Saturday, 18 May 2024

Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी पर पर हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए 300 वर्ष बाद ब्रह्मा और शुक्ल का अद्भुत शुभ योग

Ganesh Chaturthi 2023:  मीना कौशिक।19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर देश भर में घर-घर गणेश जी की प्रतिमा की  स्थापना…

Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी पर पर हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए 300 वर्ष बाद ब्रह्मा और शुक्ल का अद्भुत शुभ योग

Ganesh Chaturthi 2023:  मीना कौशिक।19 सितंबर को गणेश चतुर्थी पर देश भर में घर-घर गणेश जी की प्रतिमा की  स्थापना करके उन्हें आमंत्रित किया जाएगा। गणेश जी की पूजा अर्चन और विशेष पूजा के साथ खासतौर से दुर्वा पूजा और लड्डू के साथ पीतांबर वस्त्र पहनकर आपने पूजा की और गणेश जी को भी पीतांबर वस्त्र पहनाएं तो आपके सारे काम बन जाएंगे। गणेश जी बुद्धि और समृद्धि के दाता है अपने श्रद्धा से उन्हें मात्र दुर्वा चढ़ा कर भी अक्षत और जल के साथ उनका स्मरण किया और पूजा अर्चना की तो आपके काम में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाएगी ,सभी संकट दूर हो जाएंगे। क्योंकि कल संकट चतुर्थी पर 300 वर्षों बाद पंडितों के अनुसार ब्रह्मा और शुक्ल योग एक साथ मिलकर शुभ योग बना रहे हैं
देवों में प्रथम देव है गणेश...

गणेश चतुर्थी पर दुर्वा पूजा से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी आपका पूरा घर परिवार सुखी और संपन्न रहेगा। प्रख्यात पंडित सुरेश पांडे क्या कहना है गणेश जी सभी देवों में प्रथम देव है और उनकी पूजा अर्चना से समृद्धि और विवेक प्राप्त होता है जिससे सभी संकट दूर होकर परिवार के सदस्यों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। और कल से 11 दिनों के लिए गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ देश भर में यह पर्व 19 सितंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा और अगले 10 दिनों तक यह पर्व पूजा पाठ के साथ 11 दिन बाद गणेश जी को विदाई करके उनका विसर्जन किया जाएगा।
Ganesh Chaturthi 2023 गणेश चतुर्थी की परंपरा…

