जोहानिसबर्ग। भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी स्वतंत्रता सेनानी मूसा ‘मूसी’ मूला का निधन हो गया। वह लंबे वक्त से बीमार थे। वह 88 वर्ष के थे।
छोटे से शहर क्रिस्टियाना में जन्मे मूला ने ‘ट्रांसवाल इंडियन कांग्रेस’ (टीआईसी) की युवा शाखा के लिए काम करते समय रंगभेद का विरोध करने वाले पोस्टर गुप्त रूप से लगाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। बाद में मूला को टीआईसी के कार्यकारी के रूप में चुना गया था। उन्होंने इसके पूर्णकालिक आयोजक के रूप में भी सेवा दी थी। मूला को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, लेकिन वह और तीन अन्य मार्शल स्वाक्यर थाने से भाग गए थे।
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गैर कानूनी तरीके से दक्षिण अफ्रीका छोड़ने के बाद मूला दार-एस-सलाम में अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के निर्वासित नेताओं के साथ मिल गए। एएनसी ने 1969 में मूला को तत्कालीन बंबई में तैनात किया था, जहां एएनसी का पहला विदेशी मिशन स्थित था
राजनीतिक बंदी के रूप में नेल्सन मंडेला की 27 साल बाद रिहाई के पश्चात 1990 में मूला वतन लौटे।
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साल 1994 में मंडेला के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मूला को ईरान में दक्षिण अफ्रीका का राजदूत नियुक्त किया गया। इसके बाद वह पाकिस्तान में उच्चायुक्त भी रहे। मूला के तीन बच्चे हैं। उनके अंतिम संस्कार के बारे कोई घोषणा अभी नहीं की गई है।
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