दरोगा से ‘कुबेर’ बने DSP शुक्ला! विजिलेंस जांच में खुला भ्रष्टाचार का मायाजाल

दरोगा से ‘कुबेर’ बने DSP शुक्ला! विजिलेंस जांच में खुला भ्रष्टाचार का मायाजाल
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:45 PM
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उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे को हिलाकर रख देने वाला एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। कानपुर के पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ऋषिकांत शुक्ला पर 200 से 300 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। विजिलेंस विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं शिकायतकर्ता ने केवल निलंबन नहीं, बल्कि अधिकारी की सीधी बर्खास्तगी की मांग उठाई है।   UP News

दरोगा से डीएसपी तक का विवादित सफर

उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में यह मामला वर्दी के पीछे छिपे ‘रिश्वत साम्राज्य’ का ज्वलंत उदाहरण बन गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ऋषिकांत शुक्ला ने वर्ष 1998 में बतौर दरोगा (उपनिरीक्षक) पुलिस सेवा की शुरुआत की थी, लेकिन अगले ही दशक में, खासकर कानपुर में तैनाती के दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार की ऐसी इबारत लिखी जो विभाग की साख पर सवाल बन गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शुक्ला ने अपने वैध वेतन और घोषित आय से कई गुना अधिक अवैध संपत्ति अर्जित की, जिसे उन्होंने परिजनों, सहयोगियों और मुखौटा पार्टनरों के नाम पर छिपा रखा था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कानपुर के आर्यनगर में 11 दुकानें उनके करीबी देवेंद्र दुबे के नाम पर पाई गईं, जबकि उनका आर्थिक नेटवर्क नोएडा, चंडीगढ़ और पंजाब तक फैला हुआ है।  UP News

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काले धन को सफेद करने के लिए 33 कंपनियां

उत्तर प्रदेश में खाकी और अपराध की सांठगांठ का यह मामला अब और गहराता जा रहा है। शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया के मुताबिक, डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला के बेटे विशाल शुक्ला ने अपराध जगत के कुख्यात नाम अखिलेश दुबे के साथ मिलकर 33 फर्जी कंपनियों का जाल बिछाया। इन कंपनियों का इस्तेमाल काले धन को “वैध कारोबार” की आड़ में सफेद करने के लिए किया गया। शिकायत में यह भी खुलासा हुआ है कि शुक्ला का नेटवर्क सिर्फ पुलिस तंत्र तक सीमित नहीं था ,बल्कि अपराधी गिरोहों और सरकारी विभागों के कर्मचारियों तक फैला हुआ था। आरोप है कि यह गठजोड़ जमीन कब्जाने, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने और जबरन वसूली जैसे कामों में सक्रिय था। अब विजिलेंस की जांच इस पूरे ‘सत्ता, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार’ के गठजोड़ को उजागर करने की दिशा में बढ़ रही है, जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।  UP News

अब तक 92 करोड़ की संपत्ति का हुआ खुलासा

एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने बड़ा धमाका करते हुए खुलासा किया है कि ऋषिकांत शुक्ला और उनके करीबी नेटवर्क के नाम पर दर्ज 12 संपत्तियों की बाजार कीमत करीब 92 करोड़ रुपये है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि जिन तीन संपत्तियों के दस्तावेज अभी सामने नहीं आए हैं, वे उजागर होते ही यह आंकड़ा 200 से 300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि शुक्ला ने कानपुर, उन्नाव और फतेहपुर जिलों में बिल्डरों के साथ मिलकर जमीन कब्जाने और अवैध निवेश का जाल बिछा रखा था। भ्रष्टाचार की इस जड़ तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) की संस्तुति पर अब विजिलेंस जांच शुरू कर दी गई है।  UP News

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उत्तर प्रदेश में कूड़ा डालने के मामूली विवाद बना मौत का मंजर

उत्तर प्रदेश में कूड़ा डालने के मामूली विवाद बना मौत का मंजर
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:01 AM
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उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के पिसावां थाना क्षेत्र के दिलावलपुर गांव में मंगलवार सुबह कूड़ा डालने को लेकर एक मामूली विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया, जिसमें एक 14 वर्षीय किशोरी की मौत हो गई और छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में किशोरी चंद्रप्रभा की हालत नाजुक थी और अस्पताल में इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहीं, अन्य चार घायलों की हालत भी गंभीर बनी हुई है, जिन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर किया गया है। UP News

