इंडिगो संकट के बीच याद आईं वे एयरलाइंस, जिनका भारत में बज चुका है ‘बाजा’

इंडिगो का मौजूदा संकट एक बार फिर यह याद दिला रहा है कि भारत का एविएशन सेक्टर जितना बड़ा है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। बढ़ती लागत, कर्ज और मैनेजमेंट की छोटी-सी गलती भी किसी बड़ी एयरलाइन को जमीन पर ला सकती है।

India Airports
भारत एयरपोर्ट्स (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar05 Dec 2025 05:24 PM
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देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले दो दिनों से बड़े संकट से जूझ रही है। विभिन्न एयरपोर्ट्स पर फ्लाइट कैंसिलेशन की वजह से हजारों यात्री फंसे हुए हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि दिल्ली एयरपोर्ट को आधी रात तक इंडिगो की सभी घरेलू उड़ानों को सस्पेंड करना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए यह कदम उठाया गया, जबकि बाकी एयरलाइंस सामान्य रूप से उड़ान भरती रहीं।

इंडिगो के इस संकट ने भारत के एविएशन सेक्टर की मजबूती और चुनौतियों पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट होने के बावजूद भारत में अब तक कई बड़ी-बड़ी एयरलाइंस आर्थिक तंगी, बढ़ते कर्ज और खराब प्रबंधन के चलते धराशायी हो चुकी हैं।

यहां देखें — इंडिगो से पहले किन एयरलाइंस का उड़ान भरते-भरते ‘बाजा’ बज चुका है:

1. वायुदूत (1981–1997)

सरकारी साझेदारी से शुरू हुई क्षेत्रीय एयरलाइन लगातार घाटे में रही। कम पैसेंजर लोड और वित्तीय संकट के कारण 1997 में इसे बंद करना पड़ा।

2. मोदीलुफ्ट (1993–1996)

दिल्ली बेस्ड इस एयरलाइन ने लुफ्थांसा से पार्टनरशिप कर दमदार शुरुआत की, लेकिन बाजार प्रतिस्पर्धा और आर्थिक दबाव के चलते सिर्फ तीन साल में ही खत्म हो गई।

3. दमानिया एयरवेज (1993–1997)

शुरुआत से लोकप्रिय रहने के बावजूद बढ़ते खर्च और लगातार घाटे ने इस एयरलाइन को बंद करने पर मजबूर कर दिया।

4. ईस्ट-वेस्ट एयरलाइन (1992–1996)

भारत की पहली राष्ट्रीय स्तर की प्राइवेट एयरलाइन। प्रबंधन विवाद और वित्तीय संकट के कारण इसे भी 1996 में ऑपरेशन बंद करना पड़ा।

5. एनईपीसी एयरलाइंस (1993–1997)

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करने वाली यह चेन्नई बेस्ड एयरलाइन भारी कर्ज और मिसमैनेजमेंट की वजह से बंद हो गई।

6. एयर सहारा (1993–2007)

एक समय तेज़ी से बढ़ती एयरलाइन मानी जाने वाली एयर सहारा को आर्थिक संघर्षों के कारण 2007 में जेट एयरवेज ने अधिग्रहित कर लिया।

7. जेट एयरवेज (1993–2019)

देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन मानी जाने वाली जेट एयरवेज बढ़ते कर्ज और भारी नुकसान के कारण 2019 में बंद हो गई। बाद में यह दिवालिया प्रक्रिया में चली गई।

8. किंगफिशर एयरलाइंस (2005–2012)

विजय माल्या की हाई-एंड एयरलाइन शुरुआत में लग्जरी सेवा के लिए चर्चित रही, लेकिन भारी कर्ज और वित्तीय अनियमितताओं के कारण 2012 में इसकी उड़ानें रुक गईं।

9. एयर डेक्कन (2003–2007)

भारत की पहली लो-कॉस्ट एयरलाइन, जिसने छोटे शहरों को जोड़ने का मिशन रखा। आर्थिक संकट के बाद 2007 में इसे किंगफिशर को बेच दिया गया।

