Crude oil : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के बाद वैश्विक राजनीति और आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इन बदलावों का असर विशेष रूप से तेल (Crude oil) उद्योग पर देखा जा रहा है। ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने दुनियाभर के देशों को अपनी आर्थिक गतिविधियों में बदलाव करने के लिए मजबूर किया है। इसके अलावा, खाड़ी देशों और कच्चे तेल के भंडार वाले देशों ने भी इस क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 में कच्चे तेल (Crude oil) का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे तेल उत्पादक देशों की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी।
इराक का तेल (Crude oil) उत्पादन बढ़ाने का ऐलान
इराक, जो पहले से ही दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में शामिल है, ने घोषणा की है कि वह 2029 तक अपने तेल (Crude oil) उत्पादन को 6 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तक बढ़ा देगा। इराक के तेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेल एक्सप्लोरेशन और ड्रिलिंग के जरिए कदम उठाए जाएंगे। इराक का वर्तमान उत्पादन 4 मिलियन बैरल प्रति दिन है, और इस कदम से वह वैश्विक तेल आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अतिरिक्त, तेल मंत्रालय ने बीपी (ब्रिटिश पेट्रोलियम) के साथ हुए समझौते का जिक्र किया है, जो किरकुक क्षेत्रों में नए विकास को लेकर है।
नए तेल (Crude oil) भंडार की खोज और उत्पादन में बढ़ोतरी
दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में भी तेल (Crude oil) के नए भंडार की खोज हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन क्षेत्रों से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है, और अगले साल 3 मिलियन बैरल प्रति दिन की अतिरिक्त आपूर्ति बाजार में आ सकती है। अमेरिकी सरकार ने अपने “ड्रिल बेबी ड्रिल” प्रोजेक्ट के तहत भी कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इसका मतलब है कि दुनिया में तेल की आपूर्ति में कोई कमी नहीं आने वाली है, और कच्चे तेल की कीमतें गिर सकती हैं।
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत
भारत, जो कच्चे तेल (Crude oil) का बड़ा आयातक है, को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का सीधा लाभ हो सकता है। कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में कमी आने से भारत का आयात बिल घटेगा और डॉलर में ज्यादा खरीदारी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे भारतीय रुपए की वैल्यू में भी सुधार हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में गिरावट से पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे देशभर में महंगाई पर काबू पाया जा सकता है। भारत को अपनी ऊर्जा की जरूरतों का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा तेल आयात से पूरा करना पड़ता है, इसलिए कच्चे तेल की कीमतों में कमी का फायदा भारतीय उपभोक्ताओं को मिलेगा।Crude oil :
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