Himachal Pradesh Political News : प्रियंका गांधी ने सोलन में बेरोजगारी, महंगाई ,भ्रष्टाचार का मसीहा बताया भाजपा सरकार को।

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Priyanka Gandhi in Himachal Pradesh
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calendar01 Dec 2025 04:21 PM
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Himachal Pradesh Political News : हिमाचल प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा किए जाने से पूर्व कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों की तैयारियों का शुक्रवार को शंखनाद सोलन से किया । कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी में आज सोलन में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए , भ्रष्टाचार , महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा की डबल इंजन की सरकार को जमकर कोसा तथा भाजपा पर चौतरफा हमला किया। प्रियंका गांधी ने अपने संबोधन में कहा की केंद्र की सरकार हो या हिमाचल सरकार जनहित के मुद्दो से भटक रही है व बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी , भ्रष्टाचार के मुद्दे से भटक कर जनता को बरगला रही है । विकास नगण्य हैं व झूठे प्रचार , प्रसार से जनता को लुभाने का प्रयास कर रही है । प्रियंका गांधी ने कहा की कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कर्मचारियों को ओपिएस लागू की जाएगी । महिलाओं को 1500 रुपए भत्ता दिया जाएगा । साथ ही सभी वर्गो के कल्याण के लिए कार्य किया जाएगा। [video width="352" height="640" mp4="https://test.chetnamanch.com/wp-content/uploads/2022/10/VID-20221014-WA0013.mp4"][/video]
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Himachal Pradesh Elections Date: हिमाचल में बजा चुनावी बिगुल

CEC
Himachal Pradesh Elections Date
locationभारत
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calendar14 Oct 2022 09:21 PM
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Himachal Pradesh Elections Date: हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज चुनाव आयोग द्वारा कर दिया गया है। सीईसी राजीव कुमार ने बताया कि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग, विकलांग या कोविड संक्रमित जो वोट देना चाहते हैं लेकिन पोलिंग बूथ तक नहीं आ सकते हैं, आयोग ऐसे वोटरों के घर जाकर उन्हें मतदान करने की सुविधा देगा। हिमाचल प्रदेश में एक फेस में मतदान होगा। 12 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 8 दिसंबर को होगी।

Himachal Pradesh Elections Date

हिमाचल प्रदेश की तारीखें दिल्ली में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि चुनाव आयोग ने बताया कि 17 अक्तूबर को गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। वहीं, नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्तूबर है। नामांकन की जांच 27 अक्तूबर तक जारी रहेगी। उम्मीदवार 29 अक्तूबर तक अपना नाम वापस ले सकेंगे। 12 नवंबर को हिमाचल में एक ही चरण में मतदान हो जाएगा। इसके बाद 8 दिसंबर को मतगणना के बाद नतीजे घोषित कर देंगे। राज्य में चुनाव प्रक्रिया पूरी करने की अंतिम तिथि 10 दिसंबर है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 55 लाख वोटर हैं। इनमें 27 लाख 80 हजार पुरुष और 27 लाख 27 हजार महिलाएं हिस्सा लेंगी। चुनाव में शामिल सेवा कर्मियों की संख्या 67 हजार 532 होगी। इसके अलावा PWD 56,001 होगी। इसके अलावा 80 साल से ज्यादा उम्र के 1.22 लाख मतदाता हैं। इसके साथ ही 1184 मतदाता ऐसे हैं, जिनकी उम्र 100 साल से ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में बहुत सारे त्यौहार में हम इलेक्शन कमीशन को जोड़ रहे हैं। सबकी भागीदारी आने वाले चुनावों में होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग – ईसी 3 व्यापक उद्देश्यों के साथ काम कर रहा है। स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी, सुलभ और प्रलोभन मुक्त चुनाव आयोजित करें। परेशानी मुक्त और आरामदायक मतदान अनुभव। अधिकतम मतदाता भागीदारी। सीईसी राजीव कुमार ने बताया कि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोग, विकलांग या कोविड संक्रमित जो वोट देना चाहते हैं लेकिन पोलिंग बूथ तक नहीं आ सकते हैं, आयोग ऐसे वोटरों के घर जाकर उन्हें मतदान करने की सुविधा देगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि तकनीक सभी की भागीदारी और पारदर्शिता में मददगार होगी। नागरिक चुनाव आयोग के cVigil ऐप से किसी भी प्रकार की चुनावी गड़बड़ी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हर अलर्ट पर 100 मिनट में कार्रवाई की जाएगी।

