पीएम मोदी की पहल का असर, लोगों को वापस मिला 2,000 करोड़ रुपये का हक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को बताया कि सरकार की 'आपका पैसा, आपका अधिकार' पहल के तहत अब तक लगभग 2,000 करोड़ रुपये उनके असली मालिकों को वापस किए जा चुके हैं। यह पहल अक्टूबर 2025 में शुरू की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके भूले हुए फाइनेंशियल एसेट्स वापस दिलाना है।

PM Modis initiative
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar10 Dec 2025 12:45 PM
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प्रधानमंत्री ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह आंदोलन यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है कि हर नागरिक वह वापस पा सके जो उसका हक है। पीएम मोदी ने आगे कहा, "यह एक भूले हुए फाइनेंशियल एसेट्स को एक नए मौके में बदलने का अवसर है।"

अनक्लेम्ड फाइनेंशियल एसेट्स की बड़ी मात्रा

बता दें कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश के विभिन्न वित्तीय संस्थानों में जनता के पैसे का एक बड़ा हिस्सा बिना दावे का पड़ा हुआ है। भारतीय बैंकों के पास करीब 78,000 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड पैसा जमा है, जबकि इंश्योरेंस कंपनियों के पास लगभग 14,000 करोड़ रुपये और म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास 3,000 करोड़ रुपये की राशि बिना किसी दावे के पड़ी हुई है। इसके अलावा, 9,000 करोड़ रुपये का डिविडेंड भी अनक्लेम्ड है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन आंकड़ों ने कई लोगों को चौंका दिया है, क्योंकि ये सभी पैसे अनगिनत परिवारों की मेहनत की कमाई और निवेश हैं।

सरकार ने बनाई खास पोर्टल्स और शिविर

केंद्र सरकार और नियामक संस्थाओं ने इस रिक्लेम प्रक्रिया को और आसान और पारदर्शी बनाने के लिए खास पोर्टल्स बनाए हैं। इन पोर्टल्स के जरिए लोग अपने फाइनेंशियल एसेट्स को ट्रैक कर सकते हैं और उनका दावा कर सकते हैं।

निम्नलिखित प्रमुख पोर्टल्स लॉन्च किए गए हैं:

  • UDGAM पोर्टल (RBI द्वारा): दावा न की गई बैंक जमाओं और शेष राशि के लिए।
  • बीमा भरोसा पोर्टल (IRDAI द्वारा): दावा न की गई बीमा पॉलिसी आय के लिए।
  • MITRA पोर्टल (SEBI द्वारा): म्यूचुअल फंड में दावा न की गई राशि के लिए।
  • IEPFA पोर्टल (कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा): भुगतान न किए गए लाभांश और दावा न किए गए शेयरों के लिए।

सुविधा शिविरों का आयोजन

प्रधानमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि इस पहल के तहत देश के 477 जिलों में विशेष सुविधा शिविर आयोजित किए गए हैं। इनमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जो दूरदराज हैं, ताकि अधिकतम लोगों तक यह लाभ पहुंच सके।

2,000 करोड़ रुपये का वापस किया गया भुगतान

इस पहल के माध्यम से अब तक करीब 2,000 करोड़ रुपये नागरिकों को वापस कर दिए गए हैं। पीएम मोदी ने विशेष पोर्टल्स और शिविरों का इस्तेमाल करते हुए लोगों को उनके हक का दावा करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

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दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, यमुना की सफाई के लिए नया एसटीपी प्लान

दिल्ली सरकार ने यमुना नदी की सफाई के लिए बड़ा कदम उठाया है। दिल्ली के बाहरी इलाकों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने के लिए पहली बार एक मॉडर्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का फैसला किया है।

Delhi CM Rekha Gupta
दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar08 Dec 2025 12:30 PM
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बता दें कि यमुना को गंदा करने वाले नजफगढ़ ड्रेन से गंदा पानी रोजाना यमुना में गिरता है, जिसके कारण नदी की स्थिति और भी खराब हो रही है। अब, सरकार इस पानी को ट्रीट कर यमुना में गिरने से पहले साफ करेगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने 247.33 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

