ASTRO : किसान आन्दोलन और कोरोना 12 अप्रैल 2022 तक रहेंगे प्रभावी

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locationभारत
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calendar21 NOV 2021 00:32 AM
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जैसे ही गुरु ग्रह ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया, प्रधानमंत्री ने कृषि कानून (agricultural Bill) वापस लेने की घोषणा कर दी। परंतु अभी गुरु, शनि की राशि में ही 12 अप्रैल 2022 तक विराजमान रहेंगे। यदि हम यह समझें कि किसान आंदोलन (Farmers' Movement) समाप्त हो गया है और कोरोना (Corona) चला गया है, तो ये हमारी बड़ी भूल होगी। कोरोना और किसान 2021 में अधिक सक्रिय रहे और कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया, क्योंकि आकाशीय कौंसिल में दो बड़े ग्रहों, गुरु और शनि की युगलबंदी चल रही थी। अभी ये दोनों 12 अप्रैल 2022 तक सीधे या अप्रत्यक्ष रुप से कोहराम मचाते रहेंगे। यदि आप क्रियात्मक रुप से देखें तो विश्व के कितने ही देशों में कोरोना ने सांप की तरह एक बार फिर फन उठा लिया है। भारत में बेशक तीसरी लहर से हम बचे रहे, परंतु डेंगू के डंक से नहीं बच पाए। किसान आंदोलन में हाथी निकल गया परंतु न्यूनतम मूल्य की पूंछ रह गई, जिसका जिक्र अप्रैल 2022 तक चलता रहेगा जब तक गुरु अपनी ही राशि मीन में नहीं आ जाते। मजे की बात तो यह है कि नए संवत 2079,जो 2 अप्रैल 2022 को आरंभ होने जा रहा है, उसमें भी पंचागानुसार राजा शनि होंगे और मंत्री गुरु रहेगे यानी इनकी युगलबंदी चुनावों में नए समीकरण बना कर सरकारें बनाएंगी। मेदनीय ज्योतिष अर्थात लोक भविष्य में ग्रहणों के प्रभावों को बहुत महत्व दिया जाता है। अभी 19 नवंबर को चंद्र ग्रहण, 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बीच बहुत कम अवधि होने के कारण, और गुरु के राशि परिवर्तन के फलस्वरुप बहुत अधिक स्मॉग, ठंड, धुंध, वर्षा, जल प्रलय, भूकंप, समुद्री तूफानों, प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृति से इंकार नहीं किया जा सकता और सरकारों को आपदा प्रबंधन की दिशा में मुस्तैद रहना चाहिए।

- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् 

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कीमती रत्न ही नहीं मामूली धातु भी बनाती है अमीर, जानिए कैसे?

Astrology
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locationभारत
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calendar20 NOV 2021 03:05 AM
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ज्‍योतिष (Astrology) में राशि (Zodiac Sign) के अनुसार भविष्‍य जाना जा सकता है और अनचाही-अशुभ घटनाओं से बचने के लिए समय रहते उपाय भी किए जाते हैं। उपायों के लिए ज्‍योतिष में कई तरीके बताए गए हैं जैसे- रत्‍न पहनना, पूजा-पाठ, मंत्र जाप आदि। आमतौर पर समस्‍याओं के उपाय के लिए रत्‍नों को सबसे ज्‍यादा तवज्‍जो दी जाती है। कुंडली के कमजोर ग्रहों को मजबूत करके अच्‍छे फल पाने के लिए रत्‍न बहुत आसान और कारगर उपाय हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि कीमती रत्‍न के अलावा तांबा, पीतल व लोहा आदि सस्ती धातुएं भी बहुत असर डालती हैं और उतना ही फायदा पहुंचाती हैं, जितना कि कीमती रत्न।

ज्योतिष के अनुसार, राशि के अनुसार धातु धारण करने से भी बहुत फायदा होता है। आज हम जानते हैं कि मालामाल होने के लिए किस राशि के जातकों को कौन सी धातु धारण करनी चाहिए।

मेष मेष राशि के जातकों को मंगलवार के दिन सोना या तांबा पहनना चाहिए। इससे उन्‍हें खूब धन-लाभ होगा।

