कर्मवीर नागर
Greater Noida : ग्रेटर नोएडा। पिछले वर्ष दादरी के मिहिर भोज डिग्री कॉलेज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण के अवसर पर जिस सम्राट मिहिर भोज को अपना अपना बताने के लिए गुर्जर समाज और राजपूत समाज आमने सामने आया था, जिन सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के शिलालेख पर गुर्जर शब्द मिटाने का आरोप प्रत्यारोप स्थानीय विधायक तेजपाल नागर को झेलना पड़ा था, यहां तक कि स्थानीय विधायक ने भी सम्राट मिहिर भोज के नाम के सामने गुर्जर शब्द को जातिसूचक होना नहीं, बल्कि स्थान सूचक होना बताया था, जिस वजह से स्थानीय विधायक को गुर्जर समाज के लोगों की भावनाओं का विरोध भी सहना पड़ा था। जिस सम्राट मिहिर भोज की वजह से दोनों जातियों में कुछ दिन आपसी तनाव का माहौल भी बना रहा।
इसी तनाव की वजह से देश के विभिन्न शहरों और गांवों में सम्राट मिहिर भोज की तस्वीर और बोर्ड लगाकर दोनों ही समाज के लोगों ने उन्हें अपनी अपनी जाति का बताया। लेकिन, न जाने क्यों, कल सम्राट मिहिर भोज की जयंती गुर्जर समाज ही मनाता नजर आया। गुर्जर समाज द्वारा सम्राट मिहिर भोज की जयंती के अवसर पर रैलियां निकाली गई, जगह जगह बैनर लगाकर सम्राट उनकी जयंती मनाई गई। जिस दादरी के गुर्जर डिग्री कॉलेज की प्रतिमा के नीचे गुर्जर शब्द लगाने पर विवाद और तनाव हुआ था, उस तस्वीर पर भी गुर्जर समाज ही माल्यार्पण कर सम्राट मिहिर भोज की जयंती मनाते नजर आया। यहां तक कि सरधना से विधायक अतुल प्रधान भी दादरी में प्रतिमा पर माल्यार्पण करते नजर आए। हालांकि सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर होने पर सशंकित बयान देने वाले दादरी के विधायक तेजपाल नागर ही नहीं, बल्कि अन्य कई ऐसे गुर्जर समाज के नेता भी सम्राट मिहिर भोज की जयंती समारोह में कहीं नजर नहीं आए, जो मिहिर भोज प्रकरण में काफी सक्रिय रहे।
सम्राट मिहिर भोज की जयंती का सबसे अहम विषय यह है कि सम्राट मिहिर भोज को जिस राजपूत समाज ने अपनी जाति और समाज का बताया था और इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा किया था, उस समाज द्वारा सम्राट मिहिर भोज जयंती के अवसर पर कोई आयोजन न किये जाने से अनेक सवाल खड़े होते हैं। जिन सम्राट मिहिर भोज पर अपना हक जताने के लिए राजस्थान से करणी सेना के संस्थापक भी गौतमबुद्ध नगर पहुंच गए थे, उनकी तरफ से भी सम्राट मिहिर भोज की जयंती पर कोई हलचल नजर नहीं आई।
हालांकि देश के महान व्यक्तियों को जाति विशेष से जोड़कर देखने की परंपरा जातिवाद को बढ़ावा देती है। देश में जन्मे सभी महान व्यक्तियों पर हर जाति और वर्ग का अधिकार है। इसलिए देश के महान व्यक्तियों की जयंती सभी धर्म, संप्रदाय और जातियों के लोग मनाते हैं। लेकिन, राजपूत समाज द्वारा सम्राट मिहिर भोज की जयंती को अनदेखा करना निश्चित ही सवाल खड़े करता है।