Delhi News : केवल एक दिन के लिए जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar03 Jun 2023 06:44 PM
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Delhi News /नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिलने के बाद अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए शनिवार को तिहाड़ जेल से अपने आवास पहुंचे। हालांकि, सिसोदिया के घर पहुंचने से पहले उनकी पत्नी सीमा की तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने बताया कि सीमा ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’ (प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित रोग) से पीड़ित हैं और उन्हें पिछले महीने भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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पार्टी सूत्रों ने कहा कि मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा को लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया है। सिसोदिया जेल वाहन में सुबह लगभग 9 बजकर 38 मिनट पर अपनी बीमार पत्नी से मिलने के लिए एबी-17, मथुरा रोड स्थित आवास पहुंचे। उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच घर के अंदर ले जाया गया।

सूत्रों ने कहा कि पत्नी की तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जिसके कारण वह उनसे नहीं मिल सके। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार ‘आप’ नेता सिसोदिया को उनकी बीमार पत्नी से मिलने की अनुमति दे दी थी।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को सिसोदिया को उनके आवास पर ले जाने का निर्देश दिया था, जहां उन्हें सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति दी गई है। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सिसोदिया को सुरक्षा घेरे में सुबह करीब नौ बजे उनके आवास पर ले जाया गया जिन्हें शाम पांच बजे वापस जेल आना होगा।

सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को आबकारी घोटाले में उनकी कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया था और वह तब से हिरासत में हैं। उच्च न्यायालय ने 30 मई को सीबीआई के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। सिसोदिया को नौ मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किए गए मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि पत्नी से मुलाकात के लिए जेल से बाहर आने के दौरान सिसोदिया मीडियाकर्मियों से या अपने परिवार से इतर किसी अन्य व्यक्ति से बात नहीं करेंगे और वह फोन या इंटरनेट का इस्तेमाल भी नहीं करेंगे।

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Odisha Train Accident Update : मरने वालों की संख्या हुई 280, 900 घायल

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Odisha Rail Accident 
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 05:42 PM
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Odisha Train Accident: नई दिल्ली / भुवनेश्वर। ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने से हुए भीषण हादसे में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। रात भर चले अभियान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हर डिब्बे के नीचे से शवों को निकाला गया। आज सुबह ट्रेन हादसे की भयावकता का पता चला। इस हादसे में अभी तक 280 लोगों की मौत हो गई है जबकि 900 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। हादसे के बाद बचाव और राहत का कार्य जारी है। रेल मंत्री ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। हादसे की वजह से कई ट्रेनें आज कैंसिल हो गई हैं। देश ही नहीं विदेशी राष्ट्र प्रमुखों ने भी इस दर्दनाक रेल हादसे पर दुख जताते हुए अपनी संवदेनाएं व्यक्त की हैं।

Odisha Train Accident

आज सुबह अंधेरा छंटा तो इस हादसे की तस्वीर और साफ हुई। बहनागा बाजार इलाके में रातभर चीखपुकार मची रही। ट्रेन के डिब्बों के मलबे में अभी भी कई शव फंसे हुए हैं। कोरोमंडल एक्सप्रेस के कई एसी कोच अगले ट्रैक पर पलट गए थे, लिहाजा इसमें मौतों के आंकड़े सबसे अधिक है। एनडीआरएफ को बोगियों के बीच चिपके शवों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल करना पड़ा तो वहीं, कई घायल ऐसे भी हैं जो क्षतिग्रस्त बोगियों में फंसे हुए थे। घटना स्थल पर कहीं किसी का हाथ कटा हुआ पड़ा हुआ था तो कहीं किसी का पैर। चारों तरफ सामान बिखरा हुआ था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडि़शा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी घटनास्थल पर पहुंचे तथा अस्पतालों में भर्ती घायल यात्रियों से मिले। ट्रेन हादसे में घायल लोगों को प्रशासन ने मौके पर ही 50 हजार रूपये की राहत राशि बांटी है। वहीं जिन अस्पतालों में घायल भर्ती हैं। उन अस्तपालों के बाहर रक्तदान करने वालों की कतार लगी हुई है।

प्रधानमंत्री जाएंगे बालेसोर

बालेसोर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओडिशा जाएंगे। मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री हादसे वाली जगह पर जाएंगे। इसके बाद वे बालेश्वर सदर अस्पताल एवं कटक एससीबी मेडिकल का भी दौरा करेंगे।

