Saturday, 23 November 2024

राम मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं चीन और हांगकांग

भारत में एक बहुत पुरानी कहावत है कि “राम मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी।” ही यह कहावत इन दिनों…

राम मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं चीन और हांगकांग

भारत में एक बहुत पुरानी कहावत है कि “राम मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी।” ही यह कहावत इन दिनों चीन (CHINA) तथा हांगकांग (HONG KONG) जैसे दो देशों पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। दरअसल चीन (CHINA) तथा हांगकांग (HONG KONG) इन दिनों आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। देश की सबसे बड़ी शक्ति बनने के चक्कर में चीन उल्टा ही फंसता जा रहा है। वहीं उसका पड़ोसी देश हांगकांग कभी चीन से ज्यादा धनवान होकर आज चीन पर आश्रित होता जा रहा है। यह तो वही बात हुई ना कि दोनों के साथ “राम मिलाई जोड़ी एक अंधा एक कोढ़ी” वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि चीन तथा हांगकांग अचानक विश्व पटल पर चर्चा के विषय बन गए हैं। दुनिया भर में अनेक विशेषज्ञ बता रहे हैं कि चीन तथा हांगकांग के बुरे दिन आ गए हैं। ये दोनों ही देश चीन तथा हांगकांग आज भी अपने आप को तुर्रमखान बताने तथा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। कुल मिलाकर चीन तथा हांगकांग इन दिनों हर किसी की जिज्ञासा का विषय बने हुए हैं। हमारे विशेष प्रतिनिधि राकेश सूद ने चीन तथा हांगकांग की स्थिति  को बड़े ही सारगर्भित ढंग से समझाने का प्रयास किया है। यहां प्रस्तुत है हमारे विशेष प्रतिनिधि राकेश सूद कीस रिपोर्ट।

चीन की तरफ भागता हुआ हांगकांग

अस्सी साल की श्वेन-चुन वा पति के साथ तेजी से एक हरी बस में सवार होती है। उनके साथ बीस से ज्यादा लोग और हैं। इन सबके पास खाली सूटकेस हैं। इन तमाम हांगकांगवासियों का गंतव्य चीनी शहर शेंजेन है, जो हांगकांग की उत्तरी सीमा से सटा हुआ है। श्वेन-चुन वा एक साल में दूसरी बार शेंजेन जा रही हैं। पिछली बार नया दांत लगवाने के लिए वह शेंजेन गई थीं। वहां 9,000 डॉलर में उनका काम हो गया था, जबकि हांगकांग में इसके लिए उन्हें कम से कम 25,000 डॉलर खर्च करने पड़ते। ‘मेरे पास उतने पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने शेंजेन जाने का फैसला किया था’, हंसते हुए वह कहती है।

महामारी के दौर के प्रतिबंधों को खत्म करते हुए चीन ने जनवरी, 2023 में हांगकांग से लगी अपनी सरहद खोल दी। उसके बाद से शेंजेन शहर हांगकांगवासियों का साप्ताहिक गंतव्य ही हो गया है, जहां वे सस्ते में खरीदारी करने, मसालेदार लजीज खाना खाने और दांत के डॉक्टरों को दिखाने जाते हैं। हांगकांग में महंगाई तो ज्यादा है ही, वहां वस्तुओं के विकल्प कम हैं, और खरीदारी का वैसा आनंद भी नहीं है, जैसा शेंजेन में है। शेयर बाजार की बुरी स्थिति के कारण हांगकांग की अर्थव्यवस्था तबाह है, ऐसे में, वहां के लोगों के लिए पैसे का महत्व बढ़ गया है। पैसे बचाने के लिए ही वे आए दिन शेंजेन का रुख करते हैं। चीन की अर्थव्यवस्था का हाल भी अच्छा नहीं है, लेकिन वहां सामान सस्ते हैं।

खरीदारी के लिए हांगकांगवासियों के चीन जाने का यह चलन नया है। एक समय था, जब सस्ते का आकर्षण चीनियों को हांगकांग के बाजारों तक ले जाता था। लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। आलम यह है कि हांगकांग के लोग सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को बताते रहते हैं कि शेंजेन में कहां बेहतरीन पेस्ट्री मिलती है और किस दुकान पर रोबोट चाय पेश करता है। जो टूर ऑपरेटर पहले जापान और थाईलैंड के पैकेज बेचते थे, वे अब शेंजेन का टूर आयोजित करने लगे हैं और यह भी बताते हैं कि कहां चीजें सबसे सस्ते में मिल सकती हैं। सप्ताहांत में कभी-कभी शेंजेन में इतनी भीड़ हो जाती है कि स्थानीय चीनी मजाक करते हैं कि हांगकांगवासियों ने शहर पर कब्जा कर लिया है। शेंजेन के व्यापारी, होटल मालिक और दांतों के डॉक्टर भी हांगकांग से आने वाले ग्राहकों को छूट देते हैं और उन्हें अपने यहां आकर्षित करने के लिए तमाम कदम उठाते हैं।

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