Monday, 5 May 2025

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, पेड़ों की कटाई पर मुआवजे का आदेश

Illegal Cutting of Trees : सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ती पेड़ों की अवैध कटाई (Illegal Cutting of Trees) पर…

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, पेड़ों की कटाई पर मुआवजे का आदेश

Illegal Cutting of Trees : सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ती पेड़ों की अवैध कटाई (Illegal Cutting of Trees) पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म पेड़ों की अनावश्यक और अवैध कटाई (Illegal Cutting of Trees) की अनुमति नहीं देता है। खासकर जब यह मामला एक मंदिर प्रबंधन द्वारा पेड़ों की कटाई से संबंधित था, तो कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन विभाग को मुआवजे के रूप में चढ़ावे से राशि दी जा सकती है, जिससे पेड़ों की कटाई की समस्या को हल किया जा सकता है। यह टिप्पणी कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिसमें मंदिर द्वारा अवैध रूप से पेड़ों को काटे जाने (Illegal Cutting of Trees) की बात सामने आई थी।

पेड़ों की कटाई (Illegal Cutting of Trees) पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन द्वारा अवैध रूप से पेड़ों की कटाई के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी धर्म में पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि यह गंभीर मामला है, और अब इस मामले में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कितने पेड़ों का मुआवजा किस प्रकार दिया जाएगा। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए मंदिर से यह भी पूछा कि वे वन विभाग को कितना मुआवजा देंगे और कितने पेड़ लगाएंगे।

मंदिर प्रबंधन की स्थिति और मुआवजे का प्रस्ताव

मंदिर प्रबंधन के वकील ने अदालत में यह बताया कि मंदिर ने पहले ही 300 पेड़ लगाए हैं और वे 100 और पेड़ लगाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह मंदिर बहुत गरीब है और उनके पास पैसे की कमी है। कोर्ट ने इस पर कहा कि मंदिर द्वारा एक अंडरटेकिंग दी जा सकती है, जिसमें यह बताया जाए कि त्योहारों के दौरान मंदिर को कितनी राशि मिलती है। यह राशि वन विभाग को मुआवजे के तौर पर दी जा सकती है। इससे पेड़ों की कटाई की समस्या का हल निकाला जा सकता है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय में भी पेड़ों की कटाई (Illegal Cutting of Trees) का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हैदराबाद विश्वविद्यालय के मामले में भी पेड़ों की कटाई (Illegal Cutting of Trees) पर चिंता व्यक्त की थी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि पेड़ों की अवैध कटाई (Illegal Cutting of Trees) एक गंभीर विषय है। कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि पेड़ों की तुरंत कटाई के लिए इतनी बड़ी मजबूरी क्या हो सकती है। इसके साथ ही राज्य सरकार से यह भी पूछा कि क्या उन्होंने इस काम के लिए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित की है।

इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी और दिशा-निर्देश पेड़ों की रक्षा के लिए अहम कदम साबित हो सकते हैं, जिससे अवैध कटाई पर लगाम लगाई जा सकेगी।Illegal Cutting of Trees :

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