Monday, 6 May 2024

Relationship According To Astrology : इन अशुभ योगों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में होते हैं झगड़े 

Relationship According To Astrology : (आचार्य राजरानी) प्रेम संबंधों में लिव इन रिलेशनशिप आज के समय में सबसे ज्यादा सुना…

Relationship According To Astrology : इन अशुभ योगों के कारण लिव इन रिलेशनशिप में होते हैं झगड़े 

Relationship According To Astrology : (आचार्य राजरानी) प्रेम संबंधों में लिव इन रिलेशनशिप आज के समय में सबसे ज्यादा सुना जाने वाला शब्द है। लिव इन रिलेशनशिप का नाम आते ही हमें लग सकता है कि यह एक अत्यंत स्वतंत्र और उपयोगी विचारधारा है, लेकिन कुछ चीजें दूर से जितनी चमकती हैं करीब से उनका सच बेहद भयावह दिखाई पड़ता है। आज के समय में कितनी ही घटनाएं हम अपने आस पास इस समय घटते हुए देख सकते हैं, जो इस लिव इन रिलेशनशिप के कारण हम सभी के सामने बेहद खराब रुप में हमारे सामने प्रत्यक्ष हो रही हैं। रिश्तों के मध्य ऐसी कई बातें हैं जो इस प्रकार की दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं।

Relationship According To Astrology

जब हम ज्योतिष के अनुसार इनके पीछे के रहस्य को खोजने की कोशिश करते हैं तो हम बेहद सटीकता के साथ इसे सभी के सामने रख सकते हैं। इनके कारणों की व्याख्या करने में ज्योतिष एक बेहद कारगर जरिया बन सकता है। रिश्ते में एक समय प्रेम और दूसरे समय अलगाव इस बात को समझने के लिए जरुरी है कि व्यक्ति अपनी कुंडली का सही रुप से विश्लेषण करवाए, क्योंकि चीजें कब कितनी सही रहेंगी और कब कितना तालमेल बनेगा इसका कारण हम कुंडलियों एवं ज्योतिष सूत्रों के अनुसार ही जान सकते हैं।

ज्योतिष से समझें इन रिलेशनशिप

ज्योतिष को हम चाहे कुछ भी कहें, किंतु यह वह प्राचीन विद्या है जिसके सत्य को नकारा नहीं जा सकता है। आज भी हम कितने ही लोगों की भविष्यवाणियों को सच होते देख सकते हैं, और इस कारण से ज्योतिष के सैद्धांतिक पहलू को हम नकार कर असत्य करार नहीं कर सकते हैं। इसी के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव एवं उसकी विचारधारा को जाना जा सकता है। ज्योतिष के द्वारा उसके आगामी भविष्य की स्थिति को समझा जा सकता है। व्यक्ति कितना नम्र या हिंसात्मक हो सकता है। उसकी चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन उसकी राशि एवं लग्न की स्थिति से समझा जा सकता है। इस स्थिति में जब हम किसी व्यक्ति के साथ अपने संबंधों की रुपरेखा को समझना चाहें तो हम ज्योतिष में मौजूद सूत्रों का सहारा लेकर इसे बहुत अच्छे से समझ सकते हैं।

ज्योतिष अनुसार रिलेशनशिप में अलगाव के कारण

वैदिक ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में कुछ ऐसे अशुभ योग होते हैं जिसके कारण पार्टनर के बीच लड़ाई-झगड़े अथवा मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होती है। यह विवाद कभी छोटे होते हैं तो कभी इतने बड़े हो जाते हैं जिसमें कई तरह की परेशानी शारीरिक हिंसा भी शामिल हो जाती है। आइए इन योगों के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं…

ज्योतिष अनुसार प्रेम संबंधों में जब शुभता की बात की जाती है तो व्यक्ति की कुंडली शुक्र, बृहस्पति, चंद्रमा एवं मंगल ग्रह की शुभता को विशेष रुप से देखा जाता है। यह वो ग्रह हैं जो प्रेम एवं उसके आनंद को बनाए रखने के लिए बेहद आवश्यक होते हैं। अब यदि यह ग्रह कुंडली में यदि कमजोर या पप ग्रहों के प्रभाव में होते हैं तो इस स्थिति के कारण प्रेम संबंध खराब होने लगते हैं। व्यक्ति को रिश्ते में धोखा मिल सकता है या उसके साथ रिश्ते में किसी भी तरह की पीड़ा अधिक रह सकती है।

किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल का प्रभाव उसके यौन संबंधों पर असर डालता है। मंगल नीच या अशुभ स्थिति में हो तब उस स्थिति में व्यक्ति यौन संबंधों में शारीरीक हिंसा को अधिक झेलता है। अप्राकृतिक यौन संबंधों की स्थिति भी मंगल के अशुभ होने पर ही दिखाई देती है। मंगल का राहु के साथ होना इस ओर संकेत अधिक देने वाला होता है।

Relationship – ज्योतिष में पंचम भाव

प्रेम संबंधों की स्थिति को ज्योतिष में पंचम भाव से देखा जाता है। पंचम भाव के साथ जब सप्तम भाव और लग्न का संबंध बनता है तो ही प्रेम विवाह हो सकता है, यदि इनमें से कोई दो भाव ही मिल रहे हैं और वह भी पाप ग्रह से प्रभावित हैं तो ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप बनता है लेकिन यह विवाह में नहीं बदल पाता है और रिश्ता अधूरा ही रह जाता है।

कुंडली में यदि राहु, चंद्रमा, सूर्य एवं मंगल का युति योग बन रहा हो। शुक्र नीच का हो तथा पंचम भाव, सप्तम भाव एवं लग्न की स्थिति पाप प्रभावित हो तब उस स्थिति में रिलेशनशिप आरंभिक रुप से अच्छा होता है लेकिन बाद में वह विवादों के साथ ही समाप्त होता है।

ज्योतिष में यह कुछ बातें हैं जो मोटे तौर पर हम व्यक्ति के लिए देखते हैं। लग्न व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है, पंचम प्रेम और बुद्धि स्थान होता है, सप्तम विवाह स्थान होता है। अत: इन सभी में एक से अधिक पर पाप ग्रहों का प्रभाव, खराब गोचर और खराब दशा जब साथ में चल पड़ती है तो वह समय बेहद नकारात्मक पक्ष की सूचना देने वाला समय होता है। ज्योतिष के इन कुछ सिद्धांतों के अलावा अन्य बहुत सी बातें हैं जिन पर अध्ययन करके ही सटिक रुप से रिश्तों की शुभत एवं अशुभता को समझ कर आने वाले समय की गंभीरता एवं परेशानियों से बचाव भी संभव हो सकता है।

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