इलेक्ट्रिक कार का नया कमाल, सीधे सूरज की रोशनी में फुल चार्ज!

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए Vayve Eva ने Bharat Mobility Global Expo 2025 में अपनी आधिकारिक शुरुआत की है। यह देश की पहली सोलर-पावर्ड इलेक्ट्रिक कार है, जिसकी शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत ₹3.25 लाख रखी गई है।

Electric car
इलेक्ट्रिक कार (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 06:31 PM
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Vayve Eva को खास तौर पर शहरी यात्राओं के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक कॉम्पैक्ट माइक्रोकार है, जो किफायती कीमत में बेहतर रेंज और आधुनिक फीचर्स देने का दावा करती है। पहले 2023 में कॉन्सेप्ट के रूप में पेश की गई यह कार अब Nova, Stella और Vega—तीन वेरिएंट्स में प्रोडक्शन-रेडी फॉर्म में उपलब्ध है।

बैटरी रेंटल प्लान से कम होगी शुरुआती लागत

Eva की सबसे बड़ी खासियत इसका बैटरी रेंटल मॉडल है। पारंपरिक बैटरी खरीदने की बजाय ग्राहक प्रति किलोमीटर बैटरी इस्तेमाल के हिसाब से भुगतान कर सकते हैं। बैटरी की लागत ₹2 प्रति किमी तय की गई है।

हालांकि, इसमें न्यूनतम मासिक उपयोग की शर्त भी है—

  • Nova: 600 किमी
  • Stella: 800 किमी
  • Vega: 1200 किमी

यह मॉडल शुरुआती कीमत को कम करता है, लेकिन लॉन्ग-टर्म खर्च ड्राइविंग पैटर्न पर निर्भर करेगा।

सोलर रूफ से मिलेगी अतिरिक्त रेंज

Vayve Eva में दिया गया सोलर पैनल रूफ हर दिन करीब 10 किमी तक की अतिरिक्त रेंज जेनरेट कर सकता है। धूप वाले इलाकों में यह फीचर खासा कारगर साबित हो सकता है। कार की अनुमानित टॉप स्पीड 70–80 किमी/घंटा है, जो इसे सिटी कम्यूट के लिए उपयुक्त बनाती है।

डिजाइन और फीचर्स

डिजाइन की बात करें तो Eva में LED DRLs, गोल हेडलाइट्स, ब्लैंक्ड-ऑफ फ्रंट ग्रिल और एयरोडायनामिक बॉडी दी गई है। यह Mahindra e2O और Reva जैसी पुरानी माइक्रो EVs की याद दिलाती है, लेकिन ज्यादा मॉडर्न लुक के साथ। अंदर से यह कार तीन-सीटर लेआउट में आती है, जिसमें ड्राइवर के पीछे दो पैसेंजर सीटें हैं। फीचर्स में शामिल हैं:

  • ड्यूल डिजिटल डिस्प्ले
  • 6-वे इलेक्ट्रिकली एडजस्टेबल ड्राइवर सीट
  • मैनुअल AC
  • कॉम्पैक्ट फ्रिज
  • फिक्स्ड ग्लास रूफ

सेफ्टी पर भी फोकस

सेफ्टी के लिहाज से Vayve Eva में ड्राइवर एयरबैग, सभी यात्रियों के लिए 3-पॉइंट सीटबेल्ट और मजबूत मोनोकॉक स्ट्रक्चर दिया गया है, जो शहरी ड्राइविंग के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है। कम कीमत, सोलर चार्जिंग और इनोवेटिव बैटरी रेंटल मॉडल के साथ Vayve Eva भारत में किफायती और टिकाऊ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का नया विकल्प बनकर उभर रही है।


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कौन हैं Payal Gaming? वायरल क्लिप विवाद में क्यों घसीटा जा रहा है नाम

