Monday, 4 November 2024

बारहवीं फेल : एक नहीं दो बार बारहवीं फेल बन गया अरबपति, भारत का बेटा

12th Fail : हाल ही में बारहवीं फेल फिल्म आई थी। बारहवीं फेल फिल्म में एक भारतीय युवक की कहानी है…

बारहवीं फेल : एक नहीं दो बार बारहवीं फेल बन गया अरबपति, भारत का बेटा

12th Fail : हाल ही में बारहवीं फेल फिल्म आई थी। बारहवीं फेल फिल्म में एक भारतीय युवक की कहानी है कि कैसे एक भारतीय बेटा बारहवीं फेल होने के बाद भी आईपीएस….. अफसर बन गया। आज हम आपको भारत के एक ऐसे लाल का सच्चा किस्सा बता रहे हैं जो एक बार नहीं बल्कि 12वीं में दो बार फेल हुआ। दो-दो बार 12वीं फेल भारत का यह बेटा आज दुनिया के तमाम अरबपति लोगों की सूची में शामिल हो गया है। मात्र 500 रूपए से अपना जीवन शुरू करने वाला 12वीं फेल बेटा अरबपति ही नहीं बल्कि खरबपति बन चुका है।

12th Fail

500 रूपए से 4 खरब रूपए कमाए

भारत के इस लाल की पूरी जीवनी बताने से पहले आपको बता दें कि भारत के जिस बेटे का हम यहां जिक्र कर रहे हैं उसने अपना जीवन मात्र 500 रूपए से शुरू किया था। हाल ही में दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोब्र्स ने बताया है कि अब भारत के इस लाड़ले बेटे के पास 5.8 अरब डॉलर यानि चार खरब रूपए की प्रोपर्टी हो गयी है। तो आपको बताते हैं कि भारत के उस बेटे की जीवनी जो 12वीं फेल से बन गया बड़ा अरबपति।

बहादुरी से किया मुश्किलों का मुकाबला

कई युवा, जो बारहवीं की कक्षा में एक बार नहीं, बल्कि लगातार दो बार फेल हो जाए, तो उससे घर के लोग तो उम्मीद छोड़ ही देते हैं, उसका अपना विश्वास भी हिल जाता है और कभी-कभी तो निराशा और अवसाद की स्थिति में वह आत्मघाती कदम भी उठा लेता है। लेकिन मुरली दिवि ऐसे कमजोर लोगों में नहीं थे, जो हार मानकर खुद को नियति के भरोसे छोड़ देते। वह जानते थे कि एक न एक दिन सबके लिए सफलता का अवसर आता है, जरूरत है, तो बस उस अवसर को पहचान उसका फायदा उठाकर अपनी विफलता को सफलता में तब्दील करने की। कहते हैं कि दुख आदमी को मांजता है। इसलिए बचपन से ही आर्थिक एवं तमाम तरह के कष्टों के बीच पलने वाले मुरली दिवि के भरोसे और आत्मविश्वास को दोस्तों और परिचितों के ताने भी डिगा नहीं सके। 25 वर्ष की उम्र में मात्र 500 रुपये अपने साथ में लेकर सपनों को साकार करने के लिए अमेरिका जाने वाले मुरली जब वहां से लौटे, तो न केवल उनका आत्मविश्वास और अधिक मजबूत हो गया था, बल्कि उनके पास अवसरों का अंबार था। वर्षों तक विभिन्न कंपनियों में उच्च पदों पर काम करने के बाद मुरली दिवि ने अपनी खुद की दिवि लेबोरेटरीज शुरू की और आज वह दुनिया के प्रमुख अरबपतियों की सूची में शुमार किए जाते हैं।

