गरीबों पर भारी पुलिस की लापरवाही, अदालतों के चक्कर काटने को मजबूर

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लगातार बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों और पुलिस की लापरवाही को लेकर आखिरकार पुलिस प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। अवैध गतिविधियों पर आंख मूंदे रखने के आरोपों के बाद पुलिस उपायुक्त ने एक साथ विभिन्न थानों के 40 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है।

Delhi Police
पश्चिम दिल्ली (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 03:11 PM
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बता दें कि पुलिस सूत्रों के अनुसार, उत्तर-पूर्वी दिल्ली जिले में अवैध सट्टा, शराब और अन्य गैरकानूनी कारोबार तेजी से फल-फूल रहे थे। इन गतिविधियों की शिकायतें लगातार पुलिस प्रशासन तक पहुंच रही थीं, लेकिन स्थानीय स्तर पर तैनात पुलिसकर्मी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे थे। इसी को गंभीरता से लेते हुए पुलिस उपायुक्त आशीष मिश्रा ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।

विशेष जांच में खुली पोल

बता दें कि विशेष जांच टीम ने नंद नगरी, सीलमपुर, वेलकम, सोनिया विहार और करावल नगर थाना क्षेत्रों में अवैध सट्टा और शराब कारोबार से जुड़ी शिकायतों की जांच की। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि संबंधित इलाकों में तैनात कई पुलिसकर्मी अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर रहे थे और अवैध गतिविधियों पर प्रभावी कार्रवाई करने में पूरी तरह विफल रहे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस उपायुक्त ने पांच थानों के 40 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई पुलिस बल में जवाबदेही सुनिश्चित करने और अपराध नियंत्रण को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई है।

आम जनता में बढ़ता आक्रोश

बता दें कि स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। छोटे-छोटे मामलों में भी पुलिस समय पर कार्रवाई करने के बजाय मामलों को कोर्ट तक पहुंचा देती है, जिससे गरीब और कमजोर वर्ग के लोग कानूनी प्रक्रियाओं में फंस जाते हैं। कई बार मामूली झगड़ों को जानबूझकर बड़ा बना दिया जाता है, जहां पैसे और पहुंच रखने वाले लोग बच निकलते हैं और गरीब पक्ष को सालों तक अदालतों के चक्कर काटने पड़ते हैं। डाबरी चौकी सहित कई इलाकों में एकतरफा कार्रवाई और निष्पक्ष जांच न होने के आरोप भी सामने आते रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब पुनः जांच (री-इन्क्वायरी) की मांग की जाती है, तो पुलिस प्रशासन अक्सर उसे नजरअंदाज कर देता है।

पश्चिम दिल्ली में भी हालात चिंताजनक

बता दें कि हालांकि यह कार्रवाई उत्तर-पूर्वी दिल्ली तक सीमित है, लेकिन पश्चिम दिल्ली के पालम, उत्तम नगर, डाबरी, मोहन गार्डन जैसे इलाकों में भी अवैध गतिविधियों और पुलिस की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कई जगहों पर खुलेआम गैरकानूनी कारोबार चल रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रहा।

जवाबदेही तय करने की जरूरत

बता दें कि विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि केवल लाइन हाजिर करने से समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा। जब तक थाने से लेकर डीसीपी स्तर तक जवाबदेही तय नहीं की जाएगी और आम जनता की शिकायतों पर समयबद्ध व निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं है।

फिलहाल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में की गई यह कार्रवाई पुलिस प्रशासन के लिए एक कड़ा संदेश मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या इस सख्ती का असर जमीनी स्तर पर दिखाई देता है या फिर आम जनता को यूं ही पुलिस की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ता रहेगा।


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दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला : मजदूरों को ₹10,000 मुआवजा देने का किया ऐलान

इसी को देखते हुए सरकार ने रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 की आर्थिक सहायता DBT के जरिए सीधे बैंक खातों में भेजने का निर्णय लिया है। मंत्री के अनुसार, यह सहायता मौजूदा अवधि (करीब 16 दिन) के नुकसान को देखते हुए दी जाएगी, और जरूरत पड़ने पर GRAP-4 की स्थिति में भी राहत जारी रहने की बात कही गई है।

दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 12:55 PM
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Delhi News : राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई है। हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने राहत और नियंत्रण दोनों मोर्चों पर कड़े कदम उठाने का ऐलान किया है। फैसलों का सीधा असर निर्माण श्रमिकों, नौकरीपेशा कर्मचारियों और वाहन चालकों पर पड़ेगा। दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री कपिल मिश्रा ने बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि प्रदूषण के चलते लागू GRAP-3 के कारण निर्माण गतिविधियां रुकने से मजदूरों की आमदनी प्रभावित हुई है। इसी को देखते हुए सरकार ने रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 की आर्थिक सहायता DBT के जरिए सीधे बैंक खातों में भेजने का निर्णय लिया है। मंत्री के अनुसार, यह सहायता मौजूदा अवधि (करीब 16 दिन) के नुकसान को देखते हुए दी जाएगी, और जरूरत पड़ने पर GRAP-4 की स्थिति में भी राहत जारी रहने की बात कही गई है।

सरकार के प्रमुख फैसले (एक नजर में)

  1. GRAP-III/IV के कारण काम ठप होने से प्रभावित निर्माण श्रमिकों को ₹10,000 सहायता (केवल रजिस्टर्ड श्रमिकों को)।
  2. गुरुवार से सरकारी-निजी संस्थानों में 50% उपस्थिति—बाकी 50% स्टाफ के लिए Work From Home अनिवार्य।
  3. निर्देश न मानने पर कार्रवाई/जुर्माना लगाने की चेतावनी।
  4. यह व्यवस्था अस्पताल, फायर ब्रिगेड, जरूरी सेवाएं, प्रदूषण नियंत्रण/आपदा प्रबंधन जैसे विभागों पर लागू नहीं होगी।
  5. सरकार ने वर्किंग आवर्स को फ्लेक्सिबल रखने और कार-पूलिंग अपनाने की भी अपील की है।

किसे छूट मिलेगी?

