Political News : दीपावली बाद होगा नोएडा व जिला अध्यक्ष का चयन

Congress
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:40 AM
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Political News  : नोएडा/ग्रेटर नोएडा। वर्ष-2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मददेनजर कांग्रेस ने अभी से संगठनात्मक तैयारी शुरू कर दी है। इसी के तहत जहां प्रदेश अध्यक्ष तथा प्रांतीय अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गयी है। वहीं अब जिला व महानगर अध्यक्षों के बदलाव की भी तैयारी चल रही है।

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कल लखनऊ में पांच प्रांतीय अध्यक्षों को संबंधित क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद  जिला अध्यक्षों के चयन की कवायद शुरू हो जाएगी। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो दीपावली बाद सभी जिला व महानगर अध्यक्षों का चयन हो जाएगा। पार्टी के अंतरंग सूत्रों पर यकीन करें तो नोएडा महानगर तथा गौतमबुद्धनगर जिला अध्यक्ष के पद पर भी बदलाव की कवायद शुरू हो गयी है। इस बार नोएडा महानगर में किसी ब्राह्मïण को अध्यक्ष बनाने की तैयारी चल रही है। वहीं जनपद में किसी गुर्जर बिरादरी के कार्यकर्ता की ताजपोशी हो सकती है। नोएडा महानगर में ब्राह्मïणों में पार्टी के उपाध्यक्ष व जिला मीडिया प्रभारी पवन शर्मा का नाम प्रमुखता से चल रहा है। वहीं इस दौड़ में पूर्व पीसीसी सदस्य सतेन्द्र शर्मा भी दावेदारी कर रहे हैं। जबकि जनपद में युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव दीपक भाटी चोटीवाला का नाम प्रमुखता से चल रहा है। हालांकि अध्यक्ष पद की दौड़ में अन्य गुर्जर कार्यकर्ता भी अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं। पवन शर्मा व दीपक भाटी पुराने कर्मठ, समर्पित तथा सक्रिय कांग्रेस कार्यकर्ता हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मिलेगा पश्चिमी उप्र का प्रभार सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में इस बार पांच प्रांतीय अध्यक्ष बनाये गये हैं। पश्चिमी उप्र में नसीमुद्दीन सिद्दीकी को प्रभार सौंपा जा सकता है। वे इसके पूर्व बसपा में थे तथा उनका काफी गहन सांगठनिक अनुभव भी है। कल लखनऊ में होने वाली बैठक में सिददीकी के नाम का ऐलान होने की पूरी उम्मीद है।
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Political News : पीएम नरेन्द्र मोदी के बड़े विरोधी आगे की क्या कर रहे हैं तैयारी

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BJP Leader Satpal Malik
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 07:55 PM
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Political News : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बड़े विरोधी और केन्द्र सरकार द्वारा बनायी जाने वाली किसान नीतियों का मुखर विरोध करने वाले पूर्व राज्यपाल व भाजपा नेता इन दिनों किसानों के एक बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। सब जानते हैं कि वर्ष-1974 में उप्र के बागपत से विधायक का चुनाव जीतकर सतपाल मलिक नाम के एक युवक का राजनैतिक सफर शुरू हुआ। राजनीति में लम्बे अनुभव के बाद उन्हें 23 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। लगभग एक वर्ष तक वह बिहार के राज्यपाल रहे। 23 अगस्त 2018 में उन्हें आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। 3 नवंबर 2019 में वे गोवा के राज्यपाल बने और 18 अगस्त 2020 में उन्हें मेघालय का राज्यपाल बनाया गया। हाल ही में उन्होंने मेघालय के राज्यपाल का कार्यकाल खत्म किया है और अब आगे की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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सतपाल मलिक ने राज्यपाल के पद पर रहने के बावजूद कभी भी सरकार की हां में हां नहीं मिलाई। किसानों को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा बनाई जाने वाली किसान विरोधी नीतियों का उन्होंने हमेशा विरोध किया और हमेशा किसानों के हक में खड़े रहे। मेघालय के राज्यपाल का कार्यकाल खत्म करने के बाद सतपाल मलिक 5 अक्टूबर 2022 को अपने पैतृक गांव बागपत जिले के हिसावदा पहुंचे, जहां उनका बड़ी संख्या में मौजूद किसानों, मजदूरों एवं उनके समर्थकों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। ग्रामीणों को संबोधित करते हुए सतपाल मलिक ने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार किसानों को बर्बाद करने पर आमादा है। प्रधानमंत्री ने माफी मांगकर पूरे देश के सामने तीन काले कृषि कानून वापस लिए थे और जल्द से जल्द एमएसपी यानि (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) लागू करने के लिए कहा था, लेकिन उसे अब तक लागू नहीं किया गया है। महंगाई और बेरोजगारी से पूरा देश आज परेशान हैं। गन्ना किसानों के करोड़ों रुपये के बकाये का भुगातन नहीं हुआ है और सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर किसानों के बेटों के सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। श्री मलिक ने कहा कि किसान विरोधी केन्द्र सरकार के खिलाफ सबको एकजुट होना पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद सतपाल मलिक अब खुलकर केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहते हैं। श्री मलिक अपने बलबूते पर देश में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं। इसके बैंकग्राउंड में मेरठ में सतपाल मलिक की छात्र राजनीति का दौर है। श्री मलिक देश के पूर्व प्रधानमंत्री व किसानों के मसीहा रहे चौधरी चरण सिंह के अनन्य भक्त रहे हैं और किसानों के हित की आवाज उठाना उनके खून, व्यवहार और नीयत में शामिल है।

