ग्रैप-4 के नियमों का उल्लंघन करने पर ग्रेनो प्राधिकरण की बड़ी कार्रवाई

ग्रेटर नोएडा एनजीटी के आदेशों का पालन कराने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से भी अभियान चलाया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों पर भारी पेनल्टी भी लगाई जा रही है। प्राधिकरण के परियोजना विभाग की तरफ से अब तक कपंनियों और व्यक्तियों पर मिलाकर करीब 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।

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ग्रेनो प्राधिकरण
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar18 Dec 2025 06:29 PM
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Greater Noida News : एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी की तरफ से ग्रैप-4 लागू है। ग्रेटर नोएडा एनजीटी के आदेशों का पालन कराने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से भी अभियान चलाया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों पर भारी पेनल्टी भी लगाई जा रही है। प्राधिकरण के परियोजना विभाग की तरफ से अब तक कपंनियों और व्यक्तियों पर मिलाकर करीब 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।

ग्रैप-4 के नियमों का पूरा पालन करने के निर्देश दिए

दरअसल, एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के साथ ही निर्माण कार्यों पर भी रोक लग गई है। निर्माण सामग्रियों को भी ढककर रखने के निर्देश हैं। ग्रेटर नोएडा एरिया में ग्रैप-4 के नियमों का पालन कराने के लिए प्राधिकरण प्रतिबद्ध है। प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने ग्रैप-4 के नियमों का पूरा पालन करने के निर्देश दिए हैं। एसीईओ सुमित यादव के नेतृत्व में प्राधिकरण की परियोजना विभाग की पूरी टीम अपने एरिया में नजर रख रही है और जहां भी उल्लंघन मिल रहा है, टीम उन पर पेनल्टी भी लगा रही है, फिर चाहे वह कंपनी हो या फिर निवासी, सभी पर यह कार्रवाई की जा रही है। 

उल्लंघन मिलने पर 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लग चुकी 

प्राधिकरण की टीम विगत दो दिनों में 46 जगहों पर उल्लंघन मिलने पर 49.45 लाख रुपये की पेनल्टी लगा चुकी है। प्राधिकरण की तरफ से जुर्माने की रकम 1 सप्ताह में प्राधिकरण के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही निर्माण सामग्री को ढककर रखने और पानी का नियमित छिड़काव करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन पर पेनल्टी लगाई गई है उनमें बिल्डर, औद्योगिक इकाइयां और निवासी भी शामिल हैं। ईटा वन के जिन 22 लोगों पर पेनल्टी लगाई गई है, उनमें यहां के निवासी शामिल हैं, जो कि ग्रैप-4 के नियमों की अवहेलना करते हुए निर्माण कर रहे थे। प्राधिकरण के एसीईओ सुमित यादव ने कहा है कि प्रदूषण को रोकने के लिए तय नियमों का पालन न करने वालों पर प्राधिकरण की तरफ से कार्रवाई जारी रहेगी।

कंपनी/आवंटी का नाम-- सेक्टर-- पेनल्टी(रुपये)

1. एटीएस -सेक्टर-1 -5 लाख

2. बृंदा (स्काई वार्ड) -सेक्टर-1 -5 लाख

3. मनोज शर्मा -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

4. बटुकनाथ शुक्ल -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

5. एबीएस डेवलपर्स -खेड़ा चौगानपुर -5 लाख

6. ऐस ग्रुप -12 -1 लाख

7. सिवीटेक -12 -1 लाख

8. फ्यूजन -12 -1 लाख

9. फ्यूजन फैबरिक्स -10 -1 लाख

10. एनडीकॉन कंस्ट्रक्शन -ईकोटेक-8 -1 लाख

11. सुविज फोइल -ईकोटेक-8 -1 लाख

12. स्पार्किंग ह्यूज जेम्स -ईकोटेक-8 -1 लाख

13. संदीप कुमार -भनौता -1 लाख

14. धर्मवती -भनौता -1 लाख

15. सतेंद्र -भनौता -1 लाख

16. जयपाल आदि -भनौता -1 लाख

17. मनोज गौतम -छपरौला -1 लाख

18. हाइवे मैनशन -सहारा सिटी -1 लाख

19. मुकेश -छपरौला -1 लाख

20. शिवम सैनी -छपरौला -1 लाख

21. हर्षवर्धन -छपरौला -1 लाख

22. हरीश सिंघल -छपरौला -1 लाख

23. कंपलेंट कनवेयर सिस्टम -ईकोटेक-6 -50 हजार

24. बीएलसी इंजीनियरिंग सर्विसेज -ईकोटेक-6 -25 हजार

25. 22 अन्य -ईटा वन -6.70 लाख

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नमो भारत ट्रेन परियोजना : ग्रेटर नोएडा से गुरुग्राम तक 286 घर-दुकानों पर चलेगा बुलडोजर

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।

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दुकानों और घरों में तोड़फोड़(फाइल फोटो)
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar15 Dec 2025 01:22 PM
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Greater Noida News : एनसीआर में आधुनिक और तेज परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित नमो भारत ट्रेन परियोजना एक ओर विकास का नया अध्याय लिखने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर यह सैकड़ों परिवारों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। गुरुग्राम से फरीदाबाद और नोएडा होते हुए ग्रेटर नोएडा तक बनने वाले इस कॉरिडोर की जद में बड़ी संख्या में घर, दुकानें और धार्मिक स्थल आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।

घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरेगा रूट

प्रस्तावित ट्रेन रूट गुरुग्राम के इफको चौक से शुरू होकर फरीदाबाद और नोएडा के कई घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होते हुए ग्रेटर नोएडा तक जाएगा। सर्वे में सामने आया है कि ट्रैक निर्माण के लिए 286 मकान और दुकानें हटानी पड़ेंगी। इसके अलावा, 13 धर्मशालाएं और धार्मिक ढांचे भी इस परियोजना की सीमा में आ रहे हैं।

धार्मिक स्थलों पर भी संकट

रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रमुख धार्मिक स्थल प्रस्तावित रूट में बाधा बन रहे हैं। इनमें पियाली चौक स्थित जाट धर्मशाला, शहीद चौक के पास बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, फरीदाबाद के एनआईटी क्षेत्र के पास एक धार्मिक स्थल, और नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलाके के कई छोटे धार्मिक ढांचे शामिल हैं। प्रशासन इन सभी को हटाने की तैयारी में है।

प्रभावित लोगों की बढ़ी बेचैनी

तोड़फोड़ की आशंका सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में असमंजस और नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन मुआवजे और पुनर्वास को लेकर अब तक कोई ठोस और पारदर्शी योजना सामने नहीं आई है। जिन परिवारों की आजीविका दुकानों पर निर्भर है, उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि विस्थापन के बाद जीवन कैसे चलेगा।

प्रशासन का पक्ष

एनसीआरटीसी का दावा है कि नमो भारत ट्रेन परियोजना एनसीआर के समग्र विकास के लिए बेहद अहम है। निगम का कहना है कि प्रभावित परिवारों को सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास दिया जाएगा। हालांकि, जमीनी स्तर पर लोग अब भी लिखित आश्वासन और स्पष्ट कार्ययोजना का इंतजार कर रहे हैं। नमो भारत ट्रेन जहां एनसीआर को विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा देने का सपना दिखा रही है, वहीं यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या विकास की कीमत आम लोगों के घर और रोजगार से चुकाई जानी चाहिए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संतुलन को कैसे साधता है।

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ग्रेटर नोएडा में रेहड़ी विक्रेताओं के लिए राहत योजना, रिहायशी इलाकों से हटेंगी रेहड़ियां

योजना के पहले चरण में 96 विक्रेताओं का चयन किया गया है, जिनमें से 69 लोगों ने निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है। शुल्क जमा करने वाले विक्रेताओं का भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर किया जा रहा है। अब तक 20 से अधिक आवेदकों का सत्यापन पूरा हो चुका है और शेष प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।

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ग्रेटर नोएडा में रेहड़ी पटरीवाले
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar14 Dec 2025 01:34 PM
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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने शहर के रिहायशी सेक्टरों में लंबे समय से चली आ रही रेहड़ी-पटरी की अव्यवस्था को समाप्त करने के लिए नई व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत ग्रेटर नोएडा के रेहड़ी विक्रेताओं को तय वेंडिंग जोन में स्थायी स्थान उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे आम नागरिकों को अतिक्रमण से राहत मिलेगी और विक्रेताओं को सुरक्षित आजीविका का अवसर मिलेगा। प्राधिकरण द्वारा इस माह लॉटरी प्रणाली के माध्यम से रेहड़ी विक्रेताओं को दुकानों और निर्धारित स्थलों का आवंटन किया जाएगा। योजना के पहले चरण में 96 विक्रेताओं का चयन किया गया है, जिनमें से 69 लोगों ने निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है। शुल्क जमा करने वाले विक्रेताओं का भौतिक सत्यापन घर-घर जाकर किया जा रहा है। अब तक 20 से अधिक आवेदकों का सत्यापन पूरा हो चुका है और शेष प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।

चार प्रमुख सेक्टरों में मिलेगा स्थान

प्रारंभिक चरण में बीटा-1, बीटा-2, अल्फा-2 और सेक्टर-36 में विकसित किए गए वेंडिंग जोन में रेहड़ी विक्रेताओं को स्थान आवंटित किया जाएगा। इससे इन रिहायशी क्षेत्रों में अव्यवस्थित रूप से लगने वाली रेहड़ियों की समस्या खत्म होगी। इस योजना के अंतर्गत विक्रेताओं को तीन वर्षों की अवधि के लिए जगह दी जाएगी। फल-सब्जी और फास्ट फूड विक्रेताओं को डेढ़ से दो मीटर तक का स्थान मिलेगा, जिसके लिए 1500 रुपये मासिक किराया निर्धारित किया गया है। वहीं स्टेशनरी व्यवसाय के लिए चार मीटर का स्थान तय किया गया है, जिसका मासिक किराया 5000 रुपये होगा।

नौ सेक्टरों में बन चुकी हैं दुकानें

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि अब तक अल्फा-2, बीटा-1, बीटा-2, गामा-2, पाई-1, पाई-2, डेल्टा-1, डेल्टा-2 और सेक्टर-36 सहित नौ सेक्टरों में कुल 529 रेहड़ी विक्रेताओं के लिए छोटी दुकानों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा अन्य सेक्टरों में भी नए वेंडिंग जोन विकसित करने की प्रक्रिया जारी है।

सर्वे और निरीक्षण जारी

प्राधिकरण के अनुसार, चार वेंडिंग जोन में आवेदन करने वाले 67 रेहड़ी विक्रेताओं का सत्यापन पूरा होते ही उन्हें स्थान सौंप दिया जाएगा। इसके लिए प्राधिकरण की टीमें लगातार निरीक्षण और सर्वे कर रही हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस योजना के लागू होने से शहर की सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर होगी, स्वच्छता में सुधार आएगा और पथ विक्रेताओं को कानूनी पहचान के साथ स्थायी रोजगार भी मिलेगा। यह कदम ग्रेटर नोएडा को अधिक व्यवस्थित और रहने योग्य शहर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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