आपको बता दें कि निर्वाचन आयोग ने हाल ही में चुनाव संबंधी तैयारियों का जायजा लेने के लिए हाल ही में दोनों राज्यों का दौरा किया था। गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है। पिछली बार हिमाचल प्रदेश में नौ नवंबर को एक ही चरण में चुनाव हुआ था, जबकि गुजरात में नौ और 14 दिसंबर को दो चरणों में वोटिंग हुई थी। 18 दिसंबर को दोनों राज्यों के चुनाव नतीजे आए थे। गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है। 182 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 111 विधायक भाजपा के हैं, जबकि कांग्रेस के पास 62 विधायक हैं। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 8 जनवरी 2023 को खत्म होगा। 68 सीटों वाली इस विधानसभा में भाजपा के पास 45 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 20 एमएलए हैं।

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Exclusive : भारत में लाइलाज हो चुकी है एक भयंकर बीमारी

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Accidental Death
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:21 AM
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चारूल अग्रवाल Exclusive : इस आलेख में जो बात आपके सामने आने वाली है उसे सुनकर आप अंदर तक हिल जाएंगे। जी हां बात है ही इतनी गंभीर। दरअसल मैं बात कर रहा हूं अपने देश में फैली एक खतरनाक बीमारी की। इस बीमारी के कारण हमारे देश में हर साल डेढ़ लाख मौत हो जाती हैं और हां ये बीमारी कोविड की तरह कोई कुदरती बीमारी नहीं है। इस बीमारी को हम इंसानों ने पैदा कर रखा है। यहां बात कर रहे हैं हर साल डेढ़ लाख लोगों की जान लेने वाली बीमारी की। जी हां हमारे देश में हर साल 5 लाख एक्सीडेंट यानि सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इन दुर्घटनाओं में हर साल डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। आखिर इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है। हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रोड कांग्रेस सम्पन्न हुई है।

Exclusive :

11 सालों बाद उत्तर प्रदेश की मेजबानी में हुई इस रोड कांग्रेस में दुनिया भर के 15 सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह कांग्रेस 9 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चली। इंडियन रोड कांग्रेस की स्थापना भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता से भी पूर्व सन 1934 में जयकर समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी यह संस्था भारत में सड़कों एवं पुल के डिजाइन एवं निर्माण हेतु सबसे बड़ी संस्था है यह देश में हाईवे का निर्माण करने वाले इंजीनियर्स की सबसे बड़ी संस्था है।

Exclusive :

इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यूपी को 5 लाख करोड़ रुपए की सड़क परियोजनाएं देने का ऐलान किया उसके साथ ही उन्होंने उद्घाटन के समय ही यूपी के लिए 8000 करोड रुपए की सड़क परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगले 15 माह में यूपी  में सड़कों का नेटवर्क अमेरिका के बराबर होगा। लेकिन सवाल ये है कि क्या सड़क सुरक्षा भी अमेरिका जैसी होगी ? इस इंडियन रोड कांग्रेस के पूर्व मात्र 10-15 दिनों के अंदर ही हुए भयानक सड़क हादसों का ही जिक्र करें तो जहां उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 26 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं उत्तराखंड के पौड़ी में बारातियों से भरी बस खाई में गिरने से 32 लोगों की जान चली गई। गुजरात के आनंद में कार व ट्रक की टक्कर में एक ही परिवार के 10 लोगों की मौत हो गई। यह हमारे देश में सड़क सुरक्षा की मौजूदा स्थिति के उदाहरण मात्र है अन्यथा स्थिति तो यह है कि हर दिन सुबह अखबार खोलते ही देश के किसी न किसी हिस्से में किसी न किसी सड़क दुर्घटना की कोई न कोई खबर जरूर होगी। ये सड़क दुर्घटनाये हमारी पूरी व्यवस्था को निकम्मा साबित करने के लिए काफी है। ये सड़क दुर्घटनाये हमारी परिवहन व्यवस्था एवं हादसों से निपटने की पूरी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। किसी भी हादसे के बाद सबसे पहले मदद के लिए जो लोग उपस्थित होते हैं वे आसपास के गांव के ग्रामीण होते हैं ऐसे हादसों से निपटने तथा  घायलों की प्राथमिक चिकित्सा का कोई प्रशिक्षण उन्हं नहीं मिला होता है जो केवल सहानुभूति एवं मानवता के नाते से मदद के लिए आगे आते हैं वह व्यवस्था पता नहीं कहां सोई रहती है जिसकी जिम्मेदारी ना केवल ऐसे हादसों को रोकने की है वरन घटना घट जाने पर तत्काल मदद मुहैया कराने की भी है   आखिर सड़क दुर्घटनाएं एवं सड़कों पर प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मौत हमारे राष्ट्रीय एजेंडए में प्राथमिकता पर क्यों नहीं है क्या यह मौतें संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो  ठ्ठष्ह्म्ड्ढके मुताबिक वर्ष 2021 में देशभर में लगभग 4.03 लाख  सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई जिनमें डेढ़ लाख से अधिक लोगो की मौत हो गई और 371000 लोग घायल हुए देशभर में हर घंटे करीब 18 और हर दिन 426 लोग सड़क दुर्घटना में जान गवा देते हैं

Bigg Boss 16 Exclusive- घर से बेघर हुई श्रीजिता डे

81वी इंडियन रोड कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अपने भाषण में स्वयं ही स्वीकार किया गया कि उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 20000 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गवा देते हैं जबकि उत्तर प्रदेश में 2 वर्षों तक चली वैश्विक महामारी के दौरान भी कुल 23000 लोगों की जान गई इसी से सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के क्वांटम (साइज) को समझा जा सकता है कि सड़क दुर्घटनाये वैश्विक महामारी कोरोना से भी अधिक खतरनाक हो चुकी है एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वाहनों की संख्या दुनिया के कुल वाहनों का 3 प्रतिशत है जबकि दुनिया भर में सड़क हादसों में जितनी मौतें होती हैं उनमें से भारत  में होने वाली मौतें  12.06 प्रतिशत है।

भारत में हर साल 1.5 लाख लोगो की जान ले लेती है ये बीमारी ! Nitin Gadkari | IRC | Manthan Ep.72

सरकार का कहना है कि सड़क हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक नियम न केवल सख्त किए गए हैं बल्कि उनका सख्ती से अनुपालन भी कराया जा रहा है सड़कों के निर्माण में भी गुणात्मक सुधार किए जा रहे हैं किंतु यह सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं प्रति हजार वाहनों की तुलना में मृत्यु का प्रतिशत जो कि 2020 में 0.45 था 2021 में बढ़कर 0.53 हो गया उत्तर प्रदेश  सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के आंकड़ों में सबसे ऊपर रहा रहा 2021 में हुई कुल मौतों में से 14 प्रतिशत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई। यहां यह भी बता दूं कि नेशनल हाईवे सड़क हादसों एवं मौतों की दृष्टि से सर्वाधिक घातक है। कुल सड़क मार्ग में जहां नेशनल हाईवेज का हिस्सा मात्र 2.1 प्रतिशत है। वही कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 30.3 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं इन्हीं हाईवेज पर होती हैं।

Corruption in Loni : देश की राजधानी की बगल में मौजूद लोनी में चल रहा है बड़ा ‘खेला’

भारतीय रोड कांग्रेस सालाना डेढ़ लाख से भी अधिक जाने वाली जिंदगियों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम उठाये जा सके और कोई गंभीर परिणाम  देने वाली पहल की जा सके तभी इस संगठन की सार्थकता है अन्यथा यह मात्र कागजी संगठन ही बनकर रह जाएगा। आइए सरकार के साथ ही हम सभी भी ट्रैफिक नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करें सड़क हादसे में घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाए इस तरह सड़क हादसों को रोकने में थोड़ा ही सही पर हम भी योगदान अवश्य करें।