नेताजी बनेंगे अब डिजिटल ज्ञानी, विधानसभा में लगेगी AI की स्पेशल क्लास

नेताजी बनेंगे अब डिजिटल ज्ञानी, विधानसभा में लगेगी AI की स्पेशल क्लास
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calendar27 Nov 2025 10:35 AM
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उत्तर प्रदेश की राजनीति अब तकनीकी प्रगति की दिशा में नया मोड़ लेने जा रही है।  इतिहास में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के जनप्रतिनिधियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बुनियादी समझ देने के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जा रहा है। यह पहल के विधायकों को डिजिटल युग के अनुरूप तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।  Uttar Pradesh Samachar

लखनऊ विधानसभा भवन में किया जाएगा आयोजन

इस प्रशिक्षण सत्र का आयोजन 10 अगस्त को दोपहर 3 बजे से लखनऊ स्थित विधानसभा भवन में किया जाएगा। दो घंटे चलने वाली इस क्लास को IIT के विशेषज्ञ प्रोफेसर संबोधित करेंगे, जो विधायकों को बताएंगे कि AI क्या है, यह कैसे काम करता है, और शासन-प्रशासन में इसका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, यह प्रशिक्षण सत्र विधायकों की तकनीकी समझ को गहरा करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है ताकि वे नीतिगत फैसलों में उभरती तकनीकों की संभावनाओं को बेहतर ढंग से समझ सकें।

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AI की भूमिका पर विस्तार से होगी चर्चा

प्रशिक्षण में AI के मूल सिद्धांतों के साथ-साथ इसके कार्यक्षेत्र, संभावित उपयोग और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में इसकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा होगी। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि भविष्य में कैसे विधानसभा की प्रक्रियाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जा सकता है, जिससे पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही में इजाफा हो। यही नहीं, यूपी विधानसभा के आधिकारिक मोबाइल एप्लिकेशन में भी AI तकनीक को शामिल करने की योजना है, जिससे विधायकों को नीतिगत शोध, दस्तावेज़ों तक शीघ्र पहुंच और संसदीय कार्यों में डिजिटल सहायता मिल सकेगी।  Uttar Pradesh Samachar

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फिर कभी नहीं सुनाई देगी इस किसान योद्धा की वाणी

फिर कभी नहीं सुनाई देगी इस किसान योद्धा की वाणी
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calendar01 Dec 2025 11:04 AM
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किसानों के सबसे बड़े वकील के नाम से विख्यात सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) इस दुनिया में नहीं रहे। सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त को निधन हो गया। सत्यपाल मलिक का शरीर पूरा होते ही एक बड़ी आवाज भी बंद हो गई। सत्यपाल मलिक भारत के किसानों तथा मजदूरों के सच्चे समर्थक थे। सत्यपाल मलिक बिना किसी डर तथा बिना किसी लालच के किसानों की आवाज को बुलंदी के साथ उठाते रहे। सत्यपाल मलिक के निधना के साथ ही किसानों के बड़े योद्धा की वाणी भी हमेशा के लिए बंद हो गई। Satyapal Malik 

किसानों की आवाज का प्रतीक बने रहे सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक के जीवन पर प्रकाश डालें तो पता चलता है कि अपने पूरे जीवन सत्यपाल मलिक किसानों की आवाज का प्रतीक बनकर रहे। सत्यपाल मलिक का सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन एक छात्र नेता के रूप में उत्तर प्रदेश में स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से शुरू हुआ था। उन दिनों चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का नाम मेरठ विश्वविद्यालय हुआ करता था। मेरठ विश्वविद्यालय में पढ़ते समय सत्यपाल मलिक ने देखा कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले किसान परिवारों के छात्रों की आवाज दबाई जाती है। फिर क्या था सत्यपाल मलिक किसान परिवारों से आने वाले छात्र-छात्राओं की आवाज बन गए। यह आवाज किसानों के हित की सबसे बड़ी आवाज थी। सत्यपाल मलिक के साथ पढऩे वाले प्रसिद्ध शिक्षाविद आनंद चौहान बताते हैं कि सत्यपाल मलिक का भाषण इतना प्रभावशाली होता था कि उनका भाषण सुनकर तमाम छात्र उनके समर्थक बन गए थे। इस प्रकार सत्यपाल मलिक एक बड़े छात्र नेता के रूप में स्थापित होते चले गए थे।

