प्रदूषण पर इमरजेंसी ब्रेक: दिल्ली में AQI 400 पार, GRAP-3 हुआ एक्टिव

GRAP-3 लागू होते ही दिल्ली-NCR में गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इसका मतलब साफ है अब मिट्टी से जुड़ा काम, पाइलिंग, खुली खुदाई/खाइयों की खुदाई, वेल्डिंग, पेंटिंग, प्लास्टरिंग, टाइल्स और फ्लोरिंग जैसे कार्य फिलहाल नहीं हो सकेंगे।

धुंध की चादर में लिपटी राजधानी दिल्ली
धुंध की चादर में लिपटी राजधानी दिल्ली
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar13 Dec 2025 12:49 PM
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Delhi News : दिल्ली में प्रदूषण का ग्राफ एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। शनिवार सुबह धुंध की चादर के साथ राजधानी की वायु गुणवत्ता तेजी से बिगड़ी और AQI 400 के पार चला गया। हालात को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-NCR में GRAP-3 के सभी प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए हैं, ताकि प्रदूषण पर जल्द नियंत्रण किया जा सके। दिल्ली के कई इलाकों में हवा “रेड जोन” में दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक वजीरपुर में AQI 443 रिकॉर्ड हुआ, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। इसी तेज गिरावट के बाद GRAP-3 लागू करने का फैसला लिया गया।

GRAP-3 में क्या-क्या सख्तियां लागू हुईं?

1 - गैर-जरूरी निर्माण-तोड़फोड़ पर ब्रेक: GRAP-3 लागू होते ही दिल्ली-NCR में गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इसका मतलब साफ है अब मिट्टी से जुड़ा काम, पाइलिंग, खुली खुदाई/खाइयों की खुदाई, वेल्डिंग, पेंटिंग, प्लास्टरिंग, टाइल्स और फ्लोरिंग जैसे कार्य फिलहाल नहीं हो सकेंगे। इतना ही नहीं, प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधियों पर लगाम कसते हुए रेडी-मिक्स कंक्रीट (RMC) प्लांट्स का संचालन बंद रहेगा और सीमेंट, रेत व फ्लाई ऐश जैसी निर्माण सामग्री के परिवहन पर भी पाबंदी लागू की गई है। हालांकि, मेट्रो, एयरपोर्ट, रक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक परियोजनाओं को राहत दी गई हैलेकिन शर्त यह है कि काम के दौरान धूल नियंत्रण (डस्ट कंट्रोल) के सख्त उपायों का पालन हर हाल में करना होगा।

2 - प्रदूषणकारी ईंधन वाले उद्योगों पर कार्रवाई - GRAP-3 के तहत इस बार औद्योगिक प्रदूषण पर सीधी चोट की गई है। कोयला, लकड़ी और अन्य धुआं छोड़ने वाले ईंधन से चलने वाले उद्योगों का संचालन अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है, ताकि हवा में ज़हर घोलने वाले उत्सर्जन को तुरंत कम किया जा सके। इसके अलावा पत्थर तोड़ने वाली मशीनों को बंद रखने के निर्देश दिए गए हैं और कोयला/लिग्नाइट आधारित थर्मल पावर प्लांट्स पर रोक या सख्त निगरानी लागू की गई है। सबसे बड़ा कदम यह कि पूरे NCR में खनन और उससे जुड़ी सभी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है—यानी धूल, धुआं और भारी उत्सर्जन वाले स्रोतों पर एक साथ “ब्रेक” लगाने की कोशिश की गई है।

3) वाहनों पर कड़े प्रतिबंध - GRAP-3 के तहत प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए ट्रैफिक और डीज़ल उत्सर्जन पर सख्त कदम उठाए गए हैं। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में अब BS-III पेट्रोल और BS-IV डीज़ल चार पहिया (LMV) वाहनों का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। इसके साथ ही दिल्ली में पुराने डीजल गुड्स वाहनों को सड़कों से दूर रखने का आदेश दिया गया है। मानवीय आधार पर दिव्यांग व्यक्तियों को इन नियमों से छूट दी गई है, जबकि आपात सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटर सेट्स के इस्तेमाल पर भी पूरी रोक लगा दी गई है—ताकि धुएं के बड़े स्रोतों पर एक साथ प्रभावी ब्रेक लगाया जा सके।

