इंडिगो संकट पर पायलटों का बड़ा खुलासा, मैनेजमेंट की मंशा पर उठे गंभीर सवाल

एक पायलट ने तर्क दिया कि अगर इतने पायलट प्रभावित भी होते, तो यह असर अधिकतम 5–7 प्रतिशत उड़ानों तक सीमित रहना चाहिए था, न कि पूरे नेटवर्क पर। पायलटों का आरोप है कि संकट को इतना बड़ा इसलिए बनाया गया, ताकि यह दिखाया जा सके कि नए FDTL नियम ‘व्यवहारिक’ नहीं हैं और इन्हें रोकना ही होगा।

इंडिगो संकट
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locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar08 Dec 2025 01:31 PM
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IndiGo Crisis : देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन इंडिगो पिछले एक हफ्ते से जबरदस्त उथल–पुथल से गुजर रही है। सातवें दिन भी देश के कई एयरपोर्ट्स पर फ्लाइट्स रद्द होने और घंटों की देरी का सिलसिला थमा नहीं है। इसी बीच इंडिगो के पायलट सामने आए हैं और उन्होंने साफ आरोप लगाया है कि उड़ानों का यह संकट किसी अचानक हुई तकनीकी या स्टाफ़ कमी का नतीजा नहीं, बल्कि नए सेफ्टी नियमों को पटरी से उतारने की सुनियोजित कोशिश है।

पायलटों का बड़ा दावा: जानबूझकर बनाया गया “क्राइसिस”

इंडिगो के कई पायलटों का कहना है कि कंपनी मैनेजमेंट ने जानबूझकर फ्लाइट रद्दीकरण और देरी का ऐसा माहौल तैयार किया, जिससे यह संदेश जाए कि नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों की वजह से ऑपरेशन चलाना मुश्किल हो गया है। पायलटों के मुताबिक़, मैनेजमेंट ने नए सुरक्षा मानकों को लागू करने में सहयोग करने के बजाय सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई। आरोप है कि फ्लाइट्स की प्लानिंग इस तरह की गई कि थोड़ी सी कमी दिखे और उसका ठीकरा बदले हुए FDTL नियमों पर फोड़ दिया जाए, ताकि सरकार को इन्हें वापस लेने या टालने के लिए मजबूर किया जा सके। पायलटों द्वारा रखे गए आंकड़ों के अनुसार, इंडिगो रोज़ाना करीब 2,200 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है। ऐसे में उनका सवाल है कि सिर्फ़ 65 कैप्टन और 59 फर्स्ट ऑफिसर की कमी से हज़ारों उड़ानें कैसे रद्द या बुरी तरह लेट हो सकती हैं? एक पायलट ने तर्क दिया कि अगर इतने पायलट प्रभावित भी होते, तो यह असर अधिकतम 5–7 प्रतिशत उड़ानों तक सीमित रहना चाहिए था, न कि पूरे नेटवर्क पर। पायलटों का आरोप है कि संकट को इतना बड़ा इसलिए बनाया गया, ताकि यह दिखाया जा सके कि नए FDTL नियम ‘व्यवहारिक’ नहीं हैं और इन्हें रोकना ही होगा।

एफडीटीएल नियमों पर टकराव की पूरी कहानी

नए FDTL नियमों के तहत पायलटों के ड्यूटी आवर्स और आराम के समय को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं, ताकि थकान और ओवरवर्क की वजह से उड़ान सुरक्षा से कोई समझौता न हो। एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट साग्निक बनर्जी के मुताबिक़, इन नियमों को सालों की चर्चा और सेफ्टी डेटा के आधार पर तैयार किया गया था और लंबे समय से इन्हें स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की तरह माना जा रहा था। बनर्जी का आरोप है कि एयरलाइंस मुनाफ़े को प्राथमिकता देती हैं और जब भी सेफ्टी को मजबूत करने वाले नियम आते हैं, तो वे “ऑपरेशनल प्रैक्टिकलिटी” के नाम पर उन्हें कमजोर करने की कोशिश करती हैं। उनके मुताबिक़, बदले हुए FDTL नियम पायलटों की सुरक्षा, थकान प्रबंधन और यात्रियों की सेफ्टी को बेहतर बनाने के लिए थे, लेकिन इन्हें लागू करने में जानबूझकर टालमटोल की गई।

संख्या बताती है समस्या कहीं और है?