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घटना का विवरण

उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, यह विवाद हरिहर नामक व्यक्ति की जमीन पर कूड़ा डालने को लेकर हुआ था। तारा नामक व्यक्ति से हरिहर के परिवार का विवाद बढ़ा और इसके बाद तारा, विजय बहादुर, जोगेंद्र, वित्तन, सतेंद्र, रामदयाल और महिला प्रीती ने लाठी-डंडों और बल्लम से हमला कर दिया। इस हमले में किशोरी चंद्रप्रभा गंभीर रूप से घायल हो गई, और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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पुलिस की कार्रवाई

उत्तर प्रदेश पुलिस ने तहरीर के आधार पर नामजद रिपोर्ट दर्ज की है और मामले की जांच शुरू कर दी है। घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और गांव में शांति बनाए रखी जा सके। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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उत्तर प्रदेश में 400 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा

उत्तर प्रदेश में 400 करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा
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calendar04 Nov 2025 01:38 PM
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उत्तर प्रदेश में राज्य कर विभाग ने 341 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी के मामले में बड़ी सफलता हासिल की है। इस मामले में सोमवार को 22 और फर्जी फर्मों का खुलासा हुआ, जिससे टैक्स चोरी की कुल राशि 400 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है। जांच में पता चला कि 122 फर्जी फर्मों का पंजीकरण केवल दो मोबाइल नंबरों पर हुआ था। इस मामले में प्रमुख मास्टरमाइंड अंकित कुमार और सौरभ मिश्रा की भूमिका उजागर हो रही है। UP News

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जांच के दौरान मिलीं और 22 फर्जी फर्में

उत्तर प्रदेश में राज्य कर विभाग ने सोमवार को 22 और फर्जी फर्मों का खुलासा किया, जिनसे 149 करोड़ रुपये के कारोबार के जरिए 61 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की गई थी। जांच में ये फर्में दिल्ली, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल से जुड़ी पाई गईं। इस प्रकार, फर्जी फर्मों की संख्या बढ़कर 144 हो गई है और इन फर्मों के जरिए टैक्स चोरी का आंकड़ा 400 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है। अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हुए हैं और आगामी जांच में टैक्स चोरी का दायरा और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

सभी फर्में सीजीएसटी के नियमों का लाभ उठा रही थीं

बता दे कि इस जालसाजी में आरोपी सीजीएसटी के सरल पंजीकरण नियमों का गलत फायदा उठा रहे थे। फर्जी दस्तावेज़ों और ई-वे बिलों के जरिए आरोपियों ने करोड़ों रुपये का घोटाला किया। राज्य कर विभाग ने इस मामले की गहन जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को भी तैनात किया है। जांच के प्रगति पर प्रतिदिन की रिपोर्ट प्रदेश के प्रमुख सचिव स्तर से ली जा रही है।

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क्या था मामला?

उत्तर प्रदेश में राज्य कर विभाग ने लखनऊ-मुरादाबाद हाईवे पर 24 और 25 अक्टूबर को दो ट्रकों को पकड़ा था, जिनमें लोहे का सामान लोड था। यह माल लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी अंकित कुमार का था, जिसे मुजफ्फरनगर भेजा जा रहा था। जांच में पता चला कि अंकित कुमार और उसके सहयोगी सौरभ मिश्रा ने दो मोबाइल नंबरों पर 122 फर्जी फर्मों का पंजीकरण कराया था।

साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस से सहयोग

सर्विलांस और साइबर विशेषज्ञों के सहयोग से पुलिस आरोपी अंकित कुमार और सौरभ मिश्रा के ईमेल अकाउंट, आईपी एड्रेस और अन्य डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा कर रही है। एसआईटी के प्रमुख, एसपी क्राइम सुरेश चंद्र गंगवार ने बताया कि पुलिस मामले की गहरी जांच कर रही है और आरोपियों के पैरोकारों की भी छानबीन की जा रही है।

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उत्तर प्रदेश में राज्य कर विभाग ने जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों को सभी जरूरी साक्ष्य सौंपे हैं, ताकि इस टैक्स चोरी मामले की गहराई से जांच की जा सके। पुलिस के लिए जल्द कार्रवाई करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि आरोपी ने अपने असली पते को भी फर्जी बताया है।