Wednesday, 8 May 2024

शुगर के मरीजों के लिए आई खुशखबरी, नहीं लगाने पड़ेंगे इंसुलिन के इंजेक्शन

भारत ही नहीं दुनिया भर में फैले डायबिटीज (शुगर) के मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब…

शुगर के मरीजों के लिए आई खुशखबरी, नहीं लगाने पड़ेंगे इंसुलिन के इंजेक्शन

भारत ही नहीं दुनिया भर में फैले डायबिटीज (शुगर) के मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। अब शुगर (डायबिटीज) के मरीजों को इंसुलिन के इंजेक्शन लगवाने से मुक्ति मिलने वाली है। इतना ही नहीं जल्दी ही डायबिटीज (शुगर) के मरीजों को दवाई देने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरी दुनिया में महामारी की तरह फैल रही डायबिटीज (शुगर) की बीमारी को रोकने के लिए भारत के उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर में स्थित एम्स के डाक्टरों ने सफलता हासिल कर ली है। एम्स ऋषिकेश के डाक्टरों द्वारा डायबिटीज को कंट्रोल करने का तरीका खोज लिया है। जल्दी ही डायबिटीज कंट्रोल करने का यह तरीका आम जनता के लिए उपलब्ध हो जाएगा।

45 करोड़ लोग हैं डायबिटीज के मरीज

आपको बता दें कि पूरी दुनिया में डायबिटीज की बीमारी तेजी से फैल रही है। धीरे-धीरे डायबिटीज महामारी का रूप लेती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में इस समय डायबिटीज के 10 करोड़ मरीज हैं। भारत में डायबिटीज की बीमारी को शुगर की बीमारी भी कहा जाता है। पूरी दुनिया में इस समय डायबिटीज (शुगर) के 45 करोड़ मरीज मौजूद हैं। यूके के मैर्जकल जर्नल “लैंसेट” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष-2019 तक भारत में डायबिटीज के सात करोड़ मरीज थे। अब भारत में डायबिटीज (शुगर) के 10 करोड़ मरीज हैं। डायबिटीज (शुगर) को कंट्रोल में रखने के लिए डायबिटीज के मरीजों को नियमित रूप से दवाई लेनी पड़ती है। इतना ही नहीं डायबिटीज बढ़ जाने पर डायबिटीज के मरीजों को रोजाना पेट में इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। अब जल्दी ही डायबिटीज के मरीजों को नियमित दवाई लेने तथा इंसुलिन के इंजैक्शन लगाने से छुटकारा मिलने वाला है।

बीटा नैनो कैप्सूल से कंट्रोल होगी शुगर की बीमारी

आपको बता दें कि भारत के उत्तराखंड प्रदेश में ऋषिकेश शहर है। इस शहर में एम्स ऋषिकेश के नाम से एक प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज है। एम्स ऋषिकेश के डाक्टरों ने डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए एक बड़ी खोज की है। एम्स ऋषिकेश के डाक्टरों ने बीटा सेल तकनीक से बीटा सेल का नैनो कैप्सूल तैयार कर लिया है। नैनो कैप्सूल को डायबिटीज के मरीज के पेट में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा। इस प्रकार डायबिटीज हमेशा के लिए कंट्रोल में रहेगी।

क्या है बीटा नैनो कैप्सूल?

आपको बता दें कि डायबिटीज के मरीजों को शुगर नियंत्रण के लिए हर दिन नियमित दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। जब दवाइयां भी काम करना बंद कर देती हैं तो मरीजों को बाहर से इंसुलिन के लिए प्रतिदिन टीका लगाना पड़ता है।  एम्स जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत ने अपने शोध के आधार पर दावा किया कि अब बिना दवा और इंसुलिन इंजेक्शन ही लंबे समय तक शुगर को नियंत्रित बंद रखा जा सकता है। अभी इस कैप्सूल का पशुओं पर प्रयोग चल रहा है। प्रो. रविकांत ने उक्त शोध के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है।