सत्यपाल मलिक का शुरूआती जीवन संघर्षों से भरा हुआ था

प्रसिद्ध मीडिया हाउस BBC हिन्दी ने सत्यपाल मलिक का जीवन परिचय देते हुए बताया है कि, सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश में बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ। सत्यपाल मलिक जब दो साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था। सत्यपाल मलिक को राजनीति में चौधरी चरण सिंह लेकर आए थे। 1974 में उन्होंने चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज 28 साल की उम्र में विधानसभा पहुंच गए। पहला विधानसभा चुनाव सत्यपाल मलिक ने करीब दस हजार वोटों के अंतर से जीता था। 1980 में लोकदल पार्टी से राज्यसभा पहुंचे, लेकिन चार साल बाद ही उन्होंने उस कांग्रेस का दामन थाम लिया जिसके शासनकाल में लगी इमरजेंसी का विरोध करने पर वो जेल गए थे। 1987 में राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले का आरोप लगा, जिसके खिलाफ विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मोर्चा खोल दिया था और इसमें सत्यपाल मलिक ने उनका साथ दिया। कांग्रेस को छोड़कर सत्यपाल मलिक ने जन मोर्चा पार्टी बनाई जो साल 1988 में जनता दल में मिल गई। 1989 के आम चुनावों में सत्यपाल मलिक ने यूपी की अलीगढ़ सीट से चुनाव लड़ा और पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और अलीगढ़ से चुनाव लड़ा। अलीगढ़ में उनकी बुरी हार हुई। वे चौथे नंबर पर रहे। उन्हें कऱीब 40 हज़ार वोट पड़े, जबकि जीतने वाले उम्मीदवार को कऱीब दो लाख तीस हज़ार वोट पड़े थे। इस चुनाव के परिणाम से उनकी जाट नेता वाली छवि पर भी असर पड़ा था। अपने सियासी सफर में सत्यपाल मलिक कऱीब तीस साल तक समाजवादी विचारधारा से जुड़े रहे, लेकिन 2004 में वे बीजेपी में शामिल हुए और पार्टी के टिकट पर चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह के खिलाफ बागपत से चुनाव लड़े। यह चुनाव भी उनकी जाट नेता की अस्मिता के लिए एक परीक्षा की तरह था, लेकिन इसमें वे फ़ेल साबित हुए। अजित सिंह को करीब तीन लाख पचास हजार वोट पड़े तो तीसरे नंबर पर रहे सत्यपाल मलिक को करीब एक लाख वोट मिले। 2005-2006 में उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी का उपाध्यक्ष, 2009 में भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया। "हार के बावजूद बीजेपी ने सत्यपाल मलिक को अपने साथ रखा। 2012 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। ये वो दौर था जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी ज़मीन तलाश रही थी और उसे एक जाट लीडर की तलाश थी।" "उसी समय सत्यपाल मलिक का नरेंद्र मोदी के साथ व्यक्तिगत संवाद हुआ और संबंध बना।" 2014 में बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर आए तब सत्यपाल मलिक को 30 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। करबब 11 महीने बिहार का राज्यपाल रहने के बाद अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग हुई, जिसके बाद राज्य का सारा प्रशासन उनके हाथ में आ गया। इसी दौरान पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक वह गोवा के और अगस्त 2020 से अक्तूबर 2022 तक वह मेघालय के राज्यपाल रहे।

प्रधानमंत्री के बड़े विरोधी बन गए थे सत्यपाल मलिक

आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों से सत्यपाल मलिक लगातार कई मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे, फिर चाहे वह किसान आंदोलन हो या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो। उनके कई बयानों ने खासा विवाद पैदा किया। 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में विस्फोटकों से भरी गाड़ी, सीआरपीएफ के 70 बसों के काफि़ले में चल रही एक बस से भिड़ा दी गई थी। इस आत्मघाती हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। इस हमले के लिए सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को जि़म्मेदार बताया था। उन्होंने कहा कि जम्मू से श्रीनगर पहुंचने के लिए सीआरपीएफ को पांच एयरक्राफ्ट की जरूरत थी। उन्होंने गृह मंत्रालय से एयरक्राफ़्ट मांगे थे, लेकिन उन्हें नहीं दिए गए। एयरक्राफ़्ट दे देते तो ये हमला नहीं होता क्योंकि इतना बड़ा काफिला सड़क से नहीं जाता। सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि जब यह जानकारी उन्होंने प्रधानमंत्री को दी और अपनी ग़लती के बारे में बताया तो पीएम ने कहा, "आप इस पर चुप रहिए।" सत्यपाल मलिक के इस आरोप पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया था। साल 2023 में एक निजी चैनल के इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "जब आप सत्ता में हैं तो आत्मा क्यों नहीं जागती। अगर यह सब सच है, तो राज्यपाल रहते हुए वह चुप क्यों थे। ये सार्वजनिक चर्चा के मुद्दे नहीं हैं।" 5 अगस्त 2019 को केंद्र की बीजेपी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। मलिक ने दावा किया था कि इतने बड़े फैसले की जानकारी उन्हें महज़ एक दिन पहले दी गई। उन्होंने बताया, "कुछ नहीं पता था, एक दिन पहले शाम को गृह मंत्री का फोन आया कि सत्यपाल मैं एक चिट्ठी भेज रहा हूं, सुबह अपनी कमेटी से पास करा के 11 बजे से पहले भेज देना।"