साग्निक बनर्जी ने यह भी बताया कि नियम लागू होने के समय इंडिगो के पास कुल 4,581 पायलट उपलब्ध होने चाहिए थे और वास्तविक कमी सिर्फ़ 124 पायलटों की थी। उनका कहना है कि इतनी सीमित कमी से पूरे नेटवर्क में अफरातफरी मच जाना लॉजिकल नहीं दिखता। पायलटों ने यह भी आरोप लगाया कि क्रू कॉल और रोस्टरिंग सिस्टम में अचानक बदलाव किए गए। आमतौर पर जहां स्टाफ़ को डिपार्चर से 8–10 घंटे पहले तक कॉल आ जाती थी, वहीं अब कॉल्स डिपार्चर टाइम से ठीक पहले के स्लॉट में ठूंस दिए गए, जिससे रोस्टरिंग में ‘कृत्रिम दबाव’ पैदा हुआ।

एयरपोर्ट्स पर बदली तस्वीर

एक पायलट के मुताबिक, जिन एयरपोर्ट्स पर आमतौर पर विमान एक–दूसरे के पास पार्क किए जाते थे, वहां हाल के दिनों में प्लेन्स को 60 किलोमीटर की दूरी पर अलग–अलग एयरपोर्ट्स पर तैनात किया गया। इससे क्रू के रिपोर्टिंग टाइम में स्वाभाविक रूप से देरी बढ़ी और फ्लाइट्स की टाइमिंग बुरी तरह प्रभावित हुई। पायलटों का कहना है कि ग्राउंड ऑपरेशन, पार्किंग पैटर्न और क्रू मूवमेंट में इस तरह के बदलावों ने मिलकर पिछले पांच दिनों को उनके करियर के सबसे ज्यादा अव्यवस्थित और तनावपूर्ण दिन बना दिया। लगातार बिगड़ती स्थिति के बीच अब बड़ी संख्या में पायलट एक पारदर्शी और जवाबदेह सिस्टम की मांग कर रहे हैं, जिसमें रोस्टरिंग, ड्यूटी टाइम और आराम के नियम स्पष्ट और निष्पक्ष तरीके से लागू हों। उनका कहना है कि अगर सेफ्टी नियमों को राजनीतिक या व्यावसायिक दबाव की बलि चढ़ाया गया, तो सबसे बड़ा नुकसान यात्रियों की सुरक्षा और भारतीय एविएशन सेक्टर की साख को होगा। IndiGo Crisis

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संसद और सरकार सख्त, इंडिगो के लिए हाई लेवल जांच शुरू

इंडिगो की बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसिलेशन और डिले से यात्रियों में भारी परेशानी। DGCA ने CEO को नोटिस जारी किया MoCA ने हाई लेवल जांच शुरू की। जानें संसद की कार्रवाई, रेलवे की स्पेशल ट्रेनें और इंडिगो का बयान। आज की रद्द उड़ानों की पूरी जानकारी।

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इंडिगो फ्लाइट कैंसिलेशन
locationभारत
userअसमीना
calendar07 Dec 2025 12:11 PM
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देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। हाल के दिनों में बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द होने और डिले होने के कारण यात्रियों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इस संकट ने केवल यात्रियों को ही नहीं बल्कि संसद, सरकार और नियामक एजेंसियों को भी सक्रिय कर दिया है। अब DGCA, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और संसदीय समिति इस मामले की गंभीर जांच कर रही हैं।

इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण का हाल

इंडिगो ने नेटवर्क को रीबूट करने के लिए एक बड़े पैमाने पर उड़ानों को रद्द किया। कंपनी का कहना है कि एक दिन में 700 से ज्यादा उड़ानों का संचालन किया गया और 138 में से 135 डेस्टिनेशन पर सेवाएं बहाल कर दी गई हैं। इसके बावजूद 7 दिसंबर को कई शहरों में उड़ानों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर रद्द रही जिनमें ये नाम शामिल है।

बेंगलुरु एयरपोर्ट: 76 आगमन और 74 प्रस्थान फ्लाइट्स रद्द

हैदराबाद एयरपोर्ट: 54 आगमन और 61 प्रस्थान फ्लाइट्स रद्द

दिल्ली एयरपोर्ट: 37 डिपार्चर और 49 अराइवल फ्लाइट्स रद्द

चेन्नई एयरपोर्ट: 38 फ्लाइट्स रद्द

कोलकाता एयरपोर्ट: 21 आगमन और 20 प्रस्थान फ्लाइट्स रद्द

यात्रियों को असुविधा के चलते रेलवे ने 89 स्पेशल ट्रेनें चलाने का ऐलान किया ताकि लोग अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।

संसद और संसदीय समिति की सख्ती

परिवहन, पर्यटन और नागरिक उड्डयन पर बनी संसदीय स्थायी समिति ने इंडिगो, अन्य एयरलाइंस, DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों को तलब करने का फैसला किया। समिति के अध्यक्ष संजय कुमार झा की अध्यक्षता में इस पूरे घटनाक्रम पर विस्तृत चर्चा होगी। संसदीय समिति यह भी जांच करेगी कि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा न हो और यात्रियों को अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े।

DGCA ने इंडिगो को जारी किया शो-कॉज नोटिस

नियामक एजेंसी DGCA ने इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स और अकाउंटेबल मैनेजर इसिड्रो पोर्केरस को 24 घंटे के भीतर जवाब देने के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया। DGCA के अनुसार, बड़े पैमाने पर ऑपरेशनल फेल्योर प्लानिंग और रिसोर्स मैनेजमेंट में चूक दर्शाता है। FDTL (Flight Duty Time Limitations) नियमों के लागू होने के बावजूद पर्याप्त तैयारी नहीं की गई। यात्रियों को जरूरी सुविधाएं नहीं दी गईं जो नियमों के खिलाफ है।

मंत्रालय ने शुरू की हाई लेवल जांच

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने इंडिगो संकट की जांच के लिए 4 सदस्यीय हाई लेवल कमेटी गठित की। इस कमेटी को 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट में मुख्य कारण और जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान की जाएगी। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि वित्तीय और दंडात्मक कार्रवाई से इनकार नहीं किया जाएगा।

इंडिगो का बयान और माफी

इंडिगो ने कहा कि नेटवर्क को रीबूट करने के लिए उड़ानें रद्द की गईं। एयरलाइन ने यात्रियों से माफी मांगते हुए भरोसा दिलाया कि सेवाएं जल्द पूरी तरह बहाल की जाएंगी और भविष्य में ऐसी समस्या दोबारा नहीं होगी।

फ्लाइट कैंसिलेशन से हुए मुद्दे

कई सांसद और आम यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ा। अचानक किराए बढ़ाने से आर्थिक बोझ बढ़ा। DGCA और मंत्रालय ने एयरलाइन को निर्देश दिए कि रद्द और डिले फ्लाइट्स के टिकट का रिफंड समय पर करें और अलग हुआ सामान 48 घंटे के भीतर पहुंचाया जाए। बिजनेस क्लास को छोड़कर बाकी टिकटों के किराए 7,500 से 18,000 रुपये तक अस्थायी रूप से कैप किए गए।

विशेषज्ञों और विपक्ष की प्रतिक्रिया

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इकॉनमी क्लास के किराए को कैप करना सही कदम है। उन्होंने एयरलाइन, DGCA और सरकार की सामूहिक विफलता को उजागर किया। उनका कहना है कि FDTL नियम लागू होने के बावजूद पर्याप्त मार्गदर्शन नहीं दिया गया।

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इंडिगो संकट के बीच बड़ा सवाल, एयरलाइन खोलने में कितना खर्च आता है?

