Economic Survey 2024-25 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आज शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। यह सर्वेक्षण मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाओं को उजागर करता है।
मुख्य बिंदु
2026 में 6.3-6.8% की ग्रोथ का अनुमान
भारतीय अर्थव्यवस्था 2026 तक 6.3% से 6.8% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
बाहरी परिस्थितियां और घरेलू नीतियां इस ग्रोथ को बनाए रखने में मदद करेंगी।
महंगाई में कमी
वित्त वर्ष 2024 में खुदरा महंगाई 5.4% थी, जो 2025 में घटकर 4.9% हो गई।
खाद्य मुद्रास्फीति में भी गिरावट आई है जिससे आम जनता को राहत मिली है।
आर्थिक स्थिरता और निवेश में तेजी
मजबूत बाहरी खाता (External Account) और स्थिर निजी खपत (Stable Private Consumption) भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं।
सरकारी पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और कारोबारी माहौल में सुधार से निवेश गतिविधियां बढ़ रही हैं।
खाद्य मुद्रास्फीति को काबू में रखने के उपाय
सरकार ने खाद्य वस्तुओं का बफर स्टॉक बढ़ाने, खुले बाजार में बिक्री और आयात में ढील जैसे कदम उठाए।
सब्जियों की कीमतों में मौसमी गिरावट और खरीफ फसल की आवक से आगे भी राहत की उम्मीद।
वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक जोखिम
वैश्विक स्तर पर व्यापार अनिश्चितताएं और भू-राजनीतिक तनाव भारत की विकास दर को प्रभावित कर सकते हैं।
भारत को समझदारी भरी नीति (Strategic Policy Making) और आर्थिक सुधारों के जरिए इन चुनौतियों का सामना करना होगा।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार की जरूरत
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत को संरचनात्मक सुधारों और विनियमन (Regulation) के माध्यम से अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने की जरूरत है।
कृषि सुधार और खाद्य सुरक्षा
सरकार को दाल, तिलहन, टमाटर और प्याज के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।
मौसम के अनुकूल बीजों के विकास और किसानों के लिए बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
खाद्य कीमतों पर नजर रखने के लिए हाई-फ्रिक्वेंसी डेटा मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करने की सलाह दी गई है।
शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं में सुधार
स्वच्छता, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ है।
स्कूलों में बुनियादी ढांचे की स्थिति बेहतर होने से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है।