दरोगा से ‘कुबेर’ बने DSP शुक्ला! विजिलेंस जांच में खुला भ्रष्टाचार का मायाजाल

उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे को हिलाकर रख देने वाला एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। कानपुर के पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ऋषिकांत शुक्ला पर 200 से 300 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। विजिलेंस विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं शिकायतकर्ता ने केवल निलंबन नहीं, बल्कि अधिकारी की सीधी बर्खास्तगी की मांग उठाई है। UP News
दरोगा से डीएसपी तक का विवादित सफर
उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में यह मामला वर्दी के पीछे छिपे ‘रिश्वत साम्राज्य’ का ज्वलंत उदाहरण बन गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ऋषिकांत शुक्ला ने वर्ष 1998 में बतौर दरोगा (उपनिरीक्षक) पुलिस सेवा की शुरुआत की थी, लेकिन अगले ही दशक में, खासकर कानपुर में तैनाती के दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार की ऐसी इबारत लिखी जो विभाग की साख पर सवाल बन गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शुक्ला ने अपने वैध वेतन और घोषित आय से कई गुना अधिक अवैध संपत्ति अर्जित की, जिसे उन्होंने परिजनों, सहयोगियों और मुखौटा पार्टनरों के नाम पर छिपा रखा था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कानपुर के आर्यनगर में 11 दुकानें उनके करीबी देवेंद्र दुबे के नाम पर पाई गईं, जबकि उनका आर्थिक नेटवर्क नोएडा, चंडीगढ़ और पंजाब तक फैला हुआ है। UP News
यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश पुलिस में बड़ा घोटाला! CO की 100 करोड़ की संपत्ति से उठा पर्दा
काले धन को सफेद करने के लिए 33 कंपनियां
उत्तर प्रदेश में खाकी और अपराध की सांठगांठ का यह मामला अब और गहराता जा रहा है। शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया के मुताबिक, डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला के बेटे विशाल शुक्ला ने अपराध जगत के कुख्यात नाम अखिलेश दुबे के साथ मिलकर 33 फर्जी कंपनियों का जाल बिछाया। इन कंपनियों का इस्तेमाल काले धन को “वैध कारोबार” की आड़ में सफेद करने के लिए किया गया। शिकायत में यह भी खुलासा हुआ है कि शुक्ला का नेटवर्क सिर्फ पुलिस तंत्र तक सीमित नहीं था ,बल्कि अपराधी गिरोहों और सरकारी विभागों के कर्मचारियों तक फैला हुआ था। आरोप है कि यह गठजोड़ जमीन कब्जाने, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने और जबरन वसूली जैसे कामों में सक्रिय था। अब विजिलेंस की जांच इस पूरे ‘सत्ता, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार’ के गठजोड़ को उजागर करने की दिशा में बढ़ रही है, जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। UP News
अब तक 92 करोड़ की संपत्ति का हुआ खुलासा
एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने बड़ा धमाका करते हुए खुलासा किया है कि ऋषिकांत शुक्ला और उनके करीबी नेटवर्क के नाम पर दर्ज 12 संपत्तियों की बाजार कीमत करीब 92 करोड़ रुपये है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि जिन तीन संपत्तियों के दस्तावेज अभी सामने नहीं आए हैं, वे उजागर होते ही यह आंकड़ा 200 से 300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि शुक्ला ने कानपुर, उन्नाव और फतेहपुर जिलों में बिल्डरों के साथ मिलकर जमीन कब्जाने और अवैध निवेश का जाल बिछा रखा था। भ्रष्टाचार की इस जड़ तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) की संस्तुति पर अब विजिलेंस जांच शुरू कर दी गई है। UP News
उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे को हिलाकर रख देने वाला एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। कानपुर के पूर्व पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) ऋषिकांत शुक्ला पर 200 से 300 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। विजिलेंस विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं शिकायतकर्ता ने केवल निलंबन नहीं, बल्कि अधिकारी की सीधी बर्खास्तगी की मांग उठाई है। UP News
दरोगा से डीएसपी तक का विवादित सफर
उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में यह मामला वर्दी के पीछे छिपे ‘रिश्वत साम्राज्य’ का ज्वलंत उदाहरण बन गया है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ऋषिकांत शुक्ला ने वर्ष 1998 में बतौर दरोगा (उपनिरीक्षक) पुलिस सेवा की शुरुआत की थी, लेकिन अगले ही दशक में, खासकर कानपुर में तैनाती के दौरान, उन्होंने भ्रष्टाचार की ऐसी इबारत लिखी जो विभाग की साख पर सवाल बन गई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शुक्ला ने अपने वैध वेतन और घोषित आय से कई गुना अधिक अवैध संपत्ति अर्जित की, जिसे उन्होंने परिजनों, सहयोगियों और मुखौटा पार्टनरों के नाम पर छिपा रखा था। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कानपुर के आर्यनगर में 11 दुकानें उनके करीबी देवेंद्र दुबे के नाम पर पाई गईं, जबकि उनका आर्थिक नेटवर्क नोएडा, चंडीगढ़ और पंजाब तक फैला हुआ है। UP News
यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश पुलिस में बड़ा घोटाला! CO की 100 करोड़ की संपत्ति से उठा पर्दा
काले धन को सफेद करने के लिए 33 कंपनियां
उत्तर प्रदेश में खाकी और अपराध की सांठगांठ का यह मामला अब और गहराता जा रहा है। शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया के मुताबिक, डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला के बेटे विशाल शुक्ला ने अपराध जगत के कुख्यात नाम अखिलेश दुबे के साथ मिलकर 33 फर्जी कंपनियों का जाल बिछाया। इन कंपनियों का इस्तेमाल काले धन को “वैध कारोबार” की आड़ में सफेद करने के लिए किया गया। शिकायत में यह भी खुलासा हुआ है कि शुक्ला का नेटवर्क सिर्फ पुलिस तंत्र तक सीमित नहीं था ,बल्कि अपराधी गिरोहों और सरकारी विभागों के कर्मचारियों तक फैला हुआ था। आरोप है कि यह गठजोड़ जमीन कब्जाने, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने और जबरन वसूली जैसे कामों में सक्रिय था। अब विजिलेंस की जांच इस पूरे ‘सत्ता, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार’ के गठजोड़ को उजागर करने की दिशा में बढ़ रही है, जिसने उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। UP News
अब तक 92 करोड़ की संपत्ति का हुआ खुलासा
एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट ने बड़ा धमाका करते हुए खुलासा किया है कि ऋषिकांत शुक्ला और उनके करीबी नेटवर्क के नाम पर दर्ज 12 संपत्तियों की बाजार कीमत करीब 92 करोड़ रुपये है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि जिन तीन संपत्तियों के दस्तावेज अभी सामने नहीं आए हैं, वे उजागर होते ही यह आंकड़ा 200 से 300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। जांच में यह भी सामने आया है कि शुक्ला ने कानपुर, उन्नाव और फतेहपुर जिलों में बिल्डरों के साथ मिलकर जमीन कब्जाने और अवैध निवेश का जाल बिछा रखा था। भ्रष्टाचार की इस जड़ तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) की संस्तुति पर अब विजिलेंस जांच शुरू कर दी गई है। UP News