श्रम मंत्री के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाएं, बिजली-पानी सप्लाई, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण/प्रदूषण से जुड़े विभागों में काम की प्रकृति को देखते हुए 50% अटेंडेंस वाला नियम लागू नहीं किया जाएगा, ताकि जरूरी सेवाएं बाधित न हों। सरकार ने साफ किया है कि WFH और 50% उपस्थिति से जुड़े आदेशों की अनदेखी हुई तो संबंधित संस्थानों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सरकार का तर्क है कि प्रदूषण एक पुरानी चुनौती है, लेकिन मौजूदा हालात में तत्काल सख्ती जरूरी हो गई है।

क्यों उठाए गए ये कदम?

सर्दियों में दिल्ली का AQI अक्सर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है। ऐसे में लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। सरकार का कहना है कि एक तरफ आवागमन और ऑफिस ट्रैफिक कम करके प्रदूषण का दबाव घटाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर रोजगार प्रभावित मजदूरों को तुरंत राहत दी जाएगी। Delhi News

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दिल्ली में 12 लाख गाड़ियों पर एंट्री बैन, घर से निकलने से पहले स्टेटस देखें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुग्राम में करीब 2 लाख, नोएडा में लगभग 4 लाख और गाजियाबाद में 5.5 लाख से अधिक वाहन ऐसे बताए जा रहे हैं जिन्हें नए नियमों के बाद दिल्ली की सीमा में “अवैध” श्रेणी में माना जाएगा।

लाखों वाहन नियम के दायरे में
लाखों वाहन नियम के दायरे में
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 10:00 AM
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Delhi News : दिल्ली की दमघोंटू हवा पर काबू पाने के लिए सरकार ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। नए आदेश के तहत नॉन-बीएस-VI (Non-BS-VI) यानी बीएस-VI मानक से नीचे आने वाले वाहनों की दिल्ली में एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। यह फैसला सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा इसका सबसे बड़ा असर एनसीआर के गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद और गाजियाबाद के लाखों वाहन मालिकों पर पड़ेगा। एनसीआर के इन शहरों में करीब 12 लाख वाहन ऐसे बताए जा रहे हैं जो बीएस-VI मानकों पर खरे नहीं उतरते। आदेश के बाद अब ये वाहन दिल्ली की सड़कों पर चलना तो दूर, सीमा के भीतर प्रवेश भी नहीं कर पाएंगे।

रोजाना आने-जाने वालों के लिए बढ़ी परेशानी

निजी गाड़ी से ऑफिस की भागदौड़ हो, बच्चों को स्कूल छोड़ने की रोज़ की जिम्मेदारी, या फिर अचानक मेडिकल इमरजेंसी ऐसे अनगिनत मौकों पर दिल्ली की ओर दौड़ने वाले लोगों के लिए यह रोक एक झटके में बड़ा संकट बन सकती है। अब तक जो सफर “रूटीन” था, वह कई परिवारों के लिए अनिश्चितता और जुर्माने के डर में बदल जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुग्राम में करीब 2 लाख, नोएडा में लगभग 4 लाख और गाजियाबाद में 5.5 लाख से अधिक वाहन ऐसे बताए जा रहे हैं जिन्हें नए नियमों के बाद दिल्ली की सीमा में “अवैध” श्रेणी में माना जाएगा।

गुरुग्राम पर कितना असर पड़ेगा

गुरुग्राम में लगभग 2 लाख निजी वाहन ऐसे बताए गए हैं जो बीएस-VI मानक पूरे नहीं करते। इनमें करीब 1.5 लाख बीएस-III पेट्रोल कारें और 36 हजार से अधिक बीएस-IV डीजल वाहन शामिल हैं। यही नहीं, शहर की लॉजिस्टिक्स और कमर्शियल मूवमेंट को भी झटका लगेगा बताया जा रहा है कि 47 हजार से ज्यादा कमर्शियल बीएस-IV डीजल और 2 हजार से अधिक बीएस-III पेट्रोल कमर्शियल वाहन दिल्ली में नहीं जा पाएंगे। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी प्रभावित होगा; करीब 2,200 बसें भी इस श्रेणी में आ सकती हैं।

नोएडा और गाजियाबाद में स्थिति ज्यादा गंभीर

नोएडा, जिसे दिल्ली का “एक्सटेंडेड” हिस्सा भी कहा जाता है, वहां करीब 4 लाख वाहनों पर असर पड़ने की बात कही जा रही है। कुल 10 लाख पंजीकृत वाहनों में से केवल करीब 4.2 लाख ही बीएस-VI मानक पूरे करते हैं—यानि इन्हीं को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिलने की संभावना है। नोएडा में 1.4 लाख बीएस-III (लगभग 96,210 पेट्रोल और 41,067 डीजल) और 2.8 लाख बीएस-IV श्रेणी के वाहन दर्ज हैं। गाजियाबाद में हालात और भी कठिन बताए जा रहे हैं। यहां 5.5 लाख से ज्यादा वाहन बीएस-VI मानकों से नीचे हैं, जिनमें 1.7 लाख बीएस-III और 3.7 लाख बीएस-IV वाहन शामिल हैं। मतलब साफ है—एनसीआर के बड़े हिस्से की आवाजाही पर इस आदेश का सीधा असर दिखेगा। Delhi News

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