इंडिगो के हालिया संकट ने भले ही एयरलाइन उद्योग पर सवाल खड़े किए हों, लेकिन एक एयरलाइन शुरू करना अभी भी भारत में एक उच्च निवेश वाला, हाई-रिस्क लेकिन हाई-डिमांड बिजनेस है। लाइसेंस से लेकर विमान संचालन तक हर चरण में बड़े निवेश और सख्त नियमों का पालन जरूरी होता है।

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भारत में एयरलाइन बिजनेस (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar06 Dec 2025 06:47 PM
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इंडिगो में ऑपरेशनल संकट गहराता जा रहा है। 5 दिसंबर को जहां इंडिगो की लगभग 1000 उड़ानें कैंसिल करनी पड़ीं, वहीं बीते चार दिनों में 1700 से अधिक फ्लाइटें रद्द हो चुकी हैं। स्टाफ की कमी और तकनीकी प्रबंधन की दिक्कतों के चलते दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, इंदौर, जयपुर, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े शहरों में सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं। कंपनी के मुताबिक 6 दिसंबर को भी करीब 1000 उड़ानें रद्द हो सकती हैं। इस संकट ने लोगों के मन में एक सवाल जरूर खड़ा कर दिया है—अगर कोई अपनी एयरलाइन शुरू करना चाहे, तो कितना खर्च आएगा और प्रक्रिया क्या है?

भारत में एयरलाइन शुरू करने में कितना आता है खर्च?

एविएशन सेक्टर दुनिया के सबसे महंगे व्यवसायों में गिना जाता है। एयरलाइन शुरू करने के लिए शुरुआती निवेश 500 करोड़ से लेकर 1500 करोड़ रुपये या इससे भी अधिक हो सकता है। यह लागत कई कारणों पर निर्भर करती है—फ्लीट साइज, बिजनेस मॉडल, रूट नेटवर्क, टेक्निकल सेटअप और स्टाफिंग। भारत का एविएशन इंडस्ट्री दुनिया का नौवां सबसे बड़ा क्षेत्र है और यह सालाना जीडीपी में 18.32 लाख करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। इतनी बड़ी इंडस्ट्री में प्रवेश करना आसान नहीं है, इसलिए केवल वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियां ही एयरलाइन बिजनेस में उतर पाती हैं।

लाइसेंस और परमिशन की प्रक्रिया

भारत में एयरलाइन शुरू करने के लिए DGCA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) से कई महत्वपूर्ण मंजूरियां लेनी होती हैं। इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC)
  • सिक्योरिटी क्लीयरेंस
  • पायलट और टेक्निकल स्टाफ की योग्यता जांच
  • सेफ्टी ऑडिट और ऑपरेशनल चेक

यह प्रक्रिया 18 महीने से लेकर 3 साल तक चल सकती है। DGCA के सख्त नियमों के चलते हर तकनीकी मांग को पूरा करना अनिवार्य होता है।

विमान खरीदने या लीज पर लेने का खर्च

एयरलाइन शुरू करने में सबसे बड़ा खर्चा विमान होता है। एक कमर्शियल हवाई जहाज की कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये में होती है। इसी वजह से नई एयरलाइंस आमतौर पर विमान लीज पर लेती हैं। लीज पर विमान लेने की मासिक लागत बहुत अधिक होती है मेंटेनेंस, इंश्योरेंस, ग्राउंड ऑपरेशंस और टेक्निकल सपोर्ट के अलग से खर्चे और स्टाफ सैलरी, फ्यूल कॉस्ट और एयरपोर्ट स्लॉट फीस भी जुड़ती हैं। यही वजह है कि एक एयरलाइन को ऑपरेशनल बनाने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है।