यूपी के एक्सप्रेसवे पर लगेंगे 35 करोड़ पौधे, अब रफ्तार पकड़ेगी हरियाली अभियान

Hariyali abhiyan
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Jun 2025 08:02 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्षा ऋतु 2025 के दौरान राज्यभर में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है। उत्तर प्रदेश के इस महाअभियान की शुरुआत 1 जुलाई से शुरू होने वाले "वन महोत्सव सप्ताह" के तहत की जाएगी। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का फोकस इस बार उत्तर प्रदेश के पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे को हरियाली से आच्छादित करने पर भी है। उत्तर प्रदेश के वन विभाग के अनुसार, इस बार सड़कों, गांवों, खेतों और खाली पड़ी जमीनों के साथ-साथ एक्सप्रेसवे के किनारों पर भी बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जाएगा। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के राजमार्गों पर यात्रियों को हरियाली का अनुभव देने की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे पर विशेष पौधरोपण योजना

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने पांच प्रमुख एक्सप्रेसवे के किनारे पौधे लगाने की योजना बनाई है। आंकड़े इस प्रकार हैं: बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे 1.20 लाख पौधे लगाए जाएंगे। व पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के किनारे 60 हजार पौधे लगाए जाएंगे। तथा गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे 40 हजार पौधे लगाए जाएंगे। व गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे 20 हजार पौधे तथा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे 10 हजार पौधे लगाए जाएंगे।

वन विभाग लगाएगा 1.14 करोड़ पौधे सड़कों के किनारे

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केवल वन विभाग ही सड़कों के दोनों ओर कुल 1.14 करोड़ पौधे लगाने जा रहा है। इस योजना में ग्रामीण विकास, शिक्षा, नगर निकाय, सिंचाई और राजमार्ग जैसे विभागों की भी भागीदारी सुनिश्चित की गई है। सरकार का मानना है कि इस अभियान से प्रदेश के पर्यावरण की स्थिति में सुधार होगा। साथ ही, एक्सप्रेसवे जैसे हाई-स्पीड कॉरिडोर पर हरियाली बढ़ने से यात्रियों को दृश्य सौंदर्य का अनुभव भी मिलेगा। नोडल एजेंसी वन विभाग ने सभी संबद्ध विभागों के साथ समन्वय बनाकर तैयारी पूरी कर ली है। UP News

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उत्तर प्रदेश के DGP की बड़ी पहल, 21 अफसरों की खास तैनाती

UP News 2025 06 30T142204.761
UP News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:41 PM
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UP News :  उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया  DGP राजीव कृष्ण ने बड़ी पहल की है। उत्तर प्रदेश के  DGP राजीव कृष्ण ने प्रदेश के 21 IAS अधिकारियों की खास तैनाती की है। उत्तर प्रदेश की पुलिसिंग को और अधिक बेहतर बनाने के मकसद से यह कवायद शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश के DGP को यकीन है कि उनकी पहल के पूरा होने पर उत्तर प्रदेश पुलिस में बड़ा बदलाव आ जाएगा।

उत्तर प्रदेश पुलिस की चाल, चरित्र तथा चेहरा बदलने की पहल

उत्तर प्रदेश के  DGP राजीव कृष्ण ने उत्तर प्रदेश पुलिस की चाल, चरित्र तथा चेहरा बदलने के प्रयास शुरू किए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस को अधिक जवाबदेह तथा संवेदनशील बनाने के मकसद से  DGP ने उत्तर प्रदेश  के 21 IPS अधिकारियों को खास काम सौंपा है। उत्तर प्रदेश के  DGP राजीव कृष्ण ने बताया कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए दस प्रमुख क्षेत्रों में सुधार की जिम्मेदारी 21 IPS अधिकारियों को सौंपी है। यह अधिकारी एक माह में उत्तर प्रदेश पुलिसिंग से संबंधित क्षेत्रों में क्या-क्या सुधार किया जाना चाहिए इसकी रिपोर्ट बनाकर सौंपेंगे। उसके बाद उक्त क्षेत्रों में सुधार का रोडमैप तैयार किया जाएगा। सभी दस प्रमुख क्षेत्रों में सुधार के लिए एक अधिकारी फील्ड से तो एक अधिकारी को मुख्यालय से तैनात किया गया है। डीजीपी ने बताया कि पुलिस की कार्यप्रणाली में और सुधार के लिए संबंधित अधिकारियों को उनकी रुचि के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। उन्होंने बताया कि यह पहली बार है कि जब पुलिस सुधारों में कांस्टेबल से लेकर एडीजी रैंक के अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। नई व्यवस्था का सुझाव देने के लिए पीडि़तों का भी फीडबैक लेने की व्यवस्था की गई है।  DGP ने यह निर्देश भी दिए हैं कि कार्ययोजना बनाते समय विभिन्न स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी इसमें शामिल किया जाए। साथ ही महिलाओं व संबंधित नागरिकों के भी सुझाव लिए जाए।