25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही।

चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे
चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar17 Dec 2025 04:11 PM
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Payal Gaming : सोशल मीडिया पर ‘Payal Gaming’ के नाम से पहचान बनाने वाली चर्चित गेमिंग इन्फ्लुएंसर पायल धारे इन दिनों एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विवाद की वजह से सुर्खियों में हैं। इंटरनेट पर एक कथित MMS/वायरल क्लिप के साथ उनका नाम जोड़ा जा रहा है, जबकि जानकारों और पायल के फैंस का कहना है कि यह कंटेंट फर्जी है और संभवतः AI-जनरेटेड डीपफेक के जरिए तैयार किया गया है। बीते कुछ दिनों में खासकर X (पूर्व ट्विटर) और टेलीग्राम पर इस क्लिप को तेजी से फैलाया गया, जिसके बाद प्रशंसकों ने इसे पायल की छवि धूमिल करने की साजिश बताते हुए कड़ा विरोध शुरू कर दिया। इससे पहले भी “19 मिनट के वायरल वीडियो” के नाम पर इसी तरह की सामग्री वायरल हुई थी, जिसे बाद में फेक करार दिया गया और पुलिस स्तर पर भी इसे AI-जनरेटेड बताए जाने की बात सामने आई थी।

कौन हैं Payal Gaming (पायल धारे)?

25 वर्षीय पायल धारे देश की ऑनलाइन गेमिंग दुनिया में तेजी से उभरा हुआ एक बड़ा नाम हैं। यूट्यूब पर उनके 45 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि इंस्टाग्राम पर उन्हें 42 लाख+ फॉलोअर्स फॉलो करते हैं। पायल की पहचान सिर्फ गेमिंग स्ट्रीम्स तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने कंटेंट में लाइफस्टाइल, ट्रेंड्स और पर्सनल कनेक्ट का ऐसा मिक्स बनाया है, जो उन्हें युवा दर्शकों के बीच खास बनाता है। डिजिटल पॉपुलैरिटी के साथ-साथ उनका दायरा एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तक भी पहुंचा है और वे फराह खान व सामंथा रुथ प्रभु जैसी चर्चित हस्तियों के साथ प्रोजेक्ट्स/कोलैबोरेशन में भी नजर आ चुकी हैं।

क्यों बढ़ रही हैं ऐसी अफवाहें?

डीपफेक तकनीक आज इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी व्यक्ति का चेहरा या आवाज किसी दूसरे वीडियो में इस तरह “फिट” कर दी जाती है कि आम दर्शक पहली नजर में असल और नकली का फर्क ही नहीं पकड़ पाता। साइबर विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं कि इस तकनीक का दुरुपयोग खासकर महिलाओं और चर्चित पब्लिक फिगर्स को बदनाम करने, ट्रोलिंग बढ़ाने और अफवाह फैलाने के लिए तेजी से हो रहा है। इसी विवाद में सबसे जरूरी सावधानी यही है कि पायल की तरफ से आधिकारिक प्रतिक्रिया या जांच एजेंसियों की पुष्टि सामने आने तक किसी भी कथित क्लिप को सत्य मानना, उस पर टिप्पणी करना या उसे आगे शेयर करना कानूनी और नैतिक दोनों स्तरों पर जोखिम भरा साबित हो सकता है।

पुलिस/साइबर सेल की चेतावनी

साइबर सेल और कानून प्रवर्तन एजेंसियां समय-समय पर साफ चेतावनी देती रही हैं कि ऐसे कथित “वायरल” वीडियो को डाउनलोड करना, सेव करना, अपलोड करना या फॉरवर्ड/शेयर करना भी व्यक्ति को सीधे कानूनी कार्रवाई के दायरे में ला सकता है। कुछ अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती स्तर पर कुछ ऑनलाइन टूल्स/वेबसाइट्स की मदद से यह संकेत मिल सकता है कि कंटेंट AI-जनरेटेड तो नहीं है, लेकिन किसी भी दावे पर अंतिम मुहर डिजिटल फॉरेंसिक जांच के बाद ही लगती है।

IT Act के तहत किन धाराओं में कार्रवाई हो सकती है? (जानकारी मात्र)

ऐसे कथित “वायरल” अश्लील/आपत्तिजनक कंटेंट को बनाने, अपलोड करने या आगे फैलाने पर आईटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई संभव है। कानून विशेषज्ञों के मुताबिक, IT Act की धारा 66 (कंप्यूटर से जुड़े अपराध), धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) और धारा 67A (स्पष्ट यौन कृत्य वाली सामग्री का प्रकाशन/प्रसारण) जैसी धाराएं ऐसे मामलों में लागू हो सकती हैं। इन प्रावधानों में जुर्माने के साथ जेल तक का प्रावधान है धारा 67 में 3 साल तक की सजा/जुर्माना, जबकि धारा 67A में पहली बार 5 साल तक और दोबारा अपराध पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान बताया जाता है। नोट: यह जानकारी सामान्य जागरूकता के लिए है; किसी भी केस में कौन-सी धाराएं लगेंगी, यह तथ्यों, जांच और कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है।

क्या करें, क्या न करें?

