गांव की पगडंडी से चलकर देश के फलक पर छा गए थे सत्यपाल मलिक

गांव की पगडंडी से चलकर देश के फलक पर छा गए थे सत्यपाल मलिक
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:55 AM
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चेहरे पर एक चमक और आत्मविश्वास से लवरेज रहने वाले बेबाक सत्यपाल मलिक के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया। गांव की पगडंडियों से चलकर पहले छात्र राजनीति में कदम रखा, फिर देश की राजनीति की धुरी बन गए। भले ही वह पांच राज्यों के राज्यपाल रहे, लेकिन किसान के मुद्दे हो या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का मामला। उनकी बेबाकी ने मोदी जैसे दिग्गज प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को भी कई बार खासा असहज कर दिया। राजनीति के पंडितों की मानें तो सत्यपाल मलिक की स्थान सियासत में भरना आसान नहीं हैं। Satyapal Malik

साल 2017 में पहली बार बने बिहार के राज्यपाल

भाजपा जब सियासत के समुंदर में हिचकोले खा रही थी उस समय बड़े नेताओं की सत्यपाल मलिक पर पड़ी। उनके राजनीतिक कौशल के चलते वर्ष 2004 में भाजपा में शामिल करा दिया। उसके बाद 2012 में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। भाजपा जब 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरी तो वेस्ट यूपी समेत हरियाणा व राजस्थान के जाट बाहुल्य इलाकों में भाजपा को भारी सफलता मिली। इससे हाईकमान को उनकी रणनीति का लोहा मानने को मजबूर होना पड़ा। उन्हें 2017 में पहली बार बिहार का राज्यपाल बनाया गया। उनके राज्यपाल बनते ही बिहार के सियासी समीकरण बदले और भाजपा नेताओं में जोश का संचार हुआ। इसके बाद वह ओडिशा के राज्यपाल बनाए गए।

बगैर एक कतरा खून बहाए किया सबकुछ ठीक

सत्यपाल मलिक ने बिहार और ओडिशा के राज्यपाल रहते बेहतर कार्य किया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर मिशन जम्मू-कश्मीर को पूरा करने के लिए सत्यपाल मलिक पर लग गई। भाजपा हाईकमान ने माना कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने में मलिक ही खासे कारगर हो सकते हैं। उन्हें 2018 में जम्मूृ-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। इसमें दो राय नहीं कि सत्यपाल मलिक ने अहम रोल अदा किया और अनुच्छेद 370 हटा। हैरत की बात तो यह है कि सभी आशंकाओं को निर्मूल साबित करते हुए बगैर एक कतरा खून बहाए सब कुछ सही कर दिया। लेकिन उसी समय हाइड्रो प्रोजेक्ट को लेकर करीब 300 करोड़ रुपए की कथित रिश्वत को लेकर उन्होंने जो बयान दिया, उसके बाद केन्द्र सरकार और उनकी बीच दरार पैदा हो गई। मामला सुलह समझौते का चल रही रहा था कि उसी समय पुलवामा हमला हो गया। इसे लेकर भी उन्होंने जांच की मांग कर डाली। कथित रिश्वत कांड के बाद पुलवामा कांड पर सत्यपाल मलिक के रुख से केन्द्र सरकार के दिग्गजों के माथे पर बल पड़ गए।

भाजपा के दिग्गज नहीं पचा पा रहे थे आंदोलन का समर्थन

इसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा हुई कि अब शायद सत्यपाल मलिक को निपटा दिया जाएगा। लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह रही कि उन्हें 2019 में गोवा और फिर 2020 में मेघालय का राज्यपाल बना दिया। इसी दौरान किसान आंदोलन चरम पर था। उनकी जन्मभूमि बागपत और वेस्ट यूपी के तमाम किसान धरने पर बैठे थे। कानून की डिग्री लेने वाले सत्यपाल मलिक  किसानों के साथ हो रहे अन्याय को हजम नहीं पाए। परिणाम यह रहा कि उन्होंने खुले मंच से किसान आंदोलन की वकालत कर दी। सरकार एक बार फिर बैचेन हो उठी। इस तरह उनके द्वारा पहले पुलवामा, फिर होइड्रो प्रोजेक्ट के कथित भ्रष्टाचार और किसान आंदोलन का समर्थन को भाजपा के दिग्गज पचा नहीं पा रहे थे। परिणाम यह रहा कि उन्हें बगावती मान लिया गया। भाजपा ने जहां उनसे किनारा कर लिया, वहीं हाइड्रो प्रोजेक्ट के कथित भ्रष्टाचार में उनके खिलाफ सीबीआई जांच कर चार्जशीट तक कोर्ट में दाखिल कर दी।