10. पैरामाउंट एयरवेज (2005–2010)

चेन्नई बेस्ड इस कंपनी के पास एम्ब्रेयर और बोइंग विमान थे, लेकिन कर्ज के बोझ और वित्तीय समस्या ने 2010 में इसे बंद कर दिया।

11. एयर कोस्टा (2013–2017)

रिजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने वाली इस एयरलाइन ने अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन हाई ऑपरेशनल कॉस्ट और कम पैसेंजर लोड के चलते यह 2017 में बंद हो गई।

पिछले 5 सालों में भी बंद हुए कई ऑपरेटर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में हेरिटेज एविएशन, टर्बो मेघा एयरवेज, जेक्सस एयर सर्विसेज, डेक्कन चार्टर्स, एयर ओडिशा, जेट एयरवेज और जेट लाइट जैसे 7 ऑपरेटर पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

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कहीं नहीं गए PM नरेन्द्र मोदी के सारथी हिरेन जोशी

हिरेन जोशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मीडिया सलाहकार के तौर पर पूरी मुस्तैदी के साथ अपने काम में जुटे हुए हैं। इस दौरान मीडिया में हिरेन जोशी को लेकर अनेक प्रकार की अफवाहें फैलानो का काम लगातार चल रहा है।

PMO की मीडिया स्ट्रैटजी के मास्टरमाइंड हिरेन जोशी
PMO की मीडिया स्ट्रैटजी के मास्टरमाइंड हिरेन जोशी
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar05 Dec 2025 05:41 PM
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Hiren Joshi : हिरेन जोशी का नाम मीडिया की सुर्खी बना हुआ है। हिरेन जोशी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सारथी (पक्के सहयोगी) हैं। पिछले कुछ दिनों से हिरेन जोशी को लेकर सोशल मीडिया पर बहस चल रही है। सोशल मीडिया की बहस में दावा किया जा रहा है कि हिरेन जोशी की प्रधानमंत्री के कार्यालय (PMO) से छुट्टी कर दी गई है। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों को आधार बनाकर कांग्रेस पार्टी ने भी हिरेन जोशी को लेकर सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने तो हिरेन जोशी के ऊपर बड़े-बड़े आरोप भी लगा दिए हैं।

बाकायदा PMO में काम कर रहे हैं हिरेन जोशी

हिरेन जोशी के विषय में चेतना मंच को महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। चेतना मंच को मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सारथी की भूमिका निभाने वाले हिरेन जोशी कहीं नहीं गए हैं। हिरेन जोशी बाकायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय (PMO) में अपना काम कर रहे हैं। हिरेन जोशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मीडिया सलाहकार के तौर पर पूरी मुस्तैदी के साथ अपने काम में जुटे हुए हैं। इस दौरान मीडिया में हिरेन जोशी को लेकर अनेक प्रकार की अफवाहें फैलानो का काम लगातार चल रहा है।

