योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर रोक, मुस्लिम व्यक्ति ने मंदिर की जमीन पर हक जताया
मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है और काम रोकने को कहा। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। इसके कारण मंदिर के महंतों और अखाड़ा परिषद के संतों में नाराजगी फैल गई। अखाड़ा परिषद ने शिकायत दर्ज कराई और प्रशासन में हड़कंप मच गया।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्राचीन अलखनाथ मंदिर में चल रहे सौंदर्यीकरण और कॉरिडोर निर्माण का काम अचानक रुक गया। एक मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है और काम रोकने को कहा। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। इसके कारण मंदिर के महंतों और अखाड़ा परिषद के संतों में नाराजगी फैल गई। अखाड़ा परिषद ने शिकायत दर्ज कराई और प्रशासन में हड़कंप मच गया। मंदिर परिसर में पुराने दुकानों को हटाने के बाद पर्यटन विभाग ने निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन इस विवाद के कारण ठेकेदार और मजदूरों ने काम रोक दिया।
अलखनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मंदिर लगभग 6500 वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर का परिसर लगभग 84 बीघा भूमि में फैला है। यह मंदिर आनंद अखाड़ा नागा संतों के अधीन है। महंत कालू गिरी का कहना है कि कुछ लोग झूठे दावे करके मंदिर भूमि पर विवाद खड़ा कर रहे हैं। मंदिर की जमीन पर किसी ने पहले दावा नहीं किया था, इसलिए यह अचानक उत्पन्न विवाद है। इसीलिए यह दावा विवाद को जन्म देने के लिए किया गया लगता हैनाथ नगरी कॉरिडोर की विशेषताएँ
कॉरिडोर के तहत 32.5 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग बनाया जा रहा है। मार्ग में बरेली के सात प्रमुख शिव मंदिर शामिल हैं।
1. धोपेश्वरनाथ
2. तपेश्वरनाथ
3. अलखनाथ
4. वनखंडीनाथ
5. पशुपतिनाथ
6. त्रिवटीनाथ
7. मढ़ीनाथ
मार्ग में भक्तों को काली देवी मंदिर, तुलसी स्थल, बांके बिहारी मंदिर, आनंद आश्रम, हरि मंदिर, रामायण मंदिर और नौ देवी मंदिर के दर्शन भी मिलेंगे। परियोजना पूरी होने पर यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत आकर्षक और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण स्थल बनेगी। पैदल चलने में असमर्थ भक्तों के लिए ई-रिक्शा और टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध होगी।सातों नाथ मंदिरों का इतिहास
* अलखनाथ मंदिर: बरगद की जड़ से शिवलिंग प्रकट होने की कथा।
* त्रिवटीनाथ: तीन वट वृक्षों की छांव में शिवलिंग प्राप्ति।
* वनखंडीनाथ: महाभारतकालीन मंदिर, जिसे द्रौपदी द्वारा स्थापित माना जाता है।
* धोपेश्वरनाथ: 5000 वर्ष पुराना स्थल, धूम्र ऋषि की तपस्या से जुड़ा।
* मढ़ीनाथ: मणिधारी सर्प और संत की कथा वाला प्राचीन मंदिर।
* तपेश्वरनाथ: भालू बाबा ने यहाँ 400 साल तक तपस्या की।
* पशुपतिनाथ: नेपाल के पशुपतिनाथ जैसा भव्य निर्माणविवाद पर प्रतिक्रिया
महंत कालू गिरी ने सीएम और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्म विजय गंगवार ने कहा कि कोई भी मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। मंदिर के दुकानदारों ने कहा कि अब तक कभी किसी ने दावा नहीं किया था। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और संत व श्रद्धालु उम्मीद कर रहे हैं कि विवाद जल्द सुलझ जाएगा। यह परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। परियोजना में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पूरा कॉरिडोर बन जाने पर बरेली धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से पूरे देश में अपनी पहचान बना सकेगा।