कहां से ताल्लुक रखते थे सत्यपाल मलिक

राजनीति के इस पुरोधा का जन्म बागपत जिले के गांव हिसवाड़ा में 24 जुलाई 1946 को हुआा था। उनके पिता बुद्धदेव किसान थे। उन्होंने गांव के प्राइमरी स्कूल से प्राथमिक श्क्षिा ग्रहण की। गांव की पगडंडियों चलते हुए यूपी बोर्ड से इंटर करने के बाद मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में प्रवेश किया। बस यहीं से सत्यपाल मलिक ने राजनीति का ककहरा सीखा। उन्होंने पहली बार 1966 चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए ताल ठोकी। जु­झारू और बेबाकी के चलते छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसी समय किसानों मसीहा चौैधरी चरण सिंह की उन पर नजर पड़ी तो उन्होंने पहली बार 1974 में बागपत से विधान सभा के चुनाव में उतारा और चुनाव जीते। 1980 में राज्यसभा का सदस्य बने। 1984 में जनता जल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। उसी समय बोफोर्स विवाद उठा तो कांग्रेस से बगावत करके जनता दल में वापस आ गए। इसी दौरान वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अलीगढ़ से जनता दल के चुनाव में उतारा गया। पार्टी के अंदर उनसे रंजिश मानने वालों का मानना था कि अलीगढ़ उनके लिए नया है। इसलिए जीतना आसान नहीं रहेगा। लेकिन सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक कौशल से सीट पर जीत दर्ज की। वीपी सिंह सरकार में उन्हें संसदीय व पर्यटन राज्यमंत्री भी बनाया गया।

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सिद्धांतों से कभी नहीं किया समझौता

अलीगढ़ सांसद रहने के दौरान उनके खासे नजदीक रहे राजनीतिक विश्लेषक योगेश शर्मा का कहना हैं कि सत्यपाल मलिक बेबाक नेता रहे। वह पहले नेता थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों से कभी सम­झौता नहीं किया। उनकी बेबाकी के साथ ही गांव, गरीब और किसानों के हितों की चिंता को ही कुछ नेताओं ने बगावत मान लिया। निश्चित तौर पर उनके निधन के बाद राजनीति के एक युग का अंत हो गया। Satyapal Malik
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प्रधानमंत्री की इस मुस्लिम बहन को है रक्षाबंधन का इंतजार, कारण है खास

प्रधानमंत्री की इस मुस्लिम बहन को है रक्षाबंधन का इंतजार, कारण है खास
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:12 AM
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक मुस्लिम बहन को रक्षाबंधन का बेसब्री से इंतहार है। नरेन्द्र मोदी की इस खास बहन को आशंका है कि कहीं इस साल के रक्षाबंधन पर भाई के लिए बनाई गई उसकी राखी धरी की धरी ही ना रह जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुस्लिम बहन की इस आशंका का कारण पहलगाम तथा ऑपरेशन सिंदूर बना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह खास मुस्लिम बहन मूलरूप से पाकिस्तान की रहने वाली है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने भारत तथा पाकिस्तान के रिश्तों के कारण प्रधानमंत्री की इस  खास बहन को राखी ना बांध पाने की आशंका सता रही है।  PM Narendra Modi Sister

पाकिस्तान की रहने वाली है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह खास बहन मूल रूप से पाकिस्तान की रहने वाली है। प्रधानमंत्री की खास मुस्लिम बहन का नाम कमर मोहसिन है। प्रधानमंत्री की बहन कमर मोहसिन का दावा है कि वह पिछले 35 साल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन है तथा हर साल रक्षाबंधन पर अपने भाई नरेन्द्र मोदी की कलाई पर रखी जरूर बांधती है। रक्षाबंधान का त्यौहार नजदीक आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन कमर मोहसिन बेसब्री से रक्षाबंधन की प्रतीक्षा कर रही है। प्रधानमंत्री की बहन कमर मोहसिन का कहना है कि उसे प्रधानमंत्री कार्यालय से बुलावा आने की प्रतीक्षा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन का यह भी कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हुए हालात के कारण वह इस बात से डरी हुई है कि कहीं इस बार उसे अपने भाई की कर्ला पर राखी बांधे बिना ही ना रह जाना पड़े। प्रधानमंत्री की बहन कमर अहमद बताती है कि उसकी नरेन्द्र मोदी के साथ पहली मुलाकात 1990 में तब हुई थी जब नरेन्द्र मोदी गुजरात में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन यह भी बताती है कि नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्मयंत्री बनने तक वें रोज अपने भाई के मुख्यमंत्री बनने की दुआ करती थीं। जब उसका भाई गुजरात का मुख्यमंत्री बन गया तो वें अपने भाई नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की दुआ मांगा करती थीं। उनका यह साथ 35 साल से चल रहा है।

