कौन हैं Payal Gaming? वायरल क्लिप विवाद में क्यों घसीटा जा रहा है नाम

25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही।

चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे
चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 04:11 PM
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Payal Gaming : सोशल मीडिया पर ‘Payal Gaming’ के नाम से पहचान बनाने वाली चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे इन दिनों एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विवाद की वजह से सुर्खियों में हैं। इंटरनेट पर एक कथित MMS/वायरल क्लिप के साथ उनका नाम जोड़ा जा रहा है, जबकि जानकारों और पायल के फैंस का कहना है कि यह कंटेंट फर्जी है और संभवतः AI-जनरेटेड डीपफेक के जरिए तैयार किया गया है। बीते कुछ दिनों में खासकर X (पूर्व ट्विटर) और टेलीग्राम पर इस क्लिप को तेजी से फैलाया गया, जिसके बाद प्रशंसकों ने इसे पायल की छवि धूमिल करने की साजिश बताते हुए कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इससे पहले भी “19 मिनट के वायरल वीडियो” के नाम पर इसी तरह की सामग्री वायरल हुई थी, जिसे बाद में फेक करार दिया गया और पुलिस स्तर पर भी इसे AI-जनरेटेड बताए जाने की बात सामने आई थी।

कौन हैं Payal Gaming (पायल धारे)?

25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने कंटेंट में लाइफस्टाइल, ट्रेंड्स और पर्सनल कनेक्ट का ऐसा मिक्स बनाया है, जो उन्हें युवा दर्शकों के बीच खास बनाता है। डिजिटल पॉपुलैरिटी के साथ-साथ उनका दायरा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तक भी पहुंचा है और वे फराह खान व सामंथा रुथ प्रभु जैसी चर्चित हस्तियों के साथ प्रोजेक्ट्स/कोलैबोरेशन में भी नजर आ चुकी हैं।

क्यों बढ़ रही हैं ऐसी अफवाहें?

डीपफेक तकनीक आज इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी व्यक्ति का चेहरा या आवाज किसी दूसरे वीडियो में इस तरह “फिट” कर दी जाती है कि आम दर्शक पहली नजर में असल और नकली का फर्क ही नहीं पकड़ पाता। साइबर विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं कि इस तकनीक का दुरुपयोग खासकर महिलाओं और चर्चित पब्लिक फिगर्स को बदनाम करने, ट्रोलिंग बढ़ाने और अफवाह फैलाने के लिए तेजी से हो रहा है। इसी विवाद में सबसे जरूरी सावधानी यही है कि पायल की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया या जांच एजेंसियों की पुष्टि सामने आने तक किसी भी कथित क्लिप को सत्य मानना, उस पर टिप्पणी करना या उसे आगे शेयर करना कानूनी और नैतिक दोनों स्तरों पर जोखिम भरा साबित हो सकता है।

पुलिस/साइबर सेल की चेतावनी

साइबर सेल और कानून प्रवर्तन एजेंसियां समय-समय पर साफ चेतावनी देती रही हैं कि ऐसे कथित “वायरल” वीडियो को डाउनलोड करना, सेव करना, अपलोड करना या फॉरवर्ड/शेयर करना भी व्यक्ति को सीधे कानूनी कार्रवाई के दायरे में ला सकता है। कुछ अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती स्तर पर कुछ ऑनलाइन टूल्स/वेबसाइट्स की मदद से यह संकेत मिल सकता है कि कंटेंट AI-जनरेटेड तो नहीं है, लेकिन किसी भी दावे पर अंतिम मुहर डिजिटल फॉरेंसिक जांच के बाद ही लगती है।

IT Act के तहत किन धाराओं में कार्रवाई हो सकती है? (जानकारी मात्र)

ऐसे कथित “वायरल” अश्लील/आपत्तिजनक कंटेंट को बनाने, अपलोड करने या आगे फैलाने पर आईटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई संभव है। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, IT Act की धारा 66 (कंप्यूटर से जुड़े अपराध), धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) और धारा 67A (स्पष्ट यौन कृत्य वाली सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) जैसी धाराएं ऐसे मामलों में लागू हो सकती हैं। इन प्रावधानों में जुर्माने के साथ जेल तक का प्रावधान है धारा 67 में 3 साल तक की सजा/जुर्माना, जबकि धारा 67A में पहली बार 5 साल तक और दोबारा अपराध पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान बताया जाता है। नोट: यह जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है; किसी भी केस में कौन-सी धाराएं लगेंगी, यह तथ्यों, जांच और कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है।

क्या करें, क्या न करें?

