पूर्वांचल को बड़ा झटका : 8-लेन गंगा पाथवे एक्सप्रेसवे परियोजना रद

गंगा नदी के किनारे-किनारे बनाया जाने वाला यह 8-लेन हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे दिल्ली और पूर्वी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली एक रणनीतिक लाइफलाइन माना जा रहा था। इसका उद्देश्य पूर्वांचल को नोएडा/दिल्ली से सीधे जोड़ना था।

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एक्सप्रेसवे की फाइल फोटो
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar01 Dec 2025 08:11 PM
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उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों बलिया, गाजीपुर और मऊ के लिए एक बड़ी निराशाजनक खबर आई है। लंबे समय से प्रतीक्षित और ग्रेटर नोएडा से बलिया तक प्रस्तावित आठ-लेन गंगा पाथवे एक्सप्रेसवे परियोजना को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी तरह रद कर दिया है। यह वही परियोजना थी जिसे पूर्वांचल के तेज विकास और दिल्ली से सीधी कनेक्टिविटी का आधार माना जा रहा था। इस परियोजना के रद होने से पूर्वांचल के लोगों की आशाओं पर तुषारापात हो गया, अब वे दिल्ली से सीधा जुड़ने का लाभ नहीं ले सकेंगे।

क्या था यह एक्सप्रेसवे?

गंगा नदी के किनारे-किनारे बनाया जाने वाला यह 8-लेन हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे दिल्ली और पूर्वी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली एक रणनीतिक लाइफलाइन माना जा रहा था। इसका उद्देश्य पूर्वांचल को नोएडा/दिल्ली से सीधे जोड़ना था। दूसरा पूर्वांचल तक का सफर का समय कई घंटों तक कम करना और व्यापार, पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य था। परियोजना की लंबाई लगभग 600+ किमी मानी जा रही थी और इसे यूपी की सबसे महत्वाकांक्षी सड़कों में गिना जा रहा था।

सरकार ने क्यों रद किया प्रोजेक्ट?

यूपी एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडा) के अनुसार नई परियोजना की जरूरत नहीं है, क्योंकि पहले से मौजूद बड़े एक्सप्रेसवे पूर्वांचल की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं : यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे , 

निमार्णाधीन गंगा एक्सप्रेसवे। सरकार का कहना है कि इन रास्तों से यात्रियों को पहले ही तेज कनेक्टिविटी मिल रही है। नई परियोजना बनाना आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं है। पुराना डीपीआर और सर्वे अब अप्रासंगिक हो चुका है। इस आधार पर परियोजना को असंगत और अव्यावहारिक बताकर रद कर दिया गया।

2008 से अब तक क्यों लटका रहा प्रोजेक्ट?

यह एक्सप्रेसवे कोई नया विचार नहीं था। इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी, जब इसे चार साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन कई कारणों से कार्य आगे नहीं बढ़ पाया। सबसे पहले पर्यावरण मंजूरी में अड़चन हुई, हाईकोर्ट ने साफ कहा कि जब तक पर्यावरण विभाग क्लीयरेंस नहीं देता, तब तक निर्माण कार्य नहीं होगा। यही प्रोजेक्ट के ठप होने की सबसे बड़ी वजह बनी। दूसरा जमीन अधिग्रहण पर करोड़ों खर्च हुए, लगभग 38 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण पर खर्च होने के बावजूद निर्माण शुरू नहीं हो सका। तीसरा ठेकेदार कंपनी को धन वापसी करनी होगी। परियोजना का ठेका मेसर्स जेपी गंगा इंफ्रास्ट्रक्चर कॉपोर्रेशन लिमिटेड को मिला था, लेकिन अब रद होने के बाद कंपनी को 3,26,96,764 रुपये वापस करने होंगे। चौथा कारण बदलती सरकारें और प्राथमिकताएँ हैं। उत्तर प्रदेश में बदलती सरकारों और नीतियों के कारण परियोजना लगातार अपनी प्राथमिकता खोती गई।