4) स्कूल और ऑफिस के लिए भी नए नियम- GRAP-3 के लागू होते ही दिल्ली-NCR में पढ़ाई और कामकाज के तरीके में भी बदलाव कर दिया गया है। बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों के लिए हाइब्रिड/ऑनलाइन क्लास अनिवार्य की गई है। वहीं बड़ी कक्षाओं की पढ़ाई ऑफलाइन जारी रहेगी, लेकिन स्कूलों में मास्क, दूरी और अन्य एहतियात का पालन सख्ती से करना होगा। दूसरी तरफ, प्रदूषण के बीच भीड़ और ट्रैफिक कम करने के लिए सरकारी, नगर निगम और निजी कार्यालयों में केवल 50% कर्मचारियों की उपस्थिति की अनुमति दी गई है, जबकि बाकी स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम देने के निर्देश हैं। जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए अलग गाइडलाइन जारी कर सकती है और हालात बिगड़ने पर ऑफिस टाइमिंग में बदलाव का विकल्प भी खुला रखा गया है।

धूल और धुएं पर भी सख्ती बढ़ी

दिल्ली-NCR में प्रदूषण को नीचे लाने के लिए अब फोकस सड़क की धूल और खुले में धुएं के स्रोत पर तेज किया जा रहा है। प्रशासन मैकेनाइज्ड सफाई के साथ सड़कों पर पानी का नियमित छिड़काव बढ़ाएगा और संवेदनशील इलाकों में एंटी-स्मॉग गन का ज्यादा उपयोग किया जाएगा, ताकि हवा में उड़ने वाले सूक्ष्म कणों पर काबू पाया जा सके। वहीं कचरा जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई की बात कही गई है। ट्रैफिक घटाकर उत्सर्जन कम करने के लिए CNG/इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो की फ्रीक्वेंसी बढ़ाने पर जोर होगा, ताकि लोग निजी वाहनों के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट चुनें। उधर, सांस और आंखों से जुड़ी शिकायतों के बढ़ने की आशंका को देखते हुए अस्पतालों में भी मरीजों की बढ़ती संख्या संभालने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। Delhi News

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SIR प्रक्रिया में बड़ा बदलाव, छह राज्यों में फॉर्म भरने की तारीख आगे बढ़ी

मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision–SIR) को लेकर चुनाव आयोग (ECI) ने छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समयसीमा बढ़ाने का बड़ा निर्णय लिया है।

Major changes in the SIR process
मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar11 Dec 2025 06:02 PM
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बता दें कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया के तहत छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समयसीमा बढ़ाने का फैसला लिया है। यह कदम इन राज्यों में मतदाता सूचियों के अद्यतन और सही करने के उद्देश्य से उठाया गया है। आयोग ने इस संबंध में विस्तृत शेड्यूल भी जारी किया है, जिसमें तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, और केरल शामिल हैं, जबकि पश्चिम बंगाल को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।

शेड्यूल और समयसीमा

  • तमिलनाडु और गुजरात: फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 14 दिसंबर 2025, जबकि ड्राफ्ट मतदाता सूची 19 दिसंबर को जारी होगी।
  • मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़: 18 दिसंबर तक फॉर्म भरे जाएंगे और 23 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी।
  • उत्तर प्रदेश: 26 दिसंबर तक फॉर्म भरे जाएंगे और 31 दिसंबर को मतदाता सूची का ड्राफ्ट रोल जारी किया जाएगा।
  • केरल: एसआईआर प्रक्रिया 18 दिसंबर तक पूरी होगी, और 23 दिसंबर को ड्राफ्ट लिस्ट प्रकाशित होगी।
  • गोवा, लक्षद्वीप, राजस्थान, पश्चिम बंगाल: यहां फॉर्म भरने की अंतिम तिथि आज यानी 11 दिसंबर 2025 है, और ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल 16 दिसंबर को जारी किया जाएगा।

ECI का नया निर्देश: ASD सूची साझा करना अनिवार्य

बता दें कि चुनाव आयोग ने 10 दिसंबर को सभी 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इसके तहत बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा तैयार अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत या दोहराए गए मतदाताओं (ASD) की सूची को राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय एजेंटों के साथ साझा करना अनिवार्य किया गया है।ECI के अनुसार बूथ अधिकारियों द्वारा कम से कम तीन बार घर जाकर भी संपर्क न होने पर मतदाता को ASD श्रेणी में रखा जा रहा है।

