जगदीप धनखड़ का साइलेंट एग्जिट, आखिर क्या चल रहा है सियासत में?

Jagdeep dhankar
Jagdeep Dhankhar
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 12:56 PM
bookmark
Jagdeep Dhankhar: संसद भवन में जो कुछ हुआ वह बाहर से भले ही सामान्य राजनीतिक गतिविधियों जैसा दिख रहा था, लेकिन अंदरखाने एक बड़ा सियासी तूफान आकार ले रहा था। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस अप्रत्याशित फैसले ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी और विपक्षी दलों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया। धनखड़ के इस्तीफे से ठीक पहले, सोमवार दोपहर 2 बजे, उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया था। लगभग उसी समय खबर आई कि लोकसभा में सत्ताधारी और विपक्षी खेमों के 100 से ज्यादा सांसदों ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

कांग्रेस है असमंजस में

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने सोमवार शाम करीब 7:30 बजे धनखड़ से फोन पर बात की थी। उस समय उपराष्ट्रपति अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वे अगले दिन बात करेंगे। इससे कुछ घंटे पहले ही प्रमोद तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह और खुद जयराम रमेश, धनखड़ से मुलाकात कर चुके थे। अखिलेश प्रसाद सिंह ने दावा किया कि वे धनखड़ से मिलने वाले आखिरी व्यक्ति थे और शाम 6 बजे के करीब वहां से निकले थे। उनके अनुसार, उपराष्ट्रपति पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे और उन्होंने इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया। बल्कि, उन्होंने यह भी बताया था कि उन्हें एक समिति में शामिल किया जा रहा है, जिसकी जानकारी बाद में दी जाएगी।

राजनाथ सिंह के कार्यालय में हलचल

सबसे चौंकाने वाली जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से आई। सूत्रों के अनुसार, सोमवार शाम वहां काफी हलचल रही। बीजेपी के सांसद एक-एक कर राजनाथ के दफ्तर में जाते दिखे बिना कोई बयान दिए चुपचाप अंदर जाते और वापस लौट जाते। एक बीजेपी सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।" यह बयान खुद में बहुत कुछ कहता है और इन घटनाओं के बीच किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा करता है।

महाभियोग प्रस्ताव के बाद इस्तीफा

सोमवार शाम करीब 4:07 बजे, धनखड़ ने राज्यसभा में बताया कि उन्हें 63 विपक्षी सांसदों से महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस मिला है। उन्होंने इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि भी कराई कि लोकसभा में भी नोटिस दिया गया है। इसके बाद उन्होंने एक संयुक्त समिति के गठन और आगे की संवैधानिक प्रक्रिया का जिक्र किया। ध्यान देने वाली बात यह है कि अपने अंतिम संबोधन में भी उन्होंने न तो अपने स्वास्थ्य का जिक्र किया और न ही इस्तीफे का कोई संकेत दिया। इससे उनके अचानक इस्तीफे पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक अब किस राह पर?

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब विपक्षी दल न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की रेखा को लेकर काफी मुखर हैं। राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। अब इंडिया ब्लॉक के नेता मंगलवार सुबह 10 बजे होने वाली बैठक में इन घटनाओं की समीक्षा करेंगे। कांग्रेस असमंजस में है, क्योंकि धनखड़ के इस्तीफे से महाभियोग प्रस्ताव की दिशा और प्रभाव दोनों पर असर पड़ सकता है।
अगली खबर पढ़ें

ब्रेकिंग न्यूज़: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा, स्वास्थ्य को बताया वजह

Picsart 25 07 21 21 53 05 860
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 Jul 2025 09:59 PM
bookmark
नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक औपचारिक पत्र में उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वह चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय ले रहे हैं। यह इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत दिया गया है।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को किया धन्यवाद

अपने त्यागपत्र में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति के साथ उनका सहयोग और कार्य संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण और सहायक रहा है। साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के साथ अपने अनुभवों को भी अमूल्य बताया। प्रधानमंत्री के सहयोग और समर्थन को उन्होंने "अनमोल" करार दिया और कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत कुछ सीखा।

सांसदों के स्नेह और विश्वास को बताया जीवनभर की पूंजी

धनखड़ ने संसद के माननीय सदस्यों से मिले स्नेह, विश्वास और सम्मान को अपने जीवन की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि यह विश्वास और अपनापन उनके दिल में हमेशा बना रहेगा। उपराष्ट्रपति के रूप में मिले अनुभवों और दृष्टिकोणों के लिए उन्होंने देश और लोकतंत्र के प्रति कृतज्ञता जताई।