Pm Modi News : पीएम मोदी सूरत में रखी 3,400 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं की बुनियाद

अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि वे किस प्रकार किसान आंदोलन खड़ा करते हैं। कुछ पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे कोई नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं, राजनीति तो उन्होंने जीवनभर कर ली है। अब तो वे किसानों व मजदूरों की मुसीबतों का सम्पूर्ण समाधान चाहते हैं।
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Political News : सोनिया के भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ने से समर्थक उत्साहित

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Sonia joining India Jodo Yatra
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:12 AM
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Political News : सोनिया गांधी आज राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ गईं। उनके साथ आने से राहुल के साथ ही कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज हो गए। राहुल ने राहुल ने कंधे पर हाथ रखकर मां का स्वागत किया। इसके बाद यात्रा में मौजूद महिला नेताओं ने सोनिया गांधी का हाथ थाम लिया। करीब 15 मिनट तक पैदल चलने के बाद राहुल ने सोनिया को वापस कार में भेज दिया। हालांकि कुछ देर आराम करने के बाद सोनिया फिर से पैदल यात्रा में शामिल हो गईं। सोनिया एक महीना पहले ही कोरोना से उबरी हैं। अभी सोनिया का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है।

Political News :

कर्नाटक से सोनिया गांधी का गहरा संबंध है। जब कभी गांधी परिवार पर राजनीतिक संकट आया है, तब दक्षिण भारत ने उसे मुश्किल से उबारा है। भारत की दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दक्षिण भारत की सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा है। इमरजेंसी के बाद जब इंदिरा गांधी की सरकार चली गई थी। साल-1980 में जब उन्हें एक सुरक्षित लोकसभा सीट की जरूरत थी, तब उन्होंने कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लड़ा था। इंदिरा गांधी ने आंध्र प्रदेश के मेंडक और यूपी के रायबरेली से नामांकन दाखिल किया था। हालांकि, बाद में उन्होंने रायबरेली की सीट छोड़ दी थी। सोनिया गांधी भी कर्नाटक के बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को यूपी की अमेठी सीट से हारने का डर था। ऐसे में उन्होंने बेल्लारी से नामांकन दाखिल किया और अपने नामांकन को लेकर गोपनीयता रखने की कोशिश की। हालांकि बीजेपी को यह बात पता चल गई और उन्होंने सोनिया के खिलाफ सुषमा स्वराज को मैदान में उतार दिया। सुषमा स्वराज इस सीट से 56 हजार के वोटों से हार गई थीं। यही नहीं, जब 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को लगा कि वो अमेठी से चुनाव हार जाएंगे तो उन्होंने केरल के वायनाड से चुनाव लड़ा।