Rajasthan : झुकी सरकार तो बन गई बात, आरटीएच लागू करने वाला पहला राज्य

Rth
Lean government has become a matter, the first state to implement RTH
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:55 PM
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जयपुर। डॉक्टरों के आंदोलन के आगे आखिर प्रदेश सरकार को झुकना पड़ा। यानि सरकार के नरमी के बाद बात बन गई। स्वास्थ्य का अधिकार (आरटीएच) विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे निजी अस्‍पतालों के चिकित्सकों की मंगलवार को राज्‍य सरकार के साथ सहमति बन गई। हालांकि समझौते का आधिकारिक ब्‍यौरा अभी सामने नहीं आया है।

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कानून से बाहर होंगे निजी अस्पताल

प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्‍य सरकार से रियायती दरों पर जमीन एवं अन्‍य लाभ नहीं लेने वाले निजी अस्‍पतालों को इस विधेयक के दायरे से बाहर रखने पर सहमति बनी है। मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पर सरकार एवं चिकित्सकों के बीच अंततः सहमति बन गई। राजस्थान, स्वास्थ्य का अधिकार लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। उन्‍होंने लिखा कि मुझे आशा है कि आगे भी चिकित्सक-मरीज संबंध पहले की तरह यथावत बना रहेगा।

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सरकार को सौंपा आठ सूत्रीय मांग पत्र

मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन और यूनाइटेड प्राइवेट क्लिनिक्स एंड हॉस्पिटल्स एसोसिएशन (यूपीसीएचएआर) सहित डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के साथ बातचीत की और आठ सूत्री ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। निजी हॉस्पिटल्‍स एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने कहा कि सरकार के साथ एक समझौता किया गया है। निजी क्षेत्र को पूरी तरह से आरटीएच से मुक्त कर दिया गया है। सरकार इसे अपने संसाधनों और अपने संस्थानों पर लागू करेगी। हमने आज की ‘विरोध रैली’ को ‘विजय रैली’ में बदल दिया है।

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आरटीएच के विरोध में डॉक्टरों ने निकाली रैली

समझौते का आधिकारिक ब्‍यौरा अभी सामने नहीं आया है। इससे पहले आरटीएच के विरोध में मंगलवार को राजधानी जयपुर में चिकित्‍सकों ने बड़ी रैली निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में चिकित्सक और अन्य कर्मचारी शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में निजी च‍िक‍ित्‍सक 28 मार्च को राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विधेयक के अनुसार, राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्र’ में बिना पूर्व भुगतान के आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार होगा। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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West Bengal : हुड़दंगियों के साथ सख्ती से निपटेंगी एजेंसियां : राज्यपाल

Bos
Agencies will deal strictly with hoodlums: Governor
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:24 PM
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रिसड़ा (पश्चिम बंगाल)। दार्जिलिंग का दौरा छोड़कर हुगली जिले के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने कहा कि हुड़दंगियों को कानून को हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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भीड़तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए काम करेगी सरकार

संवाददाताओं से मंगलवार को बातचीत में राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार भीड़तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मिलकर काम करेगी। उन्होंने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की तरफ से ठोस कार्रवाई की जाएगी। हम हुड़दंगियों को कानून को अपने हाथों में लेने की कभी अनुमति नहीं देंगे। केंद्र, राज्य, राजनीतिक दल, मीडिया और जनता, भीड़तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हाथ मिलाएंगे। राज्यपाल ने स्थिति का जायजा लेने के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों एवं स्थानीय लोगों से भी बातचीत की।

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हिंसाग्रस्त क्षेत्र का राज्यपाल ने किया दौरा

दार्जिलिंग से रवाना होकर कोलकाता हवाई अड्डे पर उतरने के बाद बोस सीधे हुगली जिले के रिसड़ा गये। राज्यपाल रेलवे गेट संख्या चार पर गये, जहां सोमवार रात हिंसा और आगजनी की गयी थी। रिसड़ा में रविवार की शाम रामनवमी जुलूस के दौरान झड़प हुई थी। उसमें भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष एवं पार्टी के विधायक बिमान घोष भी मौजूद थे। इस दौरान विधायक घायल हो गये और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। श्रीरामपुर के कुछ हिस्सों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं, जिसके बाद निषेधाज्ञा लगा दी गयी और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गयीं। बोस जी20 बैठक में भाग लेने के लिए दार्जिलिंग गए हुए थे। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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जाट गुर्जर एकता की मिसाल था वो युद्ध जिसमें रामप्यारी गुर्जरी ने किया था कमाल

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Rampyari Gurjari
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Apr 2023 07:55 PM
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Rampyari Gurjari : आज कुछ तथाकथित धार्मिक लोग सनातन धर्म की बड़ी दुहाई देते हैं। मात्र छोटी-मोटी टिप्पणियों से ही उनका सनातन धर्म खतरे में पड़ जाता है। इन तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को शायद यह नहीं पता कि सचमुच जब धर्म पर हमला हुआ था तो सनातन धर्म की रक्षा करने के लिए इस देश के कितने अमर सैनानियों ने अपने जीवन कुर्बान किए थे। इन्हीं अमर सेनापतियों में एक बड़ा नाम है महान वीरांगना ''राम प्यारी गुर्जरी'' का। इस वीरांगना का नाम शायद ही आपने पहले कभी सुना हो। आज यानि 4 अप्रैल को उनका बलिदान दिवस है। हम आपको बताते हैं इस महान वीरांगना की जीवन गाथा को ।

Rampyari Gurjari

कौन थी राम प्यारी गुर्जरी ?

