योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर रोक, मुस्लिम व्यक्ति ने मंदिर की जमीन पर हक जताया

मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है और काम रोकने को कहा। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। इसके कारण मंदिर के महंतों और अखाड़ा परिषद के संतों में नाराजगी फैल गई। अखाड़ा परिषद ने शिकायत दर्ज कराई और प्रशासन में हड़कंप मच गया।

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मंदिर पर रोक के बाद खड़े संत
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar16 Nov 2025 05:45 PM
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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्राचीन अलखनाथ मंदिर में चल रहे सौंदर्यीकरण और कॉरिडोर निर्माण का काम अचानक रुक गया। एक मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है और काम रोकने को कहा। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। इसके कारण मंदिर के महंतों और अखाड़ा परिषद के संतों में नाराजगी फैल गई। अखाड़ा परिषद ने शिकायत दर्ज कराई और प्रशासन में हड़कंप मच गया। मंदिर परिसर में पुराने दुकानों को हटाने के बाद पर्यटन विभाग ने निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन इस विवाद के कारण ठेकेदार और मजदूरों ने काम रोक दिया।

अलखनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

मंदिर लगभग 6500 वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर का परिसर लगभग 84 बीघा भूमि में फैला है। यह मंदिर आनंद अखाड़ा नागा संतों के अधीन है। महंत कालू गिरी का कहना है कि कुछ लोग झूठे दावे करके मंदिर भूमि पर विवाद खड़ा कर रहे हैं। मंदिर की जमीन पर किसी ने पहले दावा नहीं किया था, इसलिए यह अचानक उत्पन्न विवाद है। इसीलिए यह दावा विवाद को जन्म देने के लिए किया गया लगता हैनाथ नगरी कॉरिडोर की विशेषताएँ

कॉरिडोर के तहत 32.5 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग बनाया जा रहा है। मार्ग में बरेली के सात प्रमुख शिव मंदिर शामिल हैं।

 1. धोपेश्वरनाथ

 2. तपेश्वरनाथ

 3. अलखनाथ

 4. वनखंडीनाथ

 5. पशुपतिनाथ

 6. त्रिवटीनाथ

 7. मढ़ीनाथ

मार्ग में भक्तों को काली देवी मंदिर, तुलसी स्थल, बांके बिहारी मंदिर, आनंद आश्रम, हरि मंदिर, रामायण मंदिर और नौ देवी मंदिर के दर्शन भी मिलेंगे। परियोजना पूरी होने पर यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत आकर्षक और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण स्थल बनेगी। पैदल चलने में असमर्थ भक्तों के लिए ई-रिक्शा और टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध होगी।सातों नाथ मंदिरों का इतिहास

* अलखनाथ मंदिर: बरगद की जड़ से शिवलिंग प्रकट होने की कथा।

* त्रिवटीनाथ: तीन वट वृक्षों की छांव में शिवलिंग प्राप्ति।

* वनखंडीनाथ: महाभारतकालीन मंदिर, जिसे द्रौपदी द्वारा स्थापित माना जाता है।

* धोपेश्वरनाथ: 5000 वर्ष पुराना स्थल, धूम्र ऋषि की तपस्या से जुड़ा।

* मढ़ीनाथ: मणिधारी सर्प और संत की कथा वाला प्राचीन मंदिर।

* तपेश्वरनाथ: भालू बाबा ने यहाँ 400 साल तक तपस्या की।

* पशुपतिनाथ: नेपाल के पशुपतिनाथ जैसा भव्य निर्माणविवाद पर प्रतिक्रिया

महंत कालू गिरी ने सीएम और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्म विजय गंगवार ने कहा कि कोई भी मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। मंदिर के दुकानदारों ने कहा कि अब तक कभी किसी ने दावा नहीं किया था। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और संत व श्रद्धालु उम्मीद कर रहे हैं कि विवाद जल्द सुलझ जाएगा। यह परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। परियोजना में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पूरा कॉरिडोर बन जाने पर बरेली धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से पूरे देश में अपनी पहचान बना सकेगा।


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लखनऊ के होटल पर एटीएस का छापा, ठहरे थे यहां आतंकी

होटल में रुकने वालों के संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने का शक जताया गया। छापे के दौरान होटल के सभी कैमरों की रिकॉर्डिंग जब्त कर ली गई।

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लखनऊ का वह होटल जहा आतंकी ठहरे थे
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar16 Nov 2025 04:54 PM
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यूपी एटीएस ने शनिवार को लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के पास एक होटल पर छापेमारी की। यह कार्रवाई हाल ही में आतंकी गतिविधियों में गिरफ्तार डॉ. शाहीन के करीबी लोगों से जुड़ी है, जो कुछ दिन पहले इसी होटल में ठहरे थे। सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़ी जांच का हिस्सा है।

होटल में कार्रवाई

एटीएस ने होटल कर्मचारियों से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज खंगाली। होटल में ठहरने वालों के पहचान पत्रों की जांच शुरू की गई। होटल में रुकने वालों के संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने का शक जताया गया। छापे के दौरान होटल के सभी कैमरों की रिकॉर्डिंग जब्त कर ली गई। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस होटल में डा. शाहीन के साथी लोग रुके थे। शाहीन भी यहां रुकी थी और यहीं से अपने भाई के साथ कानपुर गई थी।

