कौन हैं Payal Gaming? वायरल क्लिप विवाद में क्यों घसीटा जा रहा है नाम
25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही।

Payal Gaming : सोशल मीडिया पर ‘Payal Gaming’ के नाम से पहचान बनाने वाली चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे इन दिनों एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विवाद की वजह से सुर्खियों में हैं। इंटरनेट पर एक कथित MMS/वायरल क्लिप के साथ उनका नाम जोड़ा जा रहा है, जबकि जानकारों और पायल के फैंस का कहना है कि यह कंटेंट फर्जी है और संभवतः AI-जनरेटेड डीपफेक के जरिए तैयार किया गया है। बीते कुछ दिनों में खासकर X (पूर्व ट्विटर) और टेलीग्राम पर इस क्लिप को तेजी से फैलाया गया, जिसके बाद प्रशंसकों ने इसे पायल की छवि धूमिल करने की साजिश बताते हुए कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इससे पहले भी “19 मिनट के वायरल वीडियो” के नाम पर इसी तरह की सामग्री वायरल हुई थी, जिसे बाद में फेक करार दिया गया और पुलिस स्तर पर भी इसे AI-जनरेटेड बताए जाने की बात सामने आई थी।
कौन हैं Payal Gaming (पायल धारे)?
25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने कंटेंट में लाइफस्टाइल, ट्रेंड्स और पर्सनल कनेक्ट का ऐसा मिक्स बनाया है, जो उन्हें युवा दर्शकों के बीच खास बनाता है। डिजिटल पॉपुलैरिटी के साथ-साथ उनका दायरा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तक भी पहुंचा है और वे फराह खान व सामंथा रुथ प्रभु जैसी चर्चित हस्तियों के साथ प्रोजेक्ट्स/कोलैबोरेशन में भी नजर आ चुकी हैं।
क्यों बढ़ रही हैं ऐसी अफवाहें?
डीपफेक तकनीक आज इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी व्यक्ति का चेहरा या आवाज किसी दूसरे वीडियो में इस तरह “फिट” कर दी जाती है कि आम दर्शक पहली नजर में असल और नकली का फर्क ही नहीं पकड़ पाता। साइबर विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं कि इस तकनीक का दुरुपयोग खासकर महिलाओं और चर्चित पब्लिक फिगर्स को बदनाम करने, ट्रोलिंग बढ़ाने और अफवाह फैलाने के लिए तेजी से हो रहा है। इसी विवाद में सबसे जरूरी सावधानी यही है कि पायल की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया या जांच एजेंसियों की पुष्टि सामने आने तक किसी भी कथित क्लिप को सत्य मानना, उस पर टिप्पणी करना या उसे आगे शेयर करना कानूनी और नैतिक दोनों स्तरों पर जोखिम भरा साबित हो सकता है।
पुलिस/साइबर सेल की चेतावनी
साइबर सेल और कानून प्रवर्तन एजेंसियां समय-समय पर साफ चेतावनी देती रही हैं कि ऐसे कथित “वायरल” वीडियो को डाउनलोड करना, सेव करना, अपलोड करना या फॉरवर्ड/शेयर करना भी व्यक्ति को सीधे कानूनी कार्रवाई के दायरे में ला सकता है। कुछ अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती स्तर पर कुछ ऑनलाइन टूल्स/वेबसाइट्स की मदद से यह संकेत मिल सकता है कि कंटेंट AI-जनरेटेड तो नहीं है, लेकिन किसी भी दावे पर अंतिम मुहर डिजिटल फॉरेंसिक जांच के बाद ही लगती है।
IT Act के तहत किन धाराओं में कार्रवाई हो सकती है? (जानकारी मात्र)
ऐसे कथित “वायरल” अश्लील/आपत्तिजनक कंटेंट को बनाने, अपलोड करने या आगे फैलाने पर आईटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई संभव है। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, IT Act की धारा 66 (कंप्यूटर से जुड़े अपराध), धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) और धारा 67A (स्पष्ट यौन कृत्य वाली सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) जैसी धाराएं ऐसे मामलों में लागू हो सकती हैं। इन प्रावधानों में जुर्माने के साथ जेल तक का प्रावधान है। धारा 67 में 3 साल तक की सजा/जुर्माना, जबकि धारा 67A में पहली बार 5 साल तक और दोबारा अपराध पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान बताया जाता है। नोट: यह जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है; किसी भी केस में कौन-सी धाराएं लगेंगी, यह तथ्यों, जांच और कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
क्या करें, क्या न करें?
