ASTRO : किसान आन्दोलन और कोरोना 12 अप्रैल 2022 तक रहेंगे प्रभावी

जैसे ही गुरु ग्रह ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया, प्रधानमंत्री ने कृषि कानून (agricultural Bill) वापस लेने की घोषणा कर दी। परंतु अभी गुरु, शनि की राशि में ही 12 अप्रैल 2022 तक विराजमान रहेंगे। यदि हम यह समझें कि किसान आंदोलन (Farmers' Movement) समाप्त हो गया है और कोरोना (Corona) चला गया है, तो ये हमारी बड़ी भूल होगी। कोरोना और किसान 2021 में अधिक सक्रिय रहे और कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया, क्योंकि आकाशीय कौंसिल में दो बड़े ग्रहों, गुरु और शनि की युगलबंदी चल रही थी। अभी ये दोनों 12 अप्रैल 2022 तक सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से कोहराम मचाते रहेंगे। यदि आप क्रियात्मक रुप से देखें तो विश्व के कितने ही देशों में कोरोना ने सांप की तरह एक बार फिर फन उठा लिया है। भारत में बेशक तीसरी लहर से हम बचे रहे, परंतु डेंगू के डंक से नहीं बच पाए। किसान आंदोलन में हाथी निकल गया परंतु न्यूनतम मूल्य की पूंछ रह गई, जिसका जिक्र अप्रैल 2022 तक चलता रहेगा जब तक गुरु अपनी ही राशि मीन में नहीं आ जाते। मजे की बात तो यह है कि नए संवत 2079,जो 2 अप्रैल 2022 को आरंभ होने जा रहा है, उसमें भी पंचागानुसार राजा शनि होंगे और मंत्री गुरु रहेगे यानी इनकी युगलबंदी चुनावों में नए समीकरण बना कर सरकारें बनाएंगी। मेदनीय ज्योतिष अर्थात लोक भविष्य में ग्रहणों के प्रभावों को बहुत महत्व दिया जाता है। अभी 19 नवंबर को चंद्र ग्रहण, 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बीच बहुत कम अवधि होने के कारण, और गुरु के राशि परिवर्तन के फलस्वरुप बहुत अधिक स्मॉग, ठंड, धुंध, वर्षा, जल प्रलय, भूकंप, समुद्री तूफानों, प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृति से इंकार नहीं किया जा सकता और सरकारों को आपदा प्रबंधन की दिशा में मुस्तैद रहना चाहिए।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
जैसे ही गुरु ग्रह ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया, प्रधानमंत्री ने कृषि कानून (agricultural Bill) वापस लेने की घोषणा कर दी। परंतु अभी गुरु, शनि की राशि में ही 12 अप्रैल 2022 तक विराजमान रहेंगे। यदि हम यह समझें कि किसान आंदोलन (Farmers' Movement) समाप्त हो गया है और कोरोना (Corona) चला गया है, तो ये हमारी बड़ी भूल होगी। कोरोना और किसान 2021 में अधिक सक्रिय रहे और कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया, क्योंकि आकाशीय कौंसिल में दो बड़े ग्रहों, गुरु और शनि की युगलबंदी चल रही थी। अभी ये दोनों 12 अप्रैल 2022 तक सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से कोहराम मचाते रहेंगे। यदि आप क्रियात्मक रुप से देखें तो विश्व के कितने ही देशों में कोरोना ने सांप की तरह एक बार फिर फन उठा लिया है। भारत में बेशक तीसरी लहर से हम बचे रहे, परंतु डेंगू के डंक से नहीं बच पाए। किसान आंदोलन में हाथी निकल गया परंतु न्यूनतम मूल्य की पूंछ रह गई, जिसका जिक्र अप्रैल 2022 तक चलता रहेगा जब तक गुरु अपनी ही राशि मीन में नहीं आ जाते। मजे की बात तो यह है कि नए संवत 2079,जो 2 अप्रैल 2022 को आरंभ होने जा रहा है, उसमें भी पंचागानुसार राजा शनि होंगे और मंत्री गुरु रहेगे यानी इनकी युगलबंदी चुनावों में नए समीकरण बना कर सरकारें बनाएंगी। मेदनीय ज्योतिष अर्थात लोक भविष्य में ग्रहणों के प्रभावों को बहुत महत्व दिया जाता है। अभी 19 नवंबर को चंद्र ग्रहण, 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बीच बहुत कम अवधि होने के कारण, और गुरु के राशि परिवर्तन के फलस्वरुप बहुत अधिक स्मॉग, ठंड, धुंध, वर्षा, जल प्रलय, भूकंप, समुद्री तूफानों, प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृति से इंकार नहीं किया जा सकता और सरकारों को आपदा प्रबंधन की दिशा में मुस्तैद रहना चाहिए।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्