सबसे पहले एक स्वस्थ व्यक्ति के अग्नाशय से बीटा सेल निकालकर प्रयोगशाला में कई बीटा सेल का निर्माण किया जाएगा। फिर इन्हें नैनो कैप्सूल में बंद कर दिया जाता है। नैनो कैप्सूल में बीटा सेल के लिए जरूरी पोषक जैसे आक्सीजन आदि भी मौजूद होते हैं, जिससे बीटा सेल इंसुलिन का निर्माण करती हैं। इस नैनो कैप्सूल को पेट के उस हिस्से पर प्रत्यारोपित किया जाता है, जहां इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। बीटा नैनो कैप्सूल से उत्पादित इंसुलिन मरीज के रक्त में पहुंचता है और शुगर को नियंत्रित करता है।

बीटा सेल अग्नाशय (पेंक्रियाज) में होती हैं, जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं। इंसुलिन शरीर में कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म का कार्य करती है, जिससे शुगर लेवल सामान्य रहता है। टाइप वन के शुगर में बीटा सेल इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती, जिससे मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है। वहीं टाइप टू शुगर में शुरुआती चरण में बीटा सेल अत्यधिक कार्य करती हैं। शरीर में मौजूद इंसुलिन प्रतिरोध को ज्यादा इंसुलिन की जरूरत होती है, लेकिन बाद में बीटा सेल की हानि होती हैं और शुगर लेवल बढ़ जाता है। एक समय ऐसा आता है जब, दवाइयां काम करना बंद कर देती हैं। तब मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है।

क्या होती है डायबिटीज

आपको यह भी बता दें कि  डायबिटीज एक अस्थायी रूप से उच्च रक्त शर्करा स्तर की स्थिति है जो शरीर के इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी या शरीर के इंसुलिन के सही उपयोग की असमर्थता से होती है। इससे रक्त में शर्करा का सही रूप से उपयोग नहीं हो पाता और उच्च रक्त शर्करा स्तर  (हाई शुगर) की समस्या हो जाती है।

मधुमेह (डायबिटीज) का कारण अनुवंशिक और पर्यावरणिक दोनों हो सकते हैं। मधुमेह के अनुवंशिक कारणों में जीनेटिक प्रभाव, यानी वंशागत संक्रमण और परिवार में मधुमेह के संक्रमित होने की वजह से होने वाला मधुमेह शामिल होता है। इसके लिए कुछ विशेष जीनों के मुद्रण में बदलाव होता है जो इंसुलिन के उत्पादन, उपयोग या इंसुलिन के प्रतिरक्षा की क्षमता को प्रभावित करते हैं।  मधुमेह के पर्यावरणिक कारण शामिल हैं अवज्ञात लाइफस्टाइल, खुराक विकार, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, खाद्य पदार्थों की गलत आदतें, तंत्रिका विकार, तनाव और अनियमित नींद जैसे कारक। इन कारकों के संयोग से शरीर इंसुलिन के उत्पादन और उपयोग में असमर्थ हो जाता है या उपयोगिता कम हो जाती है, जिससे मधुमेह विकसित हो सकता है। यह दृष्टिगत होने वाले कारण मधुमेह के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन सभी मामलों में यह स्पष्ट नहीं होता है कि विशेष कारण कौन सा है। अक्सर यह एक संयोगी तत्वों का परिणाम होता है जो एकदिवसीय जीवनशैली और आनुवंशिक प्रभाव के संयोग से प्रभावित होते हैं।

क्या है डायबिटीज के लक्ष्ण

डायबिटीज (मधुमेह ) के निम्नलिखित लक्षण होते है जैसे की –

  • Excessive Thirst – अत्यधिक प्यास
  • Unexplained Weight Loss – अपरिहार्य वजन कमी
  • Increased Hunger – बढ़ी हुई भूख
  • Fatigue – थकान
  • Slow Healing of Wounds – घावों का धीमा भरना
  • Blurry Vision – धुंधली दृष्टि
  • Numbness or Tingling in Extremities – हड्डीयों में सुन्न या झिल्ली जैसा आभास:
  • Frequent Infections – बार-बार संक्रमण:
  • Dry Skin and Itching – शुष्क त्वचा और खुजली:
  •  Mood Swings – मूड बदलना
  • Recurring Urinary Tract Infections (UTIs) – बार-बार होने वाले मूत्रमार्ग संक्रमण:
  • Slow Reflexes – धीमे प्रतिक्रियाएं
  • Erectile Dysfunction – यौन अक्षमता

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