गवई के बाद न्याय की कमान सूर्यकांत के हाथ? सिफारिश से बढ़ी अटकलें

गवई के बाद न्याय की कमान सूर्यकांत के हाथ? सिफारिश से बढ़ी अटकलें
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:42 PM
bookmark

देश की न्यायपालिका में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने केंद्रीय विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर जस्टिस सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की है। न्यायिक परंपरा के अनुसार, सेवानिवृत्त होते समय CJI अपने उत्तराधिकारी का नाम स्वयं सुझाते हैं — और इस बार भी वही परंपरा निभाई गई है। चीफ जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही माना जा रहा है कि 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।    Justice Surya Kant

न्यायिक परंपरा का निर्वाह

हर बार की तरह इस बार भी कानून मंत्रालय ने निवर्तमान CJI से उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी। सीजेआई गवई ने परंपरा का पालन करते हुए वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत का नाम आगे बढ़ाया। इस सिफारिश के बाद अब नियुक्ति की औपचारिक प्रक्रिया शुरू होगी और राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। वे इस समय सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ जज हैं। उन्होंने वर्ष 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से स्नातक किया और 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से कानून की पढ़ाई पूरी की।

इसी वर्ष उन्होंने हिसार की जिला अदालत से वकालत शुरू की और जल्द ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी पहचान बनाई।

  • 2004: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।

  • 2018: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।

  • 2019: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए।

न्याय के क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण

जस्टिस सूर्यकांत को संतुलित दृष्टिकोण, संवेदनशील मामलों में व्यावहारिक निर्णय और न्यायिक दक्षता के लिए जाना जाता है। वे कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं और शिक्षा, पर्यावरण एवं प्रशासनिक जवाबदेही जैसे क्षेत्रों में उनके फैसलों ने नई दिशा दी है।    Justice Surya Kant

अगली खबर पढ़ें

देवउठनी एकादशी 2025:1 नवंबर से होगी विवाह सीजन की शुरुआत

देवउठनी एकादशी 2025:1 नवंबर से होगी विवाह सीजन की शुरुआत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:55 AM
bookmark
भारत, जहां धार्मिक आस्था और परंपराओं का गहरा महत्व है वहां हर शुभ कार्य का आरंभ किसी विशेष मुहूर्त और अनुष्ठान के साथ होता है। ऐसे ही पवित्र अवसरों में से एक है देवउठनी एकादशी, जिसे हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी का आरंभ 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे होगा और तिथि का समापन 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:31 बजे होगा। इसलिए पंचांग के अनुसार यह पर्व 1 नवंबर को ही मनाया जाएगा। Devuthani Ekadashi जैसे-जैसे सर्दी का मौसम बढ़ता है वैवाहिक उत्सव की तैयारियां भी जोरों पर होती हैं। देवउठनी एकादशी से फिर से शहनाइयों की मधुर गूंज सुनाई देगी और विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।

देवउठनी एकादशी का इतिहास और महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल (संवत्सर की देवशयनी एकादशी से) योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश या नई शुरुआत नहीं की जाती। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पुनः जागते हैं और इसी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत संभव होती है। इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और तुलसी माता का पवित्र मिलन वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, घरों में दीपक जलाते हैं और भजन-कीर्तन में संलग्न होते हैं।

इस वर्ष के शुभ विवाह मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद नवविवाहितों के लिए कई शुभ तिथियां बन रही हैं। नवंबर 2025 में 2, 3, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखें विवाह के लिए अनुकूल मानी गई हैं। वहीं दिसंबर में 4, 5 और 6 तारीखें विशेष रूप से शुभ हैं। पंडितों के अनुसार, इस बार ग्रह-नक्षत्रों का संयोग अत्यंत शुभ है जिससे नवविवाहित जोड़ों के जीवन में स्थिरता, सौभाग्य और खुशहाली बनी रहेगी।

यह भी पढ़ें: एक साथ क्यों होती है सूर्य देव-छठी मैया की पूजा? छिपा है बड़ा शास्त्रीय रहस्य