ऐसे मामलों में सबसे सही और जिम्मेदार कदम यही है कि किसी भी “कथित क्लिप” को न तो शेयर करें, न फॉरवर्ड क्योंकि एक बार कंटेंट आगे बढ़ गया तो आप भी उसकी चेन का हिस्सा माने जा सकते हैं। बिना पुष्टि किसी का नाम जोड़कर पोस्ट करना, मीम बनाना या “कन्फर्म” लिख देना मानहानि और आईटी एक्ट के तहत कानूनी जोखिम बढ़ा सकता है। अगर आपके पास ऐसा लिंक/क्लिप लगातार आ रहा है, तो उसे फैलाने के बजाय साइबर सेल या आधिकारिक साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें और सबूत के तौर पर लिंक, स्क्रीनशॉट, यूज़रनेम/चैनल डिटेल सुरक्षित रखें यही सावधानी आपको भी बचाती है और अपराधियों तक पहुंचने में मदद करती है। Payal Gaming

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जाने वे राजकुमारियों के बारे में जिन्होंने इतिहास की दिशा ही बदली

भारत का मध्यकालीन इतिहास केवल युद्ध, संघर्ष और धर्म आधारित टकराव तक सीमित नहीं रहा। यह वह दौर भी था जब सत्ता, शांति और राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए वैवाहिक संबंधों को कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया।

Princesses of Indian History
भारत इतिहास की राजकुमारियां (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 02:30 PM
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बता दें कि इतिहासकारों के अनुसार, इन विवाहों का उद्देश्य युद्ध टालना, राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, सत्ता को स्थिर करना और शासकों के बीच भरोसे का रिश्ता बनाना था। इन वैवाहिक गठबंधनों ने न केवल राजपूत–मुगल संबंधों को मजबूत किया, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की राजनीति पर भी गहरा असर डाला। कई हिंदू राजकुमारियों का विवाह मुस्लिम शासकों से हुआ, जिन्हें आज के नजरिए से देखने पर भले ही चौंकाने वाला माना जाए, लेकिन उस समय ये पूरी तरह राजनीतिक फैसले थे।

जानिए किन-किन हिंदू राजकुमारियों ने मुस्लिम शासकों से विवाह किया

1. आमेर की राजकुमारी हरखा बाई और सम्राट अकबर

1562 ई. में आमेर (जयपुर) के राजा भारमल ने अपनी पुत्री हरखा बाई का विवाह मुगल सम्राट अकबर से किया। यह भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित राजनीतिक विवाह माना जाता है। इसी विवाह से सलीम (जहांगीर) का जन्म हुआ। हरखा बाई को बाद में जोधाबाई के नाम से भी जाना गया।

2. मारवाड़ की राजकुमारी मानीबाई और शहजादा सलीम (जहांगीर)

जोधपुर के राजा उदयसिंह ने अपनी पुत्री मानीबाई का विवाह अकबर के पुत्र सलीम से कराया। मानीबाई को जहांगीर ने ‘शाह बेगम’ की उपाधि दी। यह विवाह राजपूतों की राजनीतिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के उद्देश्य से हुआ।

3. जोधपुर की राजकुमारी जोधाबाई और जहांगीर

जोधपुर की एक अन्य राजकुमारी, जिन्हें इतिहास में जोधाबाई या जगत-गुसाईं कहा गया, का विवाह भी जहांगीर से हुआ। इन्हीं से मुगल सम्राट शाहजहां का जन्म हुआ, जिससे यह तथ्य सामने आता है कि शाहजहां की माता एक हिंदू राजकुमारी थीं।

4. जैसलमेर की राजकुमारी नाथीबाई और अकबर

1570 ई. में जैसलमेर के शासक रावल हरिराज ने अपनी पुत्री नाथीबाई का विवाह अकबर से किया। इस विवाह के बाद भाटी राजपूतों और मुगलों के संबंध मजबूत हुए और जैसलमेर को राजनीतिक सुरक्षा मिली।

5. जैसलमेर की राजकुमारी और शहजादा सलीम

नाथीबाई के बाद जैसलमेर के शासक भीम की पुत्री का विवाह शहजादा सलीम से हुआ। जहांगीर ने अपनी आत्मकथा में इस विवाह का उल्लेख किया है और उन्हें ‘मल्लिका-ए-जहान’ की उपाधि दी गई।