इन मतदाताओं की स्थिति की पुष्टि करना आवश्यक है, ताकि अंतिम मतदाता सूची जारी होने से पहले त्रुटियों को सुधार लिया जाए। इसके लिए देशभर के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 5 लाख बूथ स्तर अधिकारी और 12 लाख से अधिक बूथ स्तर एजेंट बूथवार बैठकों में शामिल होंगे और ASD सूचियों की जांच करेंगे।

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दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे कितनी दूर पहुंचा? यहां पढ़ें पूरा अपडेट

करीब 13,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह मेगा एक्सप्रेसवे न सिर्फ दिल्ली से देहरादून की दूरी घटाएगा, बल्कि उत्तर भारत के इस पूरे बेल्ट की कनेक्टिविटी और अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है।

दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे
दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar11 Dec 2025 11:46 AM
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Delhi Dehradun Expressway: दिल्ली से सीधे देहरादून को जोड़ने वाला करीब 210 किलोमीटर लंबा दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे अब फिनिशिंग लाइन के बिल्कुल करीब पहुंच चुका है। केंद्र सरकार इसे अपनी सबसे अहम सड़क परियोजनाओं में गिन रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि इस कॉरिडोर की संशोधित डेडलाइन जनवरी 2026 तय की गई है और मंत्रालय युद्धस्तर पर काम कर रहा है, ताकि उसी समयावधि में पूरा प्रोजेक्ट धरातल पर उतर सके। करीब 13,000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह मेगा एक्सप्रेसवे न सिर्फ दिल्ली से देहरादून की दूरी घटाएगा, बल्कि उत्तर भारत के इस पूरे बेल्ट की कनेक्टिविटी और अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है।

तेज रफ्तार और सुरक्षित सफर का एक्सप्रेस कॉरिडोर

छह लेन वाला यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ दिल्ली से देहरादून की दूरी को समय के लिहाज से काफी कम करेगा, बल्कि सफर को ज्यादा सुरक्षित और आरामदायक भी बनाएगा। इसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच एक हाई-स्पीड इकोनॉमिक कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो तीनों राज्यों के बीच औद्योगिक, व्यावसायिक और पर्यटन गतिविधियों को नई रफ्तार देगा। यह एक्सप्रेसवे देश की सबसे आधुनिक सड़क परियोजनाओं में गिना जा रहा है। इसे एक्सेस-कंट्रोल्ड, मल्टी-लेन और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है, जहां अनावश्यक कट और रुकावटों को न्यूनतम रखते हुए वाहनों के लिए सुगम और तेज यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है।

पर्यावरण-अनुकूल और तकनीक से लैस हाइवे

दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे के निर्माण में सिर्फ स्पीड नहीं, प्रकृति की सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। यह हाईवे पारंपरिक कंक्रीट के ढेर पर नहीं, बल्कि ग्रीन कंस्ट्रक्शन मटेरियल, आधुनिक सोलर लाइटिंग सिस्टम, वैज्ञानिक तरीके से बनाई गई रेन वाटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था और शोर को कम करने वाले साउंड बैरियर के सहारे खड़ा हो रहा है। लक्ष्य साफ है सड़क ऐसी हो जो गाड़ियों को तो तेज रफ्तार दे, लेकिन पर्यावरण पर बोझ बढ़ाने के बजाय उसे राहत पहुंचाने वाली, आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदार और आदर्श परियोजना के रूप में मिसाल बन सके।

कहां तक पहुंचा निर्माण काम?

नितिन गडकरी के मुताबिक, एक्सप्रेसवे के ज्यादातर हिस्सों पर काम तेजी से आगे बढ़ चुका है और अधिकांश खंडों पर निर्माण अंतिम चरण में है। अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) जंक्शन तक के हिस्से में 70 मीटर लंबी सर्विस रोड का निर्माण थोड़ा प्रभावित हुआ है, जिसके कारण इस खंड पर गति कुछ कम हुई है। हालांकि मंत्रालय का दावा है कि इसे भी जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा और पूरे कॉरिडोर को तय समयसीमा के भीतर तैयार कर लिया जाएगा।