राम प्यारी गुर्जरी का जन्म [उस समय के गुर्जर गढ़ राज्य में हुआ था] आज के उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद के चौहान गुर्जर परिवार में हुआ था। जाट व गुर्जर समाज में आज भी उनके अनेक किस्से प्रचलित हैं। उन्हें दादी राम प्यारी गुर्जरी के नाम से जाना जाता है।

रामप्यारी चौहान गुर्जरी एक महिला सैनिक कमांडर थी। सन 1398 में जब तैमूर लंग ने हरिद्वार से प्राचीन दिल्ली के क्षेत्रों पर आक्रमण किया तो राम प्यारी गुर्जरी ने तैमूर लंग के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। इसलिए उनके नाम से पहले वीरांगना लगाया जाता है। 1398 ई. में तैमूर लंग ने भारत पर क्रूर हमला किया था। तैमूर ने खुली लूटपाट की थी। तैमूर बहुत ही क्रूर था, उसका एक ही सपना था कि सनातन धर्म का खात्मा कैसे किया जाए। इस खतरनाक चुनौती से निपटने के लिए सर्वखाप पंचायत आगे आई। एक महापंचायत में सभी समाज के लोगों ने उस समय के जाट समाज के मुखिया देवपाल सिंह जाट के निर्देशन में तैमूर की सेना से छापामार युद्ध लडऩे की रणनीति बनायी और महापंचायत ने सर्व समाज की एक सेना तैयार की। इस महापंचायत सेना के ध्वज के तहत 80,000 योद्धा सैनिकों और 40,000 युवा महिला सैनिक हथियारों के साथ शामिल हुए थे। महिला सैनिकों की कमांडर राम प्यारी गुर्जर थी। इस युद्ध के लिए नायक योद्धा महाबली जोगराज सिंह गुर्जर को सुप्रीम जनरल चुना गया और हरवीर सिंह गुलिया को सेनापति। डिप्टी जनरल मामचन्द गुर्जर थे। इन्होंने बहुत बाहदुरी के साथ तैमूर की सेना का मुकाबला किया। इस युद्ध में सभी समाज के लोगों ने भाग लिया था। इस युद्ध में बुरी तरह घायल होने के कुछ दिनों बाद ही तैमूर लंग की मौत हो गई थी।

चौहान

चौहान या चव्हाण एक वंश है। चौहान गुर्जर तथा राजपूतों में आते हैं। विद्वानों का कहना है कि चौहान मूल रूप से राजपूत थे तथा 10वीं सदी तक गुर्जर प्रतिहारों के अधीन थे। चौहान साम्भर झील और पुष्कर, आमेर और वर्तमान जयपुर, राजस्थान में भी होते थे, जो अब सारे उत्तर भारत में फैले हुए हैं। इसके अलावा मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) एवं राजस्थान के नीमराना व अलवर जिले में भी चौहान पाये जाते हैं।

तैमूर लंग कौन था ?

तैमूर लंग (अर्थात तैमूर लंगड़ा) (8 अप्रैल 1336-18 फऱवरी 1405)। तैमर लंग चौदहवीं शताब्दी का एक क्रूर शासक था जिसने महान तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला हुआ था। उसकी गणना संसार के महान और क्रूर विजेताओं में की जाती है। वह बरलस तुर्क खानदान में पैदा हुआ था। उसका पिता तुरगाई बरलस तुर्कों का नेता था। भारत के मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक बाबर तैमूर का ही वंशज था।

महाबली जोगराज सिंह गुर्जर

क्रूर शासक तैमूर लंग के खिलाफ बनाई गई सर्वसमाज की महापंचायत सेना के नायक योद्धा महाबली जोगराज सिंह गुर्जर बेहद बहादुर थे।

सनातन धर्म की सूक्ष्म परिभाषा

सनातन धर्म : (हिन्दू धर्म, वैदिक धर्म) अपने मूल रूप हिन्दू धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है। 'सनातन' का अर्थ है- शाश्वत या 'हमेशा बना रहने वाला', अर्थात जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक फैला हुआ था। विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है। सिन्धु नदी के पार के वासियों को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई 1000 वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं। हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था।

सहारनपुर जिले का परिचय

सहारनपुर उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। सहारनपुर की स्थापना सन-1340 के आसपास हुई थी और इसका नाम एक राजा सहारण के नाम पर पड़ा था। सहारनपुर की काष्ठ कला और देवबन्द दारूल उलूम विश्वपटल पर सहारनपुर को अलग पहचान दिलाते हैं।

गुर्जर समाज का संक्षिप्त परिचय

गुर्जर समाज, भारत ही नहीं अपितु दुनिया के प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफगानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं। जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात जि़ला और गुजराँवाला जि़ला और रावलपिंडी जि़ले का गूजर ख़ान शहर।

युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मों में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरों से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। Rampyari Gurjari

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