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कौन है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुस्लिम बहन ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुंहबोली मुस्लिम बहन का नाम कमर मोहसिन है। कमर मोहसिन पाकिस्तान के कराची शहर में पैदा हुई थी। वर्ष-1981 में कमर मोहसिन का विवाह एक भारतीय मुस्लिम के साथ हुआ था। शादी से पहले कमर मोहसिन शेख का नाम कमर शेख था। पाकिस्तान के कराची की रहने वाली कमर शेख का विवाह भारत के अहमदाबाद में रहने वाले मोहसिन के साथ हुई थी। विवाह के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन का नाम कमर मोहसिन शेख हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहन कमन मोहसिन शेख ने बताया कि वह हर साल अपने भाई नरेन्द्र मोदी के लिए अपने हाथ से राखी तैयार करती है। इस साल भी कमर मोहसिन शेख ने अपने भाई नरेन्द्र मोदी के लिए दो खास राखी तैयार कर रखी हैं।  PM Narendra Modi Sister
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बदल गया देश के प्रशासन का पता, कर्तव्य भवन-3 बना सत्ता का नया ठिकाना

बदल गया देश के प्रशासन का पता, कर्तव्य भवन-3 बना सत्ता का नया ठिकाना
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:37 AM
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आज का दिन भारत की नौकरशाही व्यवस्था के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। राजधानी के कर्तव्य पथ पर निर्मित आधुनिक कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन हो गया है, जो अब केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों का नया कार्यस्थल बनेगा।  गृह मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी अब इसी भवन से अपने दायित्वों का संचालन करेंगे।  Kartavya Bhawan-3

क्यों खास है कर्तव्य भवन - 3 ?

'कर्तव्य भवन-3' सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि नए भारत की प्रशासनिक संरचना का प्रतीक है। करीब 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैली इस इमारत में आधुनिकता, सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता और कार्यक्षमता का अनूठा संगम है। इसमें कुल 10 मंज़िलें हैं, जिनमें दो बेसमेंट और एक भूतल शामिल है।

सुविधा और संरचना

  • कांफ्रेंस हॉल: 24 बड़े हॉल (45 लोगों की क्षमता) और 26 छोटे हॉल (25 लोगों की क्षमता)।

  • वर्क हॉल व मीटिंग रूम: कुल 67, प्रत्येक में 9 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता।

  • ऑफिस रूम: 850 से अधिक।

  • सुरक्षा: 700 CCTV कैमरे, एक आधुनिक कमांड सेंटर।

  • वाहन पार्किंग: 600 गाड़ियों के लिए स्थान।

  • EV चार्जिंग: 120 प्वाइंट।

  • अन्य सुविधाएं: योगा हॉल, मेडिकल रूम, क्रेच, कैफे, मल्टीपर्पज हॉल, 27 लिफ्ट, दो स्वचालित सीढ़ियां और पूरी तरह सेंट्रल एयर कंडीशनिंग।

छत पर 366 किलोवाट क्षमता के सौर पैनल लगाए गए हैं जो सालाना लगभग 5.34 लाख यूनिट बिजली की बचत सुनिश्चित करेंगे।

कौन-सा मंत्रालय कहां ?

कर्तव्य भवन-3 में मंत्रालयों का वितरण बेहद सुव्यवस्थित किया गया है:

  • पहली मंज़िल: पेट्रोलियम मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय

  • दूसरी मंज़िल: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) मंत्रालय और कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (DoPT)

  • तीसरी मंज़िल: विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय

  • चौथी व पांचवीं मंज़िल: गृह मंत्रालय — गृह मंत्री अमित शाह यहीं से काम करेंगे

  • छठी मंज़िल: खुफिया ब्यूरो (IB) का मुख्यालय

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क्या है नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का भविष्य ?

कर्तव्य भवनों के निर्माण के साथ ही देश की सबसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक इमारतें — नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक — अब नए रूप में सामने आएंगी। इन्हें 'युगे-युगीन भारत संग्रहालय' में बदला जाएगा, जहां भारत की प्राचीनता से लेकर आधुनिक राष्ट्र तक की गाथा को प्रस्तुत किया जाएगा। यह काम बिना किसी संरचनात्मक बदलाव के, मूल धरोहर को संजोते हुए किया जाएगा।

क्यों बना नया भवन ?

1950 से 1970 के दशक के बीच बनाए गए पुराने मंत्रालय भवन अब तकनीकी और अवसंरचनात्मक रूप से काफी जर्जर हो चुके थे। उनका रखरखाव महंगा और असुविधाजनक हो गया था। ऐसे में 'एकीकृत और आधुनिक केंद्रीय सचिवालय' की परिकल्पना साकार करने हेतु कर्तव्य भवनों की श्रृंखला प्रस्तावित की गई। कर्तव्य भवन-3, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CSS) की 10 प्रस्तावित इमारतों में से पहली है। सितंबर तक कर्तव्य भवन-1 और 2 भी पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। बाकी सात भवन अप्रैल 2027 तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इस संपूर्ण परियोजना पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।  Kartavya Bhawan-3