6. विजयनगर की राजकुमारी और बहमनी सुल्तान फिरोजशाह

दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य के राजा देवराय प्रथम ने युद्ध में पराजय के बाद अपनी पुत्री का विवाह बहमनी सुल्तान फिरोजशाह से किया। दहेज में बांकापुर क्षेत्र दिया गया। इसका उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करना था।

7. खेरला की राजकुमारी और फिरोजशाह बहमनी

खेरला राज्य के राजा ने भी अपनी पुत्री का विवाह फिरोजशाह बहमनी से किया। कहा जाता है कि वह सुल्तान की पहली बेगम थीं, हालांकि यह विवाह लंबे समय तक शांति कायम नहीं रख सका।

8. आमेर, बीकानेर और अन्य राजपूत राजकुमारियां

इतिहासकारों के अनुसार, बीकानेर के राजा राय सिंह की पुत्री सहित कई अन्य राजपूत राजकुमारियों का विवाह भी मुगल शासकों से हुआ। इन वैवाहिक संबंधों के बदले राजपूत शासकों को मुगल दरबार में ऊंचे पद और मनसब दिए गए।

राजनीतिक समझदारी का प्रतीक

इतिहासकार मानते हैं कि ये विवाह धार्मिक नहीं, बल्कि पूरी तरह राजनीतिक रणनीति का हिस्सा थे। इनसे यह स्पष्ट होता है कि मध्यकालीन भारत में सत्ता और शांति बनाए रखने के लिए धर्म से ऊपर उठकर निर्णय लिए जाते थे। ये राजकुमारियां अपने-अपने राज्यों की सुरक्षा और भविष्य के लिए इतिहास का अहम हिस्सा बनीं।


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खेती में फसल चक्र क्यों है जरूरी, जानिए वैज्ञानिक कारण

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल चक्र खेती में मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल उत्पादन को लंबे समय तक बनाए रखने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है। इसमें अलग-अलग प्रकृति की फसलों को क्रमबद्ध तरीके से उगाया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीट-रोगों का प्रकोप कम होता है।

Crop Rotation Farming
फसल चक्र (Crop Rotation) खेती में जादुई सूत्र (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 01:13 PM
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बता दें कि विशेषज्ञ बताते हैं कि फसल चक्र का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता घटाना, मिट्टी की संरचना सुधारना और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है। इसका प्रभाव फसल सघनता (Crop Intensity) और फसल विविधीकरण सूचकांक (Crop Diversification Index – CDI) जैसे मानकों से आंका जाता है।

पोषक तत्वों का संतुलन है सबसे अहम

फसल चक्र का पहला सिद्धांत पोषक तत्वों का संतुलन है। फलीदार फसलें जैसे मटर और दालें, राइजोबियम बैक्टीरिया की सहायता से हवा से नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। इसके बाद गैर-फलीदार फसलें जैसे गेहूं, धान और मक्का उगाने से मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन का सही उपयोग होता है।

गहरी और उथली जड़ों का संतुलन

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गहरी जड़ वाली फसलें (मक्का, सूरजमुखी) मिट्टी के निचले स्तर से पोषक तत्व ग्रहण करती हैं, जबकि उथली जड़ वाली फसलें (गेहूं, सरसों) ऊपरी परत से पोषण लेती हैं। इस बदलाव से मिट्टी की सभी परतों का संतुलित उपयोग होता है।

कीट और रोगों पर नियंत्रण

एक ही फसल को बार-बार उगाने से खास कीट और रोग तेजी से फैलते हैं। फसल चक्र अपनाने से कीटों और रोगों का जीवन चक्र टूटता है, जिससे उनकी संख्या कम होती है और कीटनाशकों का प्रयोग घटता है।

मिट्टी की संरचना और जैविक पदार्थ में सुधार

विभिन्न फसलें मिट्टी में अलग-अलग मात्रा में जैविक पदार्थ (Organic Matter) जोड़ती हैं। इससे मिट्टी की संरचना मजबूत होती है, जलधारण क्षमता बढ़ती है और लंबे समय तक भूमि उपजाऊ बनी रहती है।

किसानों के लिए लाभकारी

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल चक्र अपनाने से

  • उत्पादन लागत घटती है
  • पैदावार में स्थिरता आती है
  • पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है

कुल मिलाकर, फसल चक्र आधुनिक और परंपरागत खेती का संतुलित वैज्ञानिक समाधान है, जिसे अपनाकर किसान मिट्टी की सेहत के साथ-साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।