National Political News : भारत जोड़ो यात्रा में उमड़ रहे जनसैलाब से डरने लगी है भाजपा

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BJP has started fearing the influx of people in India Jodo Yatra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 04:21 AM
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- एक महिला को गिरने से बचाने के लिए राहुल ने उसका हाथ क्या पकड़ा बवाल ही मच गया नई दिल्ली। ‘चोरों को सारे नजर आते हैं चोर।’ आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी। मौजूदा दौर में यह कहावत भाजपा के नेताओं और उसकी ट्रोल आर्मी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा को मिल रही अपार सफलता और लोकप्रियता से भाजपा बुरी तरह बौखला गई है। उसे अपना जनाधार खिसकता नजर आने लगा है। यही कारण है कि वह अनाप-शनाप बातें कहकर जनता को गुमराह करने करने और मुख्य मुद्दे से भटकाने का कुत्सित प्रयास करने में जुटी हुई है।

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सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा को तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में जबरदस्त समर्थन मिला। तेलंगाना में भी इस यात्रा को समर्थन और सहयोग देने के लिए जनसैलाब उमड़ रहा है। गैर भाजपा कई राजनीतिक दल के लोग भी इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं। हर दिन आ रही तस्वीरें भाजपा को डराने लगी हैं। दरअसल, इस देश में हर यात्रा के सफल होने और उसके सकारात्मक परिणाम निकलने का अनूठा और सुखद इतिहास रहा है। इसी इतिहास ने भाजपा नेताओं की आंखों की नींद छीन ली है। अगर इस बात पर भरोसा करें कि इतिहास अपने आप को दोहराता है, तो फिर इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं रह जाती है कि इस यात्रा से कांग्रेस सियासत के उच्च शिखर को छूने में कामयाब होगी। यही बात भाजपा के नेताओं को सालने लगी है। भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने के साथ ही भाजपा की प्रख्यात महिला नेता स्मृति जुबिन इरानी ने सबसे पहले मोर्चा खोला। लेकिन, उनका सफेद झूठ जनता के सामने बेपर्दा हो गया। यह सिलसिला यात्रा के 53 दिनों बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए झूठा प्रचार और घटिया बातें कही जा रही हैं। अभी बीते दिनों भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने दक्षिण भारत की अभिनेत्री पूनम कौर को गिरने से बचाने के लिए उनका हाथ क्या पकड़ा, बवाल मच गया। यह ओछेपन की इंतेहां ही है कि एक तरफ सोशल मीडिया में तस्वीरें वायरल होने लगी, दूसरी ओर भाजपा नेता चाचा नेहरू का नाम लेकर तंज कसने लगे। हालांकि इस दोतरफा हमले का न केवल पूनम कौर ने, बल्कि कांग्रेस की महिला नेताओं ने भी कराया जवाब देकर भाजपा नेताओं की बोलती बंद कर दी।

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दरअसल, राहुल गांधी के साथ शनिवार को अभिनेत्री पूनम कौर पदयात्रा में शामिल हुईं। इस पर कर्नाटक बीजेपी की नेता प्रीति गांधी ने राहुल गांधी की ऐक्ट्रेस पूनम कौर का हाथ पकड़े तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘अपने परदादा के पदचिन्हों पर चलते हुए!’ प्रीति गांधी के इस पोस्ट के साथ ही वार-पलटवार का सिलसिला तेज हो गया। पूनम कौर ने प्रीति गांधी का जवाब देते हुए लिखा कि आप अपमान कर रही हैं, याद रखें प्रधानमंत्री नारी शक्ति के बारे में बात करते हैं। मैं फिसल गई और लगभग गिरने ही वाली थी, इस पर सर (राहुल गांधी) ने मेरा हाथ पकड़ लिया। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी के लिए ‘थैंक यू सर’ लिखा। पूनम कौर के बाद जवाब देने की बारी कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की थी। उन्होंने लिखा, ‘हां, वह अपने परदादा के नक्शेकदम पर चल रहे हैं और हमारे इस महान देश को एकजुट कर रहे हैं। इसके अलावा, आपके बचपन के दुख गहरे हैं और आपके बीमार दिमाग का सबूत हैं. आपको इलाज की जरूरत है।’