12वीं फेल

मुश्किलों भरा प्रारंभिक जीवन

मुरली दिवि आंध्र प्रदेश के कृष्णानगर जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं। इसी गांव में उनका बचपन बीता है। उनका जन्म एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता एक सामान्य सरकारी कर्मचारी थे, लेकिन वह खेती भी करते थे। उनके पिता बिना कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक के खेती करते थे। नतीजतन फसल की पैदावार बहुत अच्छी नहीं होती थी। मात्र 10,000 रुपये की मासिक पेंशन पर उनके पिता को 14 सदस्यों के परिवार को चलाना पड़ता था, जो बेहद ही मुश्किल था। इसलिए परिवार के लोगों को कभी-कभार एक वक्त के भोजन पर ही गुजारा करना पड़ता था। कोशिश करने के बावजूद मुरली दिवि 12वीं में दो बार फेल हो गए। लेकिन फेल होने के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं हारा और पढ़ाई में लगे रहे। उन्होंने मछलीपट्टनम में पीयूसी की पढ़ाई की। यह स्नातक की पढ़ाई के लिए एमआईटी, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन गए। वहां जाने के बाद उनके जीवन को नई दिशा और गति मिली। उन्होंने कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज से बैचलर ऑफ फार्मेसी का कोर्स किया।

अमेरिका से भारत तक

मुरली दिवि अपने बड़े भाइयों की तरह केमिस्ट बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने फार्मास्युटिकल साइंस की पढ़ाई की थी। वर्ष 1976 में महज 500 रुपये लेकर वह अमेरिका गए और वहां पर एक फार्मासिस्ट के रूप में अपना कॅरियर शुरू किया। उन्होंने अमेरिका में कई कंपनियों के साथ काम किया और सफलता हासिल की और प्रति वर्ष लगभग 65,000 डॉलर (लगभग 53 लाख रुपये) कमा रहे थे। अब वह फार्मा सेक्टर को अच्छी तरह से समझने लगे थे। कुछ वर्षों तक वहां काम करने के बाद वह अपने वतन भारत लौट आए। मुरली ने अपनी सभी जमा-पूंजी लगाकर वर्ष 1984 में फार्मा सेक्टर में कदम रखा। मुरली ने फार्मा सेक्टर के लिए कैमिनीर बनाने के लिए कल्लम अंजी रेड्डी से हाथ मिलाया, जिसका वर्ष 2,000 में डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ विलय कर दिया गया। इस दौरान डॉ. रेड्डीज लैब्स में छह वर्षों तक काम करने के बाद मुरली ने 1990 में दिविज लेबोरेटरीज लॉन्ब की। वर्ष 1995 में मुरली ने अपनी पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चौटुप्पल, तेलंगाना में स्थापित की। 2002 में, दूसरो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट विशाखापत्तनम के गई। इसके बाद वह लगातार अपनी पास शुरू की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करते गए।

अरबपतियों में शामिल नाम

अलग बिजनेस मॉडल चुनकर दिविज लेबोरेटरी ने मार्च, 2022 में 88 अरब डॉलर का राजस्व कमाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, मुरली दिवि की कंपनी को अपने वार्षिक राजस्व 1.1 अरब डॉलर (लगभग 903 करोड़ रुपये) का लगभग 90 फीसदी निर्यात से मिलता है। फोर्ब्स की रिपोर्ट के ‘अनुसार, मुरली दिवि दुनिया के अमीर व्यक्तियों में से एक हैं, जिनकी अनुमानित संपत्ति 5.8 अरब डॉलर है। दिविज लैब्स की सफलता ने साबित कर दिया है कि यदि आप अपने लक्ष्यों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. तो अंतत: आपको सफलता मिलती है। दिविज लैब्स सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) के शीर्ष तीन निर्माताओं में से एक है और इसका बाजार पूंजीकरण लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये है।

12वीं फेल 12th Fail

कामयाबी का राज

हैदराबाद स्थित उनकी कंपनी दिविज लैबोरेटरीज बड़ी दवा कंपनियों को जेनेरिक दवा बनाने के लिए जरूरी सामग्रियों की आपूर्ति करती है। दिविज लैबोरेटरीज आज दुनिया भर के देशों में दवाओं की बढ़ती मांग को पूरा कर रही है। जब अधिकांश भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियां पेटेंट को चुनौती देने और विनियमित बाजारों में जेनेरिक दवा बेचने की कोशिश कर रही थी, उससे काफी पहले ही मुरली दिवि ने निर्णय ले लिया था कि उनकी कंपनी दवाओं के लिए कच्चे माल के निर्माण का अनुबंध करेगी। इसमें बाजार में पहले से ही बेची जा रहीं जेनेरिक दवाओं के लिए बड़े पैमाने पर सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री या एपीआई बनाना या प्रयोगात्मक परीक्षण और विकास के लिए छोटे पैमाने पर टेस्ट करना शामिल है।

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