headache : सिर दर्द, अनिद्रा और तनाव कम करते हैं ये तेल

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calendar30 Nov 2025 08:37 AM
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Home Remedies : सिरदर्द (headache) रोज़मर्रा की ज़िंदगी में महसूस होने वाली एक आम समस्या है जो हर व्यक्ति को कभी न कभी महसूस होती ही है। कई बीमारियों के पहले संकेत के तौर पर लोगों को सिरदर्द महसूस होता है तो वहीं, मौसम बदलने, पेट में गड़बड़, बुखार या सिर और आंखों से जुड़ी समस्याओं में भी सिरदर्द (headache) को एक लक्षण के तौर पर देखा जाता है। काम का बोझ, शोर-शराबा, धूप, ठंडी हवा और कई बार कुछ विशेष प्रकार की गंध को सूंघने के कारण भी सिरदर्द हो सकता है।

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रोजमर्रा के मामूली कारणों से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए आप यहां दिए गए तीन प्रकार के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। इन तेल की मालिश करने से न केवल सिरदर्द दूर होगा, बल्कि अनिद्रा और तनाव भी दूर होता है।

लैवेंडर ऑयल यह गुणकारी तेल ना केवल अपनी खूश्बू से मूड बूस्ट करता है बल्कि, सिर से जुड़ी नसों को शांत कर तनाव भी कम करता है। लैवेंडर ऑयल से सिर की मसाज करने से स्ट्रेस से राहत मिलती है। इस इसेंशियल ऑयल के इस्तेमाल से सिरदर्द और माइग्रेन के दर्द में भी आराम मिलता है।

मेंहदी का तेल हिना या मेंहदी की पत्तियां तनाव से होने वाले सिरदर्द से राहत का एक पुराना नुस्खा हैं। इसी तरह मेंहदी का तेल भी तनाव,सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाता है। इस तेल से मसाज करने से सिर की त्वचा या स्कैल्प की समस्याओं से भी राहत मिलती है,माइग्रेन का दर्द कम होता है और हाथों-पैरों की जलन शांत होती हो और आप रिलैक्स महसूस करते हैं।

मिंट ऑयल पुदीने की ताजगी भरी खूश्बू बिगड़े मूड को अच्छा बनाती है इसी तरह पुदीने के इसेंशियल ऑयल में स्ट्रेस और एंग्जायटी जैसी मानिसक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने वाले गुण भी होते हैं। सिरदर्द और माइग्रेन के असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए आप मिंट ऑयल या पुदीने के तेल से सिर की मसाज कर सकते हैं। इससे सिरदर्द से राहत मिलती है। साथ ही अनिद्रा की समस्या से भी आराम मिलता है।

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Health : सेहत : यूं ही 'अमृता' नहीं कहते 'गिलोय' को!

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calendar01 Dec 2025 11:58 AM
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विनय संकोची बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से गिलोय लता का नाम 'अमृता' है। आयुर्वेद में इसको अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि कई नामों से जाना जाता है। यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है, जो इसका प्रयोग करते हैं। कहा जाता है देव-दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूंदें जहां-जहां पर गिरीं वहां-वहां गिलोय उत्पन्न हो गई। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवंतिका नाम दिया गया है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है।बेल के काण्ड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर वर्ण की होती है, जिसे हटा देने पर भीतर का हरित मांसल भाग दिखाई देने लगता है। पत्ते हृदय के आकार के खाने के पान जैसे एकांतर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। यह वात, कफ और पित्त नाशक होती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही इसमें एंटीबायोटिक और एंटीवायरल तत्व भी होते हैं। अपने अनगिनत गुणों के साथ गिलोय सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। कुछ लोगों में इसके विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं, इससे कुछ लोगों की पाचन क्रिया खराब हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह के बिना गिलोय के इस्तेमाल से बचना चाहिए। • आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रूप में कार्य करती है। इससे शरीर में आवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारू बनाती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते हैं। • लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाती है, जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से भी बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने का विधान कहा गया है। • गिलोय में शरीर के शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबिटीज टाइप-2 के उपचार में बहुत कारगर है। गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को नियंत्रित किया जा सकता है। • गिलोय में याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। अतः मानसिक दबाव और चिंता को दूर करने के लिए गिलोय का उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। • गिलोय का सेवन पीलिया रोग में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिए गिलोय का एक चम्मच चूर्ण, सोंठ, काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है। • पैरों में जलन रोकने के लिए गिलोय के रस, नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर बना काढ़ा प्रतिदिन दो से तीन बार सेवन करने से हाथ पैरों शरीर की जलन दूर हो जाती है। • खुजली अक्सर रक्त विकार के कारण होती है। गिलोय का रस पीने से रक्त विकार दूर होकर खुजली से छुटकारा मिलता है। • गिलोय का रस आंवले के रस के साथ मिला कर लेना, नेत्र-रोगों के लिए लाभकारी है। इसके सेवन से आंखों के रोग तो दूर होते ही हैं, साथ ही, आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। • गिलोय एक रसायन है, जो रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदय रोगनाशक और लिवर टॉनिक भी है। गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करती है। • गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में भी फायदा होता है। • गिलोय के नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोरायसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना गया है।
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Lose belly fat कुर्सी पर बैठकर काम करते हुए निकल गई हैं तोंद तो अपनाएं ये उपाय