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यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने प्रीति गांधी के ट्वीट पर लिखा, ‘शर्म की बात ये है एक ‘महिला’ है..’ वहीं महिला कांग्रेस सोशल मीडिया इंचार्ज नताशा शर्मा ने लिखा, ‘तुम औरत होकर इतना कैसे गिर जाती हो। तुमसे ज्यादा नीच और गिरा हुआ मैंने तो आज तक नहीं देखा। कुछ तो शर्म करो तुम या फिर बेच खाई है?’ पूनम कौर तमिल और तेलुगु फिल्मों की जानी-मानी एक्ट्रेस हैं। हैदराबाद में जन्मीं पूनम ने पढ़ाई खत्म करने के बाद 2006 में डायरेक्टर तेजा की फिल्म ओका विचित्रम साइन की। इसी साल उन्हें एक और फिल्म मायाजालम में काम मिल गया और पूनम का कॅरियर चल निकला। पूनम फिल्मों के साथ राजनीति में भी सक्रिय हैं। वो कांग्रेस पार्टी की मेंबर होने के साथ ही तेलंगाना की राजनीति में काफी एक्टिव हैं।
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Chetna Manch Exclusive : अयोध्या के राम मंदिर को लेकर एक बड़ा सच आया सामने

Ayodhya 1
A big truth came out about Ayodhya's Ram temple
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:05 PM
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New Delhi/Ayodhya : नई दिल्ली/अयोध्या। आज 30 अक्टूबर 2022 का दिन है। आज से ठीक 32 साल पहले आज ही के दिन भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा ने एक बड़ा इतिहास रचा था। या यूं कहें कि भारत की राजनीति को एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट दिया था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा को दुनियाभर के मीडिया ने कवर किया था। मीडिया की इसी फौज में शामिल थे देश के जाने-माने पत्रकार मनोज रघुवंशी। श्री रघुवंशी ने उस यात्रा का एक अनछुआ सच ‘चेतना मंच’ के साथ साझा किया है। उस पूरे सच को हम वरिष्ठ पत्रकार मनोज रघुवंशी के शब्दों में ज्यों का त्यों यहां पेश कर रहे हैं। आप भी अवश्य पढ़ें और जाने अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण से जुड़ा एक अनुत्तरित सच। - मनोज रघुवंशी एक पत्रकार के रूप में ये मेरी एक अनोखी आपबीती है। ठीक 32 साल पुरानी बात है। 30 अक्टूबर, 1990 का दिन लाल कृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या रथ यात्रा का अंतिम दिन था। रथ यात्रा तो अयोध्या तक नहीं पहुंची थी, लेकिन ये उसके समापन का दिवस था। इस दिन के घटनाक्रम में एक ऐसी घटना घटी, जो आज तक कहीं रिपोर्ट नहीं हुई। मेरी स्टोरी में भी नहीं।

Chetna Manch Exclusive :

जो बात सब जानते हैं वो ये है कि रथ यात्रा सोमनाथ से 25 सितम्बर को चली थी, और 22 अक्टूबर को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने समस्तीपुर में आडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिया था। वैसे 30 अक्टूबर को रथ यात्रा का अयोध्या पहुंचना निश्चित हुआ था। लेकिन आडवाणी जी की गिरफ्तारी ने रथ को रोक दिया था। एक नेता को रोकना संभव था। लेकिन जनप्रवाह को थामना मुमकिन नहीं था। बहुत बड़ी संख्या में लोग एक रात पहले उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पहुंच गए और स्थानीय निवासियों के घरों में ठहर गए। सुबह उन्हें अयोध्या पहुंचने के लिए सिर्फ सरयू नदी का पुल पार करना था। पहला प्रयास उस वक्त के यूपी के स्व. मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के प्रशासन ने लाठी चार्ज करके विफल कर दिया। लेकिन, दूसरे झोंके में हजारों लोग अयोध्या में प्रवेश कर गए। अब शुरू हुआ कार सेवकों और पुलिस में टकराव। कार सेवक पथराव करते और पुलिस आंसू गैस से उन्हें रोकने की कोशिश करती। अयोध्या की गलियों में उस दिन जगह-जगह लाठी चार्ज भी हुआ, लेकिन कार सेवक श्रीराम जन्मभूमि परिसर तक पहुंचने के लिए दृढ़ निश्चय करके आये थे। यहां तक की बात तो उस समय वहां पर मौजूद पत्रकारों ने रिपोर्ट की थी, जिसका रिकॉर्ड भी मौजूद है।