ऐसे मामलों में सबसे सही और जिम्मेदार कदम यही है कि किसी भी “कथित क्लिप” को न तो शेयर करें, न फॉरवर्ड क्योंकि एक बार कंटेंट आगे बढ़ गया तो आप भी उसकी चेन का हिस्सा माने जा सकते हैं। बिना पुष्टि किसी का नाम जोड़कर पोस्ट करना, मीम बनाना या “कन्फर्म” लिख देना मानहानि और आईटी एक्ट के तहत कानूनी जोखिम बढ़ा सकता है। अगर आपके पास ऐसा लिंक/क्लिप लगातार आ रहा है, तो उसे फैलाने के बजाय साइबर सेल या आधिकारिक साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें और सबूत के तौर पर लिंक, स्क्रीनशॉट, यूज़रनेम/चैनल डिटेल सुरक्षित रखें यही सावधानी आपको भी बचाती है और अपराधियों तक पहुंचने में मदद करती है। Payal Gaming
Payal Gaming : सोशल मीडिया पर ‘Payal Gaming’ के नाम से पहचान बनाने वाली चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे इन दिनों एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विवाद की वजह से सुर्खियों में हैं। इंटरनेट पर एक कथित MMS/वायरल क्लिप के साथ उनका नाम जोड़ा जा रहा है, जबकि जानकारों और पायल के फैंस का कहना है कि यह कंटेंट फर्जी है और संभवतः AI-जनरेटेड डीपफेक के जरिए तैयार किया गया है। बीते कुछ दिनों में खासकर X (पूर्व ट्विटर) और टेलीग्राम पर इस क्लिप को तेजी से फैलाया गया, जिसके बाद प्रशंसकों ने इसे पायल की छवि धूमिल करने की साजिश बताते हुए कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इससे पहले भी “19 मिनट के वायरल वीडियो” के नाम पर इसी तरह की सामग्री वायरल हुई थी, जिसे बाद में फेक करार दिया गया और पुलिस स्तर पर भी इसे AI-जनरेटेड बताए जाने की बात सामने आई थी।
कौन हैं Payal Gaming (पायल धारे)?
25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने कंटेंट में लाइफस्टाइल, ट्रेंड्स और पर्सनल कनेक्ट का ऐसा मिक्स बनाया है, जो उन्हें युवा दर्शकों के बीच खास बनाता है। डिजिटल पॉपुलैरिटी के साथ-साथ उनका दायरा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तक भी पहुंचा है और वे फराह खान व सामंथा रुथ प्रभु जैसी चर्चित हस्तियों के साथ प्रोजेक्ट्स/कोलैबोरेशन में भी नजर आ चुकी हैं।
क्यों बढ़ रही हैं ऐसी अफवाहें?
डीपफेक तकनीक आज इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी व्यक्ति का चेहरा या आवाज किसी दूसरे वीडियो में इस तरह “फिट” कर दी जाती है कि आम दर्शक पहली नजर में असल और नकली का फर्क ही नहीं पकड़ पाता। साइबर विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं कि इस तकनीक का दुरुपयोग खासकर महिलाओं और चर्चित पब्लिक फिगर्स को बदनाम करने, ट्रोलिंग बढ़ाने और अफवाह फैलाने के लिए तेजी से हो रहा है। इसी विवाद में सबसे जरूरी सावधानी यही है कि पायल की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया या जांच एजेंसियों की पुष्टि सामने आने तक किसी भी कथित क्लिप को सत्य मानना, उस पर टिप्पणी करना या उसे आगे शेयर करना कानूनी और नैतिक दोनों स्तरों पर जोखिम भरा साबित हो सकता है।
पुलिस/साइबर सेल की चेतावनी
साइबर सेल और कानून प्रवर्तन एजेंसियां समय-समय पर साफ चेतावनी देती रही हैं कि ऐसे कथित “वायरल” वीडियो को डाउनलोड करना, सेव करना, अपलोड करना या फॉरवर्ड/शेयर करना भी व्यक्ति को सीधे कानूनी कार्रवाई के दायरे में ला सकता है। कुछ अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती स्तर पर कुछ ऑनलाइन टूल्स/वेबसाइट्स की मदद से यह संकेत मिल सकता है कि कंटेंट AI-जनरेटेड तो नहीं है, लेकिन किसी भी दावे पर अंतिम मुहर डिजिटल फॉरेंसिक जांच के बाद ही लगती है।
IT Act के तहत किन धाराओं में कार्रवाई हो सकती है? (जानकारी मात्र)
ऐसे कथित “वायरल” अश्लील/आपत्तिजनक कंटेंट को बनाने, अपलोड करने या आगे फैलाने पर आईटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई संभव है। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, IT Act की धारा 66 (कंप्यूटर से जुड़े अपराध), धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) और धारा 67A (स्पष्ट यौन कृत्य वाली सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) जैसी धाराएं ऐसे मामलों में लागू हो सकती हैं। इन प्रावधानों में जुर्माने के साथ जेल तक का प्रावधान है। धारा 67 में 3 साल तक की सजा/जुर्माना, जबकि धारा 67A में पहली बार 5 साल तक और दोबारा अपराध पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान बताया जाता है। नोट: यह जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है; किसी भी केस में कौन-सी धाराएं लगेंगी, यह तथ्यों, जांच और कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
क्या करें, क्या न करें?
ऐसे मामलों में सबसे सही और जिम्मेदार कदम यही है कि किसी भी “कथित क्लिप” को न तो शेयर करें, न फॉरवर्ड क्योंकि एक बार कंटेंट आगे बढ़ गया तो आप भी उसकी चेन का हिस्सा माने जा सकते हैं। बिना पुष्टि किसी का नाम जोड़कर पोस्ट करना, मीम बनाना या “कन्फर्म” लिख देना मानहानि और आईटी एक्ट के तहत कानूनी जोखिम बढ़ा सकता है। अगर आपके पास ऐसा लिंक/क्लिप लगातार आ रहा है, तो उसे फैलाने के बजाय साइबर सेल या आधिकारिक साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें और सबूत के तौर पर लिंक, स्क्रीनशॉट, यूज़रनेम/चैनल डिटेल सुरक्षित रखें यही सावधानी आपको भी बचाती है और अपराधियों तक पहुंचने में मदद करती है। Payal Gaming