हादसे के कारणों के जांच के आदेश

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी आज सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे, हृष्ठक्रस्न, स्ष्ठक्रस्न की टीम बचाव कार्य में जुटी है। फिलहाल, हमारा ध्यान बचाव कार्य पर है। राहत और बचाव कार्य खत्म होने के बाद ही बहाली का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पहले से ही बहाली के लिए मशीनें तैनात हैं।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णन ने कहा कि, ‘मैंने यह पता लगाने के लिए एक उच्च-स्तरीय जांच करने का आदेश दिया है कि यह दुर्घटना क्यों हुई. इसके मूल कारण तक पहुंचना महत्वपूर्ण है. उधर, अस्पतालों में भर्ती दुर्घटना के पीडि़तों के लिए दवाओं और व अन्य जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति के संबंध में, सचिव शालिनी पंडित ने बताया, ‘सभी आवश्यक प्राथमिक उपचार सामग्री, दवाएं और ढ्ढङ्क तरल पदार्थ पर्याप्त स्टॉक में हैं’। इसके अलावा मयूरभंज जिले के गोदाम से कुछ अतिरिक्त स्टॉक बालेसोर के लिए तुरंत स्थानांतरित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम हर स्थिति के लिए सतर्क हैं।

रेलवे ने जारी किए हैं हेल्पलाइन नंबर

ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे के बाद रेलवे ने दुर्घटना में प्रभावितों की जानकारी को लेकर हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए गए हैं। राजमुंदरी- 08832420541 समलकोट- 7780741268 नेल्लोर- 08612342028 ओंगोल- 7815909489 गुडूर - 08624250795 मुख्यालय वाणिज्यिक नियंत्रण हेल्प लाइन नं- रेलवे 88516 बीएसएनएल 040-27788516 एसएलओ हेल्पलाइन नंबर बीएसएनएल- 7382629990 ऑटो - 65601

रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाए गए एमआई-17 हेलीकॉप्टर

भारतीय वायुसेना द्वारा राहत और बचाव कार्यों के लिए 02 एमआई-17 हेलीकॉप्टरों को तैनात किया गया है। जमीनी स्तर पर रेलवे अधिकारियों के तालमेल के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है। इसके अलावा कई अतिरिक्त बसों और ट्रेन कोचों का भी इंतजाम किया गया है और फंसे हुए यात्रियों को उनके गंतव्य की तरफ रवाना किया जा रहा है।

बचाव और राहत कार्य में जुटे एनडीआरएफ के 300 जवान

एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने ट्रेन दुर्घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘यह एक बहुत ही दुखद घटना है, यह जानमाल का बहुत बड़ा नुकसान है... एनडीआरएफ की नौ टीमें - 300 से अधिक बचावकर्ता (जवान) - एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह हमारे इतिहास की तीसरी ऐसी बड़ी घटना है। जिस रफ्तार से तीन ट्रेनें आपस में टकराईं उसके परिणामस्वरूप कई डिब्बे डिरेल हो गए और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।’

मुख्यमंत्री योगी ने जताया शोक

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे पर दु:ख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि ओडिशा के बालासोर में कल सायंकाल बंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी दुर्घटना की शिकार हुई हैं। इस भीषण दुर्घटना में अनेक यात्रियों की मृत्यु हुई है। जिन लोगों ने अपने परिजनों को खोया है उन सबके प्रति मैं व उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं, जो लोग इस दुर्घटना में गंभीर रूप में घायल हुए हैं उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी करता हूं। Odisha Train Accident

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Special Story : उन एड्स पीडित बच्चों की मां, जिनको अपनों ने ठुकराया

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Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:42 AM
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Special Story :   सैय्यद अबू साद Special Story : दुनिया में हमेशा उन मांओं का जिक्र होता है, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए बलिदान दिया और उनको जन्म देकर, पढ़ा-लिखा कर कुछ बनाया है, लेकिन आज हम आपको मिला रहे हैं एक ऐसी मां से जिसने दूसरों के बच्चों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी उठा रखी है। ये हैं महाराष्ट्र की 71 वर्षीया मंगल शाह, जो आज 100 से ज्यादा एचआईवी/एड्स प्रभावित बच्चों का जीवन संवार रही है।

Special Story :

