हॉस्पिटल और डॉक्टर्स को सेवा भाव से जुड़ा माना जाता है, इसलिए लोग इन्हें भगवान का दर्जा देते हैं। लेकिन कुछ लोग इसे भी बिजनेस बनाने लगे हैं। ऐसे लोग मरीजों की जान की कीमत तय करने लगे हैं। कई बार हॉस्पिटलों पर लोगों के अंग चुराने और उनकी खरीद-फरोख्त के आरोप लगते हैं। हालांकि भारत में सरकार इस संदर्भ में काफी गंभीर है और उसने इन चीजों को रोकने के लिए कड़े कानून भी बनाए हैं। लेकिन फिर भी कई बार कुछ हॉस्पिटलों पर इन क़ानूनों का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहते हैं।
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हॉस्पिटल पर लगे किडनी की खरीद-फरोख्त के आरोप
इंग्लैंड के प्रसिद्ध न्यूज पेपर द टेलीग्राफ का कहना है कि भारत में शरीर के अंगों की खरीद-फरोख्त पूरी तरह गैर कानूनी है, मगर हमारे रिपोर्टर को म्यांमार के एक बिचौलिए ने बताया कि यहां पर यह एक बड़ा बिजनेस बन चुका है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि म्यांमार के गरीब लोगों से किडनी खरीदी जाती है और उसे भारत के अमीर किडनी के मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाता है।
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अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने दावा किया कि उसे इस कथित रैकेट की जानकारी खुद म्यांमार के एक शख्स ने दी। इस व्यक्ति ने बताया कि उसने सितंबर, 2022 में अपनी एक किडनी बेची थी। जिसके बदले उसे 8 मिलियन क्यात (म्यांमार की करेंसी) मिली थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह किडनी ट्रांसप्लांटेशन दिल्ली के एक हॉस्पिटल में हुआ था। म्यांमार का व्यक्ति जो किडनी डोनर था, वो इसे लेने वाले मरीज के लिए पूरी तरह से अनजान था।
इस रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया में फर्जी डॉक्यूमेंट्स और फैमिली फोटोग्राफ तैयार किए गए, ताकि डोनर को मरीज का रिश्तेदार साबित किया जा सके। क्योंकि भारत में जो कानून है, उसके अनुसार मरीज सामान्य परिस्थितियों में किसी अनजान व्यक्ति से कोई ऑर्गन नहीं ले सकता।
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अपोलो हॉस्पिटल ने किया आरोपों से इंकार
लंदन के न्यूजपेपर द टेलीग्राफ की इस रिपोर्ट में लगाए गए इन आरोपों को अपोलो हॉस्पिटल की ओर से पूरी तरह से गलत बताया गया है। इन आरोपों को लेकर अपोलो हॉस्पिटल के प्रवक्ता ने किडनी खरीद-फरोख्त रैकेट में हॉस्पिटल की किसी भी तरह की भागीदारी से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि टेलीग्राफ न्यूज पेपर की रिपोर्ट एकदम गलत और भ्रामक है।
हॉस्पिटल के प्रवक्ता ने कहा, “हॉस्पिटल ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लेकर बने सारे कानूनी प्रावधानों का पूरी तरह पालन करता है। सरकार की ओर से जो भी गाइडलाइन दी गई है, उसका पूरी तरह ध्यान रखा जाता है।” लेकिन बताया ये भी जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद हॉस्पिटल ने म्यांमार ऑपरेशन्स के अपने हेड को सस्पेंड कर दिया है।
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