Monday, 2 December 2024

सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट नौकरी पर भी आरक्षण

नई दिल्ली। अभी तक संविदा पर जो अस्‍थायी भर्ती होती थी उसमें कोई आरक्षण लागू नहीं था। वह सभी वर्गों…

सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट नौकरी पर भी आरक्षण

नई दिल्ली। अभी तक संविदा पर जो अस्‍थायी भर्ती होती थी उसमें कोई आरक्षण लागू नहीं था। वह सभी वर्गों के लिए एक समान था। लेकिन केंद्र सरकार ने अब सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा) पर नौकरियों में भी आरक्षण लागू कर दिया है जिससे आरक्षण का लाभ एससी/एसटी/ओबीसी समाज को मिलेगा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है। केंद्र ने बताया कि सरकारी विभागों में 45 दिन या उससे अधिक की अस्थायी नियुक्तियों में एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर इस आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। संविदा कर्मियों की अस्थायी नौकरियों में एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। इसी याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि 2022 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञापन में इस बारे में जानकारी दी गई है।

अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू

अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1968 से लागू है। इसे लेकर 2018 और 2022 में भी निर्देश जारी हो चुके हैं। सरकार की ओर से जारी ओएम में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पदों और सेवाओं में नियुक्तियों के संबंध में 45 दिन या उससे अधिक की अस्थायी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए अब आरक्षण होगा। पहले यह आरक्षण संविदा कर्मियों पर नहीं लागू था। लेकिन अब इसका लाभ इस वर्ग को मिलेगा। केंद्र सरकार ने इसे सख्‍ती से लागू करने के लिए कहा है।

इस याचिका में एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, जिसमें बताया गया कि सभी विभागों द्वारा अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस ओएम पर ध्यान देते हुए रिट याचिका का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीडि़त पक्ष कानून के अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा।

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