Malharrao Holkar Birth Anniversary : 16 मार्च- आज है महायोद्धा मल्हारराव होलकर की जयंती
Untold Story Of an Unsung hero
Malharrao Holkar Birth Anniversary : भारतीय इतिहास में ऐसे अगणित योद्धा हुए, जिन्होंने विश्व भर में अपनी बहादुरी की मिसालें देकर अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया है। विडम्बना है कि जिन लोगों के हाथ में देश का इतिहास लिखने की जिम्मेदारी थी, उन कलमकारों ने इन वीरों के साथ बिल्कुल न्याय नहीं किया और वे गुमनामी के अंधेरों में ही रह गए । इन्हीं में से एक थे महायोद्धा मल्हारराव होलकर, जिनकी आज यानी 16 मार्च को जयंती है। दुर्भाग्य ऐसा कि अत्याचारी, व्यभिचारी, आततायी, हत्यारे और लुटेरे मुगलों के महिमामंडन में पन्नों को रंगने वालों ने महायोद्धा मल्हारराव होलकर जी को भी भगोड़ा करार दे दिया था, जबकि उसकी हकीकत कुछ और थी। पानीपत के निर्णायक युद्ध में इस शूरवीर योद्धा मल्हारराव ने लूटेरे अहमद शाह अब्दाली की सेना को घुटनों के बल कर दिया था।
Malharrao Holkar Birth Anniversary :
युद्ध छोड़कर भाग जाने की झूठी कहानी
इस युद्ध में जब विश्वास राव पेशवा वीरगति को प्राप्त हो गये तब मराठा वीरों का मनोबल गिरने लगा। ऐसे समय में तत्कालीन मराठा के सेनापति सदाशिव राव भाऊ जी ने मल्हारराव से उनकी पत्नी पार्वतीबाई को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का आग्रह किया क्योंकि मराठे सैनिक अब्दाली की सेना के क्रूरतम और महिलाओं के प्रति उनके बेहद ही घृणित नजरिये से भली-भाँति परिचित थे। मल्हारराव ने इस आदेश का तत्क्षण पालन किया जिसे बाद में झोलाछाप चाटुकार इतिहासकारों ने होलकर जी के युद्ध छोड़कर भाग जाने की झूठी कहानी गढ़ कर दुष्प्रचारित कर दिया।
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अहिल्याबाई होलकर ने सत्ता की बागडौर संभाली
महा-पराक्रमी योद्धा मल्हारराव का देहावसान 20 मई, सन् 1766 में आलमपुर में हो गया। इस महायोद्धा की एक ही सन्तान थी जो बहुत पहले ही युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो चुकी थी। खांडेराव की मृत्यु के बाद उनकी धर्मपत्नी अहिल्याबाई होलकर को मल्हारराव ने ही सती होने से रोका था। अहिल्या के बेटे और मल्हारराव के पोते मालेराव को इंदौर की रियासत मिली। किन्तु कुछ ही महीनों में दुर्भाग्यवश उसकी भी मौत हो गई। ततपश्चात अहिल्याबाई होलकर जी ने सत्ता की कमान संभाली और इतिहास साक्षी है कि वो एक कुशल शासिका सिद्ध हुईं। आज महान योद्धा मल्हारराव होलकर के जन्म-जयंती पर हम उन्हें कोटि-कोटि नमन व वन्दन करते हैं। साथ ही उनकी वीरगाथा को वास्तविक रूप में लोगों के समक्ष रखने का संकल्प उठाते हैं।