Chetna Manch Exclusive :

इसके बाद एक ऐसी घटना घटी, जिसकी जानकारी या समझ आज तक किसी को नहीं है। धीरे-धीरे कार सेवक अपना दबाव बढ़ा रहे थे, और पुलिस को पीछे धकेलने में कामयाब होते जा रहे थे। मैं अपनी कैमरा टीम के साथ श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के सामने मानस भवन की छत पर चढ़ गया और हम लोग ऊपर से शूट करने लगे। मेरे एक मित्र भी वहां मौजूद थे, जिनकी प्रशासन में अच्छी पैठ थी। उन्होंने मुझे एक राज की बात बताई जो मुझे अविश्वसनीय लगी। उन्होंने कहा कि 15 मिनट में पुलिस कार सेवकों को मंदिर परिसर में घुसने देगी। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते इस बात पर यकीन करना असंभव था। जब मैंने शंका प्रकट की तो मेरे मित्र बोले कि अगर आप बहस में समय गंवा देंगे तो नीचे उतरकर मंदिर के गेट के सामने पहुंचकर शूट करने का अवसर निकल जाएगा। मैं तुरंत टीम को लेकर सड़क पर आ गया और मंदिर के गेट के सामने कैमरा लगा दिया। वास्तव में मंदिर परिसर के अंदर से एक वर्दीधारी पुलिसवाला आया, और उसने जंगले वाले गेट का ताला अंदर से खोल दिया। कार सेवक अंदर घुस गए, और उन्होंने जगह-जगह अंदर की दीवारों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी, जो कि हम शूट केवल इसलिए कर पाए क्योंकि हमको योजना का पता पहले से चल गया था। लेकिन, आज तक ये पता नहीं चल पाया है कि वहां पर मौजूद पुलिसवालों ने ये कारवाई मुलायम सिंह यादव की जानकारी और रजामंदी से की थी या अपनी मर्जी से?
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National News : दिव्या काकरान को मिला दिल्ली श्री का अवार्ड

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Divya Kakran receives Delhi Shree award
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:16 AM
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New Delhi : नई दिल्ली। अपने दम पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने वाली भारत की बेटी दिव्या काकरान को दिल्ली श्री के अवार्ड से नवाजा गया है। दिव्या काकरान ने दुनियाभर में मुजफ्फरनगर का नाम रोशन किया है। दिव्या ने नोएडा कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन से फिजिकल एजुकेशन और स्पोर्ट्स साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। कुश्ती के बल पर वह भारतीय रेलवे में सीनियर टीटीई के पद पर कार्यरत हैं।

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[video width="480" height="848" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2022/10/divya-kakran.mp4"][/video] दिव्या का जन्म 8 अक्टूबर 1998 को मुजफ्फरनगर के एक सामान्य किसान के परिवार में हुआ। उनके पिता लंगोट बेचते हैैं। वो भारतीय फ्रीस्टाइल कुश्ती खिलाड़ी हैं। दिव्या एशियन कुश्ती चैंपियनशिप 2020 के 68 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला हैं। उन्होंने 2017 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता। साल-2018 में एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल किया। उन्हें उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 2020 में भारत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया है। दिव्या काकरान के पिता सूरज पहलवान ने चेतना मंच को बताया कि उनकी बेटी का पूरे देश में सम्मान हो रहा है। इसी कड़ी में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में दिव्या को दिल्ली श्री के अवार्ड से नवाजा गया।