Javed Akhtar : मशहूर गीतकार, शायर और लेखक जावेद अख्तर (Javed Akhtar) अक्सर हर मुद्दों पर बात करते हैं। जिसके चलते उन्हें कई बार ट्रोलर्स का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में जावेद अख्तर एक बार फिर चर्चाओं में आ गए हैं। दरअसल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर ने अपनी हद पार करते हुए Javed Akhtar को एक ऐसी बात कह दी। जिसके बाद उनका गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा और उन्होंने ट्रोलर्स की क्लास लगा दी।
Javed Akhtar
‘शोले’, ‘दीवार’ और ‘जंजीर’ जैसी आइकॉनिक फिल्में लिखने वाले जावेद अख्तर इन दिनों चर्चाओं में आ गए हैं। हाल ही में बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक फिल्में और गाने लिखने वाले जावेद अख्तर सोशल मीडिया पर काफी गुस्से में नजर आएं। दरअसल एक्स पर एक यूजर ने मजाकिया पोस्ट कर जावेद अख्तर को ट्रोल करते हुए उनके पिता की देशभक्ति पर सवाल दागा। जिसके बाद जावेद अख्तर बुरी तरह से भड़क गए और ट्रोलर्स को पूरी गर्मी के साथ करारा जवाब दिया। चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
बिगड़ा जावेद के पोस्ट का माहौल
बता दें जावेद अख्तर ने अमेरिका के इलेक्शन पर एक मजाकिया पोस्ट करते हुए लिखा था कि, ‘मैं अपनी आखिरी सांस तक भारत का एक प्राउड सिटिजन हूं और हमेशा रहूंगा लेकिन जो बाईडेन और मुझमें एक कॉमन फैक्ट है। यूएसए का अगला राष्ट्रपति बनने का हमारा चांस एकदम बराबर है।’ जावेद अख्तर के इस पोस्ट का माहौल बुरी तरह से बिगड़ गया। जिसके बाद एक यूजर ने जावेद अख्तर के मजहब को टारगेट करते हुए लिखा कि ‘पाकिस्तान बनने में उनके पिता का बड़ा योगदान’ था। इस यूजर ने हद पार करते हुए जावेद अख्तर को ‘गद्दार का बेटा’ तक कह दिया।
Javed Akhtar ने दिया करारा जवाब
ट्रोलर्स को हद पार करते देख जावेद गुस्से से लाल-पीले हो गए और उन्होंने उसे ‘पूरी तरह बेवकूफ’ कहते हुए अपने खानदान की विरासत याद दिलाते हुए जवाब में लिखा, ‘मुझे नहीं पता तुम बिल्कुल अज्ञानी को या पूरी तरह बेवकूफ। 1857 से मेरा परिवार स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहा है और जेल और काला पानी जा चुका है, पूरी संभावना है कि शायद तब तुम्हारे बाप-दादा अंग्रेज सरकार के जूते चाटते रहे हो।’ इतना ही नहीं जावेद का जवाब सुनकर दूसरे यूजर भी इस वार्तालाप पर कूद पड़े और उन पर सवाल दागते हुए कहा, उनके कौन से पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम में लड़ते हुए काला पानी गए थे? जिसके बाद जावेद अख्तर ने लिखा, ‘मेरे परदादा फजले हक खैराबादी को 1859 में कोलकाता से, फायर क्वीन नाम के एक जहाज से अंडमान भेजा गया था। वहां उन्होंने एक किताब लिखी थी ‘बागी हिंदुस्तान।’ अब इसे इंग्लिश में ट्रांसलेट किया जा रहा है। उनकी कब्र अंडमान में है। उनके बारे में गूगल कर लीजिए।’
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