Sunday, 29 December 2024

Hindi Kavita – हर आँगन से उठती सिसकी

Hindi Kavita – हर आँगन से उठती सिसकी सदियों से ख़ामोश है.. आँगन से आँगन तक के सफ़र में। गुज़रती…

Hindi Kavita – हर आँगन से उठती सिसकी

Hindi Kavita –

हर आँगन से उठती सिसकी
सदियों से ख़ामोश है..
आँगन से आँगन तक के सफ़र में।

गुज़रती हुई सदियाँ
तमाम उम्र के बेगार का अन्त
सचमुच बहुत भयावह है।

बचपन गुज़रा, जवानी गुज़री
बुढ़ापे तक अस्तित्व पर पर्दा ही पर्दा है।

देवी-सी पूजी गई हो
या दासी-सी तिरस्कृत रही हो,
मनुष्य की पहचान से हमेशा महरूम रही।

पाषाण-युग से कम्प्यूटर तक का,
सफ़र तय कर चुका संसार,
पर आधी दुनिया अभी तक,
आँगन से आँगन तक के सफ़र में ही दफ़न है।

अनामिका तिवारी

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