Lucknow Chikankari : लखनऊ की चिकनकारी का दुनिया मे है अपना खास मुकाम

Chickankari
Lucknow Chikankari :
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calendar12 Apr 2023 08:10 PM
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  Lucknow Chikankari :  गोमती के किनारे बसा लखनऊ अपने बागात, तहजीब और लजीज खानों के साथ ही चिकनकारी के लिए भी मशहूर रहा है।लखनऊ अपने चिकनकारी के नायाब शिल्प के लिये कसीदाकारी की दुनिया में खास मुकाम रखता है।सदियों से कला और संस्कृति इस शहर की पहचान रही है। ऐसी ही एक कला है लखनऊ चिकनकारी जिसने गुज़रे ज़माने के शाही परिवारों और आज के फ़ैशनपरस्त शख्सियतों दोनों को ही समान रुप से विस्मित किया है। कला के इस रुप में कशीदाकारी की क़रीब 36 तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। अब आधुनिक समय में चिकनकारी में मोती, कांच और मुक़ेश(बादला) से भी सजावट की जाती है।चिकनकारी कढ़ाई का वो काम है जो सफ़दे धागे से महीन सफ़ेद कपड़े पर किया जाता है। पारंपरिक रूप से ये कढ़ाई मलमल के कपड़ों पर सफेद धागो से की जाती है ।

चिकनकारी का इतिहास

भारतीय चिकनकारी का काम तीसरी शताब्दी से होता रहा है। चिकन शब्द शायद फ़ारसी के चिकिन या चिकीन शब्द से लिया गया है जिसका मतलब होता है कपड़े पर एक तरह की कशीदाकारी। लखनऊ में चिकनकारी का काम दो सौ सालों से भी पहले से होता रहा है। लेकिन किवदंतियों के अनुसार 17वीं शताब्दी में मुग़ल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां तुर्क कशीदाकारी से बहुत प्रभावित थीं और तभी से भारत में चिकनकारी कला का आरंभ हुआ। कढ़ाई का काम ज़्यादातर गाँवों में रहने वाली महिलाएं करती हैं जोकि छपाई के ऊपर सुई और धागों की मदद से कढ़ाई करती ।कढ़ाई के लिये अधिकतर मलमल के कपड़ों का इस्तोमाल होता था क्योंकि मलमल, सूखे और उमस भरे मौसम में सुकून देता था।हालंकि आज लखनऊ चिकनकारी का गढ़ है लेकिन पश्चिम बंगाल और अवध ने भी इसके विकास में भूमिका अदा की थी।मुर्रे, जाली, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि ३६ प्रकार के चिकन की शैलियां होती हैं।नवाबों के समय में इस कढ़ाईने अपना थोड़ा रंग-रूप बदला और चिकनकारी के साथ सोने और चांदी के तारों से मुकेश का काम भी किया जाने लगा। ऐसा लगभग मुश्किल से ही होता है कि लखनऊ चिकनकारी का लिबास हो और उस पर फूलों के पैटर्न या रुपांकन न हों। फूलों की क़िस्म और इन्हें बनाने की शैलियां फ़ैशन के चलन के साथ बदलती रही हैं लेकिन इनकी जटिलता और नज़ाकत जस की तस रही है।

कढ़ाई का तरीका:

[caption id="attachment_81757" align="aligncenter" width="798"]Lucknow Chikankari : Lucknow Chikankari :[/caption] Lucknow Chikankari : सबसे पहले कपड़े पर लकड़ी के ब्‍लॉक से डिजाइन उकेरी जाती हैं। इसके लिए नील और व्हाइट डाई का इस्तेमाल होता है। छपाई किये गये कपड़े पर कढ़ाई का काम शुरू होता है। कढ़ाई के लिये सूती के सफेद धागों का प्रयोग किया जाता है ।मगर बदलते ट्रेंड के साथ धागों का रंग बदलता चला गया। आज लगभग हर रंग के धागे से चिकनकारी की जाती है।कढ़ाई का काम पूरा होने के बाद पैटर्न की आउट लाइन को हटाने के लिये कपड़े को पानी में भिगोया जाता है। इसके बाद कपड़े को कड़ा करने के लिये इसमें कलफ़ लगाया जाता है। कलफ़,कपड़े की क़िस्म के अनुसार ही लगाया जाता है।