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Lose belly fat
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calendar10 Feb 2022 06:42 PM
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Lose belly fat : क्या आप डेस्क जॉब यानि कि दिनभर कुर्सी पर (Lose belly fat) बैठकर काम करते हैं और आपका पेट बाहर आ रहा है तो यह सामान्य सी बात हो सकती है, लेकिन जब धीरे धीरे तोंद (Lose belly fat) बाहर आने लगे तो परेशानी का कारण भी बन जाती है। बढ़ते पेट के कारण कई तरह की बीमारियां भी घर कर लेते हैं। ऐसे में हम आपके लिए कुछ घरेलू उपाय लेकर आए हैं, जिन्हें प्रयोग करके आप अपने बढ़ते पेट पर नियंत्रण पा सकते हैं।

Lose belly fat

जो लोग इन घरेलू नुस्खे भी आजमाना चाहते हैं वे अजवाइन और जीरे से बनी हर्बल टी का सेवन कर सकते हैं। यह चाय पीने से बेली फैट घटाने में सहायता हो सकती है साथ ही कुछ अन्य समस्याओं से भी राहत मिल सकती है।

जीरा-अजवाइन की चाय के फायदे

बॉडी मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और वेट लॉस में मदद होती है। सर्दी-खांसी, जुकाम और सिरदर्द जैसी मौसमी बीमारियों से आराम मिलता है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर यह ड्रिंक इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है और बीमारियों से सुरक्षित रखता है। बाउल की कार्यक्षमता बेहतर होती है जिससे कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्याएं कम होती हैं। यह चाय बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया में मददगार होती है। अजवाइन-जीरा की चाय पीने से शरीर में जमे विषैले तत्वों को बाहर निकाल फेंकने में मदद होती है।

इस हर्बल टी को पीने से उल्टी या मतली की समस्या से आराम मिल सकता है। स्ट्रेस से आराम दिलाती है यह हर्बल टी। जीरा शरीर को ठंडक देता है, पेट की समस्याएं कम करता है और स्ट्रेस लेवल भी कम करता है जिससे, एंग्जायटी और अनिद्रा जैसी परेशानियों से पीड़ित लोगों को भी आराम मिल सकता है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए यह एक कारगर नुस्खा माना जाता है। क्योंकि, अजवाइन और जीरा दोनों ही रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में प्रभावी माने जाते हैं, इसीलिए, इस ड्रिंक का सेवन मधुमेह के रोगियों के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

बनाने का तरीका 2 चम्मच अजवाइन के बीज लें और 2 चम्मच जीरा के दानों के साथ एक कप पानी में इसे रात भर भिगोएं। अगले दिन सुबह इस मिश्रण को थोड़ी देर (5-10 मिनट) के लिए उबालें। अब इसे छानकर गर्मा-गर्म पी लें। आप मिश्रण को कच्चा या बिना उबाले भी पी सकते हैं। बेहतर परिणाम के लिए इसे सुबह खाली पेट पीने की सलाह दी जाती है।