उत्तर प्रदेश के इन अधिकारियों को सौंपी गई अलग-अलग जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश के 21 IPS अधिकारियों को उत्तर प्रदेश पुलिस में सुधार की विस्तृत योजना बनाकर पेश करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इस विशेष अभियान में महिला सशक्तीकरण एवं सुरक्षा के लिए सुधार की योजना बनाने की जिम्मेदारी महिला IPS अधिकारी पद्मजा चौहान तथा आगरा जोन के ADG अनुपम कुलश्रेष्ठ को सौंपी गई है। इसी प्रकार  साइबर अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी ADG साइबर क्राइम बीके सिंह तथा पुलिस कमिश्नर नोएडा लक्ष्मी सिंह को सौंपी गई है। अपराधियों के विरुद्ध जीरो टालरेंस नीति की जिम्मेदारी एडीजी क्राइम एसके भगत तथा ADG जोन वाराणसी पीयूष मोर्डिया को सौंपी गई है। पुलिस कल्याण की जिम्मेदारी आइजी पुलिस कल्याण आरके भारद्वाज तथा पुलिस कमिश्नर आगरा दीपक कुमार को सौंपी गई है।  कानून-व्यवस्था, बंदोबस्त, एटीएस, एएनटीएफ की जिम्मेदारी एडीजी कानून-व्यवस्था एवं एसटीएफ अमिताभ यश तथा एडीजी जोन कानपुर आलोक सिंह को सौंपी गई है। बेहतर पुलिस सेवाएं की जिम्मेदारी एडीजी तकनीकी सेवाएं नवीन अरोड़ा तथा एडीजी मेरठ जोन भानु भास्कर को सौंपी गई है। प्रतिभा और विशेषज्ञता का उपयोग की जिम्मेदारी आइजी स्थापना नचिकेता झा तथा पुलिस कमिश्नर लखनऊ अमरेंद्र सिंह सेंगर को सौंपी गई है। यातायात प्रबंधन की जिम्मेदारी एडीजी यातायात के सत्यनारायण तथा पुलिस कमिश्नर वाराणसी मोहित अग्रवाल को सौंपी गई है। तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपयोग की जिम्मेदारी एडीजी तकनीकी सेवाएं नवीन अरोड़ा तथा पुलिस कमिश्नर कानपुर अखिल कुमार को सौंपी गई है। प्रशिक्षण की जिम्मेदारी एडीजी प्रशिक्षण राजीव सब्बरवाल तथा एडीजी जोन प्रयागराज संजीव गुप्ता को सौंपी गई है। जनशिकायत का निवारण की जिम्मेदारी रमित शर्मा तथा अपर पुलिस महानिदेशक, बरेली जोन, बरेली को सौंपी गई है।    UP News  

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स्कूल तक पहुँचा कथावाचक विवाद, शिक्षिका ने लगाया पक्षपात का आरोप

स्कूल तक पहुँचा कथावाचक विवाद, शिक्षिका ने लगाया पक्षपात का आरोप
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:41 PM
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UP News :  उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचकों के साथ कथित बदसलूकी के बाद उपजा जातीय तनाव अब शिक्षा जगत तक पहुँच गया है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के  दांदरपुर गांव की रहने वाली रेनू दुबे का है, जिन्होंने यादव समाज के प्रबंधन वाले एक निजी स्कूल द्वारा नौकरी से निकाले जाने का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि कथावाचक कांड के बाद जब उन्होंने जातिसूचक टिप्पणियों के खिलाफ आवाज़ उठाई, तो उन्हें ही स्कूल से निकाल दिया गया, जबकि आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। रेनू दुबे डी.एन. इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षिका थीं।उनका कहना है कि बीते दिनों जब वे स्कूल के प्रचार अभियान के तहत यादव बहुल खितौरा गांव से गुजर रही थीं, तो वहां कुछ लोगों ने कथावाचक विवाद को लेकर उन्हें अपशब्द कहे और जातिसूचक टिप्पणी की।

रेनू ने जब इस घटना की शिकायत स्कूल प्रशासन से की, तो बजाय उन्हें संरक्षण देने के, स्कूल ने उन्हें और उनकी 12 वर्षीय बेटी को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया।पीड़िता की मानें तो वह विधवा हैं और घर में उनकी सास और बेटी की पूरी ज़िम्मेदारी उन्हीं पर है। नौकरी जाने के बाद अब उनके सामने रोज़ी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। घटना के बाद से उनके घर के बाहर पुलिस बल और पीएसी के जवानों की तैनाती की गई है, जिससे गांव में तनाव का माहौल साफ महसूस किया जा सकता है।

स्कूल प्रशासन ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

इस पूरे प्रकरण पर जब स्कूल के व्यवस्थापक से बात की गई, तो उन्होंने रेनू के आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि शिक्षिका को नौकरी से नहीं निकाला गया है, बल्कि मौजूदा हालात को देखते हुए उन्हें अस्थायी रूप से कुछ दिन स्कूल न आने की सलाह दी गई थी। व्यवस्थापक ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया था, जातिगत आधार पर उन्हें हटाने का आरोप निराधार और तथ्यहीन है।

जातीय टकराव में शिक्षा बन रही शिकार

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कथावाचकों से कथित दुर्व्यवहार के बाद से ब्राह्मण और यादव समुदायों के बीच तनाव चरम पर है। इस घटनाक्रम ने जिले की सामाजिक संरचना को झकझोर कर रख दिया है। अब रेनू दुबे का मामला सामने आने से विवाद और गहरा गया है। राजनीतिक गलियारों में भी इस मुद्दे को लेकर सरगर्मी तेज है। एक तरफ रेनू दुबे को न्याय दिलाने की मांग उठ रही है, तो दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन अपने फैसले को तटस्थ और सुरक्षा आधारित बता रहा है। रेनू का कहना है कि जब तक गांव का माहौल सामान्य नहीं होता, तब तक वे किसी अन्य जगह नौकरी की तलाश नहीं करेंगी। लेकिन यह साफ है कि एक शिक्षिका जो सिर्फ अपने अधिकार की बात कर रही थी, वह अब खुद अन्याय की शिकार बनकर सामने आई हैं।    UP News

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