  एचआईवी/एड्स भारत में आज भी शर्म का विषय है और लोग इसके बारे में बात नहीं करते हैं, पर मंगल शाह 90 के दशक से इस दिशा में काम कर रही हैं और यह उनकी अटूट दृढ़ता और मानसिकता ही थी जो उन्हें आज इस मुकाम तक ले आई है। मंगल शाह हमेशा से ही जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे रहती थीं। विकलांग व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की मदद के लिए सरकारी अस्पताल में जाने पर उन्हें अहसास हुआ कि महिलाओं को समाज में या परिवार से कोई सपोर्ट नहीं मिलता है। इसलिए, उन्होंने ऐसी महिलाओं की देखभाल और मदद करने का निश्चय किया। उन्होंने अस्पताल के बेसहारा मरीजों के लिए घर का बना खाना लाना शुरू किया। यहां पर उन्हें एचआईवी/एड्स से प्रभावित महिला सेक्सवर्कर्स के बारे में जानने का मौका मिला और उन्होंने समझा की इस क्षेत्र में काम करना बहुत ज्यादा जरूरी है। बनीं बेसहारा बच्चों की मां मंगल शाह और उनकी बेटी डिंपल, महाराष्ट्र के पंढरपुर में सेक्स वर्कर्स के बीच एचआईवी/एड्स जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, जब उन्हें तीन और दो साल की दो छोटी लड़कियों के बारे में पता चला। इन बच्चियों को कोई खलिहान में छोड़कर चला गया था क्योंकि उनके माता-पिता की मौत एड्स के कारण हो गई थी। उनके रिश्तेदारों का मानना था कि लड़कियां परिवार के लिए बदनामी ला सकती हैं और संक्रमण का खतरा पैदा कर सकती हैं। मंगल शाह रिश्तेदारों को लड़कियों की देखभाल के लिए राजी करने में विफल रहीं, तो उन्होंने बच्चों को घर ले जाने का फैसला किया। [caption id="attachment_93288" align="aligncenter" width="225"]Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones[/caption] कुछ यूं शुरू हुआ सफर मंगल शाह ने तब इन बच्चियों के साथ इन जैसे तमाम बच्चों की देखभाल करने का फैसला किया, जो एचआईवी पॉजीटिव हैं और उनको समाज द्वारा ठुकरा दिया जाता है। उन्होंने ऐसे एचआईवी पॉजीटिव बच्चों के बेहतर जीवन के लिए एक घर, ‘पलावी’ का निर्माण किया। उस दिन से मंगल शाह बच्चों और लोगों के लिए मंगल ताई बन गईं। मंगल शाह का मानना है कि हर एक बच्चा खुश, सुरक्षित, स्वस्थ और शिक्षित होने का हकदार है और ऐसे ही पालवी के ये असहाय बच्चों को भी ये सब अधिकार मिलना चाहिए। इसलिए ‘पलावी’ की टीम यह सुनिश्चित करती है कि यहां हर बच्चे को बुनियादी शिक्षा मिले ताकि वे अपने दम पर खड़े हो सकें। इतना ही नहीं, बल्कि बच्चों को सिलाई, प्लंबिंग और दूसरी स्किल्स भी सिखाई जाती हैं। [caption id="attachment_93287" align="aligncenter" width="239"]Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones Special Story: Mother of those AIDS affected children who were rejected by their loved ones[/caption] अब आगे बढ़ रहे बच्चे ‘पलावी’ पिछले कई सालों से समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता बढ़ा रहा है और अनाथ बच्चों और अन्य एचआईवी/एड्स रोगियों की देखभाल कर रहा है। वर्तमान में 100 से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव बच्चों की देखभाल यहां हो रही है। मंगल शाह ने अपने कई मीडिया इंटरव्यूज में बताया है कि वे अपने केयर होम में बच्चे को प्रोत्साहित करके उन्हें सशक्त बनाने में विश्वास करती हैं। स्थानीय स्तर पर एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को औपचारिक शिक्षा हासिल करते देखना एक बहुत बड़ा बदलाव है। पिछले कई सालों में मंगल शाह के यहां से पले-बढे युवा लड़के और लड़कियों ने आजीविका कमाना शुरू किया है और समाज में अपने दम पर एक पहचान बनाई है। एचआईवी/एड्स बच्चों के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए मंगल शाह का समर्पण मानव जाति के लिए आशा की किरण देता है।

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