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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्राचीन अलखनाथ मंदिर में चल रहे सौंदर्यीकरण और कॉरिडोर निर्माण का काम अचानक रुक गया। एक मुस्लिम व्यक्ति ने दावा किया कि यह जमीन उनकी है और काम रोकने को कहा। उसके साथ कुछ अन्य लोग भी थे। इसके कारण मंदिर के महंतों और अखाड़ा परिषद के संतों में नाराजगी फैल गई। अखाड़ा परिषद ने शिकायत दर्ज कराई और प्रशासन में हड़कंप मच गया। मंदिर परिसर में पुराने दुकानों को हटाने के बाद पर्यटन विभाग ने निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन इस विवाद के कारण ठेकेदार और मजदूरों ने काम रोक दिया।
अलखनाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मंदिर लगभग 6500 वर्ष पुराना माना जाता है। मंदिर का परिसर लगभग 84 बीघा भूमि में फैला है। यह मंदिर आनंद अखाड़ा नागा संतों के अधीन है। महंत कालू गिरी का कहना है कि कुछ लोग झूठे दावे करके मंदिर भूमि पर विवाद खड़ा कर रहे हैं। मंदिर की जमीन पर किसी ने पहले दावा नहीं किया था, इसलिए यह अचानक उत्पन्न विवाद है। इसीलिए यह दावा विवाद को जन्म देने के लिए किया गया लगता हैनाथ नगरी कॉरिडोर की विशेषताएँ
कॉरिडोर के तहत 32.5 किलोमीटर लंबा परिक्रमा मार्ग बनाया जा रहा है। मार्ग में बरेली के सात प्रमुख शिव मंदिर शामिल हैं।
1. धोपेश्वरनाथ
2. तपेश्वरनाथ
3. अलखनाथ
4. वनखंडीनाथ
5. पशुपतिनाथ
6. त्रिवटीनाथ
7. मढ़ीनाथ
मार्ग में भक्तों को काली देवी मंदिर, तुलसी स्थल, बांके बिहारी मंदिर, आनंद आश्रम, हरि मंदिर, रामायण मंदिर और नौ देवी मंदिर के दर्शन भी मिलेंगे। परियोजना पूरी होने पर यह धार्मिक दृष्टि से अत्यंत आकर्षक और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण स्थल बनेगी। पैदल चलने में असमर्थ भक्तों के लिए ई-रिक्शा और टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध होगी।सातों नाथ मंदिरों का इतिहास
* अलखनाथ मंदिर: बरगद की जड़ से शिवलिंग प्रकट होने की कथा।
* त्रिवटीनाथ: तीन वट वृक्षों की छांव में शिवलिंग प्राप्ति।
* वनखंडीनाथ: महाभारतकालीन मंदिर, जिसे द्रौपदी द्वारा स्थापित माना जाता है।
* धोपेश्वरनाथ: 5000 वर्ष पुराना स्थल, धूम्र ऋषि की तपस्या से जुड़ा।
* मढ़ीनाथ: मणिधारी सर्प और संत की कथा वाला प्राचीन मंदिर।
* तपेश्वरनाथ: भालू बाबा ने यहाँ 400 साल तक तपस्या की।
* पशुपतिनाथ: नेपाल के पशुपतिनाथ जैसा भव्य निर्माणविवाद पर प्रतिक्रिया
महंत कालू गिरी ने सीएम और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्म विजय गंगवार ने कहा कि कोई भी मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। मंदिर के दुकानदारों ने कहा कि अब तक कभी किसी ने दावा नहीं किया था। प्रशासन मामले की जांच कर रहा है और संत व श्रद्धालु उम्मीद कर रहे हैं कि विवाद जल्द सुलझ जाएगा। यह परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। परियोजना में करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पूरा कॉरिडोर बन जाने पर बरेली धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से पूरे देश में अपनी पहचान बना सकेगा।
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