Thursday, 14 November 2024

मंगलवार को जाग जाएंगे भगवान विष्णु, शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

Dev Uthani ekadashi 2024:  मंगलवार यानि 12 नवंबर 2024 का दिन बहुत ही खास है। मंगलवार को देव उठनी एकादशी…

मंगलवार को जाग जाएंगे भगवान विष्णु, शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

Dev Uthani ekadashi 2024:  मंगलवार यानि 12 नवंबर 2024 का दिन बहुत ही खास है। मंगलवार को देव उठनी एकादशी का महापर्व है। देवउठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi) के पर्व का हिन्दु समाज में बहुत बड़ा महत्व है। धर्म-ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान विष्णु लगातार 4 महीने तक निन्द्रा में रहकर आराम करते हैं। 4 महीने के बाद देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निन्द्रा से जागते हैं भगवान विष्णु के निन्द्रा से जागने को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष-2024 की देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को पड़ रही है।

शुरू हो जाएंगे मंगल कार्य

ऐसी मान्यता है कि जब तक भगवान विष्णु निन्द्रा में रहते हैं तब तक मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं। खासतौर से इस दौरान शादी-विवाद नहीं किए जाने चाहिए। देव उठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi )के दिन भगवान विष्णु जागते हैं। उनके जागने के साथ मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं।
आपको बता दें कि कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन चार माह से रुके हुए शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। इन सभी कारणों से देवउठनी एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि देव उठनी एकादशी को व्रत रखने से धन और वैभव में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा बेहद फलदाई होती है। इस दिन चातुर्मास खत्म होता है और तुलसी विवाह की परंपरा निभाई जाती है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी के दिन रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और हर्षण योग बन रहे हैं।

देव उठनी एकादशी (Dev Uthani ekadashi) की पूजा विधि

देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन स्रान के बाद घर के आंगन या बालकनी में चौक बनाकर श्रीहरि के चरण बनाएं। भगवान को पीले वस्त्र पहनाए और शंख बजाकर भगवान को उठाएं। इस खास मंत्र का जाप करें।

उत्तिष्ठगोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत भवेदिदम॥

मंत्र जाप के बाद भगवान विष्णु को तिलक लगाएं। श्रीफल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं। आरती कर कथा सुनें। प्रभु को पुष्प अर्पित कर इस मंत्र का जाप करें।

इयं तु द्वादशी देव प्रबोधाय विनिर्मिता। त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थ शेषशायिना।।
इंद्र व्रतं मया देव कृतं प्रीत्यै तव प्रभो। न्यूनं संपूर्णता यातु त्वत्वप्रसादाज्जनार्दन ।।

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी मैया और शालिग्राम की पूजा करनी चाहिए। तुलसी माता को लाल चुनरी और सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें। इसके बाद गणेश भगवान सहित सभी देवी-देवताओं और शालिग्रामजी की विधि विधान से पूजा करें।

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