गांव की पगडंडी से चलकर देश के फलक पर छा गए थे सत्यपाल मलिक





आज का दिन भारत की नौकरशाही व्यवस्था के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। राजधानी के कर्तव्य पथ पर निर्मित आधुनिक कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन हो गया है, जो अब केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों का नया कार्यस्थल बनेगा। गृह मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी अब इसी भवन से अपने दायित्वों का संचालन करेंगे। Kartavya Bhawan-3
'कर्तव्य भवन-3' सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि नए भारत की प्रशासनिक संरचना का प्रतीक है। करीब 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैली इस इमारत में आधुनिकता, सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता और कार्यक्षमता का अनूठा संगम है। इसमें कुल 10 मंज़िलें हैं, जिनमें दो बेसमेंट और एक भूतल शामिल है।
कांफ्रेंस हॉल: 24 बड़े हॉल (45 लोगों की क्षमता) और 26 छोटे हॉल (25 लोगों की क्षमता)।
वर्क हॉल व मीटिंग रूम: कुल 67, प्रत्येक में 9 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता।
ऑफिस रूम: 850 से अधिक।
सुरक्षा: 700 CCTV कैमरे, एक आधुनिक कमांड सेंटर।
वाहन पार्किंग: 600 गाड़ियों के लिए स्थान।
EV चार्जिंग: 120 प्वाइंट।
अन्य सुविधाएं: योगा हॉल, मेडिकल रूम, क्रेच, कैफे, मल्टीपर्पज हॉल, 27 लिफ्ट, दो स्वचालित सीढ़ियां और पूरी तरह सेंट्रल एयर कंडीशनिंग।
छत पर 366 किलोवाट क्षमता के सौर पैनल लगाए गए हैं जो सालाना लगभग 5.34 लाख यूनिट बिजली की बचत सुनिश्चित करेंगे।
कर्तव्य भवन-3 में मंत्रालयों का वितरण बेहद सुव्यवस्थित किया गया है:
पहली मंज़िल: पेट्रोलियम मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय
दूसरी मंज़िल: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) मंत्रालय और कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (DoPT)
तीसरी मंज़िल: विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
चौथी व पांचवीं मंज़िल: गृह मंत्रालय — गृह मंत्री अमित शाह यहीं से काम करेंगे
छठी मंज़िल: खुफिया ब्यूरो (IB) का मुख्यालय
कर्तव्य भवनों के निर्माण के साथ ही देश की सबसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक इमारतें — नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक — अब नए रूप में सामने आएंगी। इन्हें 'युगे-युगीन भारत संग्रहालय' में बदला जाएगा, जहां भारत की प्राचीनता से लेकर आधुनिक राष्ट्र तक की गाथा को प्रस्तुत किया जाएगा। यह काम बिना किसी संरचनात्मक बदलाव के, मूल धरोहर को संजोते हुए किया जाएगा।
1950 से 1970 के दशक के बीच बनाए गए पुराने मंत्रालय भवन अब तकनीकी और अवसंरचनात्मक रूप से काफी जर्जर हो चुके थे। उनका रखरखाव महंगा और असुविधाजनक हो गया था। ऐसे में 'एकीकृत और आधुनिक केंद्रीय सचिवालय' की परिकल्पना साकार करने हेतु कर्तव्य भवनों की श्रृंखला प्रस्तावित की गई। कर्तव्य भवन-3, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CSS) की 10 प्रस्तावित इमारतों में से पहली है। सितंबर तक कर्तव्य भवन-1 और 2 भी पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। बाकी सात भवन अप्रैल 2027 तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इस संपूर्ण परियोजना पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। Kartavya Bhawan-3
आज का दिन भारत की नौकरशाही व्यवस्था के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। राजधानी के कर्तव्य पथ पर निर्मित आधुनिक कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन हो गया है, जो अब केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों का नया कार्यस्थल बनेगा। गृह मंत्री अमित शाह सहित कई वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी अब इसी भवन से अपने दायित्वों का संचालन करेंगे। Kartavya Bhawan-3
'कर्तव्य भवन-3' सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि नए भारत की प्रशासनिक संरचना का प्रतीक है। करीब 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैली इस इमारत में आधुनिकता, सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता और कार्यक्षमता का अनूठा संगम है। इसमें कुल 10 मंज़िलें हैं, जिनमें दो बेसमेंट और एक भूतल शामिल है।
कांफ्रेंस हॉल: 24 बड़े हॉल (45 लोगों की क्षमता) और 26 छोटे हॉल (25 लोगों की क्षमता)।
वर्क हॉल व मीटिंग रूम: कुल 67, प्रत्येक में 9 व्यक्तियों की बैठने की क्षमता।
ऑफिस रूम: 850 से अधिक।
सुरक्षा: 700 CCTV कैमरे, एक आधुनिक कमांड सेंटर।
वाहन पार्किंग: 600 गाड़ियों के लिए स्थान।
EV चार्जिंग: 120 प्वाइंट।
अन्य सुविधाएं: योगा हॉल, मेडिकल रूम, क्रेच, कैफे, मल्टीपर्पज हॉल, 27 लिफ्ट, दो स्वचालित सीढ़ियां और पूरी तरह सेंट्रल एयर कंडीशनिंग।
छत पर 366 किलोवाट क्षमता के सौर पैनल लगाए गए हैं जो सालाना लगभग 5.34 लाख यूनिट बिजली की बचत सुनिश्चित करेंगे।
कर्तव्य भवन-3 में मंत्रालयों का वितरण बेहद सुव्यवस्थित किया गया है:
पहली मंज़िल: पेट्रोलियम मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय
दूसरी मंज़िल: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) मंत्रालय और कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग (DoPT)
तीसरी मंज़िल: विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
चौथी व पांचवीं मंज़िल: गृह मंत्रालय — गृह मंत्री अमित शाह यहीं से काम करेंगे
छठी मंज़िल: खुफिया ब्यूरो (IB) का मुख्यालय
कर्तव्य भवनों के निर्माण के साथ ही देश की सबसे प्रतिष्ठित ऐतिहासिक इमारतें — नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक — अब नए रूप में सामने आएंगी। इन्हें 'युगे-युगीन भारत संग्रहालय' में बदला जाएगा, जहां भारत की प्राचीनता से लेकर आधुनिक राष्ट्र तक की गाथा को प्रस्तुत किया जाएगा। यह काम बिना किसी संरचनात्मक बदलाव के, मूल धरोहर को संजोते हुए किया जाएगा।
1950 से 1970 के दशक के बीच बनाए गए पुराने मंत्रालय भवन अब तकनीकी और अवसंरचनात्मक रूप से काफी जर्जर हो चुके थे। उनका रखरखाव महंगा और असुविधाजनक हो गया था। ऐसे में 'एकीकृत और आधुनिक केंद्रीय सचिवालय' की परिकल्पना साकार करने हेतु कर्तव्य भवनों की श्रृंखला प्रस्तावित की गई। कर्तव्य भवन-3, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CSS) की 10 प्रस्तावित इमारतों में से पहली है। सितंबर तक कर्तव्य भवन-1 और 2 भी पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। बाकी सात भवन अप्रैल 2027 तक बनकर तैयार हो जाएंगे। इस संपूर्ण परियोजना पर लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। Kartavya Bhawan-3