Thursday, 2 January 2025

मौज मजे और महंगे शौक के लिए चोरी करते थे मेहनतकशों के ई रिक्शा,क्राइम ब्रांच ने गिरोह को दबोचा

गाजियाबाद पुलिस क्राइम ब्रांच को ई रिक्शा चोर गिरोह का पर्दाफाश करने में मिली सफलता

मौज मजे और महंगे शौक के लिए चोरी करते थे मेहनतकशों के ई रिक्शा,क्राइम ब्रांच ने गिरोह को दबोचा

Ghaziabad News : गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच पुलिस ने ऐसे ई रिक्शा चोर के गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अपना खर्चा और महंगे शौक पूरे करने के लिए ई-रिक्शा चोरी करते थे .. और चोरी के बाद ई-रिक्शा के पुर्जे तोड़कर कबाड़ियों को बेचते थे  गाजियाबाद सियानी गेट थाना अंतर्गत पुलिस को ई रिक्शा चोर गिरोह का पर्दाफाश करने में बड़ी सफलता मिली और उन्होंने इस बाबत दो ई रिक्शा चोर गिरफ्तार किए हैं। गिरफ्तार आरोपियों से पुलिस ने दो ई रिक्शा भी मौके पर बरामद किए हैं ।

ई रिक्शा तोड़कर उसके पुर्जे बेचते थे 

Ghaziabad News In Hindi 
गिरोह के लोग सड़कों पर खड़ी रिक्शा छुपा देते थे और बाद में मौका पाते ही तोड़कर बेच देते थे । गाजियाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने जानकारी दी है कि यह गिरोह गाजियाबाद, दिल्ली, आसपास के इलाकों से सड़कों के किनारे या कहीं भी ई-रिक्शा खड़ी देखते थे तो वह इन्हें छुपा देते थे और उसके बाद मौका लगते ही ई रिक्शा को ले जाकर तोड़ कर उनके पुर्जों को कबाड़ी को बेच देते थे. दूसरी तरफ ई रिक्शा पर मेहनत करने वाले और एक-एक पैसा जुटाकर कर ई रिक्शा खरीदने वाले मजबूर लोग  थाने में आकर अपनी कंप्लेंट देते थे।  पुलिस ने इस बाबत ई रिक्शा चोरों को पकड़ने के लिए टीम गठित की थी  और तेज कारवाई करते हुए दो चोरों को गिरफ्तार कर लिया  ।

मौज मजे और महंगे शौक के लिए करते थे चोरी 

गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किए हुए अभ्युक्तों के नाम का खुलासा किया है पकड़े गए एक आरोपी इश्तियाक पुत्र अब्दुल समद विवेकानंद कवि नगर गाजियाबाद झुग्गी झोपड़ी का रहने वाला है जो मूल रूप से गोरखपुर का रहने वाला है। उसकी उम्र 22 वर्ष है। ई रिक्शा गिरोह का दूसरा अभियुक्त सकलेन पुत्र छोटन भी विवेकानंद झुग्गी झोपड़ी कवि नगर का रहने वाला है और यह मूल रूप से बिहार के जोगिया ग्राम खगड़िया जिले का रहने वाला है। पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपित ने बताया कि वह दिल्ली गाजियाबाद के आसपास के क्षेत्र में रात को इधर-उधर घूमते थे रोड के आसपास गलीयों में जहां रिक्शा खड़ी देखते थे उसे चुरा कर ले जाते थे और छुपा देते थे और मौका लगते ही वह वहां से रिक्शा हटाकर उसे तोड़कर कबाड़ी को उसके पुर्जे बेच देते थे और उससे जो पैसे मिलते हैं उसे अपने घर के खर्च और शौक पूरे करते थे।  वह गाजियाबाद में मजदूरी का काम करते थे।

प्रस्तुति मीना कौशिक

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