भड़ास पर लिखा गया है हिरेन जोशी के पक्ष में

भड़ास मीडिया के नाम से एक प्रसिद्ध न्यूज पोर्टल है। भड़ास न्यूज पोर्टल पर हिरेन जोशी के पक्ष में एक बड़ा आलेख लिखा गया है। भड़ास पर लिखे गए आलेख का शीर्षक है- ‘‘हिरेन जोशी को लेकर किसी ने ये लिख भेजा है, दूसरा पक्ष भी आना चाहिए”। इस आलेख के लेखक कोई बी.एस. मोहन हैं। इस आलेख में लिखा गया है कि हिरेन जोशी करीब 2008 से नरेंद्र मोदी के साथ हैं। 18 साल कम नहीं होते किसी के साथ के लिए। किसी का विश्वासपात्र बने रहने के लिए। नरेंद्र मोदी जी- एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास 35 साल के संगठन का अनुभव और 25 साल तक सरकार चलाने का तजुर्बा हो, वह जानता है कि उनके इर्द गिर्द कैसे लोग हैं और उनके साथ कितनी बात करनी है।साल 2014 के बाद हमने देखा है सरकार कितने प्रभावी तरीके से न केवल कार्य करती है बल्कि पब्लिक से भी जुड़ी रहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक-एक संदेश अगर आज जन-जन तक पहुंच रहा है तो जाहिर है इसमें उस सिस्टम की भी भूमिका है जो संदेश का वाहक है। यही भूमिका हिरेन जोशी की रही है। लेकिन बिहार की बेरहम हार से हताश पत्रकारों के एक टूल किट गैंग को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये गैंग समय समय पर नए टूल किट लेकर कीचड़ में सन जाते हैं। अपनी शर्म हया को गिरवी रख चुका ये गैंग पहले भी दसियों बार गलत साबित हो चुका है। यही गैंग फिर एक बार बिना तथ्यों के हिट एंड रन की साजिश कर रहा है। विपक्षी नेताओं और उनके छद्म बौद्धिक प्रतिनिधियों की कुटिल सभा 14 नवंबर के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने के बहाने तलाश रही थी। बिहार में जीत के सपने संजोए कुछ चारणों ने कई आर्टिकल और मीम्स बनाकर पहले से ही रख लिये थे। जब सब बेकार हो गया तो चाबुक सीधे उनकी बुद्धि पर पड़ा। आकाओं का विश्वास डोलने लगा तो रोज़ी रोटी का संकट खड़ा होने की नौबत आ गई। इस बीच संसद के सत्र में भी कुछ हाथ नहीं लगा तो पीएम मोदी के आसपास के लोगों को निशाना बनाने के लिए टूल किट बांटे जा रहे हैं। इन्हीं चारणों ने पिछले कुछ घंटों से निशाने पर लिया है पीएमओ के हिरेन जोशी को। वही हिरेन जोशी जो अपनी कार्यक्षमता की वजह से आज करीब 18 सालों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वासपात्र हैं। हिरेन जोशी की सरलता और सहजता इस कदर है कि आज इन चारणों को उनकी एक अदद तस्वीर के लिए AI के टूल्स खोजने पड़ रहे हैं। हिरेन जोशी के बारे में तरह तरह की बातें कही जा रही हैं, कीचड़ उछाला जा रहा है और उसमें सीधे पीएमओ को लपेटने की तैयारी है। ये गैंग कभी तथ्यों पर बात नहीं करता। इनके पास कोई सबूत नहीं होते। ये उस अमर बेल की तरह हैं जिनकी अपनी कोई जड़ें नहीं हैं। ये हवा में लटके रहते हैं और हमेशा हवा हवाई बातें करते हैं। आज से नहीं, उस दिन से जब से इनके आकाओं को लगा कि अब उनकी सत्ता में वापसी मुश्किल हो गई है। यह टूल किट गैंग पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। सोशल मीडिया का कोई भी प्लेटफार्म उठा कर देख लीजिए, इनकी एक टिप्पणी के नीचे कई लोग इन्हें टोकते हुए नजर आते हैं, इनसे तथ्य पूछे जाते हैं तो यह या तो उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं और अगर कोई बहुत प्रभावित तरीके से अपनी बात रख दे तो उसे ब्लॉक करके निकाल लेते हैं। इन्हें अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए कुछ ना कुछ मसाला चाहिए। इसलिए भी चाहिए ताकि यह अपनी आकाओं को कह सकें- देखो हम कुछ कर रहे हैं।

