में किसी भी योग्य मतदाता का नाम सिर्फ प्रक्रिया या त्रुटि के कारण सूची से छूट न जाए।

उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के लिए जरूरी सलाह

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के इस निर्णायक अपडेट के बीच मतदाताओं के लिए तीन बातें बेहद जरूरी हैं अगर आपका फॉर्म अब तक जमा नहीं हुआ है, तो इसे आज ही नजदीकी केंद्र/कैंप या ऑनलाइन माध्यम से जमा कर दें। अगर नाम, पता, उम्र या फोटो में जरा-सी भी गलती है, तो उसे समय रहते सुधरवा लेना आगे की परेशानी से बचाएगा और जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हो, तो अपना नाम और पूरा विवरण एक बार नहीं, ध्यान से दो बार जरूर जांचें ताकि उत्तर प्रदेश में आपका मतदान अधिकार किसी त्रुटि या देरी की वजह से अधूरा न रह जाए। UP News

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