27 महीने में बनेगा एसटीपी

इस परियोजना के तहत ताजपुर खुर्द में 25,546 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक नई तकनीक आधारित एसटीपी का निर्माण होगा। इसके लिए 27 महीने की डेडलाइन तय की गई है। एसटीपी से पानी नजफगढ़ ड्रेन में छोड़ा जाएगा, जिससे यमुना की गंदगी कम हो सकेगी। इस कार्य को पूरा करने के लिए बाहरी दिल्ली के सैकड़ों इलाकों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीट करने का प्लान है। इसके साथ ही, कॉलोनियों से गंदे पानी को एसटीपी तक लाने के लिए सीवर नेटवर्क विकसित किया जाएगा। ताजपुर खुर्द से द्वारका सेक्टर-17 तक एक नया सीवर नेटवर्क बिछाया जाएगा और कुछ जगहों पर सीवेज पंपिंग स्टेशन भी स्थापित किए जाएंगे।

योजनाओं का विस्तार

नजफगढ़ ड्रेन से जुड़े इस प्रोजेक्ट के तहत, दिल्ली सरकार ने 300 करोड़ रुपये की लागत से नई पाइपलाइन बिछाने का भी प्लान तैयार किया है। इस नई योजना से यमुना की सफाई में मदद मिलने के साथ-साथ इलाके के प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। यह परियोजना दिल्ली सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल यमुना की सफाई में मदद करेगा, बल्कि दिल्ली की पर्यावरणीय स्थिति को भी बेहतर बनाएगा।

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प्रदूषण के मामले में यूपी का यह शहर अव्वल, दिल्ली को भी छोड़ा पीछे

गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। CREA रिपोर्ट के अनुसार, टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में केवल NCR के शहर शामिल हैं जिनमें नोएडा, मेरठ, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली भी शामिल हैं। जानिए कौन से शहर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।

Delhi-NCR Pollution
दिल्ली-एनसीआर समेत इन शहरों में प्रदूषण से बुरा हाल
locationभारत
userअसमीना
calendar07 Dec 2025 02:18 PM
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नवंबर 2025 में देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची सामने आई है जिसमें उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद पहले स्थान पर रहा। थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद में नवंबर महीने का औसत पीएम 2.5 स्तर 24 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) के हिसाब से गाजियाबाद में 19 दिन बहुत खराब, 10 दिन गंभीर और एक दिन खराब श्रेणी में रहा।

टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची

गाजियाबाद के बाद नोएडा दूसरे, हरियाणा का बहादुरगढ़ तीसरे और दिल्ली चौथे नंबर पर रहा। कुल मिलाकर, टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में केवल NCR के शहर ही शामिल हैं। इस सूची में उत्तर प्रदेश के छह शहर, हरियाणा के तीन और दिल्ली शामिल हैं। दिल्ली में स्थिति और भी चिंताजनक रही। नवंबर में दिल्ली चौथा सबसे प्रदूषित शहर रही जहां मासिक औसत पीएम 2.5 स्तर 215 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। अक्टूबर की तुलना में यह आंकड़ा दोगुना हो गया। दिल्ली में कुल 23 दिन हवा बहुत खराब, 6 दिन गंभीर और एक दिन खराब रही।

पराली जलाने के कारण हो रहा प्रदूषण

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं का प्रदूषण में योगदान लगभग 7% रहा। पिछले साल यह योगदान 20% था। इसका मतलब यह है कि अन्य कारणों से भी प्रदूषण बढ़ा है और NCR की हवा लगातार खराब होती जा रही है। नवंबर 2025 में सबसे प्रदूषित शहरों की सूची इस प्रकार है।

गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बहादुरगढ़ (हरियाणा)

दिल्ली (दिल्ली)

हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

बागपत (उत्तर प्रदेश)

सोनीपत (हरियाणा)

मेरठ (उत्तर प्रदेश)

रोहतक (हरियाणा)

पर्यावरणीय नियमों का पालन करना जरूरी

CREA की इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि NCR के शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि हवा रहने योग्य नहीं रही। प्रदूषण में वृद्धि के कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक गतिविधियां और निर्माण कार्य प्रमुख हैं। गाजियाबाद और उसके आसपास के शहरों में पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित करना अब बहुत जरूरी हो गया है।


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