Thursday, 28 November 2024

Swami Rambhadracharya In Noida: बाबा बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के गुरुजी की कथा नोएडा में,जमा होंगे हजारों भक्त

Swami Rambhadracharya In Noida:  अब फिर नोएडा में अध्यात्म की अविरल गंगा प्रवाहित होने जा रही है। 27 जुलाई से…

Swami Rambhadracharya In Noida: बाबा बागेश्वर धाम वाले धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के गुरुजी की कथा नोएडा में,जमा होंगे हजारों भक्त

Swami Rambhadracharya In Noida:  अब फिर नोएडा में अध्यात्म की अविरल गंगा प्रवाहित होने जा रही है। 27 जुलाई से सेक्टर-21ए नोएडा स्टेडियम (Noida Stadium) में पदमविभूषण जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य (Swami Rambhadracharya) महाराज की रामकथा का श्री गणेश होगा। यह रामकथा 4 अगस्त तक चलेगी।

कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य 

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था।  उनका जन्म का नाम पंडित गिरिधर था। रामभद्राचार्य संत तुलसीदास के नाम पर चित्रकूट में एक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख भी है। चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक भी है और इसके आजीवन चांसलर है, जहां विशेष रूप से विकलांग छात्रों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शिक्षा प्रदान की जाती है।

दो माह की उम्र में ही अंधे हो गए थे

आपको बता दें कि रामभद्राचार्य बहुत ही अल्पायु में यानी दो माह की उम्र में ही अंधे हो गए थे। और यहां तक कि 17 साल की उम्र तक उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं ली थी।  उन्होंने सीखने या रचना करने के लिए कभी भी ब्रेल या किसी अन्य सहायता का इस्तेमाल भी नहीं किया लेकिन फिर भी यह उनका चमत्कार और प्रतिभा है कि रामभद्राचार्य लगभग जन्मांध होते हुए बिना किसी औपचारिक शिक्षा के 22 भाषाएं बोल सकते हैं।

बिना औपचारिक शिक्षा के 22 भाषाएं बोल सकते हैं

संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली और कई अन्य भाषाओं के वह सहज कवि और लेखक भी है । उन्होंने 100 से अधिक किताबें लिखी हैं जिनमें चार महाकाव्य कविताएं हैं उन्हें संस्कृत व्याकरण न्याय और वेदांत सहित विविध क्षेत्रों में प्रकांड ज्ञान के लिए जाना जाता है । उन्हें भारत में तुलसीदास पर महान लेखकों में से एक माना जाता है।  रामभद्राचार्य जी का जन्म  एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था उनके पिता पंडित श्री राजदेव मिश्रा और माता श्रीमती शचि देवी थी। उनके घर में धार्मिक वातावरण था उनकी बड़ी चाची संत मीराबाई की भक्त थी। गिरधर जी की 2 महीने की उम्र में ही आंखों की रोशनी चली गई थी।

बिना ब्रेल लिपि के उपयोग के लिख डाली 100 किताबें

उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थी और गांव में इलाज ना होने की वजह से उनकी आंखों की रोशनी जाती रही। बाद में उन्हें लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी आंखों का इलाज किया गया लेकिन उनकी दृष्टि वापस नहीं आ सकी,  रामभद्राचार्य जी तभी से अंधे हैं।  वह पढ़ लिख नहीं सकते क्योंकि वह ब्रेल लिपि का उपयोग भी नहीं करते हैं , उन्होंने जितना सीखा केवल सुनकर सीखा और वह बोलकर ही अपनी रचनाओं को लिखवाते रहे।

“यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा ॥”

बचपन में एक बार एक कुएं में गिर गए थे लेकिन उन्हें भरोसा था कि ईश्वर उन्हें इसको ऐसे बचा लेंगे और बाद में एक लड़की ने उन्हें कुएं से निकालकर उन्हें बचाया । गिरधर जी ने मात्र 3 वर्ष की उम्र में ही अपनी पहली कविता अवधी में लिखी थी, उन्होंने इसे अपने दादा को सुनाया था।

27 जुलाई से सेक्टर-21ए नोएडा स्टेडियम में होगी कथा 

इस रामकथा (Ramkatha) का आयोजन श्री हनुमान सेवा न्यास तथा श्रीरामराज फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से कराया जा रहा है। कथा रोजाना सांय 3.00 बजे से शुरू होगी तथा सायं 7.00 बजे तक चलेगी। कथा के आयोजनकर्ता हिमांगी सिंह रघुवंशी, अमित भाटी तथा दिव्येश प्रताप का कहना है कि इस रामकथा Ramkatha) को सुनने के लिए हजारों की संख्या में भक्तगणों के आने की संभावना है।

Swami Rambhadracharya In Noida

बता दें कि नेत्रहीन स्वामी रामभद्राचार्य महाराज वेदों, उपनिषदों तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों के न सिर्फ ज्ञाता हैं बल्कि उन्हें कंठस्थ सभी ग्रंथ याद हैं। श्रीरामजन्म भूमि विवाद में प्रमुख गवाह के तौर पर अदालत ने भी उनकी गवाही को काफी अहम माना था। जिसका प्रतिफल यह रहा कि अदालत ने श्री रामजन्म भूमि के पक्ष में निर्णय सुनाया। जिसके कारण अयोध्या में आज श्री रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। श्री बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Shri Bageshwar Dham Sarkar Pt. Dhirendra Krishna Shastri) भी श्री रामभद्राचार्य (Rambhadracharya)के परम शिष्य हैं तथा उनके चरणों में शीश नवाकर स्वयं को धन्य समझते हैं।

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