वृषभ वृषभ राशि के जातकों को चंडी धारण करना चाहिए। इसे पहनने के लिए शुक्रवार सबसे अच्‍छा रहेगा।

मिथुन मिथुन राशि के जातकों के कांसा बहुत शुभ होता है। इसे बुधवार को पहनना सबसे अच्‍छा रहता है।

कर्क कर्क राशि वालों को सोमवार को चंडी पहनना चाहिए।

सिंह सिंह राशि के जातकों के लिए सोना और तांबा पहनने से धन लाभ होगा। यह धातु उन्‍हें रविवार को धारण करनी चाहिए।

कन्या कन्या राशि के जातकों के लिए सोना और चांदी शुभ हैं। इसे किसी भी दिन धारण कर सकते हैं।

तुला तुला राशि के जातकों के लिए चांदी शुभ है। इसे पहनने से पैसे के साथ-साथ सुकून भी मिलेगा।

वृश्चिक वृश्चिक राशि के जातकों को मंगलवार को चांदी पहनते ही लाभ होने लगेगा।

धनु धनु राशि के जातकों के लिए पीतल बहुत शुभ होता है। इसे गुरुवार को पहनना उचित होगा।

मकर मकर राशि के जातकों के लिए अष्ट धातु से बनी अंगूठी पहननी चाहिए। इसको आप शनिवार को पहन सकते हैं।

कुम्भ कुम्भ राशि वालों को भी अष्ट धातु पहनने से बहुत लाभ होगा। यदि धारण न करना चाहें तो शनिवार को इसे सरसों के तेल में डाल कर दान कर दें। शनि का अशुभ असर खत्‍म हो जाएगा और दिन बदल जाएंगे।

मीन मीन राशि वालों के लिए सोना सबसे ज्‍यादा शुभ है। इसे गुरुवार को पहनें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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इन मंदिरों में महिलाओं का प्रवेश है वर्जित, जानिए क्या है खास वजह

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 NOV 2021 03:04 AM
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भगवान पर आस्था और श्रद्धा (faith and belief) होने के बाद भी कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहां महिलाओं (womens) का प्रवेश वर्जित है तो कुछ मंदिर (temples) ऐसे भी हैं, जहां पर महिलाओं (womens) के प्रवेश को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। आइए ऐसे ही कुछ मंदिरों (temples) के बारे में जानते हैं...

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर सदियों पुराना बताया जाता है। कहते हैं कि पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था लेकिन अब नहीं है। लेकिन अभी भी आस्था के चलते यहां महिलाएं बाबा की गुफा के बाहर बने चबूतरे से ही दर्शन करती हैं।

मध्य प्रदेश के गुना में स्थित जैन मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर एक नियम है। यहां भी कोई भी महिला या लड़की वेस्टर्न परिधान पहनकर प्रवेश नहीं कर सकती है। इस मंदिर का मूल नाम श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र है, जो 1236 में बनाया गया था।

माँ कामाख्या का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर पूर्व भारत में असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में स्थित नीलाचल पहाड़ी के मध्य में स्थित है। खास बात ये है कि इस मंदिर में माता की पूजा के लिए कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि मंदिर परिसर में चट्टान है जिसकी पूजा की जाती है। यहां मासिक धर्म के दौरान मंदिर में कोई भी महिला नहीं जाती है।

केरल का पद्मनाभस्वामी मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है। देश के सबसे अमिर मंदिरों में से एक है। बताया जाता है कि सबसे पहले भगवान विष्णु की इसी स्थान पर प्रतिमा प्राप्त हुई थी। कहते हैं कि यहां महिलाएं भगवान विष्णु की पूजा तो कर सकती हैं लेकिन मंदिर कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकतीं है। महिलाओं के साथ-साथ यहां पुरुषों को भी देसी भूषभूषा में मंदिर जाना होता है।

सबरीमाला दक्षिण भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यहां करोड़ों श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर हिंदू ब्रह्मचर्य देवता अयप्पन को समर्पित है। कहा जाता है कि सबरीमाला मंदिर में आने के लिए श्रद्धालुओं को 41 दिनों का व्रत रखना पड़ता है। लेकिन महिलाओं को बीच में पीरियड हो जाते हैं जिस कारण से वह व्रत पूरा नहीं कर पाती हैं, इसलिए उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता है।