2021 के मुक़ाबले 19 फीसदी की वृद्धि हुई है पराली जलाने में ।
हद हो गई इस शहर की। हैरानी इस बात की है कि जानता हर कोई है। क्या ये राजनीति करण है? या सच में अनभिज्ञता, यकीन मानिए जनता बहुत हैरान सी है। जब भी कोई आपदा आती है तो देश के कर्णधार और कुछ नहीं तो हेलिकोप्टर से जाकर औचक निरीक्षण कर ही आते हैं । जैसा कि कहीं पर बाढ़ आ जाये तो बाढ़ पीढ़ित क्षेत्रों का यदि निरीक्षण होता है। तो वहाँ मुसीबत में फंसे लोगों को रसद ही पहुंचा दी जाती है। लेकिन यहाँ तो मामला दिल्ली, एन.सी.आर की साँसों का है। हैरानी ये भी है कि प्रदूषण कहाँ से है, क्यों है? इसे कैसे रोका जाये या पहले से ही रोका जाता ?
दिल्ली बन गई गैस का चेंबर …
ये भी तो सब जानते हैं। फिर भी ये तो सालों साल बढ रहा है। ये भी सभी जानते हैं। क्योंकि ये कोई 2022 का मामला तो है नहीं प्रदूषण की दर सालों साल बढ़ ही रही है। छोटे छोटे बच्चों को नेबुलाईजर लगाने को गरीब तथा मध्यम वर्गीय आदमी सरकारी अस्पताल में तथा जिनकी नहीं भी गुंजाइश वे प्राइवेट अस्पतालों में लाइने लगा रहे हैं। क्योंकि मामला अपने जिगर के टुकडों की साँसों का है। सीनियर सुपर सीनियर नागरिक इन्हेलर लेकर खुद को जीवित रखे हुए हैं। झुग्गी झोंपड़ियों में बूढ़े – बुढियां खाँस खाँस के परेशान हैं और फिर खाँस रहे हैं। यहाँ मामला पत्र लिखकर आरोप – प्रत्यारोप से ही आगे नहीं बढ़ता । आखिर कब तक?
दिल्ली बन गई गैस का चेंबर …
अब तो आम आदमी भी ये चर्चा करने लगा है। क्यों इसको रोकने के लिए ठोस उपाय नहीं किए जाते? कहीं कहीं तो अब शंका भी होने लगती है कि कहीं राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से ही तो पराली जलाने पर रोक नहीं लगती? यदि लगती है तो ये कैसी रोक है? जिसका औचक निरीक्षण कर उपाय भी नहीं किया जा सकता। हम सभी जानते हैं कि प्रकृति के साथ तो हम जैसा करेंगे वैसा ही हमें परिणाम भी भुगतना होगा। हमने स्वयम देखा है कि करोना काल में जब मानव समेत समस्त मशीनें, वाहन, फैक्ट्रियाँ आदि बंद पड़ी थी तो वातावरण शुद्ध भी हुआ था । हम सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदूषण है फिर इसको किसके लिए छोड़ दिया जाता है । दिल्ली एन.सी.आर इस वर्ष फिर गैस चंबर में परिवर्तित हो गया है। 24 अक्तूबर से 2 नवम्बर 2022 तक 2021 के मुक़ाबले पराली जलाने में 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रामाणिक आंकडो के अनुसार 2021 में इसी दौरान जहां 18066 मामले सामने आए थे। 2022 में यह बड़कर 21840 पर पहुँच गये हैं। आम पब्लिक राजनीति नहीं दाल, रोटी के साथ नीला आसमान तथा शुद्ध साँसों की उम्मीद करती है। सरकार चाहे जो भी हों दिल्ली एन.सी.आर का प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है। धुएँ के कारण इसका अति गंभीर श्रेणी में पहुँचने का खतरा मंडरा रहा है। काश कोई हेलीकॉप्टर से जाता और इस जान लेवा धुएं से दिल्ली एन. सी. आर को निजात दिलवा देता ।