कीमत 500 रुपए से लेकर 5000  तक

[caption id="attachment_81759" align="aligncenter" width="1280"]lucknow lucknow[/caption] Lucknow Chikankari : लखनऊ में आपको 500 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक और इससे भी कीमती चिकनकारी के नमूने देखने को मिल जाएंगे। इसके अलावा आप लखनऊ की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय मार्केट अमीनाबाद और आलमबाग से भी चिकनकारी किए गए कपड़े खरीद सकते हैं। पहले मलमल, आर्गंडी और लोन कपड़े पर ही चिकनकारी होती थी। मगर आज के लोगों की पसंद को ख्याल में रखते हुए जोर्जेट, शिफान, कॉटन और डोरिया कोटा कपड़े पर भी की जाने लगी है। पहले जहां केवल फूल और पट्टी की डिजाइनिंग होती थीं वहां भी अब फैंसी डिजाइन बनने लगे है । चिकनकारी कई तरह से हुआ करती थी जो धीरे धीरे जमाना गुजरने के साथ लुप्त होती जा रही है। पैसों की तंगी और मुनासिब मेहनताना न मिलने की वजह से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे न बढ़ सका और लुप्त हो गया।लेकिन बदलावों के बावजूद इसका मूल स्वरुप आज भी इसके जन्मस्थान लखनऊ में रचा बसा है।

Gujrat Patola Saree : गुजरात का पटोला क्यों है खास,किसी धरोहर से कम नही है इसकी कला

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Gujrat Patola Saree : गुजरात का पटोला क्यों है खास,किसी धरोहर से कम नही है इसकी कला

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Gujrati Patola Saree
locationभारत
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calendar30 Mar 2023 05:06 PM
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Gujrat  Patola Saree : आज हम बात करेंगे गुजरात की पटोला साड़ी, की जो  हथकरघे पर बनती है । पटोला साड़ी गुजरात के पाटण में बनायी जाती है। यह प्रायः रेशम की बनती है। इस साड़ी का इतिहास 900 साल पुराना है । 12वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा कुमारपाल ने महाराष्ट्र के जालना के बाहर बसे 700 पटोला बुनने वालों को पाटन में बसने के लिए बुलाया और इस तरह पाटन पटोला की परंपरा शुरू हुई थी।पटोला साड़ी की कीमत 2 लाख से शुरू होती है और 4 लाख तक जाती है. ये साड़ी बेहद ही खास और खूबसूरत है।पटोला शब्द संस्कृत के ‘पट्टकुल’ शब्द से लिया गया है.