पूर्वांचल में विकास की उम्मीदों को बड़ा झटका

इस निर्णय से पूर्वी यूपी के जिलों बलिया, गाजीपुर, के लोगों में निराशा है। वहां के लोग कई वर्षों से इस एक्सप्रेसवे की उम्मीद लगा चुके थे। इसके रद होने से व्यापार पर असर पड़ेगा। दिल्ली जैसे बड़े बाजारों से सीधा संपर्क टूटने के कारण नए उद्योग, गोदाम, लॉजिस्टिक, हब, फल/सब्जी/अनाज परिवहन की संभावनाओं को नुकसान होगा। रोजगार के अवसर को भी नुकसान होगा। गंगा किनारे बसाए गए शहरों के लिए यह एक्सप्रेसवे पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकता था। एक दशक से ज्यादा समय तक उम्मीद जगाने के बाद 8-लेन गंगा पाथवे एक्सप्रेसवे परियोजना को रद कर दिया गया है। यह फैसला पूर्वी उत्तर प्रदेश की विकास योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

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राम मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख करेंगे ध्वजारोहण

इस समारोह के सभी चरणों को अत्यंत सावधानी, विस्तृत योजना और उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था के साथ तैयार किया गया है। राम मंदिर पर प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा।

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राम मंदिर परिसर में ध्वजारोहण की तैयारी
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar01 Dec 2025 09:33 AM
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अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में 25 नवंबर को होने वाला ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय गरिमा और परंपरा का अद्भुत संगम भी प्रस्तुत करेगा। इस समारोह के सभी चरणों को अत्यंत सावधानी, विस्तृत योजना और उच्च स्तर की सुरक्षा व्यवस्था के साथ तैयार किया गया है। राम मंदिर पर प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा।

शुभ मुहूर्त व कार्यक्रम की समय-सारणी

ध्वजारोहण के लिए वैदिक ज्योतिषियों और परामर्श समितियों द्वारा गहन विचार-विमर्श के बाद 30 मिनट का श्रेष्ठ मुहूर्त तय किया गया है। ध्वजारोहण का मुख्य मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:30 बजे तक का है। इसके साथ समग्र वैदिक प्रक्रियाएं सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक होगी। इस अवधि में वैदिक मंत्रोच्चार, पूजा-अर्चना और ध्वज को ऊंचाई पर स्थापित करने की पूरी विधि सम्पन्न होगी।

प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख द्वारा ध्वजारोहण

समारोह का सबसे महत्वपूर्ण क्षण वह होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रीय पर्वों की गरिमा के अनुरूप ध्वज फहराने की प्रक्रिया को पूर्ण करेंगे। ध्वज फहराते ही परिसर में शंखनाद, ढोल-नगाड़ों की धुन, मंगल वाद्य, घंटे-घड़ियाल 

एक साथ गूंज उठेंगे, जिससे वातावरण विशिष्ट आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाएगा। ऐसे धार्मिक और मनोरम वातावरण में यह कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा8,000 विशिष्ट मेहमानों का आगमन

इस भव्य आयोजन में देशभर से लगभग 8,000 विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। इनमें राजनीतिक नेतृत्व, धार्मिक संत, सामाजिक कार्यकर्ता, कलाकार, वैज्ञानिक, और विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख शामिल रहेंगे। सभी मेहमानों को सुबह 8:00 से 10:00 बजे के बीच प्रवेश करना होगा। ट्रस्ट ने उनके लिए भोजन, जलपान और विश्राम की व्यवस्थाएँ की हैं।

मोबाइल फोन पूरी तरह प्रतिबंधित

मंदिर परिसर में सुरक्षा को और अधिक कड़ा करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। किसी भी मेहमान को मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। प्रारंभ में अनुमति दी गई थी, लेकिन दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ाने की सलाह दी। सभी मेहमानों को खाली हाथ प्रवेश करना होगा। सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिनमें अतिरिक्त मेटल डिटेक्टर लगाए गए हैं तथा डॉग स्क्वॉड तैनात किया गया है। हाई-टेक सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई है। 24*7 निगरानी के लिए नया कंट्रोल रूम सक्रिय किया गया है। सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। पूरे परिसर की नियमित एंटी-सबोटाज चेकिंग का उद्देश्य है सुरक्षा, अनुशासन व शांति के साथ समारोह को सफल बनापीएम मोदी संभवत: करेंगे रोड शो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या आगमन के दौरान उनके द्वारा एक रोड शो किए जाने की संभावना है। अंतिम फैसला एसपीजी की सुरक्षा समीक्षा के बाद होगा। इसके लिए दो प्रस्तावित मार्ग बनाए गए हैं। पहला सड़क मार्ग और दूसरा हवाई मार्ग से बनाया गया है।

1. सड़क मार्ग (12 किमी) से एयरपोर्ट, महोबरा बाजार, राम मंदिर वाला मार्ग होगा। जिसमें भीड़ और स्वागत कार्यक्रम होने की संभावना है। दोनों लेनों पर सुरक्षा कारणों से बैरिकेडिंग की जाएगी। 

