Greater Noida: जमीन के मसले को लेकर गुरुवार को हरियाणा के सोलड़ा और पैहरूका गांव के किसान ग्रेटर नोएडा के जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच गए। उनका कहना है कि हाईकोर्ट ने उनके विवाद को 2002 में निपटाने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक उनकी जमीन को गौतम बुद्ध नगर प्रशासन ने राजस्व में दर्ज नहीं किया है।
क्या है विवाद की असली वजह:
असल में किसानों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा के फलैंदा में सोलड़ा और पैहरूका गांव के किसानों की 1108 एकड़ जमीन है, जिसका रिकॉर्ड हरियाणा के दस्तावेज में है। लोगों का कहना है कि हाईकोर्ट ने जमीन चिन्हित कर इस विवाद को सुलझाने का आदेश दिया था, लेकिन ग्रेटर नोएडा प्रशासन जमीन को राजस्व रिकॉर्ड पर अभी तक दर्ज नहीं कर पाया है। इसलिए अब किसानों ने हरियाणा की जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग की है।
किसानों का कहना है कि जब यमुना नदी के लिए जमीन का कटान हुआ था, तब हरियाणा की उनकी जमीन ग्रेटर नोएडा के फलैंदा गांव में आ गई थी। जमाबंदी के आधार पर जमीन का स्थानांतरण किया गया था, जिसके तहत फलैंदा गांव में 1108 एकड़ जमीन चली गई थी। किसानों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा के राजस्व रिकॉर्ड में जमीन का स्थानांतरण अभी तक नहीं किया गया है। जबकि हरियाणा के रिकॉर्ड में किसानों की जमीन पहले ही यूपी में दर्ज हो चुकी है। इसलिए किसानों ने सहायक अभिलेख अधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा, जिस दौरान सोलड़ा गांव के धर्मपाल, पीतम सिंह, हेतराम सैनी, दान सिंह, श्याम सिंह समेत कई किसान मौजूद थे।
क्या कहता है ग्रेटर नोएडा प्रशासन:
गौतमबुद्ध नगर के सहायक अभिलेख अधिकारी, भैरपाल सिंह का कहना है कि अब तक की जांच में हरियाणा की सिर्फ 3 एकड़ जमीन ग्रेटर नोएडा में होने के तथ्य मिले हैं। उनका कहना है कि अगर किसानों के पास इसके पक्के प्रमाण हैं, तो उन्हें पेश करें। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि प्रशासन हाईकोर्ट के आदेशों का पालन कर रहा है और इस पर कार्रवाई भी की जा रही है। इसके अलावा, ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों का कहना है कि डीएम कोर्ट में इस अपील पर सुनवाई होगी और सभी तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
साल 2002 में हाईकोर्ट ने दिया था विवाद निपटाने का आदेश:
ग्रेटर नोएडा प्रशासन को साल 2002 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जल्द से जल्द जमीन को चिन्हित करके इन किसानों के विवाद को सुलझाया जाए। इसके बाद इस मामले को लटके हुए यूं ही साल 2006 आ गया, जब गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने एक विशेष सर्वे टीम गठित की। और साल 2019 में दोबारा डीएम के आदेशों के तहत एक टीम ने सर्वे किया, लेकिन फिर भी हरियाणा के किसानों की जमीन ग्रेटर नोएडा में दर्ज नहीं हुई।
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