नोएडा। ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम, वाजिब दाम, पार्किंग की अच्छी व्यवस्था, मनोरंजन के बेहतर साधन और दो पल सुकून से बिताने के लिए बनाए गए स्थान ही किसी बाजार को आलीशान बनाते हैं। इन सभी खूबियों की वजह से ही शहर के सेक्टर-18 मार्केट को बाजारों का सिरमौर कहा जाता है। कुछ साल पहले यहां दो बड़े मॉल खुलने से इस मार्केट में कुछ नरमी आई थी, लेकिन अब सब चंगा सी। हालांकि नोएडा अथॉरिटी की नीतियों के कारण इस मार्केट के सामने कुछ मुश्किलें भी आ रही हैं।
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अब भी है खरीदारों की पहली पसंद
सेक्टर-18 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन कहते हैं, हमारा बाजार पहले भी शहर का सिरमौर था, आज भी है। जीआईपी, डीएलएफ, वेब और गार्डन गैलेरिया मॉल खुलने के बाद शुरू में सेक्टर-18 के बाजार में ग्राहकों की संख्या में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन अब सब कुछ ठीक है। इस बाजार में खरीदारों की तादाद में कोई कमी नहीं है। वह कहते हैं कि मॉल का अलग ही कल्चर है। वहां पर यूथ को अच्छा लगता है। मॉल में अधिकतर लोग खाने-पीने के लिए ही जाते हैं। खरीदारी के लिए सबसे प्रसिद्ध सेक्टर-18 की मार्केट अब भी लोगों की पहली पसंद है। इस मार्केट में सभी नामचीन ब्रांड के शोरूम हैं। उनमें हर रेंज के सामान उपलब्ध होते हैं। सुशील कुमार जैन का कहना है कि मौजूदा वक्त में अट्टा, सेक्टर-18 और मॉल, तीनों के ही अपने क्लाइंटेज हैं। लिहाजा कोई भी मार्केट किसी को प्रभावित नहीं करती है। हां, कभी-कभी मौसम का असर इस मार्केट पर देखने को जरूर मिलता है। यहां कोई ऐसी जगह नहीं बनाई गई है, जहां तपती दोपहरी में ग्राहक सुकून के दो पल गुजार सकें।
मॉल में चले गए बड़े ब्रांड के शोरूम
व्यापार मंडल सेक्टर-18 मार्केट नोएडा के अध्यक्ष गुड्डू यादव का अपना ही दर्द है। उनका मानना है कि मॉल की वजह से प्रसिद्ध सेक्टर-18 के बाजार में उतनी तेजी नहीं रहती, जितनी होनी चाहिए। कई बड़े ब्रांड के शोरूम यहां से मॉल में चले गए। उन्हें इस बात की भी कसक है कि इस बाजार में दुकानें और शोरूम खोलने के लिए जितना निवेश किया जाता है, उस हिसाब से काम नहीं है। इसके लिए वह प्राधिकरण को जिम्मेदार मानते हैं। वह कहते हैं कि प्राधिकरण के क्योस्क योजना से भी इस मार्केट में गिरावट आई है। यहां मल्टी लेवल पार्किंग तो है, लेकिन पूरे बाजार की सड़कें गाड़ियों की पार्किंग से भरी होती हैं। यानि सुविधाओं के अभाव में भी ग्राहक यहां आना कम पसंद करते हैं।
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अट्टा है नोएडा का चांदनी चौक
अट्टा मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सीबी झा कहते हैं, अट्टा मार्केट को डाउन करने के लिए सेक्टर-18 मार्केट बनाया गया और सेक्टर-18 को फेल करने के लिए मॉल बनाए गए। लेकिन, मौजूदा वक्त में तीनों ही बाजार फल-फूल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण तीनों ही मार्केट की अपनी खूबियां हैं। अट्टा में खरीदारी करने वाले सेक्टर-18 और मॉल में खरीदारी नहीं करते हैं। यही बात मॉल और सेक्टर-18 के साथ भी है। डॉ. झा कहते हैं कि गर्मी के मौसम में ठंडक के अहसास के लिए लोग भले ही मॉल जा रहे हों, लेकिन वे वहां खरीदारी नहीं करते हैं। इसके पीछे आर्थिक हालात भी एक बड़ी वजह हो सकती है। वह बताते हैं कि साल 1994 से पहले अट्टा में गिनी-चुनी दुकानें थीं। तब लोग खरीदारी के लिए दिल्ली जाते थे। 1998 के बाद से इस मार्केट में तेजी आई। मौजूदा वक्त में यह मार्केट नोएडा का चांदनी चौक है। वह इस मार्केट की समस्याओं की चर्चा करने से भी नहीं चूकते हैं। उनका कहना है कि इस मार्केट की सबसे बड़ी समस्या रेहड़ी पटरी है। ग्राहकों को उन्हें पार कर दुकानों तक पहुंचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। गाड़ियों की पार्किंग के लिए स्थान न होना भी इस बाजार की बड़ी समस्याओं में से एक है।
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