भारत की प्रगति और वैश्विक भूमिका पर जताया गर्व

अपने पत्र में उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका पर गर्व जताया। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी युग का साक्षी बनना उनके लिए सम्मान और संतोष की बात रही है। इस्तीफे के अंत में उन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य पर अटूट विश्वास जताया और देश की उपलब्धियों को लेकर गर्व प्रकट किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस्तीफा

2022 में बने थे भारत के 14वें उपराष्ट्रपति

जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह चुनाव जीता था। उस चुनाव में धनखड़ को 528 मत प्राप्त हुए थे, जबकि अल्वा को 182 मत मिले थे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके थे और लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थे। भाजपा विधायक ने काम कराने के लिए अधिकारियों के सामने रखे 50 हजार
अगली खबर पढ़ें

6 राज्यों में फैला धर्मांतरण रैकेट: योगी सरकार के शिकंजे में आया 'कलीम नेटवर्क' का नया सरगना

Picsart 25 07 21 15 45 54 096
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:41 AM
bookmark
उत्तर प्रदेश पुलिस और एटीएस की संयुक्त कार्रवाई में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसका संचालन दिल्ली के मुस्तफाबाद से हो रहा था। इस रैकेट का सरगना अब्दुल रहमान उर्फ महेंद्र पाल सिंह को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है। अब्दुल रहमान के घर से हरियाणा के रोहतक की एक लापता युवती को भी बरामद किया गया है, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट रोहतक थाने में दर्ज है।

असली नाम महेंद्र पाल, 1990 में हुआ था मतांतरित

पुलिस जांच में पता चला है कि अब्दुल रहमान का असली नाम महेंद्र पाल सिंह है, जो फिरोजाबाद के रजावली गांव का रहने वाला है। वह साल 1990 में मजदूरी करने दिल्ली गया था, वहीं उसने धर्म परिवर्तन किया और अब्दुल रहमान बन गया। इसके बाद वह एक संगठित गिरोह का हिस्सा बन गया, जो देशभर में अवैध तरीके से मतांतरण कराने का काम करता था।

गिरोह के तार कलीम सिद्दीकी नेटवर्क से जुड़े

एटीएस की जांच में यह बात सामने आई है कि अब्दुल रहमान वही नेटवर्क चला रहा था, जिसे पहले कलीम सिद्दीकी संचालित करता था। कलीम को 2021 में जेल भेजा गया था। अब्दुल रहमान ने यह नेटवर्क अपने नियंत्रण में लेकर धर्मांतरण की साजिश को आगे बढ़ाया। पूछताछ में खुलासा हुआ है कि एक महिला एजेंट आयशा, विदेशों से फंड मंगवाने और ट्रांसफर करने का काम करती थी। वह अब्दुल के निर्देशों पर ही यह कार्य कर रही थी।

6 राज्यों में फैला था नेटवर्क

पुलिस के अनुसार, यह रैकेट उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान, बंगाल और गोवा में सक्रिय था। गिरोह के सदस्यों को अलग-अलग भूमिकाएं सौंपी गई थीं — कोई युवतियों का ब्रेनवॉश करता था, कोई फंडिंग देखता था, कोई मोबाइल और सिम की व्यवस्था करता था, तो कोई ठहरने की जगह मुहैया कराता था। विदेशों से फंडिंग प्राप्त करने के लिए कनाडा, अमेरिका, लंदन और दुबई जैसे देशों से संपर्क बनाए गए थे।

हरियाणा की युवती को विदेश भेजने की थी तैयारी

गिरफ्तार किए गए अब्दुल रहमान के घर से हरियाणा की युवती की बरामदगी के बाद मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। पुलिस को शक है कि युवती को मतांतरित कर निकाह कराकर विदेश भेजने की तैयारी चल रही थी। पुलिस अब इस दिशा में भी जांच कर रही है कि ऐसी कितनी और लड़कियां इस जाल में फंस चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश का ताजा समाचार:

योगी सरकार ने दी सख्त कार्रवाई के संकेत

आगरा में डीजीपी राजीव कृष्णा और पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने ऐसे धर्मांतरण गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य मॉड्यूल्स को भी चिन्हित कर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। अब तक की जांच में पता चला है कि सैकड़ों हिंदू युवतियों को निशाना बनाकर मतांतरण कराया गया है, जिनमें से कई को निकाह कराकर विदेश भेजा गया। अलीगढ़ में धर्मांतरण के संदिग्ध सुराग, जनवरी से लापता 97 महिलाएं जांच के दायरे में