उत्तर प्रदेश में मदरसा वेतन कानून पर विराम, गड़बड़ी करने वालों पर एक्शन तय

सरकार का कहना है कि जिस विधेयक के कारण व्यवस्था लंबे समय तक अधर में रही और नियमों पर लगातार सवाल उठते रहे, उसे हटाकर अब उत्तर प्रदेश में स्पष्ट, एकरूप और जवाबदेह ढांचा तय किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar23 Dec 2025 01:26 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान को लेकर वर्षों से चला आ रहा विवाद अब खत्म होने की तरफ बढ़ गया है। योगी कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक–2016 को वापस लेने के प्रस्ताव पर मुहर लगाकर साफ कर दिया कि प्रदेश अब मदरसा व्यवस्था में कानूनी अस्पष्टता और विवादित प्रावधानों को ढोने के मूड में नहीं है। सरकार का कहना है कि जिस विधेयक के कारण व्यवस्था लंबे समय तक अधर में रही और नियमों पर लगातार सवाल उठते रहे, उसे हटाकर अब उत्तर प्रदेश में स्पष्ट, एकरूप और जवाबदेह ढांचा तय किया जाएगा।

वर्षों की कानूनी उलझन पर अब योगी सरकार का फुल स्टॉप

उत्तर प्रदेश में यह विधेयक 2016 में तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में पेश किया गया था और विधानसभा-परिषद, दोनों सदनों से पारित भी हो गया। लेकिन मंजूरी के मोड़ पर मामला फंस गया तत्कालीन राज्यपाल ने प्रावधानों पर आपत्तियां दर्ज कर फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी। नतीजा यह रहा कि कानून वर्षों तक कागज़ों में ही कैद रहा और जमीन पर उतर ही नहीं पाया। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे औपचारिक रूप से वापस लेने का फैसला लेकर साफ कर दिया है कि वह इस लंबित और विवादित अध्याय को बंद कर नई, स्पष्ट और एकरूप व्यवस्था की तरफ बढ़ना चाहती है।

सरकार का तर्क

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, कैबिनेट के इस फैसले की जड़ में वही “असमान ढांचा” है, जिसे 2016 में मदरसा शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित किया गया था। सरकार का तर्क है कि यह व्यवस्था बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के नियमों से अलग एक अलग ही लाइन पर चल रही थी,यही वजह रही कि इसके कुछ प्रावधानों पर जांच, जवाबदेही और कार्रवाई को लेकर लगातार सवाल उठते रहे। साथ ही वेतन भुगतान में देरी होने पर अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई जैसी शर्तों को लेकर भी समानता और प्रशासनिक संतुलन पर बहस तेज हुई। अब उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि इसी असंतुलन को खत्म कर व्यवस्था को एकरूप, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।

“अब नियम सबके लिए एक जैसे”—राजभर

उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस फैसले को “संविधान की कसौटी” से जोड़ते हुए कहा कि 2016 का विधेयक मूल भावना के अनुरूप नहीं था। उनके मुताबिक, उसमें ऐसे प्रावधान थे जो मदरसा व्यवस्था को एक तरह का विशेष सुरक्षा-कवच दे देते थे और इसी वजह से जवाबदेही का संतुलन बिगड़ने की आशंका बनी रही। राजभर ने कहा कि विधेयक वापस होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में मदरसों से जुड़ी व्यवस्था भी सामान्य कानूनी प्रक्रिया के दायरे में आएगी और किसी भी गड़बड़ी या अनुशासनहीनता की स्थिति में जांच से लेकर कार्रवाई तक की राह साफ और स्पष्ट रहेगी।

जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर

उत्तर प्रदेश सरकार इस फैसले को जवाबदेही और एकरूप नियमों की दिशा में बड़ा संदेश मान रही है। कैबिनेट के स्तर पर संकेत साफ है कि वेतन भुगतान और सेवा-सुविधाओं जैसे संवेदनशील मामलों में अब किसी भी व्यवस्था को कानूनी धुंध या विशेषाधिकार वाली शर्तों के सहारे नहीं चलने दिया जाएगा। सरकार का जोर ऐसे ढांचे पर बताया जा रहा है जिसमें नियम स्पष्ट हों, प्रक्रिया पारदर्शी हो और जिम्मेदारी तय रहे।

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यूपी में ईको-पर्यटन और तीर्थ स्थलों के विकास को मिलेगी नई रफ्तार

विधानसभा में पेश किए गए अनुपूरक बजट में वित्त मंत्री ने ईको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड को 1 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है।

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योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar24 Dec 2025 01:29 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुपूरक बजट के माध्यम से पर्यटन, ईको-पर्यटन, कला-संस्कृति और धार्मिक स्थलों के समग्र विकास को प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का उद्देश्य प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करते हुए पर्यटन को रोजगार और आर्थिक विकास से जोड़ना है

विधानसभा में पेश किए गए अनुपूरक बजट

विधानसभा में पेश किए गए अनुपूरक बजट में वित्त मंत्री ने ईको-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड को 1 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अतिरिक्त, ईको पर्यटन के प्रचार-प्रसार हेतु 10 लाख रुपये की राशि निर्धारित की गई है, जिससे प्राकृतिक स्थलों, वन क्षेत्रों और ग्रामीण पर्यटन को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके। 