प्रधानम़ंत्री नरेन्द्र मोदी के सारथी हैं हिरेन जोशी

किसी भी राजा या रथी का रथ चलाने वाले को सारथी कहते हैं। अब रथ नहीं चलते किन्तु सारथी का महत्व बरकरार है। नई परिभाषा में सारथी उसे कहते हैं जो किसी भी काम में अपने मालिक को सफलता दिलवाता है। सारथी सामने दिखाई देते हैं किन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक "सारथी" ऐसे हैं जो पर्दे के पीछे रहकर उनको दुनिया का सबसे पॉपुलर नेता बनाने का काम बखूबी कर रहा है। पर्दे के पीछे से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सारथी की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का नाम है ​हिरेन जोशी। जी हां वही हिरेन जोशी जिसका नाम दुनिया भर के पत्रकार व राजनेता तो जानते हैं किन्तु आम जनता नहीं जानती कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिरेन जोशी कौन हैं? आपको बता दें कि हिरेन जोशी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में विशेष कार्याधिकारी (OSD) के पद पर तैनात हैं। मजेदार बात यह है कि हिरेन जोशी न तो प्रशासनिक अधिकारी हैं और न ही हिरेन जोशी कोई राजनेता हैं। हिरेन जोशी की कुल योग्यता है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी हैं। जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब वर्ष-2008 से हिरेन जोशी नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर रहे हैं। वर्ष-2008 में हिरेन जोशी पहली बार उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री तथा अब के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के OSD हैं। PMO में OSD के तौर पर हीरेन जोशी को भारत सरकार के संयुक्त सचिव (ज्वाइंट सैक्रेटरी) का दर्जा प्राप्त है। संयुक्त सचिव के दर्जे पर होते हुए भी हिरेन जोशी भारत सरकार के PMO में ही नहीं बल्कि पूरी भारत सरकार में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा मीडिया मैनेजमेंट हिरेन जोशी ही संभालते हैं। कहा जाता है कि किस टीवी चैनल पर कौन सी खबर चलेगी? सोशल मीडिया पर PM मोदी के विषय में क्या दिखाया और पढ़ाया जाएगा ? PM मोदी के सोशल मीडिया एकाउंट में क्या लिखा जाएगा यह पूरा काम हिरेन जोशी के नेतृत्व में गठित प्रधानमंत्री की 300 लोगों से अधिक की मीडिया टीम करती है। इस टीम के लिए हिरेन जोशी का आदेश अंतिम आदेश होता है।

महाराष्ट्र के पूना शहर के मूल निवासी हैं हिरेन जोशी

आपको बता दें कि हिरेन जोशी के विषय में सोशल मीडिया अथवा इंटरनेट पर विशेष जानकारी मौजूद नहीं है। चेतना मंच की रिसर्च टीम को जानकारी मिली है कि हिरेन जोशी मूल रूप से महाराष्ट्र प्रदेश के पूना शहर के रहने वाले हैं। हिरेन जोशी ने इलैक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान (IITM) ग्वालियर से Phd की है। वर्ष-2008 में गुजरात में नरेन्द्र मोदी का OSD बनने से पहले हिरेन जोशी ने भीलवाड़ा के माणिक्य लाल वर्मा टेक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज में सहायक प्रोफेसर (असिस्टेंट प्रोफेसर) के तौर पर नौकरी की थी। वर्तमान में स्थिति यह है कि हिरेन जोशी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मीडिया में सुपर हीरो बना दिया है। PM मोदी का अगला कदम क्या होगा? वें कब क्या बोलेंगे? इस काम को करने के लिए PMO में नरेन्द्र मोदी के भाषण तैयार करने वाली एक बड़ी टीम मौजूद है। बताया जाता है कि उस टीम की कमान भी अपरोक्ष रूप से हिरेन जोशी के पास ही मौजूद है। इस प्रकार हिरेन जोशी प्रधानमंत्री के रथ पर सामने बैठे हुए सारथी अमित शाह की तरह कहीं नजर नहीं आते हैं, किन्तु पर्दे के पीछे से हिरेन जोशी ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुपर हीरो बना रखा है और लगातार उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित करके रख रहे हैं।