2. हवाई मार्ग (हेलीकॉप्टर) से एयरपोर्ट, साकेत कॉलेज हेलीपैड तक जो मंदिर परिसर से मात्र 1 किमी की दूरी पर है। यहाँ तीन हेलीकॉप्टर हेलीपैड पहले से तैयार किया गया है। एसपीजी निरीक्षण के बाद इनमें से किसी एक मार्ग को अंतिम रूप देगमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तैयारियों की निगरानी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 18 नवंबर को तैयारियों का जायजा लेने अयोध्या पहुंच सकते हैं। उनके आगमन के दौरान होगी।

* रामजन्मभूमि परिसर में समीक्षा बैठक

* पुलिस, प्रशासन और ट्रस्ट के पदाधिकारियों की उपस्थिति

* कार्यक्रम स्थलों का निरीक्षण

* सुरक्षा, यातायात, आतिथ्य व प्रबंधन की समीक्षा

* प्रधानमंत्री और संघ प्रमुख की मौजूदगी में होने वाले कार्यक्रम की अंतिम रूपरेखा को लेकर निर्देश

25 नवंबर को होने वाला राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, राष्ट्रीय गौरव और आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों का एक प्रेरणादायक संगम बनकर सामने आएगा। 8,000 से अधिक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति, प्रधानमंत्री व संघ प्रमुख का ध्वजारोहण, कड़ी सुरक्षा, वैदिक परंपराओं का अनुपालन और पूरे शहर की त्योहारी सजावट के साथ अयोध्या एक बार फिर इतिहास रचने जा रही है

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योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश के सीएम) को सैलरी कितनी मिलती है?

भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले मुख्यमंत्री में से तेलंगाना का मुख्यमंत्री सबसे ऊपर है। उनकी मासिक सैलेरी 4.10 लाख ( 410,000) है। दूसरे नंबर पर है दिल्ली का मुख्यमंत्री, जिनकी सैलेरी लगभग 3.90 लाख है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar16 Nov 2025 07:35 PM
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मासिक सैलरी लगभग 3.65 लाख ( 365,000)रुपये है। उन्‍हें बेसिक पे, महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते मिलते हैं। महंगाई भत्ता 90,000 तक हो सकता है। कानूनी रूप से, उत्तर प्रदेश में मंत्री और मुख्यमंत्री का मूल कानूनी वेतन कानून में भी लिखा गया है। मुख्यमंत्री को 40,000 /- मासिक नामित वेतन मिलता है। इसमें अन्य भत्ते अलग से मिलते हैं।

देश में सबसे ज्यादा सैलेरी वाला मुख्यमंत्री कौन है?

भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले मुख्यमंत्री में से तेलंगाना का मुख्यमंत्री सबसे ऊपर है। उनकी मासिक सैलेरी 4.10 लाख ( 410,000) है। दूसरे नंबर पर है दिल्ली का मुख्यमंत्री, जिनकी सैलेरी लगभग 3.90 लाख है। योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश) तीसरे नंबर पर हैं, जैसा कि हम ऊपर देख चुके हैं योगी आदित्यनाथ की मासिक सैलरी लगभग 3.65 लाख है। 

मुख्यमंत्रियों की सैलरी, विस्तारित विवरण

भारत में सीएम का वेतन राज्य की विधानसभा द्वारा तय किया जाता है। यह संविधान (अनुच्छेद 164) की अनुमति पर आधारित है। 

वेतन में सिर्फ तनख्वाह नहीं होता, बल्कि भत्ते भी शामिल होते हैं। जैसे यात्रा, आवास, सुरक्षा आदि। देश में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री जिनकी सेलरी है 4.10 लाख/माह। राज्यों में सीएम की सैलरी इतना अलग-अलग क्यों होती है? इसका मुख्य कारण ये है कि राज्य विधानसभाएँ ये तय करती हैं। केंद्र (पैन-इंडिया) कोई एक तरह की सैलरी नहीं लागू नहीं करता। सैलरी में अंतर यह भी दिखाता है कि राजनीतिक नेतृत्व का पैकेज सिर्फ राज्य की आमदनी या जीडीपी पर नहीं, बल्कि उस राज्य की व्यवस्थाओं, बजट प्राथमिकताओं और राजनीतिक फैसलों पर निर्भर करता है।