Friday, 17 May 2024

Holi Festival : देश भर में मनाई जा रही है छोटी होली जानें क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व और परंपराएं

Holi Festival :   रंगों का पर्व होली अपनी कहानियों ओर मान्यताओं के लिए जनमानस के दिल में समाया हुआ है.…

Holi Festival :  देश भर में मनाई जा रही है छोटी होली जानें क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व और परंपराएं

Holi Festival :   रंगों का पर्व होली अपनी कहानियों ओर मान्यताओं के लिए जनमानस के दिल में समाया हुआ है. होली का पर्व विशेष रुप से दो दिन मनाया जाता है, इसे छोटी होली और बड़ी होली के रुप में जाना जाता है. छोली होली को होलिका दहन के रुप में मनाया जाता है. आईये जानते हैं आखिर क्यों मनाई जाती है छोटी होली और क्या है इसका धार्मिक एवं लोक महत्व

Choti Holi Significance 

mythological significance of Choti Holi छोटी होली से संबंधि पौराणिक मान्यताएं और आस्थाएं
छोती होली की कथा का वर्णन हमें भागवत , विष्णु पुराण इत्यादि में प्राप्त होता है. इस कथा के अनुसार दैत्यों का राजा हिरण्यकशिपु बेहद प्रतापी किंतु अत्याचारी शासक था. वह सदैव देवताओं को परेशान करने एवं उनके विरोध में कार्य करता था. हिरण्यकशिपु का भाई हिरण्याक्ष था जो स्वयं भी एक अत्याचारी दैत्य और जिसका वध भगवान श्री विष्णु ने किया था. अपने भाई की मारक श्री विष्णु से उसे बेहद क्रोध था. श्री विष्णु से बदला लेने के लिए ही उसने अपनी शक्तियों को अर्जित किया और संपूर्ण देवलोक को अपने अधिकार में ले लिया. हिरण्यकशिपु ने अपने राज्य में विष्णु पूजा को निषिद्ध कर दिया और स्वयं को भगवान के रुप में स्थापित किया.

Holi Festival :

राजा हिरण्यकशिपु का अत्याचार चारों ओर व्याप्त था किंतु उसके पुत्र प्रह्लाद के भीतर श्री विष्णु भक्ति का रस विद्यमान था. प्रह्लाद को जन्म से पूर्व ही भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त था. बचपन से ही प्रह्लाद भगवान श्री विष्णु की भक्ति करने लगा. जब हिरण्यकशिपु को अपने पुत्र के इस कार्य के बारे में ज्ञात हुआ तो उसे उसे कई तरह से समझाने का प्रयत्न किया. हिरण्यकशिपु हैरान था, कि जिस विष्णु को दुनिया से दूर करना चाहता था, उस श्री विष्णु का भक्त उसकी संतान रुप में  उसके अपने परिवार में पैदा कैसे हो सकता है.

उसने अपने बेटे को शांड और अमरका नामक दो शिक्षकों को सौंप दिया, जो बहुत कठोर अनुशासक थे, किंतु प्रह्लाद की भक्ति के आगे वो भी नतमस्त हो गए. इसके पश्चात प्रह्लाद को कई तरकों से समझाया कई प्रकार की यातनाएं दी गई लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के आगे राजा की एक न चली तब राजा के क्रोध की कोई सीमा नहीं थी, और उसने अपने पुत्र को तुरंत मार डालने का आदेश दिया, लेकिन प्रह्लाद का मन विष्णु पर इतना दृढ़ था उसे कुछ न हुआ.

होलिका का भस्म होना और प्रह्लाद की विजय  
जब प्रह्लाद किसी प्रकार मारान जा सका तब हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने कहा की उसे वरदान प्राप्त है की अग्नि उसे जला नहीं सकती है. ऎसे में वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाएगी जिससे प्रह्लाद का अम्त हो जाएगा. राजा इस बात पर सहमत हो गया और होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठा जाती है किंतु उसका वरदान विफल हो जाता है ओर होलिका ही अग्नि में जल कर भस्म हो जाती है किंतु प्रह्लाद का कुछ भी नहीं बिगड़ता है. इस दिन होलिका का अंत बुराई पर अच्छा की विजय का प्रतीक बन कर सामने आया जिसे लोक परंपराओं में आज भी देखा जाता है. इसलिए छोटी होली को इतना विशेष माना गया है.

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छोटी होली पर ग्रह योग होते हैं शांत
छोटी होली के दिन वो आठ दिन समाप्त होते हैं जिनमें शुभ कार्यों को करने की मनाही रहती है. यह आठ दिन होलाष्टक के रुप में जाने जाते हैं. छोटी होली के दिन होलिका दहन के साथ ही इन अशुभ दिनों की समाप्ति हो जाती है. ग्रहों का पाप प्रभाव भी कमजोर होने लगता है इसके पश्चात शुभता का आगमन होता है ओर साथ ही शुरु हो जाते हैं मांगलिक शुभ कार्य.

लेखिका (राजरानी शर्मा)

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