Gujrat  Patola Saree

  हस्तकला से निर्मित साड़ी: पटोला बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि पटोला साड़ी का पूरा काम हाथ से होता है। यह एक हैंडीक्राफ्ट है,इस साड़ी को बनाने का प्रोसेस बहुत जटिल है ।यह काफी महीन काम है। पूरी तरह सिल्क से बनी इस साड़ी को वेजिटेबल डाई या फिर कलर डाई किया जाता है।  हथकरघे से बनी इस साड़ी को बनाने में करीब एक साल लग जाता है। इन साड़ियों की कीमत भी बुनकरों के परिश्रम व माल की लागत के हिसाब से पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक होती है।इस साड़ी को बनने मे यदि एक धागा भी इधर उधर हो जाता है तो पूरी साड़ी खराब हो जाती है ।ये साड़ी पावर लूम पर नही बनती है ।सबसे खास बात यह है कि प्‍योर सिल्‍क से बनने वाली ओरिजनल पटोला साड़ी पूरी दुनिया में सिर्फ गुजरात के पाटन में ही बनती है। 900 साल पुरानी इस हस्तकला के कदरदान देश ही नही बल्कि विदेशो मे भी है ।ये काम किसी इंडस्ट्री मे नही होता है ।ये व्यापार केवल ऑर्डर पर ही चलता है ।पूरे देश में केवल एक ही परिवार है जो पटोला बनाने का काम करता है । [caption id="attachment_78406" align="aligncenter" width="1024"]Gujrati Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage Gujrati Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage[/caption] पटोला बनाने कि कला: पटोला बनाने की कला इतनी अनमोल है कि 1934 मे एक हस्तनिर्मित पटोला साड़ी की कीमत 100 रुपये थी।पाटन में केवल 1 ऐसा परिवार हैं, जो ओरिजनल पाटन पटोला साड़ी बनाने की कला को संजोए हुए है और इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है।पटोला साड़ियां बनाने के लिए रेशम के धागों पर डिजाइन के मुताबिक वेजीटेबल और केमिकल कलर से रंगाई की जाती है। फिर हैंडलूम पर बुनाई का काम होता है। Gujrat Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage पटोला की लुप्त होती कला: मात्र 1 ही परिवार ऐसा बचा है  जो पटोला की इस कला को बचाये हुए है ।इसी वजह से पटोला महंगा होने के करण नकली पटोला भी बनता है ।भरतभाई पटोला के कारीगर है उन्हे सरकार की तरफ से हर संभव मदद देने और प्रशिक्षण केंद्र खोलने की बात कही गयी है ।ताकि 900 साल पुरानी कला नष्ट न हो। इस साड़ी की खासियत है कि ये दोनो तरफ से पहनी जाती है ।इस आर्ट को 'डबल इकत' आर्ट कहते है ।पटोला साड़ी की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका रंग कभी फेड नहीं होता और साड़ी 100 साल तक चलती है। यह बुनकरी कला अब लुप्त होने के कगार पर है ।लागत के हिसाब से बाजार में कीमत न मिल पाना इस कला के सिमटने का प्रमुख कारण है। Gujrat Patola Saree: Why Gujarat's Patola is special, its art is no less than a heritage
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Holi Special : रंगो के त्योहार होली पर कैसे हो तैयार

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Holi Special: How to prepare for Holi, the festival of colors
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Mar 2023 04:33 PM
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Holi Special : होली रंगो का त्योहार है जिसे आने मे बस कुछ ही दिन बाकी है । ये त्योहार लगभग सभी राज्यो मे बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है चारो तरफ मौज-मस्ती का महौल रहता है,घरो मे हर तरह पकवानो को बनाने की तैयारियाँ चल रही होती है।रंग ,गुलाल पकवान सब चीजो की खुमारि छायी रहती है ।लोग अपने परिवार ले साथ और दूसरों के साथ मिलजुल कर होली मनाते है ।इस दिन सभी अपना अलग लुक रखना चाहते है,सब अपना फ़ैशन स्टेटमेँट बनाना चाहते है ।

Holi Special :

आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे है ।जो आपको फैशनेबल भी बनयेगा और सबसे अलग भी लुक देगा। हेयरस्टाइल (Hair Style) : होली के रंगों से त्वचा के साथ बालो को भी नुकसान पहुचता है ।बालो मे आप अच्छे से तेल लगा ले,जो अपके बालो की सुरक्षा करेगा। फिर आप अपने बालो की पोनी बना सकती है,इसके साथ आज कल मैसी बन भी फैशन में है ।आप अपने बालो की चोटी भी बना सकती है,फ़्रैंच स्टाइल चोटी बहुत पसंद की जाती है ।अगर आप अपने बालो को खुला रखना चाहती हैं तो आप इस्कार्फ़ का इस्तमाल कर सकती है,जो देखने मे फैशनेबल भी लगेगा । फ़ेसमेकप (Face Make Up) : चेहरे की त्वचा को सबसे ज्यादा रंगो से नुकसान पहुँचता है ।चहरे का मेकप करने के लिये आप सबसे पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करे,फिर आप अपने फ़ेस पर मॉइश्चराइजर लगा ले।जिससे चेहरे को दिन भर नमी बनी रहेगी आपकी स्किन ड्राई नही होगी ।इसके बाद आप कोई बी बी क्रीम अप्लाई कर सकती है जो अपके चेहरे को एक सा टोन देगी।आप वॉटर प्रूफ आईलाईनर का यूज़ कर सकती हैं और वॉटर प्रूफ मस्कारे का प्रयोग करके अपनी आँखो को बड़ा दिखा सकती है । होठों पर आप लिप बाम का यूज़ कर सकती है ।पूरे शरीर पर आप नारियल तेल या बादाम तेल को लगा सकती है,जो आपकी स्किन पर एक सुरक्षा परत बना देगा।