डॉ. शाहीन का कनेक्शन

डॉ. शाहीन लगभग 2 महीने पहले लखनऊ आई थी और इसी होटल में रुकी थी। उसके साथ कुछ करीबी लोग भी ठहरे थे, जिनका ठहराव डॉ. शाहीन ने खुद सुनिश्चित किया था। बाद में डॉ. शाहीन अपने भाई डॉ. परवेज के साथ कानपुर गई। जांच में सामने आया कि डॉ. शाहीन ने फरीदाबाद के धौज इलाके से सिम कार्ड लिया था और उसका संचालन लगातार कर रही थी। सिम लेते समय और अपने आधिकारिक दस्तावेजों में उसने अपने भाई का पता दर्ज कराया, जबकि उसके स्थायी पते में पिता के खंदारी बाजार स्थित आवास का जिक्र नहीं था। एटीएस इस दिशा में भी जांच कर रही है कि उसने ऐसा क्यों किया और थाईलैंड जाने की संभावना क्यों सामने आई।

दिल्ली ब्लास्ट से कनेक्शन 

10 नवंबर को लाल किले के पास आई-20 कार में विस्फोट हुआ। इस धमाके में कई लोग मारे गए और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए।

दिल्ली ब्लास्ट का कनेक्शन सीधे फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से है। इस मॉड्यूल में डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल समेत कई आतंकियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह घटना देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि आतंकी मॉड्यूल बड़े हमलों की योजना बना सकता है। एटीएस की छापेमारी और जांच आतंकियों के ठहराव, उनके दस्तावेज और संपर्कों का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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मदरसा घोटाला : लंदन में रह रहा टीचर, आजमगढ़ में लेता रहा इंक्रीमेंट!

2013 में उसने ब्रिटिश नागरिकता भी हासिल कर ली। इसके बावजूद 2007 से 2017 तक उसके नाम पर नियमित वेतन व इंक्रीमेंट जारी रहे।

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मदर्सा में पढ़ाता शिक्षक
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Nov 2025 02:18 PM
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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक प्रणाली की कमजोरियों और भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर कर दिया है। यहां एक मदरसा शिक्षक शमशुल पिछले 11 साल से लंदन में रह रहा था, लेकिन कागजों में उसकी नियमित उपस्थिति, सैलरी और हर साल का इंक्रीमेंट जारी था। इतना ही नहीं, उसने लंदन से ही वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन किया और आजमगढ़ प्रशासन ने इसे मंजूर करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी।

कैसे हुआ खुलासा, एटीएस को मिला इनपुट

कुछ समय पहले यूपी एटीएस को संदिग्ध गतिविधियों से जुड़े इनपुट मिले। जांच शुरू हुई तो मामला परत-दर-परत खुलता चला गया। जांच में सामने आया कि शमशुल की नियुक्ति 1984 में सहायक अध्यापक (आलिया) पद पर हुई थी। वर्ष 2007 में वह आन-ड्यूटी ब्रिटेन चला गया और वहीं बस गया। 2013 में उसने ब्रिटिश नागरिकता भी हासिल कर ली। इसके बावजूद 2007 से 2017 तक उसके नाम पर नियमित वेतन व इंक्रीमेंट जारी रहे। जांच अधिकारियों के अनुसार, शमशुल इस अवधि में सरकारी वेतन और बाद में मंजूर पेंशन का पैसा विभिन्न देशों में यात्रा और धार्मिक प्रचार-प्रसार पर खर्च करता रहा।

अकल्पनीय लापरवाही : बिना जांच के हर साल इंक्रीमेंट

सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि मदरसा कमेटी की ओर भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने एक दशक तक बिना किसी औपचारिक सत्यापन के शिक्षक को इंक्रीमेंट दिए। न तो उसकी उपस्थिति की जांच हुई, न उसके भारत में होने का सत्यापन, न ही विभाग ने कभी इस बात पर सवाल उठाया कि एक कर्मचारी विदेश में बस कर भी कैसे ड्यूटी पर मौजूद दिखाया जा रहा है। 

वीआरएस और पेंशन फाइल : अधिकारियों की मिलीभगत के संकेत

2017 में जब शमशुल ने लंदन से वीआरएस का आवेदन भेजा, तो स्थानीय अधिकारियों ने उसके अच्छे आचरण का हवाला दिया,

और वीआरएस मंजूर कर दिया, और 1 अगस्त 2017 से पेंशन भुगतान भी स्वीकृत कर दिया। एटीएस के अनुसार, यह सब कई स्तरों पर विभागीय मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं था।

तीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी निशाने पर

मामले के खुलासे के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। तीन अधिकारी लालमन, प्रभात कुमार तथा साहित्य निकत सिंह निशाने पर हैं। जिन्होंने अलग-अलग समय पर जिले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के रूप में कार्य किया था, उनके खिलाफ रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। ये तीनों वर्तमान में बरेली, अमेठी, गाजिÞयाबाद में इसी पद पर तैनात हैं। जांच अब इस दिशा में भी बढ़ रही है कि उनके कार्यकाल में यह फजीर्वाड़ा कैसे चलता रहा और किसने इसके लिए मंजूरी दी। एटीएस की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि फर्जी वीआरएस फाइल को मंजूरी देने और जीपीएफ भुगतान कराने में निदेशालय स्तर पर बैठे कई अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। इसी तरह मदरसा कमेटी और प्रधानाचार्य की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। जल्द ही इन सब पर विभागीय कार्यवाही, निलंबन या एफआईआर जैसी कार्रवाई संभव है।