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भ्रष्टाचार पर बात करते हुए उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर और गोवा का राज्यपाल रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को कई बार प्रधानमंत्री के सामने उठाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सत्यपाल मलिक का कहना था कि प्रधानमंत्री के करीबी लोग उनके पास जम्मू-कश्मीर में दलाली का काम लेकर आए, जिसमें उन्हें 300 करोड़ रुपये का ऑफऱ दिया गया था। इस काम को करने से उन्होंने मना कर दिया। इस मामले में सीबीआई ने उनसे पूछताछ भी की थी। बीजेपी नेता राम माधव ने सत्यपाल मलिक के आरोपों को निराधार बताया था और उन्हें मानहानि का नोटिस भेजा था। अग्निवीर योजना का विरोध करते हुए मलिक ने कहा था, "अग्निवीर योजना हमारी फौजों को, जवानों को नीचा दिखाने का काम करेगी।" इस प्रकार सत्यपाल मलिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे बड़े विरोधी बन गए थे। पूरे जीवन किसानों की आवाज बनकर गूंजने वाली सत्यपाल मलिक की आवाज अब शांत हो गई है। Satyapal Malik 
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यूपी के इस शहर में हाईटेक आशियाने की सौगात, 10 हजार परिवारों को मिलेगा घर

यूपी के इस शहर में हाईटेक आशियाने की सौगात, 10 हजार परिवारों को मिलेगा घर
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calendar01 Dec 2025 01:09 PM
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Uttar Pradesh Samachar : उत्तर प्रदेश के एक जिले को बहुत जल्द एक नई पहचान मिलने जा रही है। उत्तर प्रदेश के इस शहर को मिलने जा रहा है एक आधुनिक, सुव्यवस्थित और हाईटेक टाउनशिप। लंबे समय से प्रतीक्षित अटल पुरम आवासीय योजना का मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधिवत शिलान्यास कर जिला वासियों को बड़ी सौगात दी है। यह योजना न केवल शहर की तस्वीर बदलने जा रही है, बल्कि यहां के रियल एस्टेट सेक्टर को भी नई उड़ान देगी।

340 एकड़ में फैली नई टाउनशिप

इस हाईटेक टाउनशिप से ताजनगरी आगरा को अब एक और नई पहचान मिलने जा रही है। यह पूरी आवासीय योजना आगरा के इनर रिंग रोड के पास 340 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जा रही है। योजना की कुल लागत 1515 करोड़ है और इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। खास बात यह है कि जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा भुगतान किया गया है। कुल 784 करोड़ में अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी की गई। इससे यह योजना सामाजिक सहमति और पारदर्शिता की मिसाल बन गई है।

किसे मिलेगा लाभ?

अटल पुरम योजना में कुल 1430 प्लॉट होंगे, जिसमें ग्रुप हाउसिंग, इंडिविजुअल प्लॉट्स और कमर्शियल प्लॉट्स शामिल हैं। योजना में *मध्यम वर्गीय* परिवारों से लेकर *हाई-सोसायटी* वर्ग के लोगों तक के लिए विकल्प मौजूद हैं। इससे 10,000 से अधिक परिवारों को आधुनिक सुविधाओं से लैस घर मिलने की उम्मीद है। योजना सिर्फ घरों तक सीमित नहीं है। यह एक स्मार्ट टाउनशिप की अवधारणा को साकार करती है। इसमें होगा: * सीवरेज सिस्टम * वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट * अंडरग्राउंड यूटिलिटी डक्ट्स * पुलिस चौकी और फायर स्टेशन * इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर

8 अगस्त से शुरू हो रही है बुकिंग

योजना की बुकिंग 8 अगस्त से शुरू हो रही है। पहले चरण के बाद, अगले चरणों की बुकिंग अलग-अलग समय पर खोली जाएगी। टाउनशिप को 11 सेक्टरों में विभाजित किया गया है और इसका रोडमैप पहले ही तैयार हो चुका है। यह योजना केवल एक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि आगरा के भविष्य की रूपरेखा है। अटल पुरम न केवल रहन-सहन के स्तर को ऊंचा करेगा, बल्कि आगरा को उत्तर भारत के तेजी से विकसित होते शहरी केंद्रों में एक नई पहचान भी देगा। Uttar Pradesh Samachar :