USA News : कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी एक बार पिफर “पप्पू” बन गए हैं। अमेरिका के एक कार्यक्रम में मुस्लिम लीग पार्टी को सेकुलर पार्टी बताकर उन्होंने अपने राजनीतिक बचकानेपन का सबूत दिया है। स्वभाविक तौर पर भाजपा ने इस बयान को बड़ा मुददा बना दिया है। उधर विश्लेषकों ने भी इस बयान पर हैरानी जताई है। ज्यादातर राजनीतिक विश्लेषक राहुल गांधी के इस बयान की दिल खोलकर आलोचना कर रहे हैं।
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क्या है नया विवाद ?
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। अपने दौरे के छठे दिन राहुल गांधी वाशिंगटन के नेशनल प्रेस क्लब में बोल रहे थे। इस संबोधन के दौरान एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार रही पार्टी मुस्लिम लीग को “सेकुलर पार्टी” बता दिया। उनका साफ कहना था कि मुस्लिम लीग सैक्युलर पार्टी है। उनके इस बयाना के बाद से राजनीतिक भूचाल मच गया है।
क्या कहते हैं विश्लेषक ?
इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। अधिकतर विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी ने यह बयान देकर राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है। विश्लेषकों का कथन है कि राहुल गांधी की छवि पहले से ही “पप्पू” की बन चुकी है। इस बयान के बाद एक बार फिर साबित हो गया है कि राहुल गांधी वास्तव में “पप्पू” ही हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी के विरूद्ध तेजी से हमलावर हो रही है।
क्या कहा भाजपा ने ?
अमेरिका में मुस्लिम लीग पर राहुल गांधी के बयान के बाद भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी को कुछ पता नहीं होता है और वे बिना सोचे-समझे बयानबाजी करते हैं। भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें पहले इतिहास को पढऩा चाहिए और फिर बोलना चाहिए। सुधांशु ने कहा कि कांग्रेस पहले मुस्लिम लीग को भाजपा से जोड़ती थी और राहुल अब कुछ और ही राग अलाप रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल आदतन ऐसे बयान दे रहे हैं और उन्होंने एक बार फिर अपनी नफरत का परिचय दिया है। सुधांशु ने कहा कि विदेशों में राहुल के बयान देश का अपमान है। राहुल को अगर सजा हो गई तो न्यायालय खराब हो गया। कांग्रेस के लिए पीएफआई एक सांस्कृतिक संगठन है।
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि 2024 का चुनाव सामने है, वह (राहुल गांधी) जो कुछ भी कहना चाहते हैं, उन्हें यहां जनता के बीच आकर बोलना चाहिए। वे विदेशी धरती पर देश का अपमान क्यों कर रहे हैं ? उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार पार्टी है मुस्लिम लीग
सब जानते हैं कि मुस्लिम लीग मुस्लिमों की ही पार्टी है। इसी पार्टी के कारण भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना। भारत के विभाजन की मांग करने वाली मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसंबर 1906 को ढाका में हुई थी। दिलचस्प बात यह है कि जिस ढाका में इसकी स्थापना हुई थी और मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग की थी, वही इलाका अब बांग्लादेश के तौर पर दूसरा देश बन चुका है। भारत में दो देशों का सिद्धांत पहली बार सर सैयद अहमद खां ने दिया था, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक भी थे। उन्होंने मुहम्मडन एजुकेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थापना 1886 में की थी, लेकिन तब इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। इसकी वजह इस संगठन की ओर से खुद ही अपने लिए राजनीति न करने का नियम तय करना था। हालांकि बाद में इसे खत्म कर दिया गया और इसके स्थान पर मुस्लिम लीग बनी।
30 दिसंबर 1906 को ढाका में 3000 लोगों की मौजूदगी में मुस्लिम लीग के गठन का प्रस्ताव पारित हुआ। ऑल इंडिया मुस्लिम लीग नाम का प्रस्ताव नवाब ख्वाजा सर सलीमुल्लाह बहादुर और हकीम अजमल खान ने दिया था। इस तरह देश में मुसलमानों के नाम पर पहली राजनीतिक पार्टी का गठन हुआ था। इसके पीछे यही आइडिया था कि कांग्रेस हिंदुओं की पार्टी है और मुस्लिमों के लिए एक अलग दल की जरूरत है। यहीं से देश में कट्टरपंथ बढ़ने लगा और राजनीति में ध्रुवीकरण की शुरुआत हो गई।
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मुस्लिम लीग मोटे तौर पर नवाबों, जमींदारों और बुर्जुआ मुसलमानों की ही पार्टी थी। लेकिन बनी मुस्लिमों के नाम पर तो उनका एकमात्र नुमाइंदा होने की बात करने लगी। मुस्लिम लीग के संस्थापकों में ख्वाजा सलीमुल्लाह, विकार-उल-मुल्क, सैयद आमिर अली, सैयद नबीउल्लाह, खान बहादुर गुलाम और मुस्तफा चौधरी शामिल हैं। इसके पहले अध्यक्ष सर सुल्तान मुहम्मद शाह थे। भले ही मुस्लिम लीग के लोग यह दावा करते थे कि वह आजादी के लिए लड़ना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यह थी कि इस संगठन का उद्देश्य ही अलग था। इस दल का उद्देश्य केवल भारत का बंटवारा करना था। USA News
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