ये पर्व  हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। शुभ मुहूर्त में गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करके स्नान ध्यान के बाद दुर्वा लड्डू फल फूल अक्षत के साथ भगवान गणेश जी की पूजा करके उनका विशेष आशीर्वाद मांगा जाता है। और मान्यता है कि भगवान गणेश बुद्धि विवेक और समृद्धि के दाता है और उनकी पूजा अर्चन करने से सभी संकट दूर रहते हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक चलता है..
पंडित सुरेश पांडे के मुताबिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाता है. ये पर्व गणेश चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अगले 10 दिनों तक चलता है. वहीं अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश को विदा किया जाता है.। इस बार उदया तिथि के आधार पर 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाने वाला है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए.
बुद्धि समृद्धि और विवेक के दाता है गणेश…
आपको अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उसकी पढ़ाई के लिए या फिर अपने पति, परिवार के सदस्यों के लिए संकट मुक्त अच्छा भविष्य की कामना करनी है तो आपको सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा अवश्य करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश पूज्य देवता और बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक का दाता है. और पूजा अर्चन में इनका सर्वप्रथम स्थान है सभी देवताओं की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करके ही अन्य देवों को आमंत्रित किया जाता है।
Ganesh Chaturthi 2023 कल दोपहर में पूजा का शुभ मुहूर्त..
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन पर अगर आप घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करने जा रहे हैं तो दोपहर के शुभ मुहूर्त मैं पूजा का विधान होना चाहिए।
गणेश जी की पूजा में दुर्वा का महत्वपूर्ण स्थान… कैसे करें पूजा…
गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा को पूरे विधि विधान से स्थापित करें।
फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें. पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जाता है। गणेश जी की आराधना में दूर्वा जरूर रखें। गणेश जी की पूजा में कुछ भी ना हो लेकिन दूर्वा से वह प्रसन्न हो जाते हैं।
Ganesh Chaturthi 2023 पूजा का विधान…
सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं. चौकी के पूर्व भाग में कलश स्थापित करें। इसके बाद दिया जलाने के साथ ही अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें। माथे पर तिलक लगाएं.। तो ‘ॐ गं गणपतये नमः इसी मंत्र से सारी पूजा करें। हाथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करके गणेश जी का आसान ग्रहण करने के लिए उन्हें आमंत्रित करें।
गणेश मंत्र से करें जाप…
ॐ श्रीगणेशाय नमः. ॐ गं गणपतये नमः. मंत्र का जाप करते हुए आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं. पूजा में पंचामृत का भी महत्व होता है।और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं. उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल के साथ पूजा अर्चन करें।
सबसे अंत में गणेश जी की की आरती धूप दीप कपूर के साथ करें पुनः पुष्पांजलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्। से पुष्पांजलि करें. इसके बाद गणेश जी की तीन बार प्रदक्षिणा करें.।
क्यों की जाती है दुर्वा और लड्डू से गणेश जी की पूजा…
गणेश जी को दूर्वा सबसे अधिक प्रिय है या फिर लड्डू। ऐसी मान्यता है कि दूर्वा और लड्डू से गणेश जी को प्रसन्न करके आप हर प्रकार का सुख अपने परिवार में पा सकते हैं। रिद्धि सिद्धि के दाता गणेश दुर्गा पूजा से और लड्डू के प्रसाद को प्राप्त करके घर में अन्य और लक्ष्मी का भंडार पूर्ण रखते हैं और किसी भी प्रकार का संकट उसे घर में नहीं आता। गणेश जी दुर्गा और लड्डू से प्राप्त हो जाते हैं।
एक मान्यता है की गणेश जी ने अनलासुर रक्षा का अंत करने के लिए उन्हें साबुत निगल लिया था क्योंकि अनलासुर के अत्याचार बढ़ रहे थे और देवताओं ने महादेव शिव से प्रार्थना की अनलासुर का अंत कैसे हो आप बताइए ,ऋषि मुनि और सज्जन आदमियों को अपने अत्याचार से तंग कर रखा है। भगवान शिव ने कहा कि गणेश जी ही अनलासुर के अत्याचार से मुक्ति दिला सकते हैं।
तब देवता गण और ऋषि मुनियों ने गणेश जी की पूजा करके उनसे प्रार्थना की कि वह अनलासुर के अत्याचार से मुक्ति दिलाए। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना सुनी और गणेश और अनलासुर में भयंकर युद्ध हुआ लेकिन अनलासुर अपना भीषण रूप लिए हुए था ऐसे में गणेश जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अनलासुर को सबूत निगल लिया था। इसके बाद गणेश जी को पेट में अत्यंत जलन और पीड़ा हुई जिसे शांत करने के लिए ऋषियों ने तमाम जल दवा दूध आदि गणेश जी को प्रदान किया लेकिन उनके पेट की अग्निशमन नहीं हो रही थी तब गणेश जी को ऋषि मुनियों ने कोमल हरी भरी दुर्वा दूब खिलाई। इससे गणेश जी के पेट की अग्नि शांत हुई और उन्हें बहुत तृप्ति हुई और गणेश जी बहुत प्रसन्न हुए तब से गणेश जी ने कहा की जो भी मुझे पूजा अर्चन में हरी भरी दूब यानी दुर्गा अर्पित करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी और वहां रिद्धि सिद्धि का वास रहेगा।
लड्डू का प्रसाद ग्रहण कर परिवार को देते हैं एकता का आशीर्वाद…
सनातन धर्म के अनुसार गणेश जी को लड्डू सर्वप्रिय है और लड्डू उनके लिए एकता का प्रतीक है ,लड्डू एक होता है जो एक-एक बूंदी को बांधकर रखना है यह परिवार और समाज के लिए  एकता का मंत्र है और जो भगवान गणेश को लड्डू अर्पित करके उनकी पूजा करता है उनके घर में एकता परिवार में समृद्धि और प्यार का माहौल और मिठास बनती है।
Ganesh Chaturthi 2023 10 दिन तक ही क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी की पूजा…
हम सभी को पता है कि गणेश जी का जन्म महादेव शिव और पार्वती के घर में पुत्र के रूप में हुआ था। और वह विघ्न विनाशक बुद्धि विवेक और लक्ष्मी के दाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी को महाभारत लिपिबद्ध करने के लिए कहा था और महा ऋषि देव व्यास बोलते गए और गणेश जी लगातार लिखते गए और इस क्रम में 10 दिन तक उन्होंने लगातार महाभारत लिपिबद्ध किया और लगातार 10 दिन कार्य करते हुए वह धूल मिट्टी में सन गए थे। तब उन्होंने सरस्वती नदी में स्नान किया। और तभी से गणेश चतुर्थी के पर्व को उनकी स्थापना करके पूरे 10 दिन तक उनका  पूजा अर्चन किया जाता है और फिर नदी में उनका विसर्जन करके उनकी प्रतिमा को अंतिम विदाई दी जाती है।
अनेक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा करके हम सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और खास तौर से दूर्वा और लड्डू का प्रसाद चढ़कर अपने घर में सुख समृद्धि की कामना करते हैं। और गणेश जी कोमल दुर्वा का प्रसाद पाकर लड्डू का प्रसाद ग्रहण करके हमें सुख समृद्धि और हर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद शांति और एकता के लिए देते हैं।

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