कहां-कहां से चढ़ सकेंगे वाहन? पूरा रूट समझिए

दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे की शुरुआत राजधानी दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से होगी और यहीं से इसकी असली कहानी शुरू होती है। इस हाईवे को ऐसे डिजाइन किया गया है कि दिल्ली, पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड के अलग–अलग हिस्सों से लोग सीधे इस पर चढ़–उतर सकें। इसके लिए रास्ते भर रणनीतिक रूप से कई इंटरचेंज और एंट्री–एग्जिट प्वाइंट तय किए गए हैं, ताकि लोकल ट्रैफिक भी आसानी से हाईस्पीड कॉरिडोर से जुड़ सके। दिल्ली की तरफ से देखें तो सबसे पहले गाड़ी एक्सप्रेसवे पर गीता कॉलोनी, फिर शास्त्री पार्क और उसके बाद मंडोली विहार (लोनी) के पास से चढ़–उतर सकेगी। इसके आगे बढ़ते ही खेकरा स्थित ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) जंक्शन पर बड़ा इंटरचेंज बनाया जा रहा है, जो पूरे रूट का अहम नर्व सेंटर होगा। बागपत के मंडोला, लोहड्डा–बड़ौत ईस्ट बाईपास, करौंदा महाजन और बाबरी के आसपास भी एंट्री–एग्जिट प्वाइंट प्लान किए गए हैं, जिससे पश्चिमी यूपी के कस्बों और गांवों को सीधे तेज रफ्तार हाईवे से जोड़ा जा सके। आगे रूट गोगवान जलालपुर (थानाभवन के पास), शामली साउथ, सहारनपुर साउथ बाईपास और सहारनपुर ईस्ट से गुजरता हुआ उत्तराखंड की तरफ मुड़ता है। अंतिम खंड में गणेशपुर, फिर देहरादून के आशारोड़ी, डाट काली टनल के नजदीक वाला जोन और अंत में हर्रावाला के पास एंट्री–एग्जिट प्वाइंट तय किए गए हैं। इन सारे कट और इंटरचेंज मिलकर दिल्ली–एनसीआर, सहारनपुर मंडल, पश्चिमी यूपी और देहरादून क्षेत्र के यात्रियों के लिए सीधी, तेज और वैकल्पिक कनेक्टिविटी तैयार करेंगे। नतीजा यह होगा कि लोकल सड़कों पर भारी वाहनों का दबाव घटेगा, जाम की समस्या कम होगी और सफर पहले से ज्यादा सुगम, व्यवस्थित और समय बचाने वाला हो जाएगा।

यात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा तोहफा

दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे शुरू होते ही राजधानी से देवभूमि तक का पूरा ट्रैवल मैप बदलने वाला है। अभी जहां दिल्ली से देहरादून पहुंचने में घंटों जाम और धीमी रफ्तार निगल जाती है, वहीं इस हाईस्पीड कॉरिडोर पर सफर न सिर्फ तेज होगा, बल्कि ज्यादा सुगम और समय बचाने वाला भी बन जाएगा। मसूरी, देहरादून और ऋषिकेश की तरफ घूमने जाने वाले सैलानियों के लिए यह एक्सप्रेसवे किसी boon से कम नहीं होगा, क्योंकि पर्यटन की पूरी चेन—होटल, होमस्टे, टैक्सी, गाइड से लेकर लोकल मार्केट तक में नई रौनक आनी तय है। दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के बीच माल ढुलाई और कारोबार का आवागमन भी पहले से कहीं ज्यादा तेज हो जाएगा, जिससे उद्योग–व्यापार को सीधा फायदा पहुंचेगा। एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ आने वाले समय में औद्योगिक और व्यावसायिक क्लस्टर, लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउसिंग और सर्विस सेक्टर के कई केंद्र विकसित हो सकते हैं, जो स्थानीय युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर खोलेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि जनवरी 2026 तक यह एक्सप्रेसवे पूरी तरह चालू हो जाए। अगर सब कुछ तय योजना के अनुसार रहा, तो कुछ ही समय में दिल्ली से देहरादून तक का सफर पुराने नेशनल हाईवे नहीं, बल्कि एक हाईटेक, हाईस्पीड और मॉडर्न एक्सप्रेस कॉरिडोर के सहारे तय होता दिखेगा। Delhi Dehradun Expressway


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