नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लोग एक बार फिर कुत्तों के निशाने पर आ गए हैं। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एक व्यक्ति को आवारा कुत्तों ने बुरी तरह से काट (Dog Bite) लिया। हालत यह हो गई कि उस व्यक्ति को अपने काम पर जाने के बजाय तत्काल अस्पताल भागना पड़ा। यह घटना ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पंचशील ग्रीन्स वन सोसाइटी की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार टॉवर एफ-2 में रहने वाले सुधीर कहीं जाने की तैयारी में थे। इसके लिए जब वे पार्किंग में खड़ी अपनी बाइक के पास पहुंचे, तो वहां पहले से मौजूद कुछ आवारा कुत्तों ने उनपर हमला कर दिया। उन्होंने खुद को बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन एक कुत्ते ने उनके पैर में अपने दांत गड़ा दिए।
कुत्ते ने उनके पैर में इस कदर काट लिया कि उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाना पड़ा। कुत्ते के काटने के कारण उनके पैर में गहरा जख्म हो गया था। अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया गया। इस घटना के बाद पीड़ित ने अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (एओए) से इस घटना की शिकायत की है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ रहा है आतंक
बता दें कि नोएडा शहर में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। नोएडा प्राधिकरण यहां के निवासियों को डॉग बाइट (Dog Bite) से बचाने में पूरी तरह से नाकाम और बेबस दिखाई पड़ रहा है। नोएडा में ही हर वर्ष 90 हजार कुत्तों की नसबंदी करवाने का दावा करने के बावजूद एक ही महीने में लगभग 10 हजार लोग इन ‘आतंकवादी कुत्तों’ का शिकार हो चुके हैं।
नोएडा शहर के लोगों में दहशत इस कदर घर कर गई है कि लोग अपने बच्चों को अकेले घर से बाहर निकलने तक नहीं दे रहे हैं। हालांकि नोएडा प्राधिकरण इन कुत्तों पर लगाम लगाने के नाम पर हर वर्ष लगभग 11 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा भी करता है, लेकिन यह दावा भी हवा-हवाई साबित हो रहा है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब तक अपनी डॉग पॉलिसी (Dog Policy) भी लागू नहीं कर सका है।
हाल ही में Dog Bite से एक मासूम की हो गई थी मौत
आपको ध्यान दिला दें कि हाल ही में गाजियाबाद में Dog Bite के बाद रेबीज होने से एक 12 वर्षीय मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसके अलावा नोएडा शहर की ही एक नामी-गिरामी सोसाइटी में एक रिटायर्ड IAS अधिकारी भी कुत्ते का शिकार हो गए थे। गत 10 सितंबर को फरीदाबाद के बल्लभगढ़ कस्बे में भी एक कुत्ते ने 3 बच्चों सहित 6 लोगों को काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
इतना ही नहीं, आपको याद दिला दें कि नोएडा प्राधिकरण के अधीन आने वाले सेक्टर-100 में स्थित लोटस बुलेवार्ड सोसाइटी में भी पिछले वर्ष आवारा कुत्ते ने एक बच्चे को अपना शिकार बना कर मार डाला था। यानी इन आवारा कुत्तों ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपना शिकार बना लिया है, लेकिन इन घटनाओं के बावजूद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
एंटी रेबीज इंजेक्शन की मांग बढ़ी
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कुछ दिन पहले तक हर दिन 150 लेग एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने जिला अस्पताल पहुंच रहे थे। लेकिन अभी एंटी रेबीज इंजेक्शन की मांग में भी वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अतिरिक्त कई लोग ऐसे भी हैं, जो Dog Bite के बाद बाहर ही प्राइवेट में इंजेक्शन ले लेते हैं। इसलिए यह आंकड़ा 200 तक भी पहुंच सकता है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने में नोएडा व ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरण पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। नोएडा में इन कुत्तों पर लगाम लगाने के नाम पर हर वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इनमें नोएडा सेक्टर-50 और सेक्टर-135 में डॉग शेल्टर (Dog Shelter) बनाना, कुत्तों की नसबंदी करवाना, आवारा कुत्तों के रहने, खाने और इलाज की व्यवस्था करने जैसी व्यवस्थाएं भी शामिल हैं।
केवल नसबंदी पर ही सालाना 9 करोड़ का खर्च
नोएडा प्राधिकरण की मानें तो Dog Bite की घटना को रोकने के लिए हर साल 90 हजार कुत्तों की नसबंदी कारवाई जाती है। नोएडा प्राधिकरण की ओर से नसबंदी करने वाले एजेंसी को हर नसबंदी के लिए 1,000 रुपए दिए जाते हैं। इस तरह नोएडा प्राधिकरण की ओर से केवल कुत्तों की नसबंदी पर ही हर साल 9 करोड़ रुपए का खर्च किया जाता है।
इतना ही नहीं, कुत्तों और अन्य जानवरों के रहने, खाने और इलाज के नाम पर भी हर महीने 15 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। यानी इस काम के लिए एक वर्ष में 1 लाख 80 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-50 और सेक्टर-135 में डॉग शेल्टर की शुरुआत भी की थी। इस योजना पर भी प्राधिकरण के लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए थे। लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद यह सारा खर्च बेकार साबित हो रहा है।
ग्रेटर नोएडा में Dog Bite से बचाने का इंतजाम अधूरा
जहां तक ग्रेटर नोएडा की बात है, तो नोएडा प्राधिकरण अभी तक लोगों को Dog Bite से बचाने के लिए डॉग पॉलिसी (Dog Policy) भी लागू नहीं कर सका है। पिछले साल दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बैठक में यह फैसला भी लिया गया था कि एक जनवरी 2023 से डॉग पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा, लेकिन यह फैसला न जाने क्यों ‘डिब्बाबंद’ हो गया।
लगता है कि गौतमबुद्ध नगर प्रशासन, नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का ध्यान ‘कुत्तों के हमले’ से पूरी तरह हट चुका है। यही कारण है कि हर गली, मोहल्ले और सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड का झुंड नजर आ जाता है। इस कारण पैदल यात्री और दोपहिया वाहन सवारों पर हमेशा खतरा बना रहता है।
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