शहरों में शादी सीजन की हलचल

शहरों और कस्बों में अब विवाह सीजन की रौनक दिखाई देने लगी है। वेडिंग हॉल, कैटरर्स, बैंड-बाजा, डेकोरेटर्स और मेकअप आर्टिस्ट की बुकिंग जोर-शोर से हो रही है। शॉपिंग मार्केट्स में भीड़ उमड़ रही है और पारंपरिक परिधान, ज्वेलरी और गिफ्ट्स की खरीदारी जोरों पर है।पुलिस प्रशासन ने भी ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि विवाह पर्व सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मनाया जा सके।

खुशियों का उत्सव

देवउठनी एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह खुशियों का उत्सव है। यह दिन नए रिश्तों की शुरुआत और जीवन में नई उमंग का प्रतीक है। जैसे ही विष्णु भगवान की निद्रा समाप्त होती है, पूरे देश में मांगलिक कार्यों का शुभ समय आरंभ होता है और शहनाइयों की मधुर गूंज हर ओर प्रसन्नता का संदेश देती है। Devuthani Ekadashi
अगली खबर पढ़ें

गूगल मैप को टक्कर देगा भारत का ‘नाविक’, सरकार ला रही नया नियम

गूगल मैप को टक्कर देगा भारत का ‘नाविक’, सरकार ला रही नया नियम
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Oct 2025 03:10 PM
bookmark
भारत सरकार अब एक बड़ा तकनीकी बदलाव करने जा रही है। जल्द ही देश में बनने वाले हर मोबाइल फोन में देसी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ (NaVIC) इनबिल्ट दिखाई देगा। इसका मकसद है भारतीय यूजर्स का डेटा देश के भीतर ही सुरक्षित रखना और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना। NaVIC App सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस दिशा में नियम बनाने पर विचार कर रही है जिसके तहत मोबाइल फोन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके डिवाइस में ‘नाविक’ ऐप पहले से इंस्टॉल हो। यह या तो गूगल मैप के साथ एक विकल्प के रूप में उपलब्ध होगा या फिर पूरी तरह से स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम के रूप में काम करेगा।

क्यों जरूरी है ‘नाविक’?

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार की सबसे बड़ी चिंता है भारतीय डेटा का देश से बाहर जाना। अभी ज्यादातर ऐप्स जिनमें गूगल मैप भी शामिल है, अपने सर्वर भारत के बाहर रखते हैं। ऐसे में भारतीय नागरिकों का लोकेशन और नेविगेशन डेटा विदेशी सर्वर पर स्टोर होता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा गोपनीयता दोनों के लिए खतरा बन सकता है। इसी वजह से सरकार चाहती है कि भारतीय तकनीक पर आधारित ऐप्स और सिस्टम्स को बढ़ावा दिया जाए। ‘नाविक’ इसी दिशा में एक अहम कदम है।

क्या है ‘नाविक’?

‘नाविक’ यानी Navigation with Indian Constellation भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक स्वदेशी सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम है। यह अमेरिका के GPS (Global Positioning System) की तरह काम करता है और भारत के साथ-साथ इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर क्षेत्र में बेहद सटीक लोकेशन जानकारी प्रदान करता है।

यह भी पढ़ें: आ गई देश की पहली सरकारी कैब सर्विस, भारत टैक्सी ऐप से ऐसे करें बुकिंग

डेटा सुरक्षा पर सरकार का फोकस

सरकार डेटा सुरक्षा को लेकर कई स्तरों पर काम कर रही है।  सभी सर्वर और चिप्स को अब भारत में निर्मित करने की दिशा में नियम बनाए जा रहे हैं। CCTV कैमरों में लगने वाले चिप्स भी भारतीय निर्माण के होंगे। सरकारी मंत्रालयों के ईमेल और डॉक्यूमेंट शेयरिंग सिस्टम को विदेशी सॉफ्टवेयर से हटाकर भारतीय कंपनी Zoho के प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित किया जा चुका है। इसके साथ ही हर सरकारी डेटा का सुरक्षा ऑडिट भी जारी है।

रेलवे और अन्य सेवाओं में भी होगा ‘नाविक’

‘नाविक’ को केवल मोबाइल ऐप तक सीमित नहीं रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे भी अपने नेविगेशन सिस्टम में ‘नाविक’ को जोड़ने की तैयारी में है। इसके लिए MapmyIndia (मैपल) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर जल्द हस्ताक्षर हो सकते हैं। NaVIC App