हिरेन जोशी के साथ है बड़ी टीम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हर समय मीडिया की सकारात्मक सुर्खियों में रखने वाले हिरेन जोशी के साथ ही साथ PMO में तैनात कुछ और नाम भी हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मीडिया मैनेजमेंट से जुड़े हुए हैं। उनके विषय में चर्चा करने से पहले यह जरूर जान लीजिए कि मीडिया जगत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय बनाने के मुख्य किरदार का नाम हिरेन जोशी से शुरू होकर हिरेन जोशी पर ही समाप्त होता है। उनके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अधिकारिक जनसंपर्क अधिकारी (PRO) जगदीश ठक्कर इसी टीम का अहम हिस्सा रहे हैं। जगदीश ठक्कर का अब स्वर्गवास हो चुका है। जगदीश ठक्कर गुजरात के CM रहने के समय से ही PM मोदी के PRO रहे थे और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता था। यश गांधी, नीरव के. शाह तथा प्रतीक दोषी भी प्रधानमंत्री के जनसंपर्क तथा मीडिया मैनेजमेंट टीम का हिस्सा है। कुछ भी हो सच तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाने वाले उनके पर्दे के पीछे के सारथी तो हिरेन जोशी ही हैं। हिरेन जोशी को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल को इससे अधिक विस्तार से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। Hiren Joshi

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2026 में टाटा सिएरा ईवी की होगी धमाकेदार एंट्री

टाटा सिएरा EV, टाटा मोटर्स के तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन पोर्टफोलियो को और मजबूत करेगी। रेट्रो-फ्यूचरिस्टिक डिजाइन, लंबी रेंज और आधुनिक फीचर्स के साथ यह कार भारत के मिड-प्रिमियम EV सेगमेंट में बड़ी चुनौती पेश कर सकती है।

Tata Sierra EV
टाटा सिएरा ईवी (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar05 Dec 2025 03:26 PM
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टाटा मोटर्स भारतीय बाजार में अपनी लोकप्रिय SUV सिएरा का इलेक्ट्रिक मॉडल लाने की तैयारी कर रही है। कंपनी ने हाल ही में Tata Sierra के पेट्रोल और डीजल वर्ज़न पेश किए थे, लेकिन इलेक्ट्रिक मॉडल को फिलहाल लॉन्च नहीं किया गया। अब खबर है कि Tata Sierra EV अगले साल 2026 की शुरुआत में भारतीय बाजार में दस्तक दे सकती है।

कब लॉन्च होगी Tata Sierra EV?

कंपनी के रोडमैप और मार्केट रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा सिएरा ईवी 26 जनवरी 2026, यानी गणतंत्र दिवस के मौके पर लॉन्च की जा सकती है। सिएरा भारत में 1991 में पहली बार पेश की गई थी और यह देश में पूरी तरह डिजाइन व विकसित की गई शुरुआती SUVs में से एक थी। नए इलेक्ट्रिक अवतार में कंपनी रेट्रो डिजाइन को आधुनिक EV आर्किटेक्चर के साथ पेश करेगी।

कितनी होगी सिएरा EV की कीमत?

जानकारी के अनुसार, Tata Sierra EV की कीमत 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच रखी जा सकती है।

यह टाटा के acti.ev प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी, जो कि RWD (रियर-व्हील ड्राइव) और AWD (ऑल-व्हील ड्राइव) दोनों विकल्पों में आ सकती है।

बैटरी और रेंज

टाटा सिएरा EV में दो बैटरी पैक विकल्प मिलने की उम्मीद है। फुल चार्ज पर यह कार 450 से 550 किलोमीटर की रेंज प्रदान कर सकती है, जिससे यह अपने सेगमेंट में मजबूत दावेदार साबित होगी।

फीचर्स—टेक्नोलॉजी से भरपूर SUV

टाटा सिएरा ईवी में कई एडवांस्ड फीचर्स मिलने की संभावना है, जैसे—

  • डुअल डिस्प्ले इंफोटेनमेंट सिस्टम
  • वायरलेस स्मार्टफोन कनेक्टिविटी
  • 360° HD कैमरा
  • इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक और ऑटो होल्ड
  • ट्रैक्शन कंट्रोल और हिल-होल्ड असिस्ट
  • लेवल 2 ADAS सेफ्टी तकनीक

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