प्रदेश में पर्यटकों की सुविधा और पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि का उपयोग यात्री सुविधाओं, संस्थागत ढांचे और पर्यटन से जुड़े आधारभूत ढांचे के विकास में किया जाएगा।

तीर्थ स्थलों के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान का प्रस्ताव रखा गया

धार्मिक पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से श्री सोरों तीर्थ (जनपद कासगंज), श्री कल्कि धाम (संभल) सहित अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान का प्रस्ताव रखा गया है। इस बजट से तीर्थ क्षेत्रों में सड़क निर्माण, प्रकाश व्यवस्था, सूचना केंद्र, शौचालय, पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाओं को सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके। इसके अलावा, प्रदेश के जनपद और ब्लॉक मुख्यालयों पर हेलीपैड सुविधाओं के विकास के लिए भी 10 करोड़ रुपये की मांग की गई है, जिससे आपातकालीन सेवाओं और पर्यटन आवागमन को गति मिलेगी।

लोक कलाकारों को सशक्त बनाने हेतु 5 करोड़ रुपये की व्यवस्था 

कला और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में लोक कलाकारों को सशक्त बनाने हेतु 5 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है, जिससे वे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की खरीद कर अपनी कला को आगे बढ़ा सकें। वहीं, ऐतिहासिक धरोहर छतर मंजिल, लखनऊ के संरक्षण और पुनर्स्थापन के लिए 3 करोड़ 44 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। कुल मिलाकर, यह अनुपूरक बजट उत्तर प्रदेश में ईको-पर्यटन, धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत के विकास को एक नई दिशा देने वाला साबित होगा, जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

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योगी ने कहा-गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर बुलडोजर चलेगा तो हंगामा मत करना

नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर इस उम्र में व्यक्ति सच बोलने लगता है, लेकिन समाजवादी पार्टी उन्हें भी असत्य बयान देने के लिए मजबूर कर रही है।

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सीएम योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar24 Dec 2025 02:00 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोडिन कफ सिरप से जुड़े अवैध कारोबार को लेकर सरकार की कार्रवाई का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर बुलडोजर की कार्रवाई होती है, तो उस समय हंगामा नहीं करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर इस उम्र में व्यक्ति सच बोलने लगता है, लेकिन समाजवादी पार्टी उन्हें भी असत्य बयान देने के लिए मजबूर कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि पांडेय ने लंबे समय तक विधानसभा अध्यक्ष के रूप में सदन को सफलतापूर्वक संचालित किया है और उन्हें तथ्यों से भटकना नहीं चाहिए।

पूरे प्रकरण की जांच एसटीएफ द्वारा की जा रही 

मुख्यमंत्री योगी ने सदन को बताया कि अब तक इस मामले में 79 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 225 लोगों को नामजद किया गया है। 78 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और 134 फर्मों पर छापेमारी की गई है। जांच के दौरान यह बात सामने आ रही है कि किसी न किसी स्तर पर समाजवादी पार्टी से जुड़े व्यक्ति इस नेटवर्क में शामिल पाए गए हैं। एक पदाधिकारी के बैंक खाते के माध्यम से अवैध लेन-देन के प्रमाण भी मिले हैं। पूरे प्रकरण की जांच एसटीएफ द्वारा की जा रही है। 

सरकार हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार 

उन्होंने बताया कि न्यायालय ने इस मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इस अवैध कारोबार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। बुलडोजर कार्रवाई को लेकर विपक्ष की आलोचना पर मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार है और जब समय आएगा, तब विरोध करने से पहले तथ्यों को समझ लेना चाहिए। सीएम योगी ने स्पष्ट किया कि कफ सिरप का उपयोग केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही किया जाना चाहिए, चाहे वह बच्चा हो या वयस्क। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेताओं को इस विषय की बुनियादी जानकारी भी नहीं है, इसी कारण वे भ्रामक बयान दे रहे हैं।

पूरा मामला अवैध आपूर्ति और गलत इस्तेमाल से जुड़ा

उन्होंने यह भी कहा कि 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े होलसेलर को लाइसेंस जारी किया गया था, जिसे बाद में एसटीएफ ने पकड़ा। मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब देश में गंभीर मुद्दों पर चर्चा होती है, तब कुछ लोग विदेश भ्रमण पर निकल जाते हैं। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि उत्तर प्रदेश में कोडिन कफ सिरप का निर्माण नहीं होता। यहां केवल इसके स्टॉकिस्ट और होलसेलर मौजूद हैं। इसका उत्पादन मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में होता है। यूपी में इस सिरप से किसी की मृत्यु की कोई सूचना शासन को नहीं मिली है। जिन राज्यों में मौत के मामले सामने आए हैं, वे अन्य राज्यों में बने सिरप से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला अवैध आपूर्ति और गलत इस्तेमाल से जुड़ा है। सहारनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर और वाराणसी के कुछ होलसेलरों द्वारा इसे उन राज्यों और देशों में भेजा गया, जहां शराबबंदी लागू है और नशे के आदी लोग इसका दुरुपयोग करते हैं।