ऐसे मामलों में सबसे सही और जिम्मेदार कदम यही है कि किसी भी “कथित क्लिप” को न तो शेयर करें, न फॉरवर्ड क्योंकि एक बार कंटेंट आगे बढ़ गया तो आप भी उसकी चेन का हिस्सा माने जा सकते हैं। बिना पुष्टि किसी का नाम जोड़कर पोस्ट करना, मीम बनाना या “कन्फर्म” लिख देना मानहानि और आईटी एक्ट के तहत कानूनी जोखिम बढ़ा सकता है। अगर आपके पास ऐसा लिंक/क्लिप लगातार आ रहा है, तो उसे फैलाने के बजाय साइबर सेल या आधिकारिक साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें और सबूत के तौर पर लिंक, स्क्रीनशॉट, यूज़रनेम/चैनल डिटेल सुरक्षित रखें यही सावधानी आपको भी बचाती है और अपराधियों तक पहुंचने में मदद करती है। Payal Gaming

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खेती में फसल चक्र क्यों है जरूरी, जानिए वैज्ञानिक कारण

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल चक्र खेती में मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल उत्पादन को लंबे समय तक बनाए रखने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है। इसमें अलग-अलग प्रकृति की फसलों को क्रमबद्ध तरीके से उगाया जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और कीट-रोगों का प्रकोप कम होता है।

Crop Rotation Farming
फसल चक्र (Crop Rotation) खेती में जादुई सूत्र (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar17 Dec 2025 01:13 PM
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बता दें कि विशेषज्ञ बताते हैं कि फसल चक्र का मुख्य उद्देश्य रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता घटाना, मिट्टी की संरचना सुधारना और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना है। इसका प्रभाव फसल सघनता (Crop Intensity) और फसल विविधीकरण सूचकांक (Crop Diversification Index – CDI) जैसे मानकों से आंका जाता है।

पोषक तत्वों का संतुलन है सबसे अहम

फसल चक्र का पहला सिद्धांत पोषक तत्वों का संतुलन है। फलीदार फसलें जैसे मटर और दालें, राइजोबियम बैक्टीरिया की सहायता से हवा से नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। इसके बाद गैर-फलीदार फसलें जैसे गेहूं, धान और मक्का उगाने से मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन का सही उपयोग होता है।

गहरी और उथली जड़ों का संतुलन

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गहरी जड़ वाली फसलें (मक्का, सूरजमुखी) मिट्टी के निचले स्तर से पोषक तत्व ग्रहण करती हैं, जबकि उथली जड़ वाली फसलें (गेहूं, सरसों) ऊपरी परत से पोषण लेती हैं। इस बदलाव से मिट्टी की सभी परतों का संतुलित उपयोग होता है।

कीट और रोगों पर नियंत्रण

एक ही फसल को बार-बार उगाने से खास कीट और रोग तेजी से फैलते हैं। फसल चक्र अपनाने से कीटों और रोगों का जीवन चक्र टूटता है, जिससे उनकी संख्या कम होती है और कीटनाशकों का प्रयोग घटता है।

मिट्टी की संरचना और जैविक पदार्थ में सुधार

विभिन्न फसलें मिट्टी में अलग-अलग मात्रा में जैविक पदार्थ (Organic Matter) जोड़ती हैं। इससे मिट्टी की संरचना मजबूत होती है, जलधारण क्षमता बढ़ती है और लंबे समय तक भूमि उपजाऊ बनी रहती है।

किसानों के लिए लाभकारी

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल चक्र अपनाने से

  • उत्पादन लागत घटती है
  • पैदावार में स्थिरता आती है
  • पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है

कुल मिलाकर, फसल चक्र आधुनिक और परंपरागत खेती का संतुलित वैज्ञानिक समाधान है, जिसे अपनाकर किसान मिट्टी की सेहत के साथ-साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं।


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